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पाकिस्तान को टमाटर और प्याज निर्यात करेगा भारत

पाकिस्तान को टमाटर और प्याज निर्यात करेगा भारत

भीषण बाढ़ की वजह से पाकिस्तान में दिनोंदिन हालात खराब होते जा रहे हैं। इस दौरान पूरे देश में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। भीषण बाढ़ आने के बाद पूरे देश में लगभग 1000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जबकि कई लाख लोग बाढ़ की वजह से प्रभावित हुए हैं। फिलहाल लगभग आधा देश बाढ़ की चपेट में है, जिससे सरकार ने पूरे देश में आपातकाल की घोषणा की है। अनुमानों के मुताबिक़ पाकिस्तान को इस बाढ़ की वजह से लगभग 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान झेलना होगा। बाढ़ की स्थिति को देखते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय मदद की गुहार लगाई है। इस मामले में कई देश पाकिस्तान की मदद कर भी रहे हैं। हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को बाढ़ रिलीफ फंड के नाम पर 30 मिलियन डॉलर की मदद दी है। इसके अलावा आपदा की इस घड़ी में कई यूरोपीय देशों के अतिरिक्त दुनियाभर के अन्य देश पाकिस्तान की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ितों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। पाकिस्तान में बाढ़ की वजह से बहुत सारे लोग बेघर हो गये हैं। बाढ़ में उनका सामान या तो पानी के साथ बह गया है या खराब हो गया है, ऐसे में पूरे पाकिस्तान में चीजों के दामों में तेजी से इन्फ्लेशन (Inflation) देखने को मिल रहा है। वस्तुओं की कीमतें रातों रात आसमान छूने लगी हैं।


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ऐसे में खाने पीने की चीजों से लेकर सब्जियों के भी दाम आसमान छूने लगे हैं। पाकिस्तान के सिंध और बलूचिस्तान प्रांत में लगातार तीन महीने से हो रही बरसात ने सब्जियों की खेती को तबाह कर दिया है। इससे लाहौर के बाजार में टमाटर 500 रुपये प्रति किलो, जबकि प्याज 400 पाकिस्तानी रुपये प्रति किलो बिक रही है। पाकिस्तान में सब्जियों के दाम लगातार आसमान की ओर जा रहे हैं, ऐसे में पाकिस्तान की मौजूदा सरकार ने भारत से टमाटर और प्याज आयात करने का मन बनाया है, ताकि देश में बढ़ती हुई सब्जियों की कीमतों में लगाम लगाई जा सके। दक्षिण भारत में और इसके साथ ही पहाड़ी राज्यों में अगस्त-सितम्बर में टमाटर की फसल की जमकर पैदावार होती है। ऐसे में अगर भारत सरकार टमाटर और प्याज के निर्यात का फैसला करती है, तो देश में किसानों को टमाटर और प्याज के अच्छे दाम मिल सकते हैं। साथ ही देश में टमाटर और प्याज की गिरती हुई कीमतों को रोका जा सकेगा।


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पाकिस्तान पहले से ही अपनी ज्यादातर खाद्य चीजों का आयात करता रहा है। गेहूं से लेकर चीनी तक के लिए पाकिस्तान दूसरे देशों पर निर्भर है। ब्राजील पाकिस्तान में चीनी का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। इसी प्रकार प्याज और टमाटर, पाकिस्तान कुछ दिनों पहले तक अफगानिस्तान से खरीद रहा था। लेकिन बलूचिस्तान और सिंध में आई बाढ़ ने पाकिस्तान में प्याज और टमाटर की मांग को बढ़ा दिया है। इसकी आपूर्ति अकेले अफगानिस्तान नहीं कर पायेगा। इसलिए अब पाकिस्तान की सरकार इस मामले में भारत से आस अलगाये हुए है, ताकि भारत पाकिस्तान की जरुरत का प्याज और टमाटर पाकिस्तान को निर्यात करे, जिससे देश में प्याज और टमाटर की कमी न होने पाए और इन चीजों के भाव नियंत्रण में रहें।
सरकार अब 70 रुपए किलो बेचेगी टमाटर 

