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ख़ुबानी

खुबानी (रेड बोलेरो एप्रिकॉट) Red Bolero Apricot ki Kheti ki jaankari Hindi mein

खुबानी (रेड बोलेरो एप्रिकॉट) Red Bolero Apricot ki Kheti ki jaankari Hindi mein

ख़ुबानी एक गुठलीदार फल है। उत्तर भारत और पाकिस्तान में यह बहुत ही महत्वपूर्ण फल समझा जाता है| ख़ुबानियों में कई प्रकार के विटामिन और फाइबर होते हैं। खुबानी इम्युनिटी बढ़ाने (Immunity Booster) में सहायक होती है और इसे सुखाकर भी खाया जाता है| 

क्या है खुबानी?

ख़ुबानी एक गुठलीदार फल होता है, जिसे इंग्लिश में "ऐप्रिकॉट" (apricot) कहते हैं और फारसी में इसको "ज़र्द आलू" कहते हैं| यह एक छोटे आड़ू के बराबर होता है| विशेषज्ञों के अनुसार यह भारत में पिछले 5 हज़ार साल से उगाया जा रहा है| ख़ुबानी के पेड़ की अगर बात की जाये तो यह कद में छोटा होता है| इसकी लम्बाई 7 से 12 मीटर के बीच होती है| वैसे तो ख़ुबानी के बहरी छिलका काफी मुलायम होता है, लेकिन उस पर कभी-कभी बहुत महीन बाल भी हो सकते हैं। ख़ुबानी का बीज फल के बीच में एक ख़ाकी या काली रंग की सख़्त गुठली में बंद होता है। यह गुठली छूने में ख़ुरदुरी होती है। इसमें आयरन, पोटेशियम और मैग्नीशियम के अलावा एंटीऑक्सीडेंट्स, वीटा कैरोटीन, विटामिन सी और ई भी पाया जाता है।

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ख़ुबानी के बीज

ख़ुबानी की गुठली के अन्दर का बीज एक छोटे बादाम की तरह होता है और ख़ुबानी की बहुत सारी क़िस्मों में इसका स्वाद एक मीठे बादाम सा होता है। इसे खाया जा सकता है, लेकिन इसमें हलकी मात्रा में एक हैड्रोसायनिक ऐसिड नाम का ज़हरीला पदार्थ होता है। बच्चों को ख़ुबानी का बीज नहीं खिलाना चाहिए। बड़ों के लिए यह ठीक है लेकिन उन्हें भी एक बार में ५-१० बीजों से अधिक नहीं खाने चाहिए। 

ख़ुबानी के प्रयोग

सूखी ख़ुबानी को भारत के पहाड़ी इलाक़ों में बादाम, अख़रोट और न्योज़े की तरह ख़ुबानी को एक ख़ुश्क मेवा समझा जाता है और काफ़ी मात्रा में खाया जाता है। कश्मीर और हिमाचल के कई इलाक़ों में सूखी ख़ुबानी को किश्त या किष्ट कहते हैं। कश्मीर के किश्तवार क्षेत्र का नाम इसीलिए पड़ा क्योंकि प्राचीनकाल में यह जगह सूखी खुबनियों के लिए प्रसिद्ध थी।

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खुबानी(रेड बोलेरो एप्रिकॉट) कैंसर से लड़ने में सहायक हैं।

खुबानी में कई तरह के विटामिन्स जैसे विटामिन ए, सी, ई, पोटाशियम, मैंगनीज, मैग्निशियम, नियासिन आदि पौष्टिक तत्त्व मौजूद हैं. खुबानी में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है जिससे पाचन क्रिया दुरुस्त होती है और कब्ज की शिकायत नहीं रहती। यह वजन कम करने में भी इसलिए सहायक है। खुबानी से बहुत से रोगों में आराम होता है, जैसे दस्त या अतिसार, बार-बार प्यास लगने की समस्या, अल्सर, गठिया के दर्द, रूखी त्वचा, पीले ज्वर आदि कई समस्याओं में यह कारगर सिद्ध हुआ है। वैसे किसी भी इलाज के लिए खुबानी का उपयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक या जानकार की सलाह ज़रूर लें. 

