फर्जीवाड़ा करने वाले अपात्र किसानों को सूची से किया गया बेदखल

फर्जीवाड़ा करने वाले अपात्र किसानों को सूची से किया गया बेदखल

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महाराष्ट्र कृषि विभाग द्वारा नकली बीमा की जानकारी करने के लिए बेहद सजग सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण में यह जानकारी प्राप्त हुई है, कि 82,338 आवेदकों में से 8,674 लोगों ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का गलत तरीके से लाभ उठा रहे अपात्र किसानों की छटनी के बाद अब मौसम आधारित फसल बीमा स्कीम (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) में घपलों की खबर सुनने को मिल रही है। बताया जा रहा है, कि आरडब्ल्यूबीसीआईएस के अंतर्गत बागवानी फसलों के बीमा का फायदा लेने हेतु किसानों द्वारा अवैध तरीके से आवेदन किया गया है। जिसकी जांच पड़ताल करने के उपरांत अपात्र घोषित कर दिया गया है।

केंद्र सरकार द्वारा रबी सीजन हेतु बीमित बागवानी फसलों की सच्चाई पता करने के लिए सर्वेक्षण के आदेश दिए थे। सर्वेक्षण में यह पता चला है, कि बीमा का फायदा लेने के लिए किसानों ने फर्जी लीज डीड का इस्तेमाल किया है। विशेष बात यह है, कि जिन फसलों के बीमा हेतु फर्जी लीज डीड का इस्तेमाल किया गया था, वह उस खेत में उपस्थित ही नहीं थी।

केंद्र सरकार की संयुक्त हिस्सेदारी कितने करोड़ है

जिसके उपरांत महाराष्ट्र कृषि विभाग द्वारा नकली बीमा की जानकारी करने के लिए सजग सर्वेक्षण किया गया है। सर्वेक्षण के अंतर्गत जानकारी मिली है, कि 82,338 आवदकों में से 8,674 लोगों ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है। जानकारी के अनुसार, सोलापुर जनपद में सर्वाधिक 2715 मामले फर्जी पकडे गए हैं। इसके उपरांत सांगली में 1395 वहीं जलगांव में 744 मामले पाए गए। खबरों के अनुसार, अधिकांश जनपदों में फर्जी मामले सामने आए हैं। उधर, प्रीमियम में किसानों की भागीदारी लगभग 9.07 करोड़ रुपये थी। वहीं, राज्य एवं केंद्र सरकार की संयुक्त भागीदारी 31.77 करोड़ रुपये है।

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अवैध रूप से 42 करोड़ रुपए का फायदा उठाया

जानकारी के लिए बतादें कि बीते दिनों हरियाणा में पीएम किसान योजना में फर्जीवाड़े की खबर देखने को मिली थी। यहां पर पेंशनधारी, ज्यादा जोत वाले किसान एवं करदाता भी फर्जी दस्तावेजों के उपयोग से पीएम किसान का फायदा उठा लिए थे। इन लोगों द्वारा 42 करोड़ रुपए की धनराशि बहुत सी किस्तों में उठाई थी। हालांकि, मसला सामने आने के बाद कुछ ही किसान इन रुपयों को वापस लौटा पाए हैं। अब सरकार द्वारा इन कृषकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

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