मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस यानी 19 फरवरी को मनाया जाने वाला दिवस। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 19 फरवरी, 2015 को राजस्थान के सूरतगढ़ में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना लॉन्च की थी जिसे ध्यान में रखते हुए मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस मनाया जाता है। यह संयोग ही है कि अंतर्राष्ट्रीय मृदा वर्ष भी उसी साल मनाया गया था।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) योजना का उद्देश्य प्रत्येक दो वर्षों में किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना है, ताकि उर्वरक का छिड़काव करते समय मृदा में पोषक तत्वों की कमी दूर करने के लिए एक ठोस आधार मिल सके। मृदा का परीक्षण इसलिए किया जाता है, ताकि पोषक तत्वों के प्रबंधन के आधार पर मृदा परीक्षण को बढ़ावा दिया जा सके।
इस दिशा में अनगिनत चुनौतियां हैं : भारत की जिस मिट्टी में खेती-बाड़ी हो रही है उनमें प्रति वर्ष 12-14 मिलियन टन तक पोषक तत्वों की कमी पाई जा रही है और उर्वरक उद्योग की पूरी क्षमता का उपयोग करने के बाद भी भविष्य में यह ऋणात्मक संतुलन के और बढ़ जाने की आशंका है। भारत में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, सल्फर, जस्ता, बोरॉन, लोहा, मैंगनीज और तांबा संबंधी पोषक तत्वों की कमी क्रमश: 95, 94, 48, 25, 41, 20, 14, 8 तथा 6 प्रतिशत तक है।
फसलों की पैदावार बढ़ाने और उन्हें उच्च स्तर पर बनाये रखने के लिए मिट्टी की गुणवत्ता, पौध विकास, फसल उत्पादकता और कृषि निरंतरता पर प्रभाव डालने वाले अन्य पूरक उपायों के साथ मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण को समग्र रणनीति में शामिल किया जाना चाहिए।