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Meri Kheti https://www.merikheti.com/ Kisan ka saathi Thu, 28 Mar 2024 06:30:00 GMT hi hourly 1 https://merikheti.com/favicon.jpg Meri Kheti https://www.merikheti.com/ 140 140 महिला डेयरी किसान कुलदीप कौर के बायोगैस प्लांट से पूरे गॉव का चूल्हा फ्री में जलता है https://www.merikheti.com/blog/kuldeep-kaur-biogas-supplies-to-the-entire-village-from-dairy-farm Thu, 28 Mar 2024 06:30:00 GMT https://www.merikheti.com/blog/kuldeep-kaur-biogas-supplies-to-the-entire-village-from-dairy-farm

वर्तमान में इंडियन डेयरी एसोसिएशन ने रोपड़, पंजाब की मूल निवासी कुलदीप कौर को डेयरी के क्षेत्र में अच्छे काम के लिए सम्मानित किया है। कुलदीप के डेयरी फार्म पर कई कॉलेज के छात्र पढ़ाई करने भी आते हैं। 

साथ ही, दूध का काम शुरू करने वाले कुलदीप कौर से सलाह-मशबिरा करने और फार्म को देखने भी आते हैं।  

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि रोपड़, पंजाब के बहादुरपुर गांव में हर एक घर का चूल्हा, फ्री में जलता है। बतादें, कि महज 100 रुपये महीने के खर्च पर दिन में तीन बार चूल्हा जलता है। 

हर घर से 100 रुपये महीना भी रखरखाव के नाम पर लिया जाता है। ये सब कुलदीप कौर की डेयरी के माध्यम से संभव हुआ है। 

कुलदीप कौर गांव के करीब 70 घरों को अपने डेयरी फार्म पर बने बायो गैस प्लांट से गैस सप्लाई करती हैं। लेकिन, इसके बदले कुलदीप किसी भी घर से एक रुपया तक नहीं लेती हैं।

प्लांट के बेहतर संचालन के लिए टेक्नीशियन भी रखा है

प्लांट के सुचारू संचालन के लिए एक टेक्नीशियन नियुक्त किया गया है। इस टेक्नीशियन को हर घर से 100 रुपये प्रदान किए जाते हैं। 

कुलदीप का कहना है, कि जब हमने डेयरी शुरू की तो हमारा उद्देश्य था, कि इसका फायदा हमारे गांव के लोगों को भी मिले। केवल यही सोचकर हमने बायो गैस गांव भर के लिए निःशुल्क कर दी है।

जानिए कुलदीप कोर की डेयरी की शुरुआत के बारे में

इस किसान की कहानी बेहद उत्साहित करने वाली है। कुलदीप कौर के बेटे गगनदीप का कहना है, कि लगभग 10 वर्ष पूर्व घर में ये फैसला हुआ कि डेयरी यानी पशुपालन शुरू किया जाए। 

जब बात शुरू करने की आई तो घर के हर एक सदस्यौ ने अपनी जमा पूंजी में से कुछ ना कुछ रकम मां को दी। ताई, चाचा सभी ने इसमें सहयोग किया। इस तरह से पहले पांच गाय खरीदी गईं। 

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जब काम बढ़ने लगा तो गाय की संख्या बढ़ानी भी शुरू कर दी। पहले हमारे पास एक ही नस्ल की गाय थी। लेकिन, फिर हमने इधर-उधर से जानकारी एकत्रित करने के बाद अपने फार्म में एचएफ, जर्सी और साहीवाल गाय रखनी चालू कर दीं।

दूध के अतिरिक्त गोबर से भी अच्छी आय हो रही है

गगनदीप का कहना है, कि बायो गैस प्लांट पर गैस तैयार करने के बाद जो तरल गोबर बचता है, उसे हम ट्रॉली के हिसाब से किसानों को बेच देते हैं। 

हर रोज हमारे प्लांट से पांच ट्रॉली गोबर निकलता है। एक ट्रॉली 500 रुपये की जाती है। इस प्रकार हमें ढाई हजार रुपये रोजाना की इनकम गोबर से हो जाती है। 

इसके अतिरिक्त हमारे खेत में अब 140 गाय हैं। सभी गाय से रोजाना 950 से एक हजार लीटर तक दूध प्राप्त हो जाता है। इस पूरे दूध को हम पंजाब की वेरका डेयरी को बेच देते हैं।

कुलदीप कोर ने डेयरी शुरू करने वालों को दी सलाह

सफलता पूर्वक डेयरी संचालन करने वालीं कुलदीप कौर का कहना है, कि अगर कोई भी डेयरी खोलना चाहता है, तो उसे सबसे पहले इसका प्रशिक्षण लेना चाहिए। 

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गाय-भैंस की अच्छी ब्रीड का ही चयन करना चाहिए। इसके बाद हर समय यह प्रयास होना चाहिए, कि दूध उत्पादन की लागत को किस तरह कम किया जाए। जैसे हमने अपने फार्म पर ही चारा बनाना शुरू कर दिया। 

इस प्रकार से हमें प्रति किलो चारे पर पांच रुपये की बचत होने लगी। साथ ही, दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए गाय-भैंस की खुराक पर ध्यान दें ना की बाजार में बिकने वाली बेवजह की चीजों पर।

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खरपतवारों को हटाने तथा मृदा की उर्वरता बढ़ाने के लिए बलवान बीडब्ल्यू-25 पावर वीडर https://www.merikheti.com/blog/balwaan-bw-25-power-weeder-to-remove-weeds-and-increase-soil-fertility-price-specifications Thu, 28 Mar 2024 00:30:00 GMT https://www.merikheti.com/blog/balwaan-bw-25-power-weeder-to-remove-weeds-and-increase-soil-fertility-price-specifications

कृषि यंत्र खेती के सभी कार्यों को आसानी से पूरा करने के लिए किसानों की बहुत बड़ी जरूरत बन गए हैं। विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रों या उपकरणों को इस्तेमाल करते हैं। 

बहुत सारे कृषि यंत्र खेती में अपनी अद्भुत भूमिका निभाते हैं। ये किसानों के काम को कम लागत में पूर्ण करने में सहयोग करते हैं। इनमें खरपतवार नियंत्रण करने वाले कृषि उपकरण विशेष महत्व रखते हैं, जिनसे फसलों की उपज काफी बढ़ जाती है। 

भारत में सबसे ज्यादा खेतों में खरपतवारों को हटाने तथा मृदा की उर्वरता बढ़ाने के लिए पावर वीडर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। 

अगर आप भी अपने खेतों के लिए सस्ता और सशक्त पावर वीडर मशीन खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आपके लिए बलवान बीडब्ल्यू-25 पावर वीडर काफी शानदार विकल्प हो सकता है। 

पावर वीडर (Power Weeder) एक कृषि उपकरण है, जिसका इस्तेमाल खरपतवारों को हटाने और फसलों में मिट्टी चढ़ाने के लिए किया जाता है। फावड़े से एक व्यक्ति को काफी समय के साथ काफी मेहनत करनी पड़ती है। 

लेकिन पावर वीडर के इस्तेमाल से फसल के अंदर खरपतवार निकालने और मिट्टी चढ़ाने का काम आसानी से और जल्दी किया जा सकता है। 

बलवान बीडब्ल्यू-25 की क्या-क्या विशेषताएं हैं ?

