कृषि साहित्य पर मेरीखेती के प्रख्यात लेखक
[Renowened authors of MeriKheti on agriculture literature]
[Renowened authors of MeriKheti on agriculture literature]
शैक्षिक योग्यता:—एमए इतिहास, एमए हिन्दी, बीएड, एमफिल इतिहास
पत्रकारिता:—दैनिक आज, दैनिक जागरण, अमर उजाला एवं दैनिक हिन्दुस्तान समाचार पत्र में डेढ़ दशक का कार्यानुभव।
:—कृषि पत्रकारिता के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा चौधरी चरण सिंह पुरस्कार फॉर एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म एण्ड एग्रीकल्चर रिसर्च एण्ड डेवqलपमेंट 2008, राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित।
सामाजिक सहयोग:—युवाओं को खेती से जोड़ना
:—किसानों की तकनीकी, सामाजिक व व्यावसायिक समस्याओं में मदद करना।
:—राष्ट्रीय कृषि संस्थानों से किसानों को जोड़ना।
:—ब्रज के तीर्थ स्थलों के जीर्ण़ोद्धार व संरक्षण की पहल करना।
:—गौ संरक्षण एवं संवर्धन।
:—जैविक कृषि उत्पाद उत्पादन व मार्केटिंग।
:—कंपनियों को खेती की तनकीकी गाइडेंस मुहैया कराना।
:—किसानों की आय बढ़ाने के लिए संरक्षित खेती की दिशा में सार्थक पहल।
:—आल इण्डिया रेडियो के किसानवाणी कार्यक्रम के माध्यम से कृषि ज्ञान विस्तार।
लेखन सहयोग:—
दिलीप कुमार यादव ने गुजरे दो दशकों में हिन्दी के शीर्ष अखबारों में कृषि पत्रकारिता को ही अपनाया। उन्होंने खेती किसानी से जुड़ी खबरों को प्राथमिकता देने के लिए संपादकों तक से चिंतन किया। खेती की खबरों से कारोबारी लाभ न मिलने के कारण उन्हें प्राथमिकता न मिलने की मनोवृत्ति को बदलने में उन्हें सफलता मिली। बाद में अमर उजाला जैसे अखबारों को चौपाल शीर्षक से खेती को प्राथमिकता देनी पड़ी। राजस्थान पत्रिका से लेकर देनिक जागरण तक ने कृषि पत्रकारिता को तरजीह दी।
श्री यादव समाचार पत्रों के साथ साथ विभिन्न पत्रिकाओं के लिए कृषि एवं ग्रामीण विकास से जुड़े मुदृदों पर लेख लिखते रहे हैं। उन्होंने किसान के खेत—खलिहान से लेकर वैज्ञानिकों के अनुसंधान प्रक्षेत्रों तक जाकर विविधताओं वाली कृषि को समझने का सतर प्रयास किया। उन्होंने कृषि में कोई शिक्षा नहीं पाई लेकिन खेती का मूल ज्ञान किसान और विज्ञान दोनों नजरिऐ से समझने का प्रयास किया। इसी का प्रतिफल रहा कि आपकी रिपोर्ट किई किसानों के जीवन में खुशहाली लाने का काम करती रही। किसानों को उन्नत किस्मों का बीज उपलब्ध कराने से लेकर अन्य तरकनीकी ज्ञान उन्हें हर हाल में दिलाने में वह सदैव संलग्न रहे।
श्री यादव ने पत्रकारिता के साथ साथ अपने पैत्रक व्यवसाय कृषि को पूरे समर्थन के साथ अपनाया। उसमें नए प्रयोग के वह सदैव समर्थक रहे। इसके माध्यम से वह किसानों में नई किस्मों के प्रति आकर्षण पैदा कर पाए। इसका लाभ भी आय बढ़ने के रूप में किसानों को हुआ। उनके प्रयोग और प्रयासों से किसानों को सफलता मिली तो यही सफलता एक कृषि पत्रकार की भूमिका में उन्हें स्थापित करने का आधार बनी।
शैक्षिक योग्यता:—एमए: समाजशास्त्र, आई जी डी- मुंबई, आर डी एस- लंदन, बैचलर ऑफ़ लाइब्रेरी एंड इनफार्मेशन साइंस और बी.लिब
व्यवसाय: अध्यापक जनता इण्टर कालेज ( 1972 से 2008)
श्री पाठक जी क्षेत्र के जाने पहचाने व्यक्ति हैं तथा सामाजिक कार्य में बढ़चढ़ कर भाग लेते हैं. श्री पाठक जी क़स्बा की रामलीला कमेटी के सक्रिय सदस्य हैं तथा अभी रामलीला कमेटी के संगरक्षक की भूमिका में हैं. आप एक अच्छे वक्ता और आपको पब्लिक को डील करने में निपुणता हासिल है.
आपकी क्षेत्र के बड़े किसानों में गिनती होती है तथा खेती में आपने नई नई तकनीकों का प्रयोग करके लोगों को इसका फायदा भी पहुंचाया है.
जब लोगों के पास ट्रैक्टर न के बराबर होते थे तब आपने अपनी खेती को ट्रैक्टर के माध्यम से किया है. आज से करीब 50 साल पहले आपने ट्रैक्टर से खेती को किया है. आप मशीनीकरण की सहायता से किसानों की आय बढ़ने के पक्षधर हैं तथा खेती के साथ साथ किसानों को दूसरे सम्बंधित व्यवसाय के लिए प्रेरित करते हैं
देवव्रत वाजपेयी [ Devbrat Bajpai ] – मेरीखेती के प्रसिद्ध लेखक हैं. देवव्रत वाजपेयी हिंदी पत्रकारिता में 7 सालों से सक्रिय हैं. वह खेती-किसानी, खेल, एंटरटेनमेंट जैसे विषयों में लिखने की रुचि रखते हैं. उन्होंने अब तक न्यूज़18 हिंदी, वेबदुनिया, दैनिक जागरण और इंडिया डॉट कॉम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के लिए काम किया है.
डॉ. स्मिता शुक्ला जी [Dr. Smita Shukla ] मेरीखेती की प्रसिद्ध लेखिका हैं. डॉ. स्मिता शुक्ला ने सहायक अधीक्षक विश्वविद्यालय परीक्षा 2004 के रूप में काम किया है।
वह जर्नल ऑफ एनवायरनमेंट एंड इकोप्लानिंग के संपादकीय बोर्ड की सदस्य हैं और मेडिकल कॉलेज झांसी में पशु नैतिकता समिति की सदस्य भी हैं।