चीना की खेती: इस राज्य में मडुआ की खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है

इस राज्य में मडुआ की खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है

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आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि बिहार राज्य के गया में कृषकों को मडुआ की खेती के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है। परंतु, फिलहाल किसान गया जनपद में मडुआ के साथ- साथ चीना फसल का भी उत्पादन करेंगे।

एक बार पुनः भारतीय किसान मोटे अनाज की खेती की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। किसानों की रूचि ज्वार, बाजरा और मक्का जैसी मोटे अनाज की फसलों की खेती के प्रति बढ़ रही है। विभिन्न राज्यों में किसानों ने तो विदेश से बीज मंगाकर इन मोटे अनाजों की खेती चालू कर दी है। दरअसल, यूनाइटेड नेशन द्वारा साल 2023 को अन्तरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित कर दिया है। केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी अपने-अपने स्तर से मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहन दे रही हैं। इसके लिए कृषकों को निःशुल्क बीज किट बांटी जा रही हैं। साथ ही, बिहार भी इसमें पीछे नहीं है। यहां के गया जनपद में किसानों को मोटे अनाज की खेती करने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है।

कृषि विभाग ने पांच हेक्टेयर में चीना की खेती कराई

मीडिया एजेंसियों के अनुसार, गया जनपद में कृषकों को मडुआ की खेती के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है। बतादें, कि वर्तमान में किसान गया जिले में मडुआ के साथ- साथ चीना फसल का भी उत्पादन करेंगे। विशेष बात यह है, कि कृषि विभाग कृषकों से जनपद में पांच हेक्टेयर भूमि में चीना की खेती कराएगी, जिससे कि इसके बीज को कृषकों को बीज वितरित किया जा सके।

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चीना को किस रूप में बनाकर सेवन किया जाता है

चीना की फसल मोटे अनाज की श्रेणी में आने वाली फसल है। चीना की खेती ऊसर भूमि, बलुई मृदा और ऊँचे खेत में भी सहजता से की जा सकती है। चीना की सबसे बड़ी विशेषता यह है, कि यह एक असिंचित श्रेणी की फसल है। चीना की खेती में बारिश से ही सिंचाई की आवश्यकता पूर्ण हो जाती है। अगर हम इसके अंदर मौजूद पोषक तत्वों की बात करें तो इसके अंदर फाइबर समेत विभिन्न पोषक तत्व भरपूर मात्रा उपलब्ध होते हैं। इतना ही नहीं चीना का सेवन करने वाले लोगों को मधुमेह और ब्लड़ प्रेशर जैसे रोगों से राहत मिलती है। चीना का उपयोग भात, रोटी और खीर निर्मित कर खाया जाता है।

यहां किए जा रहे चीना के बीज तैयार

कृषि जानकारों के मुताबिक, गया जनपद में आवश्यकतानुसार एवं समयानुसार बारिश ना होने की स्थिति में कई बार किसान काफी जमीन पर धान की रोपाई नहीं करते हैं। अब ऐसी स्थिति में किसान भाई जल की कमी के चलते खाली पड़ी ऐसी भूमि पर चीना की खेती कर सकते हैं। विशेष बात यह है, कि चीना की फसल 2 महीने के अंदर ही पककर तैयार हो जाती है। अब ऐसी स्थिति में इसकी खेती से किसान भाई हानि की भरपाई कर सकते हैं। इस वर्ष टनकुप्पा प्रखंड के मायापुर फार्म के अंतर्गत भी चीना के बीज तैयार किए जा रहे हैं।

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