गायों को छुट्टा छोड़ने वालों पर कसा जायेगा शिकंजा

By: MeriKheti
Published on: 08-Nov-2022

आवारा पशुओं से फसल सुरक्षा को लेकर सरकार का कड़ा कदम

मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) श्याम बहादुर सिंह ने रविवार को कहा कि सरकार ने गौशालाएं (नंदीशालाएं) बनायी हैं, परन्तु कई परिवार फिर भी अपने मवेशियों को इन गौशालाओं में ले जाने की जगह सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं। उत्तर प्रदेश राज्य के शाहजहांपुर जनपद में गायों को खुला छोड़े जाने के मामलों पर प्रतिबंध लगाने हेतु प्रशासन ने प्रत्येक गांव एवं प्रत्येक घर में मवेशियों की संख्या की सूची बनाना प्रारम्भ कर दिया है। प्रशासनिक अधिकारी ने कहा है, कि इस प्रयास से मवेशियों की संख्या की जानकारी में मदद मिलेगी एवं यह भी ज्ञात होगा कि किसने कितनी गायों को दूध न देने की वजह से खुला छोड़ दिया है। जिन्होंने छोड़ा है उनसे इसका कारण पूछा जायेगा।

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उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जनपद में ५६ गौशालाएं हैं जिनमें १२,६६९ गायें हैं, चार गौशालाएं और स्थापित की जाएँगी। सीडीओ ने कहा कि उन्होंने सरकारी कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के ग्रामीणों से बात करें एवं उन्हें अपने मवेशियों को दूध न देने पर खुला छोड़ने से मना करें। सीडीओ ने बताया कि प्रत्येक गांव के हर घर में गायों की संख्या की जानकारी के लिए एक सर्वेक्षण चलाया गया है। इस दौरान ग्रामीणों से पूछा जाएगा कि दूध न देने की स्थिति में कितने लोगों ने अपने मवेशियों को खुला छोड़ दिया है। मवेशियों को खुला छोड़ने के कारण कई सारे सड़क हादसे हो जाते हैं।

आवारा पशुओं ने किसानों को फसल के विकल्प चुनने के लिए किया विवश

जनपदों में पशु तस्करों एवं गोहत्या में संदिग्ध लोगों के विरुद्ध सख्त कारवाई हेतु कदम उठाये जा रहे हैं। इसी बीच कई किसानों ने छुट्टा मवेशियों की समस्या पर अपनी पीड़ा जाहिर की है। मिर्जापुर थाना क्षेत्र के काकर कठा गांव निवासी किसान सर्वेश कुमार कश्यप ने बताया, ‘मेरे पास छह एकड़ भूमि है एवं मेरे परिवार में आठ सदस्य हैं। महिलाएं दिन में गृहकार्य करके फसलों की देखरेख करती हैं एवं पुरुष रात्रि को आवारा पशुओं से फसल की देखरेख करते हैं। आवारा पशुओं के झुंड को फसल से दूर करने हेतु पटाखे आदि का प्रयोग करते हैं। छुट्टा पशुओं के द्वारा फसल में होने वाले नुकसान के भय से अधिकतर किसानों को फसलों के विकल्प अपनाने के लिए विवश कर दिया है।

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आवारा पशु इन फसलों को शीघ्रता से नष्ट कर देते हैं

अल्लाहगंज क्षेत्र के मनिहार गांव के एक सीमांत किसान भगत कुमार शर्मा ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व तक वह बड़ी मात्रा में चने एवं अरहर की खेती करते थे, लेकिन आवारा पशुओं इन फसलों को आसानी से नष्ट कर देते हैं। उन्होंने बताया, अधिकतर किसान अब सिर्फ धान, गेहूं एवं गन्ना को विकल्प के रूप में चुन रहे हैं। बतादें कि मीरानपुर कटरा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक राजेश यादव ने कहा कि वह स्वयं के गांव शिवरा से शाहजहांपुर शहर तक, प्रतिदिन ३५ किलोमीटर की यात्रा के दौरान आवारा पशुओं की वजह से होने वाली सड़क दुर्घटनाएं देखते हैं। इसी सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि कुछ दिन पूर्व दो बैलों की आपस में भिड़ंत होने के कारण मेरी गाड़ी उनसे सड़क पर टकरा गयी, जिससे उनके साथ और भी दो लोग चोटिल हो गए। आवारा पशु प्रतिदिन २ से ४ सड़क दुर्घटनाओं की वजह बन रहे हैं।

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