सरकार अब 70 रुपए किलो बेचेगी टमाटर 

भारत की राजधानी दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों में टमाटर का भाव 200 रुपये से 250 रुपये किलो तक पहुँच गया है। साथ ही, चंडीगढ़ में लोगों को एक किलो टमाटर खरीदने के लिए 300 रुपये से भी ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं। भारत में महंगाई के चलते आम से लेकर खास लोगों तक की रसोई का बजट बिगड़ गया है। बतादें कि करैला, धनिया, हरी मिर्च, शिमला मिर्च, भिंडी और लौकी समेत समस्त प्रकार की हरी सब्जियां महंगी हो गई हैं। परंतु, सबसे अधिक टमाटर की कीमत में आग लगी हुई है। महंगाई का कहर इतना है, कि टमाटर का भाव 250 रुपये किलो से भी ऊपर चला गया है। दिल्ली- एनसीआर सहित विभिन्न राज्यों में टमाटर की कीमत 200 रुपये से 250 रुपये किलो पर पहुँच चुकी है। साथ ही, चंडीगढ़ में लोगों को एक किलो टमाटर खरीदने के लिए 300 रुपये से भी ज्यादा रुपये का खर्चा करना पड़ रहा है। यहां पर टमाटर 350 रुपये किलो तक बिक रहा है।

अब से 70 रूपए किलो बिकेगा टमाटर

हालांकि, महंगाई पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार के समेत राज्य सरकारें भी पूरा प्रयास कर रही हैं। लेकिन कीमतों में गिरावट आने की कोई आशा नजर नहीं दिखाई दे रही है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार की एजेंसी नाफेड ने खुद ही दिल्ली, नोएडा और लखनऊ समेत भारत की बहुत सारे शहरों में 80 रुपये किलो टमाटर बेचना चालू कर दिया है। परंतु, वर्तमान में लोग 80 रुपये किलो से भी कम भाव पर सरकारी स्टॉल से टमाटर खरीद सकेंगे। नाफेड ने घोषणा की है, कि वह 20 जुलाई से 70 रुपये किलो के रेट से टमाटर बेचेगा। जिससे कि महंगाई पर रोकथाम लगाई जा सके। ये भी पढ़े: केंद्र सरकार दिलाएगी महंगाई से निजात देश की राजधानी समेत इन शहरों में 90 रुपए किलो बिकेगा टमाटर

टमाटर के बढ़ते भाव पर लगेगी रोक

जानकारों का कहना है, कि केंद्र सरकार ने यह ऐलान टमाटर के भाव में आ रही कमी के ट्रेंड को देखते हुए किया है। गुरुवार से भारत के विभिन्न शहरों में नाफेड 70 रुपये किलो तक टमाटर बेचेगा। मुख्य बात यह है, कि सस्ती दर पर टमाटर बिक्री के लिए केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से टमाटर की खरीदारी करेगा। सरकार का मानना है कि ऐसा करने से उत्तर भारत के राज्यों में टमाटर की बढ़ती कीमतों पर ब्रेक लगेगा।

नाफेड अब 70 रुपये किलो बेचेगा टमाटर

बता दें कि केंद्र सरकार की एजेंसी नाफेड ने पहले दिल्ली-एनसीआर में विभिन्न स्थानों पर मोबाइल वैन के माध्यम से 90 रुपये किलो टमाटर बेचना चालू किया था। इसके पश्चात 16 जुलाई को नाफेड ने 10 रुपये किलो टमाटर सस्ता कर दिया और 80 रुपये किलो बेकना शुरू कर दिया। फिलहाल, नाफेड लखनऊ और पटना में विभिन्न स्थानों पर 80 रुपये किलो टमाटर बेक रहा है। नाफेड कल से 70 रुपये किलो टमाटर बेचेगा।
सब्जियों की बढ़ती कीमतों के साथ साथ अब दूध भी बिगड़ेगा रसोई का बजट

