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कनेर

श्रावण मास में उगाएंगे ये फलफूल, तो अच्छी आमदनी होगी फलीभूत

श्रावण मास में उगाएंगे ये फलफूल, तो अच्छी आमदनी होगी फलीभूत

श्रावण मास में रहती है इन चीजों की मांग : उद्यान/किसान कमा सकते हैं तगड़ा मुनाफा

भगवान
शिव की सेवा में समर्पित श्रावण मास के दौरान खास किस्म के पुष्पों, पौधों, प्रसाद की मांग बढ़ जाती है। ऐसे में कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) के लिए पूर्व नियोजित तैयारी की मदद से, सावन की रिमझिम फुहार के बीच, किसान आमदनी की बौछार में तरबतर हो सकते हैं।

कांवड़ यात्रा के दौरान रहेगी इनकी मांग

भगवान शिव को अर्पित होने वाली फूल व पौधों की खेती के बारे में जानकारी, जिससे श्रावण मास (Shraavana) में कांवड़ यात्रा के माह में फलीभूत होती है तगड़ी कमाई। सावन के महीने में भगवान शिव को बिल्व (Indian bael) या बेल पत्र, भांग-धतूरा, आंकड़ा या मदार के पुष्प एवं पत्ते आदि चढ़ाना शुभ माना जाता है। इन फूल पौधों की खेती व दूध-दही के उत्पाद से किसानों के साथ-साथ पशु पालकों को भी श्रावण मास में आमदनी का प्रसाद मिल जाता है।

क्या उगाएं किसान

भगवान शिव को फल-फूल-सब्जी एवं अनाज चढ़ाने के अपने महत्व हैं। भगवान भोले को शमी एवं बिल्व के पत्र, बेला का फूल विशिष्ट रूप से अर्पित किया जाता है। भगवान शिव की आराधना में अलसी के फूलों का भी खास महत्व है। कनेर का फूल भगवान शिव के साथ अन्य देवी-देवताओं को भी अर्पित किया जा सकता है। भगवान शिव को प्रिय चमेली के फूलों की खेती करके भी किसान बेहतर कमाई का जरिया तलाश सकते हैं। बेला, कनेर, चमेली के पुष्प ऐसे फूल हैं जिनकी मांग साल भर धार्मिक अनुष्ठानों एवं पुष्प प्रेमियों के बीच बनी रहती है। भगवान शिव को हरसिंगार का पुष्प भी चढ़ाया जाता है। हरसिंगार को पारिजात या शिउली के पुष्प के नाम से भी पुकारा जाता हैा। नारंगी डंडी वाला सफेद रंग का यह पुष्प रात्रि में खिलता है। अपराजिता का फूल भी भोलेनाथ को चढ़ाया जाता है, अपराजिता के फूलों यानी तितली मटर (butterfly pea, blue pea, Aprajita, Cordofan pea, Blue Tea Flowers or Asian pigeonwings) की पहचान, उसके औषधीय गुणों के कारण दुनिया भर में है। यह तो हुई सुगंध एवं सुंदरता से लैस पुष्पों से जुड़े किसानों के लिए कमाई के अवसर की बात, अब बात करते हैं भगवान वैद्यनाथ को अर्पित की जाने वाली उन चीजों की, जो अपनी प्रकृति के कारण औषधीय गुणों से भी भरपूर हैं।


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अकौआ, आंकड़ा या मदार

अकौआ जिसे आंकड़ा या मदार भी कहा जाता है, इसके लाल एवं सफेद रंग के पुष्प भगवान शिव की उपासना में अर्पित किए जाते हैं। इसके पुष्प एवं पत्ते भी भगवान शिव को चढ़ाने का विधान है। मान्यताओं के अनुसार आंकड़े के पुष्प चढ़ाने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके फूलों का इलाज में भी उपयोग होता है। खांसी आदि में इसका लौंग आदि से वैद्य द्वारा तैयार मिश्रण खासा मददगार साबित होता है।

बिल्व पत्र एवं फल

भगवान शिव को बिल्व पत्र एवं बिल्व फल चढ़ाकर शिवभक्त पूजन करते हैं। किसान मित्र, नर्सरी में मिलने वाले बिल्व जिसे आम बोलचाल की भाषा में बेल भी कहते हैं, का पौधा खेत या बगीचे में लगाकर सावन के अलावा अन्य माह में भी अपनी आय सुनिश्चित कर सकते हैं। बिल्व पत्र की मांग जहां साल भर रहती है, वहीं इसके फल खाने के साथ ही शरबत के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं। कृषि उत्पाद के तौर पर बेल की जैली, मुरब्बा की भी बाजार में खासी मांग है।

शिव प्रिय फल के रामबाण इलाज

औषधीय उपयोग में भी बेल के फल, छाल, जड़ों को उपयोग में लाया जाता है। कब्ज आदि के उपचार में शिव प्रिय बेल का फल रामबाण इलाज माना जाता है।