Balwaan BW-25 पावर वीडर में आपको 63 सीसी क्षमता वाला शक्तिशाली इंजन देखने को मिल जाता है, जो 3 हॉर्स पावर उत्पन्न करता है। यह बलवान पावर वीडर पेट्रोल से चलने वाले इंजन के साथ आता है। 

इस पावर वीडर मशीन के इंजन से 9000 आरपीएम उत्पन्न होता है। बलवान कंपनी के इस पावर वीटर में आपको 1.72 लीटर क्षमता वाला फ्यूल टैंक देखने को मिल जाता है। 

यह पावर वीडर High carbon steel टाइप ब्लेड में आता है। कंपनी के इस पावर वीडर का कुल भार 34.1 किलोग्राम है। इस बलवान पावर वीडर को 55 CM लंबाई, 51 CM चौड़ाई और 61 CM ऊंचाई में तैयार किया गया है। 

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कंपनी का यह पावर वीडर 5 से 6 इंच तक की गहराई तक जुताई और 16 इंच तक चौड़ाई में कार्य कर सकता है।

बलवान बीडब्ल्यू-25 की क्या-क्या खूबियां हैं ? 

Balwaan BW-25 पावर वीडर किसान को कुशलतापूर्वक खेती करने में सहायता करता है। इस पावर वीडर का उपयोग खरपतवारों को हटाने के लिए किया जा सकता है। 

बलवान का यह पावर वीडर ऊपरी मिट्टी की उर्वरता की भरपाई करता है। बलवान बीडब्ल्यू-25 पावर वीडर के साथ खेती या बागवानी के कई बड़े काम आसानी से किए जा सकते हैं। 

इस पावर वीडर को चलाने के लिए आपको किसी अन्य उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। यह पावर वीडर फसल के उगने पर मिट्टी चूर्णित, हिलाने और ढीला करने में मदद करता है। 

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बलवान का ये पावर वीडर खेती में समय और प्रयास की बचत करता है। इस पावर वीडर के साथ निराई और जुताई गतिविधियों में मदद मिलती है। कंपनी का यह पावर वीडर मिट्टी का समतलीकरण करने जैसे मुश्किल कामों को भी असान बनता है। इस पावर वीडर के साथ कम तेल में अधिक काम किए जा सकते हैं। 

बलवान बीडब्ल्यू-25 की कितनी कीमत है ? 

भारत में Balwaan BW-25 पावर वीडर की कीमत 23,000 रुपये रखी गई है. कंपनी अपनी इस पावर वीडर मशीन के साथ 6 महीने की वारंटी देती है।

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कटहल, आंवला, नींबू सहित बेल की खेती पर मिल रहा 50,000 का अनुदान https://www.merikheti.com/blog/subsidy-of-rs-50000-on-the-cultivation-of-jackfruit-gooseberry-lemon-and-vine Wed, 27 Mar 2024 12:30:00 GMT https://www.merikheti.com/blog/subsidy-of-rs-50000-on-the-cultivation-of-jackfruit-gooseberry-lemon-and-vine

किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्यों की सरकार समय-समय पर नई-नई योजनाएं चलाती रहती हैं. किसानों को फल और सब्जियों की खेती के प्रति प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इस राज्य की सरकार की तरफ से उन्हें सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है.

भारत के किसान भाइयों को मजबूत बनाने और उनकी आय को बढ़ाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें समय-समय पर नई-नई योजनाएं जारी करती रहती हैं। 

किसानों को फल और सब्जियों की खेतीके लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से बिहार सरकार द्वारा उन्हें सब्सिडी का फायदा प्रदान किया जा रहा है। 

राज्य सरकार फसल विविधीकरण योजना के अंतर्गत बेल, कटहल, आंवला और नींबू की खेती करने वाले किसानों को अनुदान उपलब्ध करा रही है। 

इस योजना का फायदा उठाने के लिए राज्य के उद्यानिकी विभाग की तरफ से कृषकों से आवेदन मांगे गए हैं। इस योजना के अंतर्गत बिहार राज्य के किसान भाइयों को 50% प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है, जो अधिकतम 50,000 रुपये निर्धारित की गई है।

जानिए इस योजना के अंतर्गत कितनी सब्सिड़ी मिलेगी

आंवला, नींबू, बेल और कटहल की खेती के लिए बिहार सरकार की तरफ से शुष्क बागवानी फसलों के क्षेत्र का विस्तार करने के लिए सब्सिडी मुहैय्या कराई जा रही है। 

इस योजना के अंतर्गत किसान भाइयों को प्रति हैक्टेयर खर्च का 50% या अधिकतम 50,000 रुपये सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी। सरकार द्वारा किसानों को यह अनुदान दो किस्तों में प्रदान किया जाएगा। 

लाभार्थी कृषकों को इस योजना के अंतर्गत पहले साल में 30,000 रुपये प्रति हेक्टेयर और दूसरे साल में 20,000 रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान के तौर पर दिया जाएगा। 

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आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस योजना की दूसरी किस्त का भुगतान पहले साल में लगाए गए पौधों में से 75% प्रतिशत पौधे जीवित पाए जाने के पश्चात ही दिया जाएगा। 

केवल इन जिलों के किसान ही योजना का लाभ उठा सकते हैं  

बिहार सरकार द्वारा चालाई जा रही सरकार फसल विविधीकरण योजना का फायदा 7 जनपदों में रहने वाले कृषक उठा सकते हैं। इन जनपदों में औरंगाबाद, कैमूर, रोहतास, जमुई, गया, मुंगेर और नवादा जैसे जनपद शुमार हैं। 

राज्य सरकार द्वारा शुष्क बागवानी को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इन जिलों को इस योजना का फायदा देने के लिए चयन किया गया है। सरकार का यह मानना है, कि इन शुष्क फसलों की खेती से कृषक अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।

इस योजना के लाभार्थी किसानों को 4 हैक्टेयर और न्यूनतम 5 पौधे प्रदान किए जाएंगे। आंवला के प्रति हैक्टेयर 400 पौधे, कटहल के प्रति हैक्टेयर 100 पौधे, बेल के प्रति हैक्टेयर 100 पौधे और नींबू के प्रति हैक्टेयर 400 पौधे दिए जाएंगे।

योजना का लाभ प्राप्त करने लिए आवश्यक दस्तावेज

यह योजना केवल बिहार के किसानों के लिए है, इसलिए यदि आप बिहार के किसान है और आंवला, नींबू, बेल और कटहल के पौधों पर मिलने वाले लाभ को प्राप्त करना चाहते हैं, तो ऐसे में आपके पास आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, बैंक पासबुक, डीबीटी पोर्टल पर पंजीकरण के बाद मिलने वाला यूनिक आईडी और जमीन के कागज होना अत्यंत आवश्यक है।

सरकारी योजना के लिए इस प्रकार आवेदन करें 

'फसल विविधीकरण योजना' से मिलने वाली आंवला, नींबू, बेल और कटहल के पौधों पर सब्सिडी का फायदा उठाने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना पड़ेगा। 

इसके लिए आपको उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग बिहार की वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन करना पड़ेगा। इस वेबसाइट पर जाकर आपको 'आवेदन लिंक' पर क्लिक करना है और फॉर्म भरकर उसे सबमिट कर देना है। 