खुबानी की खेती के लिए उचित मिट्टी और जलवायु

खुबानी की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली उपजाऊ बलुई दोमट मिट्टी (भूमि का P.H. मान 7 ) की जरूरत होती है | जल ठहराव वाली भूमि या कठोर भूमि खुबानी की खेती के लिए बिलकुल उपयुक्त नहीं है | ऐसे क्षेत्र जहां गर्म जलवायु वर्ष में अधिक समय तक व्याप्त हो, वहां फलन क्रिया बिगड़ जाती है | सामान्य वर्षा और सर्दी का मौसम खुबानी के पौधों के लिए उचित होता है | हालाँकि फूल जब लगते हैं उस समय अधिक ठंड या पाला से फलन को नुकसान होता है। खुबानी के पौधों को रोपने का कार्य जुलाई से अगस्त के महीने तक कर सकते है क्यूंकि वर्षा ऋतू में पौधों का विकास सही तरीके से हो जाता है | सिंचाई की उचित संसाधन हो तो मार्च में भी लगाए जा सकते हैं | 

पौधों की सिंचाई

गर्मी के दिनों में पौधों को हफ्ते दस दिन के अंतराल में पानी देना होता है। ठण्ड के दिनों में तीन हफ्ते के अंतराल में पौधों को पानी दें | वैसे खुबानी के पौधों के लिए ड्रिप विधि का इस्तेमाल कर सिंचाई करना उचित माना जाता है | 

खुबानी के फलों की तुड़ाई

खुबानी के पौधों में तीन से चार वर्षों में पैदावार आरम्भ हो जाता है | कुछ किस्मों में अप्रैल के माह से इसके पौधों पर फलन की शुरुआत होती है और कुछ किस्में जून से जुलाई तक फलती हैं | 

खुबानी की उपज से आय

खुबानी के पेड़ पचास से साठ वर्षो तक उपज देते हैं | इसकी अलग अलग किस्में, जैसे कम समय में पैदावार देने वाली चारमग्ज खुबानी ८० किलोग्राम से लेकर अनानास खुबानी की प्रजाति १२० किलोग्राम का उत्पादन प्रति वर्ष देती हैं | अगर बाजार भाव खुबानी का सवा सौ रूपए प्रति किलो लेके चलें, तो किसान भाई एक हेक्टेयर के खेत में खुबानी के पौधों से, एक बार की फसल से पंद्रह लाख तक की कमाई कर सकते है | आशा करते हैं की खुबानी की खेती से सम्बंधित जानकारी किसान भाइयों को पसंद आयी हो, इससे सम्बंधित किसी भी प्रकार की जानकारी चाहतें हों या अपने सुझाव देना चाहें तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।

किन वजहों से लद्दाख के इस फल को मिला जीआई टैग

किन वजहों से लद्दाख के इस फल को मिला जीआई टैग

दरअसल, लद्दाख में 30 से भी ज्यादा प्रजाति की खुबानी का उत्पादन किया जाता हैं, परंतु रक्तसे कारपो खुबानी स्वयं के बेहतरीन गुण जैसे मीठा स्वाद, रंग एवं सफेद बीज के कारण काफी प्रसिद्ध है। कारपो खुबानी को 20 वर्ष उपरांत 2022 में जीआई टैग हाँसिल हुआ है। बतादें, कि लद्दाख की ठंडी पहाड़ी, जहां जन-जीवन बेहद चुनौतीपूर्ण माना जाता है। रक्तसे कारपो खुबानी इसी क्षेत्र में उत्पादित होने वाली फसल को भौगोलिक संकेत मतलब कि जीआई टैग प्राप्त हुआ है। यह खुबानी लद्दाख का प्रथम जीआई टैग उत्पाद है, इसके उत्पादन को फिलहाल कारगिल में 'एक जिला-एक उत्पाद' के तहत बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी मध्य बहुत सारे लोगों को यह जिज्ञासा है, कि लद्दाख में उत्पादित होने वाली इस रक्तसे कारपो खुबानी की किन विशेषताओं की वजह से, इसको सरकार द्वारा जीआई टैग प्रदान किया गया है। आपको जानकारी देदें कि रक्तसे कारपो खुबानी फल एवं मेवे की श्रेणी में दर्ज हो गया है, क्योंकि रक्तसे कारपो खुबानी अन्य किस्मों की तरह नहीं होता इसके बीज सफेद रंग के होते हैं।

