जानिए किसानों पर टैक्स लगने के क्या हैं नियम? एग्रीकल्चर इनकम कब हो जाती है टैक्सेबल?

By: MeriKheti
Published on: 01-Sep-2021

जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारे देश में ज्यादातर लोग अपना जीवन यापन करने के लिए कृषि पर निर्भर हैं। वहीं देश के बाकि लोग किसानों पर निर्भर हैं, ताकि उन्हें खाने पीने की कोई कमी न हो। यही कारण है कि किसानों पर किसी भी तरह का कोई टैक्स नहीं लगाया जाता। बल्कि उन्हें सरकार की तरफ से कई योजनाओं के तहत राहत दी जाती है, जिससे कि उन्हें किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। यह पोस्ट खासतौर से उन लोगों के लिए है, जो जानना चाहते हैं कि किसानों पर टैक्स लगने के क्या हैं नियम और कब एग्रीकल्चर इनकम पर भी टैक्स लगने लगते हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इसकी पूरी जानकारी।

एग्रीकल्चर इनकम क्या है?

खेती करके जो कमाई की जाती है उसे ही एग्रीकल्चर इनकम कहते हैं। और उस एग्रीकल्चर इनकम में निम्नलिखित चीज़ें शामिल हैं -

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  • खेती की ज़मीन को रेंट या लीज़ पर देकर उससे हुई कमाई को कृषि आय या एग्रीकल्चर इनकम कहते हैं।
  • खेती की ज़मीन पर खेती करके जो फ़सल उगाई जाती है, उसे वैसे ही बाज़ार में बेचकर की गई कमाई एग्रीकल्चर इनकम कहलाती है।
  • अगर खेती वाली ज़मीन पर कोई किसान घर बनाकर रहता है और उस ज़मीन को स्टोर रूम या आउट हाउस की तरह यूज़ करता है तो उस ज़मीन से हुई इनकम भी एग्रीकल्चर इनकम के अंतर्गत ही आती है।

किसानों पर टैक्स लगने के नियम

किसानों पर किसी भी तरह का कोई टैक्स नहीं लगता, चाहे उस किसान की कमाई लाखों में ही क्यों न हो। लेकिन कुछ स्थिति में किसानों को भी टैक्स चुकाना पड़ता है, क्योंकि वह स्थिती एग्रीकल्चर इनकम के अंदर नहीं आती। जैसे अगर किसी कृषि उत्पाद से प्रोसेस्ड फ़ूड तैयार होते हैं तो उस प्रोसेस्ड फ़ूड से हुई कमाई एग्रीकल्चर इनकम नहीं होती और उसके लिए टैक्स देना पड़ता है। अब आप सोच रहे होगे कि प्रोसेस्ड फ़ूड क्या है? तो मैं आपको बता दूं कि प्रोसेस्ड फ़ूड निम्नलिखित होते हैं -
  • जैसे अगर गन्ने की खेती की जाती है तो वह गन्ना अगर बाज़ार में गन्ने के रूप में बेचा जाता है तो उसे Agriculture Income कहते हैं। लेकिन अगर उसी गन्ने का गुड़ बनाकर उसे बेचा जाता है तो वह गुड़ प्रोसेस्ड फ़ूड होता है। और उसके लिए किसानों को टैक्स देना पड़ता है।
  • उसी तरह अगर कोई रबर की खेती करता है और उसको सीधे बेचता है तो उसपर टैक्स नहीं लगता। लेकिन यदि उसी रबर का टायर बनाकर बेचता है तो वह प्रोसेस्ड फ़ूड कहलाता है, जिसके लिए टैक्स देना पड़ेगा।
  • वहीं अगर कोई व्यक्ति कॉफी की खेती करता है और उस कॉफी को बाज़ार में बेचता है तो उसपर Tax नहीं देना होगा। लेकिन उसी कॉफी की पैकेजिंग करने पर वह टैक्सेबल हो जाएगा।


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इसके अलावा पेड़ों की कमर्शियल बिक्री भी एग्रिकल्चर इनकम के अंतर्गत नहीं आती है। और इसके लिए भी टैक्स देना पड़ता है।

किस कानून के तहत किसानों पर नहीं लगता टैक्स?

सरकार जिस एक्ट के अंतर्गत किसानों से कोई भी टैक्स नहीं लेती, वह इनकम टैक्स एक्ट 1961 का सेक्शन 10(1) है। इस कानून के तहत किसान अपनी खेती से जो भी कमाई करता है, उस Income का उसे कोई भी हिस्सा टैक्स के रूप में नहीं देना पड़ता। इसके अतिरिक्त अगर किसानों पर किसी भी प्रकार की कोई परेशानी आती है, जैसे - कम या अधिक बारिश, बहुत अधिक गर्मी या बाढ़ आदि, जिससे अगर फ़सल खराब हो जाती है तो सरकार कई योजनाओं के तहत किसानों की मदद करती है। और उनके नुक्सान की भरपाई करने में सहायता करती है। इसके अलावा किसानों को उनकी की गई खेती के अनाज का भी अच्छा दाम मिले इसके लिए भी सरकारी योजना चलाई जा रही है।

एग्रीकल्चर इनकम के लाभ

किसानों को उनके द्वारा की गई कृषि से जो आय प्राप्त होती है, उस एग्रीकल्चर इनकम से उन्हें निम्नलिखित फ़ायदे होते हैं -
  • किसानों को कृषि से प्राप्त आय का कोई भी हिस्सा सरकार को नहीं देना पड़ता। इसलिए उन्हें अपनी कमाई (Agriculture Income) का पूरा प्रॉफिट मिलता है।
  • किसी भी तरह की कोई समस्या उत्पन्न होने पर सरकारी लाभ प्राप्त होते हैं। क्योंकि पूरा देश अपना पेट भरने के लिए किसानों पर ही निर्भर रहता है, इसलिए सरकार द्वारा चलाई गई कई ऐसी योजनाएं हैं जो उन्हें फ़ायदा पहुंचाती हैं।
  • किसानों को कृषि द्वारा अपनी कमाई करने के लिए अब इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता, और न ही अपनी फसलों को कम दाम में बेचना पड़ता है। कई योजनाओं के अंतर्गत सरकार द्वारा ही उनकी फसलों को अच्छे दामों में खरीद लिया जाता है। इससे किसान घाटे से बच जाते हैं और उनकी एक अच्छी Agriculture Income हो जाती है।

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