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पीएम किसान योजना में ये किसान भी लाभांवित होंगे, इस तारीख को आएगी 17वीं किस्त https://www.merikheti.com/blog/pm-kisan-yojana-17th-installment-release-date-farmers-will-get-benefit Wed, 27 Mar 2024 06:30:00 GMT https://www.merikheti.com/blog/pm-kisan-yojana-17th-installment-release-date-farmers-will-get-benefit

किसानों की आय दोगुनी और उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने पीएम किसान योजना की शुरुआत की थी। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'पीएम किसान सम्मान निधि योजना' की 16वीं किस्त की धनराशि 9 करोड़ किसानों के बैंक खाते में 28 फरवरी 2024 के दिन हस्तांतरित कर दी थी। 

अब पीएम किसान सम्मान निधि योजना' की 16वीं किस्त हस्तांतरित होने के बाद किसानों को 17वीं किस्त की प्रतीक्षा है। अब ऐसी स्थिति में भारत के किसान जानना चाहते हैं, कि 17वीं किस्त की धनराशि बैंक खाते में कब तक आएगी। 

पीएम किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त कब आएगी 

पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 17वीं किस्त की धनराशि 4 जून, 2024 को लोकसभा चुनाव के पश्चात कभी भी जारी की जा सकती है। 

हालांकि, पीएम किसान की 17वीं किस्त की तिथि की आधिकारिक सूचना अभी तक जारी नहीं की गई है। किसान घबराएं नहीं पीएम किसान योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर 17वीं किस्त की तिथि की घोषणा सरकार के द्वारा पहले ही करदी जाएगी।

पीएम किसान की 17वीं किस्त की पात्रता  

पीएम किसान F&Q के मुताबिक लाभार्थियों के नाम जो संबंधित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों द्वारा किसी विशेष 4-महीने की समयावधि में पीएम किसान पोर्टल पर अपलोड किए गए हैं। 

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उस समय के दौरान किसान लाभ प्राप्त करने के हकदार होंगे। यदि उन्हें किसी भी कारण से उन 4 महीनों और उसके बाद की किश्तों का भुगतान नहीं मिला है, तो फिर वो सभी देय किश्तों का फायदा उठाने के हकदार हैं। हालांकि, शिकायत दर्ज करने से पूर्व, लाभार्थियों को सूची में अपना नाम अवश्य देख लेना चाहिए।

इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा जनप्रतिनिधियों को भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के फायदा से लाभान्वित करने का फैसला लिया गया है। 

इससे पहले जनप्रतिनिधियों को योजना के फायदों से वंचित रखा गया था। परंतु, अब नगर निकायों व पंचायत प्रतिनिधियों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का फायदा दिया जाएगा। किसानों को मिलने वाली धनराशि की भांति ही जनप्रतिनिधियों को भी तीन किस्तों में दो-दो हजार रुपये प्रदान किए जाएंगे।

पीएम किसान योजना के लिए ‘न्यू रजिस्ट्रेशन’ प्रक्रिया 

भारत में आज भी बहुत सारे ऐसे किसान हैं, जिन्होंने पीएम किसान योजना में अपना पंजीकरण नहीं करवाया है। यदि आप भी सरकार की PM Kisan yojana में नया पंजीकरण करवा रहे हैं, 

तो घबराए नहीं आप कुछ सुगम निर्देशों के अनुसार योजना का रजिस्ट्रेशन बड़ी आसानी से कर सकते हैं। जैसे कि- पीएम किसान योजना में न्यू रजिस्ट्रेशन के लिए आपको सबसे पहले योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर फार्मर्स कॉर्नर पर क्लिक करना है। 

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न्यू फार्मर रजिस्ट्रेशन के ऑप्शन पर क्लिक कर आधार एवं मोबाइल नंबर क्लिक कर आधार एवं मोबाइल नंबर डालकर राज्य सलेक्ट करें। 

ओटीपी डालकर प्रोसीड फॉर रजिस्ट्रेशन के ऑप्शन को सलेक्ट करें। फिर पूछी गई सभी जरूरी डिटेल्स भरकर आधार ऑथेंटिकेशन बटन पर क्लिक करें। 

मोबाइल नंबर पर आए ओटीपी को दर्ज कर खेत से जुड़े डिटेल्स और डॉक्टूमेंट अपलोड करें। सभी प्रक्रिया को पूरी हो जाने के बाद मोबाइल स्क्रीन पर रजिस्ट्रेशन कंप्लीट का मैजेस आएगा।

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जानें कोकोपीट उर्वरक से पौधों को क्या लाभ और इसे बनाने की विधि https://www.merikheti.com/blog/benefits-of-cocopeat-fertilizer-to-plants-and-the-method-of-making Wed, 27 Mar 2024 00:30:00 GMT https://www.merikheti.com/blog/benefits-of-cocopeat-fertilizer-to-plants-and-the-method-of-making

भारत के बड़े शहरों में मृदा की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए कोको पीट का उपयोग किया जाता है। इस कोको पीट को नारियल फाइबर, कॉयर फाइबर या कॉयर के तोर पर भी जाना जाता है। 

कोकोपीट नारियल के छिलकों को पीसकर निर्मित किया जाता है। इसकी उर्वरकता में पौधे की बढ़ोतरी के लिए बहुत सारे पोषक तत्व मिलाये जाते हैं। इसका उपयोग फूल और सब्जियों की पैदावार के लिए किया जाता है।

कही भी खेती करने के लिए मृदा अत्यंत आवश्यक चीज है। ऐसे में शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए मृदा का व्यवस्था करना एक बड़ी चुनौती है। 

अब अगर आप शहर में रहकर खेती करना चाहते हैं, तो इस तरीके को स्वीकार करके आप अपनी छत पर भी छोटी-छोटी थैलियों में सब्जियां उगा सकते हैं।

पौधों में कोकोपीट के क्या-क्या फायदे हैं

किचन गार्डन में कोकोपीट उर्वरक का इस्तेमाल करने से बहुत सारे फायदे होते हैं। पौधों में कोको पीट डालने से मृदा में नमी बनी रहती है। इससे बीजों या पौधों में फंगल रोग नहीं लगते और बीज तेजी से बढ़ते हैं। 

मृदा में कोको पीट मिलाने से खरपतवार ज्यादा बढ़ने से बचते हैं। पानी सोखने की अधिक क्षमता के कारण पौधा मिट्टी में नम रहता है और उसकी बढ़ोतरी भी शानदार होती है। कोकोपीट डालने से पौधे की जड़ें भी मजबूत होती हैं।

कोकोपीट और मृदा तैयार करने का सही तरीका

सर्वप्रथम कोकोपीट ईंटों को एक बाल्टी में डाल लें। अब इसमें एक या दो मग पानी डालकर बारीक तोड़ लें और 20 मिनट के लिए छोड़ दें। यहां पौधे की मिट्टी को थोड़ा ढीला कर लें। 

इसके बाद कोकोपीट को पानी से निकालकर मृदा में डालें और मिट्टी को बेहतर ढ़ंग से मिला दें। कोकोपीट का उपयोग बीज बोते समय भी किया जा सकता है। 

पौधे के लिए मृदा 40%, कोकोपीट 30% और गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट 30% कोकोपीट के साथ मिलाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

कोकोपीट घर पर इस तरह बना सकते हैं

सभी छिलकों को इकट्ठा करके सबसे पहले किसी साफ जगह पर धूप में तीन-चार दिन के लिए सुखाने के लिए रख दें। अब इन छिलकों को कैंची से छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। ध्यान रखें कि कोई भी टुकड़ा ज्यादा ठोस न हो, किसी भी ठोस टुकड़े को अलग से हटा दें। 