रक्तसे कारपो खुबानी की क्या विशेषताएं हैं

विशेषज्ञों का कहना है, कि लद्दाख की भूमि पर उत्पादित की जाने वाली खुबानी रक्तसे कारपो की सबसे अलग विशेषता इसके सफेद रंग के बीज हैं, जो कि पूर्ण रूप से प्राकृतिक है। किसी भी क्षेत्र के खुबानी में विशेष बात यह है, कि खुबानी की ये प्रजाति सफेद रंग के बीजयुक्त फलों के मुकाबले अधिक सोर्बिटोल है। जिसे उपभोक्ता ताजा उपभोग करने हेतु सर्वाधिक उपयोग में लेते हैं। लद्दाख में उत्पादित की जाने वाले 9 फलों में रक्तसे कारपो खुबानी का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। क्योंकि लद्दाख की मृदा एवं जलवायु इस फल के उत्पादन हेतु अनुकूल है। यहां के खुबानी फल की मिठास एवं रंग सबसे भिन्न होता है।
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लद्दाख में होता है, सबसे ज्यादा खुबानी उत्पादन

देश में लद्दाख के खुबानी को सर्वाधिक उत्पादक का खिताब हाँसिल हुआ है। लद्दाख में प्रति वर्ष 15,789 टन ​​खुबानी का उत्पादन होता है, जो कि देश में कुल खुबानी उत्पादन का 62 प्रतिशत भाग है। वर्ष 2021 में लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश घोषित होने से पूर्व स्थायी कृषक थोक में खुबानी का विक्रय करते थे। बाजार में इसका समुचित मूल्य प्राप्त नहीं हो पाता था। परंतु अब खुबानी को अन्य देशों में भी भेजा जाता है, इस वजह से यहां के कृषकों को बेहद लाभ प्राप्त हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है, कि लद्दाख की खुबानी को तैयार होने में कुछ वक्त लगता है। यहां जुलाई से सिंतबर के मध्य खुबानी की कटाई कर पैदावार ले सकते हैं।

खुबानी से होने वाले लाभ

खुबानी एक फल के साथ-साथ ड्राई फ्रूट के रूप में भी उपयोग किया जाता है। यदि हम इसके लाभ की बात करते हैं, तो लद्दाख खुबानी में विटामिन-ए,बी,सी एवं विटामिन-ई सहित कॉपर, फॉस्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम आदि भी विघमान होते हैं। साथ ही, खुबानी में फाइबर की भी प्रचूर मात्रा उपलब्ध होती है। यदि हम खुबानी का प्रतिदिन उपभोग करते हैं, तो आंखों की समस्या, डायबिटीज एवं कैंसर जैसे खतरनाक व गंभीर रोगों का प्रभाव कम होता है। साथ ही, समयानुसार उपयोग की वजह से कॉलेस्ट्रोल भी काफी हद तक नियंत्रण में रहता है। खुबानी को आहार में शम्मिलित करने से हम त्वचा संबंधित परेशानियों से भी निजात पा सकते हैं। खुबानी का प्रतिदिन उपभोग करने से शरीर में आयरन की मात्रा में कमी आ जाती है, एवं खून को बढ़ाने में सहायक साबित होती है।
खुबानी तेल का व्यवसाय शुरू कर किसान लाखों की आय कर सकते हैं