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इन चीजों की जरूरत

शिवभक्त भगवान शिव की आराधना के दौरान भांग, धतूरा, ऋतुफल भी चढ़ाए जाते हैं।

भांग-धतूरा

भांग की खेती जहां, सरकारी अनुमति से की जाती है, वहीं धतूरे की खेती करते समय किसान को कुछ सावधानियां बरतना अनिवार्य है। आम तौर पर दोनों ही चीजें मानवीय मस्तिष्क तंत्र को प्रभावित करती हैं। इसका प्रयोग एलोपेथिक दवाओं के साथ ही आयुर्वेद आदि में प्रचुरता से किया जाता है। इनकी शासकीय नियमानुसार खेती कर किसान न केवल श्रावण मास, बल्कि साल के अन्य दिनों में भी अपना लाभ पक्का कर सकते हैं। (लेख में वर्णित भांग, धतूरा आदि के बगैर चिकित्सक की सलाह के प्रयोग से बचें। इनका गलत मात्रा में प्रयोग प्राणघातक हो सकता है।)
किसान जुलाई-अगस्त में इन फूलों की पैदावार कर अच्छा मुनाफा उठा सकते हैं

किसान जुलाई-अगस्त में इन फूलों की पैदावार कर अच्छा मुनाफा उठा सकते हैं

बतादें कि चंपा का पौधा आप किसी भी मौसम में लगा सकते हैं। परंतु, बरसात में इसके पौधों का विकास काफी अच्छा होता है। इसकी बुवाई करने के 5 वर्ष उपरांत पौधों पर फूल आने शुरू हो जाते हैं। लोगों का मानना है, कि बरसात में किसान खरीफ फसलों में केवल धान की ही खेती करते हैं। परंतु, इस तरह की कोई बात नहीं है। मानसून के समय किसान भाई बाजरा, मक्का और साग- सब्जियों की भी खेती करते हैं। इससे किसानों को धान की तुलना में अच्छी-खासी आमदनी होती है। परंतु, आज हम किसानों को बताएंगे, कि वह बरसात के मौसम में फूलों का भी उत्पादन कर सकते हैं। फूलों की विभिन्न ऐसी प्रजातियां हैं, जिसकी रोपाई जुलाई-अगस्त के माह में की जा सकती है।

किसान जुलाई अगस्त में करें फूलों की बागवानी

धान-गेंहू की भांति फूलों को भी सिंचाई की आवश्यकता होती है। अगर आप जुलाई- अगस्त महीने में फूलों की बागवानी करते हैं, तो पौधों को समुचित मात्रा में जल मिल जाता है। इससे फूलों के पौधों का अच्छा विकास होता है। साथ ही, उत्पादन भी बेहतरीन होता है। यदि आप चाहें, तो बरसात में घर के अंदर गमले के अंदर भी फूल लगा सकते हैं। ये भी देखें: ऐसे करें रजनीगंधा और आर्किड फूलों की खेती, बदल जाएगी किसानों की किस्मत

गुड़हल के फूल

किसान भाई बरसात के मौसम में गुड़हल के फूल भी उगा सकते हैं। यह फूल बरसात होने पर खूब खिलता है। इस फूल का सर्वाधिक इस्तेमाल पूजा में किया जाता है। विशेष कर देवी माता की पूजा गुड़हल के फूल से ही की जाती है। इसके अतिरिक्त गुड़हल के फूल का उपयोग ज्योतिस शास्त्र एवं तंत्र विद्या की साधना करने में भी किया जाता है।

कनेर के फूल

कनेर के फूल का उत्पादन बरसात के दौरान बढ़ जाता है। ऐसा कहा जाता है, कि शिवलिंग पर कनेर के फूल चढ़ाने से शंकर भगवान अत्यधिक खुश होते हैं।हालांकि, कनेर के फूल का इस्तेमाल देवी- देवताओं की पूजा करने के लिए भी किया जाता है। साथ ही ऐसी मान्यताएं हैं, कि घर के अंदर कनेर का पौधा लगाने से समस्त समस्याएं दूर भाग जाती हैं। इस वजह से आप घर में कनेर के पौधे लगा सकते हैं। ये भी देखें: जानिए बारिश के दिनों में उगाए जाने वाले इन 10 फूलों के बारे में

चंपा के फूल

दरअसल, चंपा का पौधा आप किसी भी मौसम में उगा सकते हैं। परंतु, बरसात में चंपा का पौधा लगाने पर पौधों का विकास अच्छा होता है। इसकी रोपाई करने के 5 साल पश्चात पौधों पर फूल आने शुरू हो जाते हैं। बाजार में चंपा का फूल काफी ज्यादा महंगा बिकता है। इससे बहुत सारी आयुर्वेदिक औषधियां निर्मित की जाती हैं। चंपा का रस आंखों में डालने से बहुत सारी बीमारियां और रोग खत्म हो जाते हैं।