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अब इन छिलकों को ग्राइंडर मिक्सर से पीस लें। छिलकों को तब तक पीसना है जब तक वह पाउडर न बन जाए। हालाँकि, नारियल के छिलकों को पूर्ण रूप से पीसना संभव नहीं है। 

परंतु, इसमें कुछ रेशे रह जाते हैं। इसलिए पाउडर को अलग से छान लें और रेशों को अलग कर लें। अब पाउडर में पानी मिलाएं और 2-3 घंटे के लिए छोड़ दें। जब यह पाउडर पानी को बेहतर ढ़ंग से सोख ले तो इसे निचोड़ लें, इससे शेष पानी निकल जाएगा।

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जायद की प्रमुख फसल तरबूज की 5 उन्नत और शानदार किस्में https://www.merikheti.com/blog/these-top-5-varieties-of-watermelon-in-zaid-season Tue, 26 Mar 2024 12:30:00 GMT https://www.merikheti.com/blog/these-top-5-varieties-of-watermelon-in-zaid-season

तरबूज की खेती करने वाले किसानों के लिए आज हम तरबूज की टॉप 5 उन्नत किस्मों का जानकारी लेकर आए हैं, जिसके एक फल का औसतन भार करीब 8kg तक होता है। 

जो कि प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल उत्पादन देने में सक्षम है। तरबूज को जायद सीजन की मुख्य फसल माना जाता है। भारत के विभिन्न राज्यों में तरबूज की खेती की जाती है। 

सामान्य तोर पर गर्मियों के मौसम में तरबूज की मांग काफी ज्यादा होती है। ऐसे में अगर किसान समय रहते अपने खेत में तरबूज की खेती करते हैं, तो वह कम समय में ही अधिक से अधिक आय कर सकते हैं। 

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हम तरबूज की जिन उन्नत किस्मों की बात कर रहे हैं, उनमें शुगर बेबी, अर्का ज्योति, आशायी यामातो, डब्यू.19 और पूसा बेदाना किस्म शामिल है।  

तरबूज की टॉप 5 उन्नत किस्में निम्नलिखित हैं 

तरबूज की शुगर बेबी किस्म 

तरबूज की यह उन्नत किस्म 95-100 दिनों के समयांतराल में पककर तैयार हो जाती है। इसके एक फल का औसत वजन लगभग 4-6 किलोग्राम तक पाया जाता है। 

वहीं, तरबूज की शुगर बेबी किस्म के फलों में बीज काफी कम पाए जाते हैं। किसान इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल तक उत्पादन हांसिल कर सकते हैं। 

तरबूज की अर्का ज्योति किस्म  

इस किस्म के तरबूज के फल का वजन 6-8 किलोग्राम होता है। किसानों के लिए तरबूज की अर्का ज्योति किस्म बेहद लाभदायक होती है। 

क्योंकि, इसके फलों का भंडारण काफी बड़े पैमाने पर होता है। इसके अतिरिक्त किसान इस किस्म से प्रति हेक्टेयर तकरीबन 350 क्विंटल तक पैदावार उठा सकते हैं।

तरबूज की आशायी यामातो किस्म  

तरबूज की आशायी यामातो किस्म जापानी किस्म है। इसके फलों का औसत भार 7-8 किलोग्राम तक होता है। वहीं, इस किस्म के फलों का छिलका हरा और धारीदार होता है। 

इस किस्म के तरबूज में बीज काफी छोटे पाए जाते हैं। किसान आशायी यामातो किस्म से प्रति हेक्टेयर 225 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं। 

तरबूज की डब्यू.19 किस्म  

तरबूज की इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है, कि यह उच्च तापमान भी बड़ी सुगमता से सहन कर सकती है। डब्यू.19 किस्म के तरबूज का स्वाद बेहद मीठा होता है। 

तरबूज की यह किस्म खेत में 75-80 दिनों के अंदर तैयार हो जाती है। इस किस्म से किसान प्रति हेक्टेयर 46-50 टन तक पैदावार हांसिल कर सकते हैं।

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खुशखबरी: इस राज्य में मूंग की खेती को बढ़ावा देने लिए 50% प्रतिशत अनुदान https://www.merikheti.com/blog/up-government-50-percent-subsidy-to-promote-moong-cultivation Tue, 26 Mar 2024 06:30:00 GMT https://www.merikheti.com/blog/up-government-50-percent-subsidy-to-promote-moong-cultivation

किसान भाई वर्तमान में अपनी रबी फसलों की कटाई और प्रबंधन में जुटे हुए है। अप्रैल महीने के अंत तक तकरीबन सभी फसलों की कटाई पूर्ण हो जाएगी। वहीं, जायद फसलों का सीजन भी अब शुरू हो चुका है। 

ऐसे में किसान कटाई संपन्न होने के बाद जायद फसलों में से मूंग की खेती कर सकते हैं। अगर आप भी मूंग की खेती करते हैं या इस बार करने की सोच रहे हैं तो ये खबर आप ही के लिए है। 

दरअसल, मूंग की खेती के लिए राज्य सरकार 50% प्रतिशत तक अनुदान दे रही है। आप भी इस अनुदान का फायदा उठाकर शानदार मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। 

मूंग के बीजों पर कितना अनुदान मिलेगा

मूंग की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर यह है, कि योगी सरकार की तरफ से इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिड़ी प्रदान की जा रही है। अब ऐसे में उत्तर प्रदेश के किसान इसका लाभ प्राप्त कर सकते हैं। 

यूपी सरकार मूंग के बीजों पर 50% प्रतिशत सब्सिडी प्रदान कर रही है। अब जैसे मान लीजिए मूंग के एक किलो बीज का मूल्य 80 रुपए है, तो किसान को 40 रुपए में मूंग का बीज उपलब्ध कराया जाएगा। 

इस प्रकार किसान मूंग के प्रमाणिक उन्नत बीज आधी कीमत पर भी हांसिल कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश के किसानों को अनुदान पर मूंग के बीज पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा।

ये भी पढ़ें: मूंग की खेती में लगने वाले रोग एवं इस प्रकार से करें उनका प्रबंधन

यह अनुदान किसानों को दलहन योजना के अंतर्गत प्रदान किया जाएगा। साथ ही, अनुदान की धनराशि डीबीटी (DBT) के जरिए किसानों के खाते में हस्तांतरित की जाएगी। इसके लिए किसान को बीज खरीदने से पहले विभाग की वेबसाइट पर अपना पंजीकरण कराना होगा। 

किसान भाई योजना का लाभ उठाने के लिए इस प्रकार आवेदन करें 

अगर आप भी उत्तर प्रदेश के किसान हैं, तो आप मूंग की खेती के लिए 50% प्रतिशत अनुदान (Subsidy) पर मूंग के बीजों की खरीदकर लाभांवित हो सकते हैं। 

इसके लिए आपको सबसे पहले राजकीय कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पोर्टल agriculture.up.gov.in पर अपना पंजीकरण करना होगा। साथ ही, किसानों को यहां से ही बीज की खरीदारी करनी होगी, जो किसान पहले से पंजीकृत हैं उनको पुनः पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं है।

