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सूखाग्रस्त क्षेत्रों के किसानों के लिए इसरो (ISRO) ने उठाया महत्वपूर्ण कदम

Published on: 24-Feb-2024

सूखाग्रस्त इलाकों के किसान भाइयों के लिए एक अच्छी खबर है। दरअसल, नीति आयोग ने भारतभर में कृषि वानिकी को प्रोत्साहन देने के लिए इसरो उपग्रहों के डेटा का उपयोग करके एक नया भुवन-आधारित पोर्टल जारी किया है। 

इसरो के अनुसार, यह पोर्टल कृषि वानिकी के लिए अनुकूल जमीन की पहचान करने वाले जिला-स्तरीय डेटा तक सार्वभौमिक पहुंच की स्वीकृति देता है। प्रारंभिक आकलनों में मध्य प्रदेश, तेलंगाना और राजस्थान कृषि वानिकी उपयुक्तता के लिए सबसे बड़े राज्यों के तौर पर उभरे हैं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने नीति आयोग के साथ मिलकर भारत के बंजर क्षेत्रों में हरियाली की योजना तैयार की है। सैटेलाइट डाटा और कृषि वानिकी के माध्यम से भारत में वन क्षेत्र में सुधार किया जाएगा। 

योजना के अंतर्गत इसरो के जियोपोर्टल भुवन पर उपलब्ध सैटेलाइट डाटा के माध्यम से कृषि वानिकी उपयुक्तता सूचकांक (एएसआई) स्थापित करने के लिए बंजर भूमि, भूमि उपयोग भूमि कवर, जल निकाय, मृदा कार्बनिक कार्बन और ढलान जैसे विषयगत भू-स्थानिक आंकड़ों को इकट्ठा किया जा रहा है।

प्रारंभिक आकलनों में मध्य प्रदेश, तेलंगाना और राजस्थान कृषि वानिकी उपयुक्तता के लिए सबसे बड़े राज्यों के तौर पर उभरे हैं। जानकारी के अनुसार, नीति आयोग ने 12 फरवरी को भुवन-आधारित ग्रो-पोर्टल जारी किया है। 

ग्रीनिंग एंड रेस्टोरेशन ऑफ वेस्टलैंड विद एग्रोफॉरेस्ट्री (ग्रो) कहे जाने वाले इस पोर्टल के जरिये देश में कृषि वानिकी के साथ-साथ बंजर भूमि को हरा-भरा करना और उसकी पुनरुद्धार की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है।

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इस पोर्टल के जरिये राज्य और जिला-स्तरीय कृषि-वानिकी डाटा सभी के लिए उपलब्ध है. यह डाटा कृषि व्यवसायियों, गैर-सरकारी संस्थाओं, स्टार्ट-अप और शोधकर्ताओं को भी इस क्षेत्र में पहलों के लिए आमंत्रित करता है। 

इसरो का कहना है, कि ”एक विश्लेषण से पता चला कि भारत की लगभग 6.18% और 4.91% भूमि क्रमशः कृषि वानिकी के लिए अत्यधिक और मध्यम रूप से उपयुक्त है। 

राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना कृषि वानिकी उपयुक्तता के लिए शीर्ष बड़े आकार के राज्यों के रूप में उभरे, जबकि जम्मू और कश्मीर, मणिपुर और नागालैंड मध्यम आकार के राज्यों में सर्वोच्च स्थान पर रहे।”

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद के अनुसार, कृषि वानिकी भारत को लकड़ी के उत्पादों के आयात को कम करने, कार्बन पृथक्करण के माध्यम से जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने और इष्टतम भूमि उपयोग को प्रोत्साहन देने में सहयोग कर सकती है। 

कृषि वानिकी के माध्यम से परती और बंजर भूमि का रूपांतरण करके उन्हें उत्पादक बनाया जा सकता है। 

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