खुबानी तेल का व्यवसाय शुरू कर किसान लाखों की आय कर सकते हैं

आप भी यदि हाल ही में कोई व्यवसाय शुरू करने के विषय में सोच रहे हैं, तो आपके लिए खुबानी तेल का व्यापार काफी अच्छा विकल्प सिद्ध हो सकता है। इस व्यवसाय से आप प्रति माह सुगमता से 60 से 70 हजार रुपये की आमदनी कर सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि आज के इस आधुनिक दौर में हर कोई अपनी नौकरी से ज्यादा आय करना चाहता हैं, जिसके चलते लोग अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के विषय में विचार करते हैं। जिससे कि वह शानदार मोटी आमदनी सहजता से कर पाएं। यदि आप भी वर्तमान में व्यवसाय चालू करने के संदर्भ में विचार कर रहे हैं, तो आज हम आपके लिए एक ऐसा शानदार बिजनेस आइडिया लेकर आए हैं, जिसे शुरू करके आप प्रति महीने लगभग 60 से 70 हजार रुपये की आमदनी हांसिल कर सकते हैं। दरअसल, हम खुबानी तेल के कारोबार की बात कर रहे हैं। इस तेल को तैयार करने के लिए लागत बेहद कम आएगी।

खुबानी तेल का व्यापार ऐसे शुरू करें

खुबानी तेल के व्यवसाय के लिए आपको एक यूनिट स्थापित करनी है, जो बाजार में आपको सुगमता से मिल जाएगी। सर्व प्रथम आपको बाजार से मशीनरी, फर्नीचर एंड फिक्सर्स इत्यादि खरीदने होंगे। जिससे कि आपका व्यवसाय बेहतर ढ़ंग से चल सके। उसके बाद आपको तेल निकालने के लिए खुबानी के बीज की जरूरत पड़ेगी। यह बीज आप प्रत्यक्ष तौर पर किसानों से सही कीमतों पर खरीद सकते हैं।

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इसके उपरांत आपको यह बीज धूप में सुखाने के लिए छोड़ देने हैं। उसके बाद आपको इन बीजों को कोहलू में डालकर पीसना पड़ेगा। इस प्रक्रिया के आधे घंटे के उपरांत इन बीजों से तेल निकलना चालू हो जाएगा। इसके पश्चात आपको तेल की सफाई करके उसे बोतलों में पैक कर देना है। इस प्रकार से आप खुबानी तेल को तैयार कर सकते हैं।


 

खुबानी तेल के कारोबार में आने वाला खर्चा और आमदनी

यदि आप खुबानी तेल का व्यवसाय बड़े पैमाने पर चालू करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको न्यूनतम 10 लाख रुपये तक खर्चा करना पड़ेगा। इस खर्चे में मशीन से लेकर बाकी भी बहुत से आवश्यक सामान आ जाएंगे। साथ ही, यदि आप इस व्यवसाय को कम बजट में चालू करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको कम से कम दो लाख रुपये तक का खर्चा करना पड़ेगा। एक बार आपका व्यवसाय चल जाएगा, तो आप इसके जरिए प्रति माह 60-70 हजार रुपये की आमदनी सुगमता से कर सकते हैं। इस व्यवसाय की यह विशेषता है, कि इससे आप हर दिन दोगुना मुनाफा हांसिल कर सकते हैं।

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खुबानी तेल का उपयोग

राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खुबानी तेल की मांग सबसे ज्यादा होती है। बतादें कि इस तेल को खुबानी के बीज से निकाला जाता है। बतादें, कि यह तेल काफी ज्यादा हल्का होता है। इस तेल का उपयोग विभिन्न प्रकार के उत्पादों में किया जाता है। कुछ लोग तो इस तेल का उपयोग शरीर की मालिश करने के लिए करते हैं। क्योंकि, इसके अंदर विटामिन E, विटामिन K इत्यादि विभिन्न प्रकार के तत्व पाए जाते हैं। यह तेल त्वचा में नमी बरकरार रखने एवं बालों को मजबूत और सशक्त बनाने के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है।