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अप्रैल माह में गुलाब के फूल की खेती की विस्तृत जानकारी https://www.merikheti.com/blog/rose-flower-cultivation-symbol-of-love-in-the-month-of-april Tue, 26 Mar 2024 00:30:00 GMT https://www.merikheti.com/blog/rose-flower-cultivation-symbol-of-love-in-the-month-of-april

गुलाब यानी रोज एक ऐसा फूल है, जिसको प्रेमी अपनी प्रेमिका को प्रेम स्वरुप भेंट करता है। अब इससे आप इस फूल की संसार में महत्ता और विशेषता को समझ सकते हैं। 

गुलाब का फूल दिखने में आकर्षक और सुन्दर होने के साथ-साथ बहुत सारे औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है। गुलाब को सबसे पुराना सुगन्धित फूल माना जाता है। इन्हीं सब वजहों के चलते बाजार में इसकी हमेशा मांग बनी रहती है। इसलिए भारत के विभिन्न राज्यों में किसान गुलाब की खेती (Rose Cultivation) करते हैं। 

सामान्य तौर पर गुलाब का पौधा ऊंचाई में 4 से 6 फुट का होता है। इसके तने में असमान कांटे लगे होते हैं। इसके साथ ही गुलाब की 5 पत्तियां मिली हुई होती हैं। 

गुलाब का फल अंडाकार होता है, तो वहीं इसका तना कांटेदार, पत्तियां बारी-बारी से घेरे में होती हैं। इसकी पत्तियों के किनारे दांतेदार होते हैं। गुलाब की खेती उत्तर और दक्षिण भारत के मैदानी व पहाड़ी क्षेत्रों में जाड़े के दिनों में की जाती है। 

लेकिन, आज हम इस लेख में एक सफल किसान रविन्द्र सिंह तेवतिया से आपको रूबरू कराएंगे जो कि उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के मूल निवासी हैं। आइए जानते हैं, किसान रविंद्र  सिंह तेवतिया ने मार्च और अप्रैल में गुलाब की खेती (Rose Cultivation) करने वाले किसानों को किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी है।

मौसमिक परिवर्तन के समय विशेष सावधानी की जरूरत  

रविन्द्र सिंह तेवतिया का कहना है, कि जब मौसम में बदलाव होता है यानी सर्दी से गर्मी के मौसम में प्रवेश करते हैं, तब पौधे का विकास हो रहा होता है। 

ऐसे में पौधे में बुवाई के बाद खरपतवार उग आती है। क्योंकि, बुवाई के बाद फसल को दैनिक सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसलिए हर 1 से 2 महीने के बाद और फिर 3 से 4 महीने में खरपतवार को निकालना जरूरी होता है।

गुलाब के पौधों का कीट व रोगों से संरक्षण 

रविंद्र सिंह तेवतिया ने कहा, कि मौसमिक परिवर्तन के चलते कई बार गुलाब में विभिन्न तरह के कीट और रोगों का आक्रमण शुरू हो जाता है। 

इसलिए इसके बचाव के लिए पौधों पर सही कीटनाशकों का छिड़काव करना बेहद जरूरी होता है। रविन्द्र सिंह ने बताया कि अक्सर गुलाब में थिप्स और माइट कीट का प्रकोप हो जाता है। इसलिए ऐसी स्थिति में कीटनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए। 

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कीट की रोकथाम के लिए गुलाब के खेत में सफाई बनाए रखें। साथ ही, ग्रसित पौधे के भागों को नष्ट कर दें, ताकि वह अधिक नुकसान ना पहुँचा सकें। 

डाइमेथोएट 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल का 10 से 15 दिन के समयांतराल पर छिड़काव कर दें। वहीं, दीमक पर काबू करने के लिए हर पौधे की मिट्टी में 10 से 15 ग्राम फोरट डालना चाहिए। 

गुलाब के फूलों की छटाई कब की जानी चाहिए 

गुलाब की खेती में फूल की एक या दो पंखुडियां खिल जाए, तो फूल को पौधे से अलग कर देना चाहिए। इसके लिए तेज धार वाले चाकू या ब्लेड का उपयोग करना चाहिए। 

फूल की कटाई के शीघ्र बाद उसको पानी से भरे बर्तन में रख दें। इसके बाद कोल्ड स्टोरेज में रख दें। इसका तापमान लगभग 10 डिग्री तक होना चाहिए। इसके बाद फूलों की ग्रेडिंग की जाती है, जिसे कोल्ड स्टोरेज में ही पूरा किया जाता है। इसको फूलों की छटाई भी कहा जाता है। 

गुलाब की खेती के लिए अत्यंत जरूरी बातें  

रविन्द्र सिंह तेवतिया का कहना है, कि गुलाब की खेती में फूलों को बढ़ाने के लिए बर्ड कैप का उपयोग करना चाहिए। इससे आप फूलों को तकरीबन 4 दिनों तक सुरक्षित व संरक्षित रख सकते हैं।

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गुलाब की खेती से किसान कितना मुनाफा कमा सकते हैं

गुलाब की खेती से मुनाफा कमाना सीजन पर निर्भर करता है। रविन्द्र सिंह तेवतिया ने बताया कि मौजूदा समय में फूल 40 से 120 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है, जो कि अप्रैल में 100 से 150 रुपए प्रति किलो तक पहुंच जाएगा।

बतादें, कि अप्रैल में शादी का सीजन शुरू हो जाता है। इसके अलावा फरवरी में फूलों की कीमत 500 रुपए प्रति किलो तक थी। इस तरह किसान गुलाब की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। सरकार गुलाब के फूलों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए अनुदान भी प्रदान करती है।

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गेहूं की कटाई के तुरंत बाद किसान इन फसलों की करें बुवाई, मिलेगा शानदार मुनाफा https://www.merikheti.com/blog/farmers-sow-these-crops-after-harvesting-wheat-will-benefit Mon, 25 Mar 2024 12:30:00 GMT https://www.merikheti.com/blog/farmers-sow-these-crops-after-harvesting-wheat-will-benefit

भारत एक कृषि प्रधान देश है। 1947 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र की भागीदारी 60% प्रतिशत थी, जो 2022-23 में घटकर 15% प्रतिशत ही रह गई है। नाबार्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 10.07 करोड़ परिवार खेती पर आश्रित हैं। 

यह संख्या भारत के कुल परिवारों का 48% प्रतिशत है। भारतीय कृषि की विडंबना यह है, कि आज भी किसान अपनी फसलों की सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर रहते हैं। 

ऐसे में गर्मियों के मौसम में भी किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई के लिए गंभीर चुनौतियों से जूझना पड़ता है।

अप्रैल माह में गेंहू सहित अन्य रबी फसलों की कटाई संपन्न हो जाती है  

दरअसल, किसान अप्रैल में गेहूं और रबी फसलों की कटाई शुरू करते हैं। कटाई खत्म होते-होते गर्मी अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाती है। लू के चलते खेतों में धूल उड़ने लग जाती है। 

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इसके साथ ही जलस्तर भी काफी हद तक नीचे चला जाता है, जिससे पानी की किल्लत हो जाती है। ऐसे में सिंचाई के अभाव की वजह से बहुत सारे किसान अप्रैल से जून के बीच कोई खेती नहीं करते हैं। किसानों की उन्नति और सकल उत्पादन पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। 

