चना की फसल अगर रोगों की वजह से सूख रही है, तो करें ये उपाय

चना एक ऐसी फसल है, जो किसानों को काफी फायदा पहुंचाती है। लेकिन अगर इसकी अच्छे से देख-रेख ना की जाए तो इसमें बहुत जल्द रोग लग जाता है। चने की फसल में लगने वाले कुछ रोग हैं उखेड़ा, रतुआ, एस्कोकाइटा ब्लाईट, सूखा जड़ गलन, आद्र जड़ गलन, ग्रे मोल्ड ऐसे में किसान फसल लगाने के बाद हमेशा ही परेशान रहते हैं, कि अपनी चने की फसल को किस तरह से इन लोगों से बचाया जाए। आप कुछ बातें ध्यान में रखते हुए अपनी फसल को इन बीमारियों से बचा सकते हैं।

उखेड़ा:

चने की फसल में यह रोग बहुत ही आसानी से लग जाता है, यह फफूंद से लगने वाला एक तरह का रोग है और चने की फसल को इससे बचाने के कुछ उपाय हैं।
  • किसानों को चाहिए कि वह रोग प्रतिरोधी किस्म जैसे कि 1, एच.सी. 3, एच.सी. 5, एच.के. 1, एच.के. 2, सी.214, उदयरोगप्रतिरोधक किस्में जैसे- एच.सी, अवरोधी, बी.जी. 244, पूसा- 362, जे जी- 315, फूले जी- 5, डब्ल्यू आर - 315, आदि से खेती करें।
  • बीज के उपचार के लिए 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी $ विटावैक्स 1 ग्राम का 5 मिली लीटर पानी में लेप बनाकर प्रति किलोग्राम बीज की दर से प्रयोग करें।
  • जितना ज्यादा हो सके खेती में हरी और ऑर्गेनिक खाद ही डालें।
  • अगर आप के खेत में चने की खेती में बार-बार यह बीमारी हो रही है तो आपको कोशिश करनी चाहिए कि आप तीन-चार साल के लिए खेत में चना गाना बंद कर दें।
  • जब भी आप खेत में चने की बुवाई कर रहे हैं तो थोड़ी सी गहरी बुवाई करें जो लगभग 8 से 10 सेंटीमीटर तक गहरी हो।


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रतुआ रोग

यह रोग चने की पत्तियों में होता है और इस रोग के होने के बाद फसल में पत्तों पर छोटे-छोटे भूरे रंग के धब्बे हो जाते हैं जो धीरे-धीरे पूरी फसल को बर्बाद कर देते हैं। इस रोग से फसल को बचाने के लिए आपको निम्नलिखित उपाय करने चाहिए।
  • जितना ज्यादा हो सके फसल को कीटनाशक मुक्त रखें।
  • रोग प्रतिरोधी जैसे कि गौरव आदि ही उगाएं।


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एस्कोकाइटा ब्लाईट

यह रोग चने की खेती के बीजों से ही आरंभ हो जाता है और फसल में फूल आने में अड़चन पैदा करता है। इस रोग से फसल को बचाने के लिए आपको बीजों पर खास ध्यान देने की जरूरत है।
  • रोग प्रतिरोधक किस्में जैसे कि सी-235, एच सी-3 या हिमाचल चना-1 उगायें।
  • केवल प्रमाणित बीज का ही प्रयोग करें।

सूखा जड़ गलन

यह रोग चने की खेती में ज्यादातर गलत बीज या फिर गलत मिट्टी से होता है। इस रोग में फसल में फूल से फली बनने में समस्या आती है। पौधे की पत्तियां और तने भूरे रंग के होकर झड़ने लगते हैं। इस रोग के निदान के लिए आपको कुछ उपाय करने की आवश्यकता है।


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  • अगर बार बार किसी मिट्टी में सूखा जड़ गलन रोग हो रहा है, तो आपको उसमें चने की खेती करना बंद कर देना चाहिए।
  • गेहूं और जौ की खेती के साथ एक फसल चक्र बनाएं इससे चने की खेती में सूखा जड़ गलन रोग कम होने लगता है।
  • खेत में फसल के अवशेष को ना छोड़ें और बहुत ज्यादा गहरी जुताई करें।

मोल्ड

यह रोग भी चने की फसल की जड़ें और पत्तियों को नष्ट कर देता है। इसमें फसल में फूल से फल बन ही नहीं पाता है और आप की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है। इस रोग से बचने के लिए आपको नीचे दिए गए उपाय अपनाने चाहिए।
  • फसल के दो पौधों के बीच में अच्छी खासी दूरी बनाए।
  • चने की खेती के साथ-साथ बीच में अलसी की खेती का फसल चक्र बनाए रखें।
  • फसल की आत्यधिक वनस्पतिक वृद्धि न होने दें।
  • खेत में अत्यधिक पानी न दें।
इन सबके अलावा चने की खेती में एन्थ्रेक्नोज, स्टेमफाइलियम पत्ता धब्बा रोग, फोमा पत्ता ब्लाईट व स्टंट रोग भी देखने को मिलता है और आप बाकी रोग की तरह इन्हें भी सही तरह से फसल चक्र को बरकरार रखते हुए ठीक कर सकते हैं। इसके अलावा हमेशा ही सही तरह से निरीक्षण करने के बाद ही खेती के लिए बीज खरीदें और रोग प्रतिरोधक किस्मों को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें।