स्वर्ण शक्ति: धान की यह किस्म किसानों की तकदीर बदल देगी

स्वर्ण शक्ति: धान की यह किस्म किसानों की तकदीर बदल देगी

0

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार परंपरागत धान की खेती से एक किलोग्राम चावल उपजाने में लगभग 3000 से 5000 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। लेकिन कृषि वैज्ञानिकों ने कम पानी में पैदा होने वाले धान की किस्म विकसित की है, जो किसानों के लिए बड़ा उपहार साबित हो सकती है। धान की इस किस्म का नाम है स्वर्ण शक्ति।

स्वर्ण शक्ति धान किस्म

पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केंद्र जमुई ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पटना के विज्ञानियों के साथ मिलकर कई सालों के शोध व परिक्षण के बाद स्वर्ण शक्ति किस्म को विकसित किया है। इसे बाजार में उतारने की अनुमति फसल बीज अधिसूचना केंद्र उप समिति व राज्य बीज उप समिति ने दे दी है। खरीफ सीजन से ही किसान इसकी खेती कर सकते हैं। स्वर्ण शक्ति धान कम पानी में या असिंचित क्षेत्र में भी आसानी से उपजाई और अच्छी पैदावार पाई जा सकती है।

ये भी पढ़ें: धान की रोपाई

स्वर्ण शक्ति किस्म की मुख्य विशेषतायें

• स्वर्ण शक्ति किस्म की धान पर सूखे का असर नहीं होता है।
• स्वर्ण शक्ति किस्म की धान पौधे 15 दिन तक ओलावृष्टि को सहने में सक्षम है।
• यदि बारिश कम होती है तो भी किसान को नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा।
• पानी की खपत कम होगी जिससे खेती की लागत कम होगी।
• स्वर्ण शक्ति मध्यम अवधि की प्रजाति है जो 115-120 दिन में तैयार हो जाती है।
• स्वर्ण शक्ति प्रजाति से 45 से 50 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है।

भूमि की तैयारी कैसे करें

सबसे पहले खेत की एक गहरी जुताई करनी चाहिए, इससे खरपतवार, कीट और रोगों के प्रबंधन में सहायता मिलती है। धान की सीधी बुआई द्वारा खेती करने के लिए एक बार मोल्ड हल की सहायता से जुताई करके फिर डिस्क हैरो और रोटावेटर चलाने के बाद धान की सीधी बुआई द्वारा खेती करें। ऐसा करने से पूरे खेत में बीजों का एक समान अंकुरण, जड़ों का सही विकास, सिंचाई के जल का एक समान वितरण होने से पौधों का विकास बहुत अच्छा होगा और अच्छी उपज हासिल होगी।

ये भी पढ़ें:  डीएसआर तकनीकी से धान रोपने वाले किसानों को पंजाब सरकार दे रही है ईनाम

बुवाई का समय

बुआई का सबसे अच्छा समय जून के दूसरे सप्ताह से लेकर चौथे सप्ताह तक होता है। लेकिन किसान भाई जुलाई माह में भी इसकी बुवाई कर सकते हैं।

स्वर्ण शक्ति किस्म की बुआई का तरीका

स्वर्ण शक्ति धान की सीधी बुआई हाथ से अथवा बीज-सह-उर्वरक ड्रिल मशीन द्वारा की जा सकती है। करीब 25-30 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की बीज दर के साथ 3-5 से.मी. गहरी हल-रेखाओं में 20 से.मी. की दूरी पर पंक्तियों में बुवाई की जाती है।

ये भी पढ़ें: तर वत्तर सीधी बिजाई धान : भूजल-पर्यावरण संरक्षण व खेती लागत बचत का वरदान (Direct paddy plantation)

खाद व उर्वरक की मात्रा

धान के पौधों के उचित विकास के लिए प्रति हैक्टेयर 120 किलोग्राम नाईट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है। बुआई के लिए भूमि की अंतिम तैयारी के समय फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी खुराक और नाईट्रोजन उर्वरक की केवल एक तिहाई मात्रा को खेत में मिला देना चाहिए। बाकि नाईट्रोजन को दो बराबर भागों में बांटकर, एक भाग को बुआई के 40-50 दिनों बाद कल्ले (टिलर) आने के समय तथा दूसरे भाग को बुआई के 55-60 दिनों बाद बाली आने के समय देना चाहिए।

ये भी पढ़ें: अब किसानों को नहीं झेलनी पड़ेगी यूरिया की किल्लत

सिंचाई कब कब करें

बिना कीचड़ और बिना जल जमाव किये स्वर्ण शक्ति धान की खेती सीधी बुआई करके की जाती है। स्वर्ण शक्ति सूखा सहिष्णु एरोबिक प्रजाति है, यदि फसल के दौरान सामान्य वर्षा हो और सही रूप से खेत में वितरित हो तो फसल को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है। सूखे की स्थिति में फसल को विकास की महत्वपूर्ण अवस्थाओं जैसे बुआई के बाद, कल्ले निकलते समय, गाभा फूटते समय, फूल लगते समय एवं दाना बनते समय मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखना जरूरी होता है।

ये भी पढ़ें: धान की लोकप्रिय किस्म पूसा-1509 : कम समय और कम पानी में अधिक पैदावार : किसान होंगे मालामाल

कैसे करें खरपतवार नियंत्रण

धान की सीधी बुआई करने पर खेतों में मोथा, दूब, जंगली घास, सावां, सामी आदि खरपतवार का प्रकोप काफी बढ़ जाता है, जिससे फसल को नुकसान होता हैं। खरपतवारों के नियंत्रण के लिए बुवाई के एक या दो दिनों के अंदर ही पेंडीमेथलीन का 1 किलोग्राम सक्रिय तत्व / हैक्टेयर की दर से छिडक़ाव करना चाहिए। इसके बाद बिस्पैरिबक सोडियम का 25 ग्राम सक्रिय तत्व/ हैक्टेयर की दर से बुआई के 18-20 दिनों के अंदर छिडक़ाव करना चाहिए। आवश्यक हो तो बुआई के 40 दिनों बाद और 60 दिनों बाद निराई की जा सकती है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More