सरकारी पहल से किसानों ने छोड़ी धान की खेती

By: MeriKheti
Published on: 03-Nov-2020

हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जय प्रकाश दलाल ने कहा कि जल संरक्षण आने वाले समय की जरूरत है। इसको देखते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के विजन के अनुरूप ‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना’ लागू की गई है। सरकार का संकल्प पानी की एक-एक बूंद बचाना और हर खेत तक पानी पहुंचाना है। सरकारी पहल का ही परिणाम है कि हरियाणा में 127000 हेक्टेयर में किसानों ने धान की फसल के बजाय अन्य फसलें लेने के लिए पंजीकरण कराया। आज यहां जारी एक वक्तव्य में कृषि मंत्री ने कहा कि कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन के चलते आपदा को अवसर में बदलते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य के धान बाहुल्य जिलों में किसानों का रुझान धान के स्थान पर कम पानी से तैयार होने वाली वैकल्पिक फसलों की ओर बढ़ाने के लिए ‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना’ एक नई योजना तैयार की और तरंग संवाद के जरिये किसान समूहों व अन्य स्टेक होल्डर्स से सुझाव आमंत्रित किए गये और अच्छे सुझावों को इस योजना में शामिल किया गया। श्री दलाल ने कहा कि इस योजना के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले तथा लगभग 1.27 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में धान के स्थान पर अन्य फसलों की खेती करने के लिए किसानों ने पंजीकरण करवाया। उन्होंने कहा कि ऐसे किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि जाती है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण की अन्य योजनाओं के तहत सिंचाई के लिए भूमिगत पाइपलाइन स्कीम के तहत 10,000 रुपये प्रति एकड़ व अधिकत 60,000 रुपये प्रति किसान सब्सिडी दी जाती है। इसी प्रकार, फव्वारा व अन्य सूक्षम सिंचाई संयंत्रों पर 85 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है।

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कृषि मंत्री ने कहा कि अटल भूजल योजना के तहत अत्यधिक भूजल दोहन व डार्क जोन वाले 13 जिलों के 36 खण्डों की 1895 ग्राम पंचायतों की लगभग 12.55 लाख हैक्टेयर भूमि को कवर किया जाएगा और आगामी पांच वर्षों में इस कार्य पर 723.19 करोड़ रुपये की राशि खर्च करने का प्रावधान किया गया है।

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भूजल स्तर में गिरावट को देखते हुए इस राज्य में 1000 रिचार्जिंग बोरवेल का निर्माण किया जाएगा श्री दलाल ने कहा कि प्रदेश के लगभग 14,000 तालाबों के पानी को उपचारित कर सिंचाई व अन्य जरूरतों के लिए उपयोग किया जा सके, इसके लिए हरियाणा राज्य तालाब विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है। प्राधिकरण द्वारा 5  पोंड व 3 पोंड तकनीक से लगभग 200 तालाबों के पानी को उपचारित करने की  शुरूआत की गई है।

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