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अप्रैल माह में उगाई जाने वाली फसलें और कृषि कार्यों की जानकारी

Published on: 19-Mar-2024

अप्रैल के महीने तक तकरीबन समस्त रबी फसलें कट जाती हैं। किसान भी अपनी फसलों का प्रबंधन करके मंडी पहुंचाने लगते हैं। अब जायद सीजन की फसलों की बुवाई की जानी हैं। 

ये फसलें फायदे के साथ-साथ मृदा की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ा देती हैं। अप्रैल माह में उगाई जाने वाली ये फसलें आपको अच्छा खासा मुनाफा प्रदान कर सकती हैं। किसानों को कम समयांतराल में ही मिलेगी बंपर उपज।

रबी फसलों की कटाई और खरीफ सीजन से पूर्व कुछ ही माह बीच में खाली बच जाते हैं, जिसको जायद सीजन भी कहा जाता है। इस दौरान विभिन्न दलहनी और तिलहनी फसलें बोई जाती हैं, जो धान मक्का की खेती से पहले ही पककर तैयार हो जाती हैं। 

जायद सीजन में विशेष सब्जी फसलों की भी बुवाई की जाती हैं। इसके अतिरिक्त बहुत सारे लोग मृदा की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए जायद सीजन में ढेंचा, लोबिया और मूंग की खेती भी करते हैं। इससे मृदा में नाइट्रोजन का स्तर काफी बढ़ जाता है।

खेत की तैयारी

रबी फसलों की कटाई के बाद सर्व प्रथम खेत में गहरी जुताई लगाएं और खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लें। जायद सीजन की फसलों की बुवाई करने से पहले मृदा की अवश्य जांच करवा लें। 

इससे सही मात्रा में खाद-उर्वरक का इस्तेमाल करने की राहत मिल जाएगी और अनावश्यक खर्चों से राहत मिलेगी। हर फसल सीजन के पश्चात मृदा की जांच करवाने से इसकी कमियों का भी जाँच पहचान हो जाती है, जिन्हें वक्त रहते ठीक किया जा सकता है।

साठी मक्का और बेबी कॉर्न के लिए उपयुक्त समय

यह समय साठी मक्का और बेबी कॉर्न की खेती के लिए अनुकूल है। दोनों ही फसलें 60 से 70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। फिर कटाई के पश्चात सहजता से धान की बिजाई का काम भी किया जा सकता है।

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इन दिनों बेबी कॉर्न भी काफी चलन में है। ये मक्का कच्चा ही बिक जाता है। होटलों में बेबी कॉर्न की सलाद, सब्जी, अचार, पकौड़े व सूप आदि काफी प्रसिद्ध हैं।

अप्रैल माह में उगाई जाने वाली सब्जी की फसलें

अप्रैल माह में किसान सब्जी फसलों की खेती भी कर सकते हैं। यह समय तोरई, बैंगन, लौकी, भिंडी और करेला की खेती के लिए बेहद अनुकूल है। 

मौसम की मार से जायद सीजन की फसलों को सुरक्षित रखने के लिए किसान पॉलीहाउस, ग्रीन हाउस अथवा लो टनल की व्यवस्था कर लें। इन संरक्षित ढांचों की स्थापना के लिए राज्य सरकारें किसान भाइयों को अनुदान भी मुहैया करवाती हैं।

दलहन में कौन-सी फसल के लिए सही समय और सलाह

अप्रैल का महीना उड़द की खेती के लिए बेहद अनुकूल माना जाता है। हालांकि, जलभराव वाले क्षेत्रों में इसकी बुवाई करने से बचना चाहिए। उड़द की खेती के लिए प्रति एकड़ 6-8 किलो बीजदर का उपयोग करें। इसकी खेत में बुवाई से पहले-पहले बीज को थीरम या ट्राइकोडर्मा से उपचारित अवश्य कर लें।

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किसान भाई दलहन उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अरहर की फसल ले सकते हैं। किसान उचित जल निकासी वाली मृदा में कतारों में अरहर की बुवाई करते हैं। ये फसल 60 से 90 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। आप चाहें तो अरहर की लघु समयावधि वाली किस्मों की बुवाई भी कर सकते हैं।

सोयाबीन की फसल के लिए सही समय

सोयाबीन की फसल घरेलू उपयोग में आने वाली एक मुख्य फसल है। अप्रैल माह में बोई गई सोयाबीन की फसल में बीमारियां लगने की संभावना काफी कम रहती है। ये फसल वातावरण में नाइट्रोजन स्थिरीकरण का काम करती है। 

पानी रुकने वाले क्षेत्रों में सोयाबीन की बुवाई करने से बचना चाहिए। किसान भाइयों को शानदार और बेहतरीन उपज पाने के लिए बुवाई से पहले खेत की 3 गहरी जुताईयां करने की सलाह दी जाती है।

गेंहू कटते ही करदें मूंगफली की बुवाई

अप्रैल के आखिरी सप्ताह तक मतलब कि गेहूं की कटाई के शीघ्रोपरान्त मूंगफली की फसल की बुवाई की जा सकती है। ये फसल अगस्त-सितंबर तक पककर तैयार हो जाएगी। 

परंतु, जलनिकासी वाले क्षेत्रों में ही मूंगफली की बुवाई करनी चाहिए। दरअसल, शानदार उत्पादन के लिए हल्की दोमट मिट्टी में बीजोपचार के पश्चात ही मूंगफली के दानों की बिजाई करें।

किसान ढेंचा की खेती भी कर सकते है

खरीफ सीजन की धान-मक्का की बिजाई से पूर्व किसान भाई ढेंचा यानी हरी खाद की फसल ले सकते हैं। इससे खाद-उर्वरकों पर खर्च होने वाली धनराशि सुगमता से बच जाएगी। 

ढेंचा की फसल 45 दिन के अंतर्गत लगभग 5 से 6 सिंचाईयों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके बाद धान की खेती करने पर उत्पादन की क्वालिटी और उपज शानदार मिलती है।

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