सब्जियों की बढ़ती कीमतों के साथ साथ अब दूध भी बिगड़ेगा रसोई का बजट

तकरीबन प्रति वर्ष दूध की कीमतों में इजाफा होता है। विशेष कर विशेष 12 साल में दूध के दाम 57 प्रतिशत बढ़े हैं। परंतु, कीमतों में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी साल 2022 के दौरान हुई है।

सब्जियों के साथ साथ दूध के बढ़ते दाम

महंगाई का भार आम आदमी के ऊपर से कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। बतादें, कि हरी सब्जी, दाल, चावल एवं मसालों के उपरांत फिलहाल दूध भी रसोई का बजट खराब करने वाला है। एक अगस्त से कर्नाटक में लोगों के लिए दूध खरीदना काफी महंगा हो जाएगा। कर्नाटक सरकार ने नंदिनी दूध की कीमत में 3 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से इजाफा करने का निर्णय लिया है। मुख्य बात यह है, कि बढ़ी हुईं कीमतें 1 अगस्त से लागू की जाऐंगी। हालांकि, कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) ने भी
दूध के दाम बढ़ाने को लेकर सरकार से मांग की थी। उसने कीमतों में 5 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बढ़ोतरी करने की मांग की थी।

कर्नाटक में अन्य राज्यों के मुकाबले दूध का रेट सस्ता है

दूध में बढ़ोत्तरी के बाद भी कर्नाटक में अन्य राज्यों की तुलना में दूध का भाव सस्ता ही रहेगा। बतादें, कि कर्नाटक में दूध की शुरूआती कीमत 39 रुपए प्रति लीटर है। वहीं, आंध्र प्रदेश में दूध 56 रुपये लीटर बिकता है। इसी तरह से तमिलनाडु में 44 रुपये तो केरल में की स्टार्टिंग कीमत 50 रुपये लीटर है। लेकिन, दिल्ली, गुजरात एवं महाराष्ट्र में टोंड दूध 54 रुपये प्रति लीटर पर बिकता है।

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विगत वर्ष प्रतिदिन 94 लाख लीटर दूध खरीदा जाता था

खबरों के अनुसार नंदिनी दूध की कीमतों में वृद्धि का प्रभाव दूसरे ब्रांडों पर भी पड़ सकता है। देखा-देखी दूसरे राज्य में दूसरी डेयरी कंपनियां भी दूध की कीमतों में वृद्धि कर सकती हैं। इससे इस महंगाई में जनता का बजट और डगमगा जाएगा। हालांकि, केएमएफ अधिकारियों ने बताया है कि दूध की खरीद में पिछले साल की तुलना में भारी गिरावट दर्ज की गई है। विगत वर्ष प्रति दिन 94 लाख लीटर दूध खरीदा जाता था, जो अब घटकर 86 लाख लीटर पर पहुंच चुका है। उनका कहना है, कि किसान अत्यधिक कीमत मिलने के चलते निजी कंपनियों के हाथों दूध बेच रहे हैं। इससे दूध की किल्लत हो गई है। यही वजह है, कि दूध की कीमतों में वृद्धि करने का फैसला लिया गया।

कंपनियां भी कीमतों में इजाफा कर रही हैं

केएमएफ के अधिकारियों की चाहे जो भी दलीले हों, परंतु उत्तर भारत में भी आने वाले दिनों में दूध की कीमतों में 3 रुपये लीटर के अनुरूप इजाफा हो सकता है। क्योंकि, उत्तर भारत में चारे के साथ-साथ पशु आहार भी 25% तक महंगे हो गए हैं। इसका प्रत्यक्ष तौर पर प्रभाव दूध के उत्पादन पर पड़ रहा है। अब किसानों को दुधारू पशुओं के चारे पर अधिक धनराशि खर्च करनी पड़ रही है। अब ऐसी स्थिति में वे लागत निकाल कर डेयरी कंपनियों को महंगे भाव पर दूध बेच रहे हैं। यही वजह है, कि महंगी खरीद होने की वजह से डेयरी कंपनियां भी कीमतों में इजाफा कर सकती हैं।

