कड़कनाथ मुर्गे का पालन कर जाने कैसे लॉक डाउन में हो गया यह किसान मालामाल

कड़कनाथ मुर्गे का पालन कर जाने कैसे लॉक डाउन में हो गया यह किसान मालामाल

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नॉनवेज खाने वाले लोग यह अच्छी तरह से जानते हैं कि चिकन का स्वाद बेहद अच्छा लगता है. लेकिन अगर स्वाद के साथ-साथ यह गुणकारी भी हो तो क्या कहना.यहां पर हम कड़कनाथ मुर्गे की बात कर रहे हैं.आजकल बाजार में कड़कनाथ मुर्गी का मांस और अंडे दोनों ही काफी ज्यादा डिमांड में है जिसके कारण बहुत से युवा कड़कनाथ पालन की ओर रुख कर रहे हैं.

आज हम आपको मध्य प्रदेश के एक किसान विपिन शिवहरे के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने लॉकडाउन के समय में कड़कनाथ पालन करना शुरू किया था. अब उनका यह व्यवसाय अच्छा खासा फल फूल गया है और वह से बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं. विपिन से हुई बातचीत में पता चला है कि उन्होंने यह व्यवसाय ₹2 लाख की लागत लगाकर शुरू किया था. आज उनके पास लगभग 12000 मुर्गियां हैं और वह इनको बहरीन जैसे बाहरी देशों में भी निर्यात कर रहे हैं.

लॉकडाउन के समय शुरू किया व्यवसाय

विपिन शिवहरे के लिए यह सफर आसान नहीं रहा है. एक गरीब परिवार ताल्लुक रखने वाले ने केवल 12वीं तक पढ़ाई की है और उसके बाद वह मुंबई नौकरी की तलाश में निकल गई थी. मुंबई में उन्होंने 16 सो रुपए प्रति माह के वेतन से फूड पैकर के तौर पर नौकरी शुरू की. बाद में उन्होंने वेटर और मैनेजर के तौर पर पदोन्नति पाते हुए ₹16000  प्रतिमाह की आमदनी कम आना शुरू कर दिया था. विपिन बताते हैं कि इस दौरान उन्होंने अपनी बहन और भाई दोनों की शादी करवा दी थी और  गांव में एक छोटा सा घर बनाने में भी कामयाब रहे.

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लेकिन लाखों की तरह उनके लिए भी कोविड-19 बहुत बड़ी समस्या सामने लेकर आए और उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा. नौकरी छूट जाने के बाद वह मुंबई में ही रुके रहे और उन्होंने सब्जियां आदि बेचने का काम करते हुए किसी तरह अपना गुजर बसर किया लेकिन अंततः उन्हें गांव में वापस लौट कर ही आना पड़ा. विपिन के एक दोस्त कड़कनाथ पालन पहले से करते आ रहे थे तो उन्हें उसका ख्याल आया और समय के अनुसार कड़कनाथ मांस की बढ़ती हुई डिमांड के कारण उन्होंने भी यह व्यवसाय अपनाने का फैसला किया.

पैसों की तंगी के कारण उन्हें बैंक से ₹200000 उधार में लेने पड़े और विपिन ने बताया कि कड़कनाथ पालन की पूरी जानकारी दी उन्होंने इंटरनेट के माध्यम से ही प्राप्त की.मध्य प्रदेश राज्य के झाबुआ और धार जिलों में भील और भिलाला में आदिवासी समुदायों द्वारा कड़कनाथ मुर्गियों को पाला जाता है.कड़कनाथ चिकन स्वाद में तो बेहतरीन होता ही है साथ ही साथ इस के मांस की क्वालिटी और सेहत के लिए उसका गुणकारी होना भी बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है. सेहत के लिए अच्छा होने के कारण देश के बहुत से राज्यों में इसकी डिमांड आए दिन बढ़ रही है.

विपिन ने अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए शुरू में झाबुआ से कड़कनाथ के पक्षी खरीदे जो उसे ₹900 प्रति पक्षी के हिसाब से दिए गए. उन्होंने बताया कि शुरू शुरू में पैसों की कमी के कारण चूजों की देखभाल करना भी काफी मुश्किल हो रहा था.बहुत बार ऐसी स्थिति भी सामने आई जब उन्हें केवल अपने पक्षियों को खाना खिलाने के लिए भी उधार पैसा  लेना पड़ा.  ऐसे में विपिन ने एक बार अपने व्यवसाय के बारे में यूट्यूब पर वीडियो अपलोड किया और कुछ ही दिनों में ओडिशा के एक बहुत बड़े व्यापारी ने उन्हें फोन किया.  इस व्यापारी ने विभिन्न से मुर्गे खरीदने को लेकर एक डील की और एडवांस में उसे ₹100000 भी दिए.

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कितने समय में तैयार हो जाते हैं कड़कनाथ मुर्गे

कड़कनाथ मुर्गे चार से छह महीने के अंतराल में बिक्री के लिए तैयार हो जाते हैं. यह मुर्गे 5 महीने में लगभग डेढ़ किलो वजन तक पहुंच जाते हैं. ज्यादातर नर्क कड़कनाथ का वजन डेढ़ किलोग्राम के आसपास रहता है तो वहीं पर मुर्गियां 1 से 1.2 किलोग्राम वजन पर पहुंच जाती है.कड़कनाथ मुर्गी के चूजे को भी बेचा जा सकता है और विपिन भी ऐसा करते हैं. उन्होंने बताया कि वह कड़कनाथ चूजे से लगभग ₹500 में बेचते हैं. और महीने भर में वह लगभग 3,000 चूजे बेच देते हैं. पूरी तरह से व्यस्क मुर्गों को बेचकर वह लगभग महीने में ₹40000 कमा लेते हैं.

इस तरह से विपिन द्वारा लिया गया एक सही कदम उनके लिए बहुत ही बेहतरीन साबित हुआ और वह आज आर्थिक रूप से बेहद सक्षम है और अच्छी तरह से अपना व्यवसाय आगे बढ़ा रही हैं.

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