सब्जियों की खेती में काफी मुनाफा होता है 

अगर हम कृषि विशेषज्ञों के दिशा-निर्देशन की बात करें, तो गर्मियों का मौसम जायद की फसलों के लिए काफी प्रतिकूल माना जाता है। ऐसे में किसान मोटे अनाज सांवा, कोदो, रागी, पटुवा के साथ ही सब्जियों में बैंगन, शिमला मिर्च, तोरई कद्दू, लौकी, तरबूज, खीरा और खरबूजा की खेती कर सकते हैं। 

मूंग और उड़द की दलहनी फसलों की खेती में भी पानी की कम खपत और आवश्यकता होती है। किसान इन फसलों की खेती 30 से 40 सेंटीमीटर वर्षा वाले इलाकों में भी कर सकते हैं। इन फसलों की बाजार में मांग भी काफी अधिक होती है। 

गर्मियों के दिनों इन फसलों की खेती की जाती है  

कृषि विशेषज्ञों का कहना है, कि गर्मियों के मौसम में मिलेट्स के साथ ही सब्जियों की खेती करके किसान कम लागत में अधिक मुनाफा उठा सकते हैं। इन फसलों की सिंचाई के लिए पानी की कम आवश्यकता पड़ती है। 

बतादें, कि गर्मियों का मौसम इन फसलों के लिए अत्यंत अनुकूल माना जाता है। किसान सब्जियों में करेला और टमाटर की खेती भी कर सकते हैं। इसमें भी सिंचाई के लिए कम पानी की आवश्यकता पड़ेगी। 

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बाजार में इन सब्जियों की मांग भी ज्यादा रहती है, जिससे वह अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं। 

इन क्षेत्रों के जलस्तर में भारी गिरावट दर्ज की गई है  

रायबरेली जनपद में किसान बड़ी संख्या में सब्जियों की खेती पर ही निर्भर हैं। उनका कहना है, कि रायबरेली के दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्र में जलस्तर बहुत कम है। वहां के किसान सब्जियों की खेती यानी की बागवानी की खेती पर ही आश्रित रहते हैं। 

विशेष बात यह है, कि धान- गेहूं की तुलना में सब्जियों को बहुत ही कम सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में पानी की किल्लत से भी किसानों को जूझना नहीं पड़ेगा।

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बागवानी के लिए ताकतवर इंडो फार्म 1026 ट्रैक्टर की विशेषताएँ, फीचर्स और कीमत https://www.merikheti.com/blog/powerful-indo-farm-1026-tractor-for-gardening-features-and-price Mon, 25 Mar 2024 06:30:00 GMT https://www.merikheti.com/blog/powerful-indo-farm-1026-tractor-for-gardening-features-and-price

किसान भाइयों के बीच इंडो फार्म ट्रैक्टर अपने शक्तिशाली प्रदर्शन के लिए काफी लोकप्रिय है। कंपनी के ट्रैक्टर फ्यूल एफिशिएंट टेक्नोलॉजी वाले इंजन के साथ तैयार किए जाते हैं, जो कृषि संबंधित समस्त कार्यों को कम तेल खपत में संपन्न करने में सहायता करते हैं। 

छोटे ट्रैक्टर के साथ किसान खेती के बहुत सारे बड़े कार्यों को कम समय और लागत में पूर्ण कर सकते हैं। अप्रैल माह चल रहा है इस समय किसान कई सारी बागवानी फसलों की खेती भी करते हैं। 

ऐसे किसान भाई जो बागवानी या खेती के लिए ट्रैक्टर खरीदने का विचार बना रहे हैं, तो इंडो फार्म 1026 ट्रैक्टर उनके लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। इस इंडो फार्म ट्रैक्टर में आपको 2700 आरपीएम के साथ 26 एचपी पावर उत्पन्न करने वाला मजबूत इंजन देखने को मिल जाता है।

इंडो फार्म 1026 की क्या-क्या विशेषताएं हैं ?

इंडो फार्म 1026 ट्रैक्टर में 3 सिलेंडर वाला Water cooled इंजन प्रदान किया गया है, जो 26 एचपी पावर उत्पन्न करता है। कंपनी ने अपने इस ट्रैक्टर में Dry Type एयर फिल्टर प्रदान किया है, जो धूल मृदा से इंजन को काफी सुरक्षित रखता है। 

इस इंडो फार्म 26 एचपी ट्रैक्टर की अधिकतम पीटीओ पावर 21.8 एचपी है और इसके इंजन से 2700 आरपीएम जनरेट होता है। कंपनी ने अपने इस मिनी ट्रैक्टर में 30 लीटर क्षमता वाला ईंधन टैंक उपलब्ध किया है।

इंडो फार्म 1026 ट्रैक्टर की भार उठाने की क्षमता 500 किलोग्राम है और इसमें आपको ADDC थ्री पॉइंट लिंकेज देखने को मिल जाती है। इस इंडो फार्म ट्रैक्टर का कुल भार 844 किलोग्राम है। 

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कंपनी के इस मिनी ट्रैक्टर को 2680 MM लंबाई और 1050 MM चौड़ाई के साथ 830 MM व्हीलबेस में तैयार किया गया है। इस मिनी ट्रैक्टर का ग्राउंड क्लीयरेंस 210 MM निर्धारित किया गया है। 

इंडो फार्म 1026 के फीचर्स क्या-क्या हैं ?

इंडो फार्म 1026 ट्रैक्टर में आपको Mechanical - Recirculating ball type स्टीयरिंग देखने को मिल जाता है, जो उबड़-खाबड़ रास्तों में भी आसान ड्राइव प्रदान करता है। 

कंपनी ने अपने इस ट्रैक्टर में 6 Forward + 2 Reverse गियर वाला गियरबॉक्स प्रदान किया है। इस इंडो फार्म ट्रैक्टर में Single क्लच आता है और इसमें आपको Sliding mesh टाइप ट्रांसमिशन भी देखने को मिल जाता है। 

कंपनी का यह ट्रैक्टर 24.59 kmph फॉरवर्ड स्पीड और 11.89 kmph रिवर्स स्पीड के साथ आता है।

इस इंडो फार्म ट्रैक्टर में आपको Dry : Drum brae with parking brake level ब्रेक्स देखने को मिल जाता है, जो टायरों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखते हैं। 

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इस ट्रैक्टर में Multi Speed पावर टेकऑफ आती है, जो 630/930/1605 आरपीएम जनरेट करती है। इंडो फार्म 1026 ट्रैक्टर में फोर व्हील ड्राइव आता है, इसमें 6.00 x 12 /5.00 x 12 फ्रंट टायर और 8.3 x 20 /8.00 x 18 रियर टायर दिए गए हैं। 

इंडो फार्म 1026 की कीमत कितनी है ?