किचन का बजट काफी प्रभावित होगा

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि लगभग प्रतिवर्ष दूध की कीमतों में बढ़ोतरी होती है। विशेष कर पिछले 12 साल में दूध के भाव 57 प्रतिशत बढ़े हैं। लेकिन, सबसे ज्यादा पिछले साल कीमतों में वृद्धि हुई है। साल 2022 में दूध की कीमतों में उछाल आने से 10 रुपये तक महंगा हो गया। इसके अलावा इस साल भी फरवरी माह में दूध की कीमतों में 3 रुपये का इजाफा हुआ। ऐसी स्थिति में लोगों को काफी डर सता रहा है, कि नंदिनी को देखकर कहीं बाकी कंपनियां भी दूध का रेट न बढ़ा दे। अगर ऐसा होता है, तो इस महंगाई में किचन का बजट बहुत ही ज्यादा डगमगा जाएगा।

दूध इस वजह से भी महंगा हो सकता है

आजकल पंजाब व हरियाणा समेत बहुत सारे राज्यों में बाढ़ की वजह से धान की फसल चौपट हो गई है, जिसका प्रत्यक्ष तौर पर प्रभाव आने वाले महीनों में चारे पर पड़ेगा। इसकी वजह यह है, कि धान की पराली का सबसे ज्यादा उपयोग चारे में तौर पर किया जाता है। साथ ही, दक्षिण भारत में औसत से काफी कम बारिश हुई है, जिससे धान के क्षेत्रफल में कमी आने की संभावना है। इसका प्रभाव भी मवेशियों के चारे पर पड़ेगा। ऐसी स्थिति में चारा हद से ज्यादा महंगा होने पर दूध की कीमतों में भी इजाफा देखने को मिलेगी है।
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जैसा कि हम जानते हैं, कि चरम सीमा पर महंगाई होने की वजह से आम जनता की रसोई का बजट खराब हो गया है। टमाटर और हरी सब्जियों के उपरांत फिलहाल मसालों ने भी लोगों की परेशानियां बढ़ाना शुरू कर दिया है। इनकी कीमतों में कई गुना इजाफा दर्ज किया गया है। बारिश के चलते देश में महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच गई है। इससे आम जनता के साथ- साथ खास लोगों के किचन का भी बजट डगमगा चुका है। हरी सब्जियों के पश्चात यदि किसी खाद्य पदार्थ की कीमतों में सबसे ज्यादा बढ़वार हुई है, तो वो हैं मसालें। पिछले एक महीने में मसालों के भाव में कई गुना वृद्धि दर्ज की गई है। विशेष बात यह है, कि विगत 15 दिन में ही कुछ मसालों की कीमत में दोगुनी वृद्धि हुई है। इससे प्रत्येक वर्ग की जेब पर बोझ बढ़ गया है।

दूध, मसाले, हरी सब्जियों सहित कई सारे खाद्य पदार्थों की कीमत बढ़ी हैं

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बारिश की वजह से केवल हरी सब्जियां ही नहीं बल्कि दूध, मसाले और अन्य खाद्य उत्पाद की कीमतें भी बढ़ गई हैं। महंगाई का आंकलन इस बात से किया जा सकता है, कि जो जीरा थोक भाव में विगत वर्ष 300 रुपये किलो था, अब उसकी कीमत 700 रुपये से भी ज्यादा हो गई है। साथ ही, खुदरा बाजार में यह 1000 रुपये लेकर 1200 रुपये किलो बिक रहा है। इससे ग्राहक के साथ-साथ व्यापारी भी चिंता में आ गए हैं।

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लाल मिर्च की कीमतों में दोगुना उछाल

इसी संदर्भ में व्यापारियों का कहना है, कि जीरा इतना ज्यादा महंगा हो जाएगा, उन्हें ऐसी कभी आशंका ही नहीं थी। साथ ही, कृषि विशेषज्ञ की माने तो इस वर्ष फरवरी और मार्च महीने में हुई बेमौसम बारिश ने जीरे की फसल को काफी ज्यादा प्रभावित किया है। यही वजह है, कि 2 महीने की समयावधि में जीरा बहुत ज्यादा महंगा हो गया। परंतु, मानसून के आगमन के पश्चात अचानक दूसरे मसाले भी महंगे हो गए। विशेष कर हल्दी एवं लाल मिर्च की कीमत दोगुनी से भी ज्यादा बढ़ गई है।

मसालों की कीमत में एक वर्ष दौरान कितना उछाल आया (मसालों की कीमत किलो में है)

मसाले बीते वर्ष का रेट होलसेल रेट रिटेल प्राइस
जीरा ₹300 ₹700 ₹1000-1200
हल्दी ₹80-90 ₹160 ₹300
लाल मिर्च ₹110-120 ₹260 ₹400
लौंग ₹600 ₹1100 ₹1500-1800
दालचीन ₹500  ₹700 ₹1100-1400
सौंठ ₹130 ₹500 ₹700-800
जानें दिल्ली की उन मंडियों के बारे में जहां सबसे ज्यादा उचित रेट पर सब्जी और फल मिलते हैं

जानें दिल्ली की उन मंडियों के बारे में जहां सबसे ज्यादा उचित रेट पर सब्जी और फल मिलते हैं

दिल्ली में महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच गई है। यहां पर आज भी टमाटर 140 रुपये किलो बिक रहा है। साथ ही, बाकी हरी सब्जियां भी बेहद महंगी हैं। भारत में महंगाई से त्राहिमाम मचा हुआ है। लौकी, परवल, शिमला मिर्च, टमाटर, प्याज और करेला समेत समस्त तरह की सब्जियों की कीमत में आग लगी हुई है। 30 से 40 रुपये किलो मिलने वाला टमाटर 150 से 180 रुपये किलो बिक रहा है। इसी प्रकार प्याज के भाव में भी 20 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ है। 15 से 20 रुपये किलो वाला प्याज फिलहाल 25 से 30 रुपये में बिक रहा है। इसी प्रकार शिमला मिर्च भी काफी गुना ज्यादा महंगी हो गई है। जून से पूर्व जो शिमला मिर्च 20 रुपये किलो बिक रही थी, अब उसकी कीमत 80 से 120 रुपये किलो हो गई है।

दिल्ली में कई सब्जी मंडी ऐसी हैं जहां उचित रेट पर सब्जी व फल मिलते है

परंतु, आप राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रहते हैं, तो आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। दिल्ली में ऐसी कई मंडी हैं, जहां पर आप इस महंगाई में भी उचित भाव पर सब्जियां खरीद सकते हैं। परंतु, मंडियों में प्रथम स्थान पर आजादपुर सब्जी मंडी का नाम आता है। यह एशिया की सबसे बड़ी सब्जी मंडी में से है। इस सब्जी मंडी की स्थापना 1977 में की गई थी। इस मंडी में समस्त प्रकार की सब्जी और फल कम कीमत पर मिल जाते हैं। यहां पर आप थोक में फल और सब्जियों की खरीदारी कर सकते हैं। विशेष बात यह है, कि रिटेल मार्केट से न्यूनतम 20 प्रतिशत कम भाव पर आजादपुर मंडी में आपको फल और सब्जियां मिल जाऐंगी।

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ओखला मंडी की स्थापना सन 1987 में की गई थी

इसके उपरांत ओखला सब्जी मंडी का स्थान आता है। इसकी स्थापना 1987 में की गई थी। इस सब्जी मंडी में 300 से अधिक फल और सब्जियों की दुकानें हैं। इसी मंडी की खासियत है, कि यहां पर दुकानदारों के मध्य प्रतिस्पर्धा बहुत ज्यादा हैं। ऐसे में दुकानदार ग्राहकों को बहुत सस्ती दर पर फल और सब्जी बेचते हैं। यह सब्जी मंडी 24 घंटे खुली रहती है।