भारत में इंडो फार्म 1026 ट्रैक्टर की एक्स शोरूम कीमत 5.10 लाख से 5.30 लाख रुपये निर्धारित की गई है। इंडो फार्म 1026 ट्रैक्टर का ऑन रोड प्राइस सभी राज्यों में आरटीओ रजिस्ट्रेशन और रोड टैक्स के चलते भिन्न हो सकता है। कंपनी अपने Indo Farm 1026 Tractor के साथ 1 साल की वारंटी प्रदान करती है। 

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उड़द की खेती से जुड़ी विस्तृत जानकारी https://www.merikheti.com/blog/complete-information-related-to-urad-cultivation Mon, 25 Mar 2024 00:30:00 GMT https://www.merikheti.com/blog/complete-information-related-to-urad-cultivation

उड़द एक दलहन फसलों के अंतर्गत आने वाली फसल है, जिसकी खेती भारत के राजस्थान, बिहार, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सिंचित इलाकों में की जाती है। 

यह एक अल्प समयावधी की फसल है, जो कि 60-65 दिनों के समयांतराल में पक जाती है। इसके दानों में 60% प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 24 फीसदी प्रोटीन तथा 1.3 फीसदी वसा पाया जाता है।

उड़द की खेती के लिए भूमि का चयन एवं तैयारी 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि उड़द की खेती के लिए हल्की रेतीली, दोमट मृदा उपयुक्त मानी जाती है। वहीं, समुचित जल निकासी की बेहतरीन व्यवस्था होना चाहिए। वहीं, मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.8 के बीच होना चाहिए।

इसकी बुवाई के लिए खेत की दो-तीन जुताई बारिश से पहले करनी चाहिए। वहीं, शानदार वर्षा होने के पश्चात बुवाई करनी चाहिए। ताकि फसल की बेहतर बढ़वार में सहायता मिल सके।

उड़द की खेती के लिए उन्नत प्रजातियां इस प्रकार हैं 

1) चितकबरा रोग प्रतिरोधी किस्में

वी.बी.जी-04-008, वी.बी.एन-6, माश-114, को.-06. माश-479, पंत उर्द-31, आई.पी.यू-02-43, वाबन-1, ए.डी.टी-4 एवं 5, एल.बी.जी-20 आदि।

2) खरीफ सीजन की किस्में

के.यू-309, के.यू-99-21, मधुरा मिनीमु-217, ए.के.यू-15 आदि।

3) रबी सीजन की किस्में

के.यू-301, ए.के.यू-4, टी.यू.-94-2, आजाद उर्द-1, मास-414, एल.बी.जी-402, शेखर-2 आदि।

4) शीघ्र पकने वाली किस्में

प्रसाद, पंत उर्द-40 तथा वी.बी.एन-5।

उड़द की खेती के लिए बुवाई का समय व तरीका

खरीफ सीजन में जून के अंतिम सप्ताह में पर्याप्त बारिश के उपरांत उड़द की बुवाई करनी चाहिए। इसके लिए कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर, पौधों से पौधों की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। 

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वहीं, बीज को 4 से 6 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं। वहीं, गर्मी के दिनों में उड़द की बुवाई फरवरी के तीसरे सप्ताह से अप्रैल के पहले सप्ताह तक की जा सकती है।

उड़द की खेती के लिए बीज की मात्रा इस प्रकार है

खरीफ सीजन के लिए प्रति हेक्टेयर 12 से 15 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है। वहीं यदि आप गर्मी में उड़द की खेती कर रहे हैं, तो प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलोग्राम बीज की मात्रा लेनी पड़ेगी।

उड़द की खेती के लिए बीजोपचार इस प्रकार करें

उड़द की बुवाई से पहले इसके बीज को 2 ग्राम थायरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम के मिश्रण से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करना चाहिए। 

इसके बाद बीज को इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्ल्यूएस की 7 ग्राम मात्रा लेकर प्रति किलोग्राम बीज को शोधित करना चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि बीज शोधन को कल्चर से दो तीन दिन पहले ही कर लेना चाहिए।

इसके पश्चात 250 ग्राम राइजोबियम कल्चर से बीजों को उपचारित किया जाता है। इसके लिए 50 ग्राम शक्कर गुड़ को आधा या एक लीटर पानी में अच्छी तरह से उबालकर ठंडा कर लें। 

फिर इसमें राइजोबियम कल्चर डालकर सही तरीके से हिला लें। अब 10 किलोग्राम बीज की मात्रा को इस घोल से शानदार ढ़ंग से उपचारित करें। उपचारित बीज को 8 से 10 घंटे तक छाया में रखने के पश्चात ही बिजाई करनी चाहिए।

उड़द की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक का उपयोग

उड़द की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन 15 से 20 किलोग्राम, फास्फोरस 40 से 50 किलोग्राम तथा पोटाश 30 से 40 किलोग्राम खेत की अंतिम जुताई के समय डालनी चाहिए। 100 किलोग्राम डीएपी से नाइट्रोजन तथा फास्फोरस की पूर्ति हो जाती है।

उड़द की खेती के लिए सिंचाई कैसे करनी चाहिए

सामान्य तौर पर वर्षाकालीन उड़द की खेती में सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। परंतु, फली बनते समय खेत में पर्याप्त नमी नहीं है तो एक सिंचाई कर देनी चाहिए। 

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वहीं, जायद के सीजन में उड़द की खेती के लिए 3 से 4 सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए पलेवा करने के पश्चात बुवाई की जाती है। फिर 2 से 3 सिंचाई 15 से 20 दिन के समयांतराल पर करनी चाहिए। साथ ही, इस बात का विशेष ध्यान रखें कि फसल में फूल बनते वक्त पर्याप्त नमी होनी चाहिए।

उड़द की खेती के लिए कटाई और मड़ाई इस प्रकार करें

60 से 65 दिनों बाद जब उड़द की फलियां 70 से 80 फीसद पक जाए तब हंसिया से इसकी कटाई की जाती है। इसके उपरांत फसल को 3 से 4 धूप में अच्छी तरह सुखाकर थ्रेसर की सहायता से बीज और भूसे को अलग कर लिया जाता है।

प्रति हेक्टेयर उड़द की खेती से कितनी उपज मिलती है

उड़द की खेती से प्रति हेक्टेयर 12 से 15 क्विंटल तक उत्पादन बड़ी सहजता से प्राप्त हो जाता है। उत्पादन को धूप में बेहतर तरीके से सुखाने के उपरांत जब बीजों में 8 से 9 फीसद नमी बच जाए तब सही तरीके से भंडारण करना चाहिए।

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जायद सीजन में मूंगफली की खेती किसानों को शानदार मुनाफा दिला सकती है https://www.merikheti.com/blog/peanut-farming-can-provide-huge-profits-to-farmers-in-zaid-season-mungfali-ki-kheti Sun, 24 Mar 2024 12:30:00 GMT https://www.merikheti.com/blog/peanut-farming-can-provide-huge-profits-to-farmers-in-zaid-season-mungfali-ki-kheti

भारत भर में बहुत सारे किसान आजकल परंपरागत खेती को छोड़कर नकदी फसलों की खेती कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है, कि महंगाई के इस युग में किसानों को मूंगफली जैसी फसलों की खेती पर अधिक बल देना चाहिए। 

आज हम किसानों को मूंगफली की खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं। मूंगफली की खेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए आपको इसकी उन्नत किस्म चुनने से लेकर फसल की बुवाई के आधुनिक तरीके एवं अन्य विधियों की जानकारी प्रदान करेंगे।

मूंगफली की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु की आवश्यकता 

किसान भाई यदि अपने खेत में मूंगफली की फसल को उगाना चाहते हैं, तो इसके लिए यह जानना बेहद जरूरी है, कि आपके इलाके की जलवायु मूंगफली की फसल के लिए अनुकूल है या नहीं ? 

मूंगफली भारत की महत्वपूर्ण तिलहन फसल है। मूंगफली की खेती भारत के तकरीबन सभी राज्यों में होती है। परंतु, जहां उपयुक्त जलवायु होती है, वहां इसकी फसल शानदार और दाने पुष्ट होते हैं।

मूंगफली की खेती के लिए कैसा मौसम होना चाहिए ?