शहादरा सब्जी मंडी की कीमत बहुत कम रहती है

शाहदरा सब्जी मंडी भी अपने सही भाव के लिए मशहूर है। यह पूर्वी दिल्ली जनपद में मौजूद है। यहां पर आप कश्मीरी गेट से रेड लाइन मेट्रो से पहुंच सकते हैं। अगर आपके घर में पार्टी अथवा कोई कार्यक्रम है और आपको होलसेल में फ्रूट- सब्जियां खरीदने हैं, तो आप यहां से खरीदारी कर सकते हैं। इस मंडी में सब्जियां डायरेक्ट किसान के खेतों से आती हैं। ऐसे में सब्जी और फलों की कीमत काफी कम रहती है।

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आर्यपुरा दिल्ली की एक प्रसिद्ध सब्जी मंडी है

इसी प्रकार आर्यपुरा मंडी में भी आपको हर तरह की सब्जी और फल मिल जाएंगे। यह दिल्ली की एक प्रमुख सब्जी मंडी है। इस मंडी में फल और सब्जियों की बार्गेनिंग काफी ज्यादा होती है। ऐसी स्थिति में आप मोल भाव कर सब्जियों की कीमत भी तोड़ सकते हैं। विशेष बात यह है, यहां पर सभी तरह की सब्जी और फलों के बीज भी बिकते हैं। अगर आप घर की छत पर सब्जियों की खेती करने की योजना बना रहे हैं, तो आप यहां से बीज भी खरीद सकते हैं।
देशवासियों को त्योहारी सीजन में नहीं लगेगा महंगाई का झटका - खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा

देशवासियों को त्योहारी सीजन में नहीं लगेगा महंगाई का झटका - खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा का कहना है कि महंगाई पर रोकथाम करने के लिए केंद्र सरकार भरपूर प्रयास कर रही है। खाद्य पदार्थों की जमाखोरी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। केंद्र और राज्य सरकार की टीमें जगह-जगह पर छापेमारी कर रही हैं। दरअसल, त्योहारी सीजन की शुरुआत होने से पूर्व महंगाई की रोकथाम करने के लिए केंद्र सरकार ने सारी तैयारी कर ली है। अब ऐसे में आम जनता को महंगाई को लेकर चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा एवं दिवाली पर समुचित कीमत पर खाद्य पदार्थ मिलेंगे। केंद्र सरकार ने बताया है, कि उसके पास चीनी का पर्याप्त भंडार है। अब जनता को त्योहारी सीजन में चीनी की कमी नहीं होगी। बाजार में चीनी की आपूर्ति मांग के हिसाब से होती रहेगी, जिससे कि कीमतें नियंत्रित रहें। उन्होंने कहा कि सरकारी भंडार में अभी चीनी का 85 लाख टन स्टॉक मौजूद है। ऐसे में आम जनता को महंगाई को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है।

गन्ने की पैदावार पर कोई प्रभाव नहीं होगा

संजीव चोपड़ा का कहना है, कि गेहूं के भाव आर्टिफिशियल तरीके से अधिक हो रहे हैं। परंतु, शीघ्र ही इसके ऊपर भी नियंत्रण पा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसी अफवाह है कि इस वर्ष औसत से कम बरसात दर्ज होने से गन्ने की पैदावार में गिरावट आ सकती है। परंतु, यह बिल्कुल सच नहीं है। उनके कहने के अनुसार तो गन्ने के उत्पादन में किसी तरह की गिरावट नहीं आएगी।

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चावल की कीमतों में हुई 10% प्रतिशत बढ़ोत्तरी

उन्होंने कहा कि अफवाह की वजह से ही चावल के भाव 10% प्रतिशत तक बढ़े हैं। परंतु,, फसल सीजन 2023-24 में धान की बेहतरीन पैदावार होगी। अब ऐसी स्थिति में बाजार के अंदर नवीन चावल आने से कीमतों में गिरावट आएगी। उन्होंने कहा है, कि गेहूं पर भंडारण सीमा कम की गई है। किसानों को चावल के भाव में बढ़ोत्तरी होने पर बेहद खुशी का अनुभव भी हुआ। क्योंकि, धान एक खरीफ की फसल है। इस खरीफ फसल की कटाई के लिए उपयुक्त समय आ गया है। खरीफ की फसल चावल की कटाई का समय चल रहा है। अब ऐसे में यदि चावल की कीमत बढ़ेगी तो निश्चित रूप से किसानों को काफी लाभ मिलेगा।

भारत में धान का कितना उत्पादन होता है

भारत धान उत्पादन के मामले में दूसरे नंबर पर आने वाला देश है। भारत द्वारा विदेशों तक चावल का निर्यात किया जाता है। विश्वभर में भारत चावल की खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करता है। भारत के ऊपर बहुत सारे देश निर्भर होते हैं। यदि भारत में चावल की पैदावार कम होती है तो उससे पूरे विश्वभर की खाद्य सुरक्षा प्रभावित होती है। भारत को चावल की विभिन्न किस्मों के उत्पादन के लिए काफी जाना जाता है। भारत से नेपाल चावल के लिए काफी हद तक आश्रित रहता है।
केंद्र सरकार ने त्यौहार आने से पहले महंगाई पर लगाम लगाने की तैयारी पूरी की

केंद्र सरकार ने त्यौहार आने से पहले महंगाई पर लगाम लगाने की तैयारी पूरी की

केंद्र सरकार ने दुर्गा पूजा एवं दीपावली जैसे त्यौहार आने से पूर्व महंगाई पर लगाम लगाने का सारा प्रबंध कर लिया था। सरकार का ध्यान आम जनता के साथ साथ किसान भाइयों के ऊपर पर ही है। इसी कारण से केंद्र ने रोज किस्म की प्याज की एक्सपोर्ट ड्यूटी हटा दी है। केंद्र सरकार ने प्याज उत्पादक किसानों के फायदे में बड़ा निर्णय लिया है। उसने प्याज पर से निर्यात ड्यूटी हटा दी है। इससे लाखों किसानों ने सहूलियत की सांस ली है। ऐसा कहा जा रहा है, कि केंद्र सरकार के इस निर्णय से किसानों को काफी लाभ मिलेगा। उन्हें अब प्याज का अच्छा भाव मिल सकेगा। वहीं, वित्त मंत्रालय ने प्याज पर से एक्सपोर्ट ड्यूटी हटाए जाने को लेकर एक अधिसूचना भी जारी कर दी है। विशेष बात यह है, कि केंद्र सरकार ने सिर्फ बेंगलुरु रोज किस्म के प्याज पर से एक्सपोर्ट ड्यूटी हटाई है। सरकार ने जारी नोटिफिकेशन में कहा है, कि कुछ शर्तों के साथ एक्सपोर्ट की मंजूरी दी गई है। सरकार का मानना है, कि उसके इस निर्णय से प्याज उत्पादक किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।

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प्याज किस भाव पर बिक रही है

दरअसल, केंद्र सरकार ने प्याज की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने के लिए बीते अगस्त माह में प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत ड्यूटी लगाई थी। तब सरकार ने कहा था कि महंगाई को काबू करने के लिए उसने यह निर्णय लिया है। 31 दिसंबर 2023 तक प्याज पर 40 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी जारी रहेगी। सरकार को आशा थी, कि ऐसा करने से देश से प्याज का निर्यात कम हो जाएगा। इससे प्याज का भंडारण बढ़ जाएगा। ऐसे में प्याज की कीमतों में गिरावट चालू हो जाएगी। हालांकि, सरकार के इस निर्णय से प्याज की कीमतों में कुछ गिरावट आई है। 40 रुपये किलो मिलने वाला प्याज वर्तमान में 30 से 35 रुपये किलो बिक रहा है।

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प्याज की सप्लाई इन देशों में होती है

बतादें, कि बेंगलुरु रोज किस्म की विदेशों में काफी ज्यादा मांग है। इसका सबसे ज्यादा निर्यात थाईलैंड, ताइवान, मलेशिया और सिंगापुर जैसे देशों में होता है। साथ ही, कर्नाटक के बागबानी आयुक्त से निर्यात किये जाने वाले बेंगलुरु रोज प्याज और उसकी गुणवत्ता को लेकर निर्यातक को प्रमाणपत्र दिखाना पड़ेगा। क्योंकि, सरकार ने प्रमाणपत्र दिखाना अनिवार्य कर दिया है।