सूर्य की ज्यादा रोशनी और उच्च तापमान मूंगफली के पौधे के विकास के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। कृषक उत्तम पैदावार के लिए कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस तापमान होना जरूरी है। 

 ये भी देखें: इस वैज्ञानिक विधि से करोगे खेती, तो यह तिलहन फसल बदल सकती है किस्मत

मूंगफली की खेती वर्षभर की जा सकती है। परंतु, खरीफ सीजन की फसल के लिए जून महीने के दूसरे पखवाड़े तक इसकी बुवाई की जा सकती है। 

मूंगफली की खेती के लिए भूमि की तैयारी

मूंगफली की फसल उगाने के लिए खेत की तीन से चार बार जुताई करनी चाहिए। इसके लिए मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई सही होती है। मूंगफली के खेत में नमी बरकरार रखने के लिए जुताई के बाद पाटा लगाना अति आवश्यक है।

इससे मिट्टी में नमी लंबे समय तक बनी रहती है। खेती की तैयारी करने के समय 2.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से जिप्सम का प्रयोग करें। 

मूंगफली के लिए कौन-से किस्म का बीज उपयोग करें ?

मूंगफली की कुछ उन्नत किस्में जैसे कि आर.जी. 425, 120-130, एमए 10 125-130, एम-548 120-126, टीजी 37ए 120-130, जी 201 110-120 प्रमुख हैं। 

इनके अलावा मूंगफली की अन्य किस्में जैसे कि एके 12, -24, जी जी 20, सी 501, जी जी 7, आरजी 425, आरजे 382 आदि भी अच्छा फसल देती हैं। 

मूंगफली की बुवाई के समय ध्यान रखने योग्य बातें ?

मूंगफली की बुवाई के समय बहुत सारी बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। गेंहू की कटाई के बाद अप्रैल के आखिर में मूंगफली की बुवाई की जाती है। वहीं, कुछ जगहों पर 15 जून से 15 जुलाई के मध्य मूंगफली की बुवाई की जाती है।

बीज की बुवाई से पहले 3 ग्राम थायरम या 2 ग्राम मैंकोजेब दवा प्रति किलो बीज के हिसाब से उपयोग किया जाना चाहिए। इस दवाई के प्रयोग से बीज में लगने वाले रोगों से बचाया जा सकता है और इससे मूंगफली बीज का अंकुरण भी अच्छा होता है।

मूंगफली की खेती में खरपतवार पर कैसे नियंत्रण रखें 

मूंगफली की खेती में खरपतवार नियंत्रण करना अत्यंत आवश्यक होता है। खर-पतवार ज्यादा होने से फसल पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। बुवाई के लगभग 3 से 6 सप्ताह के बीच विभिन्न प्रकार की घास निकलने लगती है। 

 ये भी देखें: मूंगफली की फसल को सर्वाधिक प्रभावित करने वाले कीट व रोगों की इस प्रकार रोकथाम करें

कुछ उपाय या दवा के इस्तेमाल से आप सुगमता से इस पर काबू कर सकते हैं। अगर आपने खरपतवार का प्रबंधन नहीं किया तो 30 से 40 प्रतिशत फसल बर्बाद हो जाती है।

मूंगफली की खेती से कितनी कमाई की जा सकती है ?

मूंगफली की खेती में किसानों को 40,000 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से आय हो सकती है। सिंचित इलाकों में मूंगफली का औसत उत्पादन 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकता है। 

अगर मूंगफली का सामान्य भाव 80 रुपये प्रति किलो रहा तो किसान को खर्चा निकाल कर तकरीबन 90,000 रुपये की बचत हो सकती है।

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कटहल, आंवला, नींबू सहित बेल की खेती पर मिल रहा 50,000 का अनुदान

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किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्यों की सरकार समय-समय पर नई-नई योजनाएं चलाती रहती हैं. किसानों को फल और सब्जियों की खेती के प्रति प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इस राज्य की सरकार की तरफ से उन्हें सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है.भारत के किसान भाइयों को मजबूत बनाने और उनकी आय को बढ़ाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें समय-समय पर नई-नई योजनाएं जारी करती रहती हैं। किसानों को फल और सब्जियों की खेतीके लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से बिहार सरकार द्वारा उन्हें सब्सिडी का फायदा प्रदान किया जा रहा है। राज्य सरकार...
पीएम किसान योजना में ये किसान भी लाभांवित होंगे, इस तारीख को आएगी 17वीं किस्त

पीएम किसान योजना में ये किसान भी लाभांवित होंगे, इस तारीख को आएगी 17वीं किस्त

किसानों की आय दोगुनी और उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने पीएम किसान योजना की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'पीएम किसान सम्मान निधि योजना' की 16वीं किस्त की धनराशि 9 करोड़ किसानों के बैंक खाते में 28 फरवरी 2024 के दिन हस्तांतरित कर दी थी। अब पीएम किसान सम्मान निधि योजना' की 16वीं किस्त हस्तांतरित होने के बाद किसानों को 17वीं किस्त की प्रतीक्षा है। अब ऐसी स्थिति में भारत के किसान जानना चाहते हैं, कि 17वीं किस्त की धनराशि बैंक खाते में कब तक आएगी। पीएम किसान सम्मान निधि की...
बागवानी के लिए ताकतवर इंडो फार्म 1026 ट्रैक्टर की विशेषताएँ, फीचर्स और कीमत

बागवानी के लिए ताकतवर इंडो फार्म 1026 ट्रैक्टर की विशेषताएँ, फीचर्स और कीमत

किसान भाइयों के बीच इंडो फार्म ट्रैक्टर अपने शक्तिशाली प्रदर्शन के लिए काफी लोकप्रिय है। कंपनी के ट्रैक्टर फ्यूल एफिशिएंट टेक्नोलॉजी वाले इंजन के साथ तैयार किए जाते हैं, जो कृषि संबंधित समस्त कार्यों को कम तेल खपत में संपन्न करने में सहायता करते हैं। छोटे ट्रैक्टर के साथ किसान खेती के बहुत सारे बड़े कार्यों को कम समय और लागत में पूर्ण कर सकते हैं। अप्रैल माह चल रहा है इस समय किसान कई सारी बागवानी फसलों की खेती भी करते हैं। ऐसे किसान भाई जो बागवानी या खेती के लिए ट्रैक्टर खरीदने का विचार बना रहे हैं, तो
जायद सीजन में मूंगफली की खेती किसानों को शानदार मुनाफा दिला सकती है

जायद सीजन में मूंगफली की खेती किसानों को शानदार मुनाफा दिला सकती है

भारत भर में बहुत सारे किसान आजकल परंपरागत खेती को छोड़कर नकदी फसलों की खेती कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है, कि महंगाई के इस युग में किसानों को मूंगफली जैसी फसलों की खेती पर अधिक बल देना चाहिए। आज हम किसानों को मूंगफली की खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं। मूंगफली की खेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए आपको इसकी उन्नत किस्म चुनने से लेकर फसल की बुवाई के आधुनिक तरीके एवं अन्य विधियों की जानकारी प्रदान करेंगे।मूंगफली की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु की आवश्यकता किसान भाई यदि अपने खेत में मूंगफली की फसल को...