पर्वतीय क्षेत्रों पर रहने वाले किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने सुझाई विदेशी सब्जी उत्पादन की नई तकनीक, बेहतर मुनाफा कमाने के लिए जरूर जानें

मशीनीकरण के बढ़ते प्रभाव और इंटरनेट के सहयोग से वैश्विक खेती के बारे में मिलने वाली जानकारी की मदद से अब भारत के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले किसान भी कई प्रकार की दुर्लभ सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। अब भारतीय ग्रामीण किसान भी कुछ ऐसी सब्जियां उगा रहे हैं जिन की शुरुआत भारत में ना होकर विदेश में हुई थी, इन सब्जियों को विदेशी सब्जियां भी कहा जाता है। बेहतर स्वाद और सरलता से पकने के लिए मशहूर विदेशी सब्जियां की मांग धीरे-धीरे बाजारों में भी बढ़ रही है। पिछले कुछ समय से शहरी क्षेत्रों में सुपर मार्केट चैन की वजह से अब विदेशी सब्जियां जैसे लाल पत्ता गोभी, चाइनीस पत्ता गोभी, सेलेरी, ब्रोकली और जुकीनी तथा बेबी कॉर्न एवं बेबी गाजर की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है। कम कैलोरी क्षमता वाली विदेशी सब्जियां कई प्रकार के पोषक तत्वों से परिपूर्ण होती है साथ ही इनके निरन्तर सेवन से बेहतर एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन की पूर्ति की जा सकती है।


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विदेशी सब्जियों के उत्पादन के लिए आवश्यक जलवायु :-

ऊपर बताई गई लगभग सभी विदेशी सब्जियों के लिए ठंडा और नमी वाला मौसम सर्वोत्तम होता है। 15 से 22 डिग्री सेल्सियस के मध्य तापमान इन सब्जियों की बेहतर वृद्धि के लिए लाभदायक होता है। अधिक सर्दी और पाले को सहन करने की क्षमता रखने वाली विदेशी सब्जियां दोमट मृदा में बेहतर उत्पादन देती है।

विदेशी सब्जियों को उगाने के लिए कैसे करें खेत की तैयारी :-

शुरुआत में खेत को समतल बनाने के लिए दो से तीन बार जुताई करके छोटे-छोटे आकार की क्यारियों में बांट लेना चाहिए। फसल को कई प्रकार के मृदा जनित रोग जैसे कि आर्द्रगलन और कीटों से होने वाले रोग से बचाने के लिए सौर तापीकरण विधि का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ रासायनिक उर्वरक जैसे केप्टोन और फॉर्मेलिन का प्रयोग कर भी बीज को उपचारित किया जा सकता है। वर्मी कंपोस्ट और जैविक खाद का इस्तेमाल फसल की बेहतर वृद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। जैविक खाद का इस्तेमाल बुवाई से पहले ही खेत में बिखराव करके करना चाहिए। यदि अधिक ढलाई वाली जमीन के साथ ही किसी स्थान की मृदा ठोस हो तो ऊपर की सतह पर बालू मिट्टी का छिड़काव कर भी क्यारियां बनाई जा सकती है। एक बार फसल की बुवाई करने के बाद क्यारियों को पारदर्शी पॉलिथीन से ढक देना चाहिए।


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किसान भाइयों को बेहतर पौधशाला के निर्माण के दौरान कुछ बातें ध्यान रखनी चाहिए जैसे की विदेशी सब्जियों के बीज आकार में बहुत ही छोटे होते हैं और इन्हें उगाने के लिए एकदम सटीक जलवायुवीय परिस्थितियों की आवश्यकता होती है, तापमान में थोड़ा भी बदलाव होने पर इनसे उगने वाले पौधे की गुणवत्ता पूरी तरीके से खराब हो सकती है। प्रो-ट्रे (Pro-Tray) पौधशाला विधि की मदद से मृदा रहित नर्सरी भी तैयार की जा सकती है, इस विधि में अनुपजाऊ मृदा के स्थान पर नारियल के बुरादे का इस्तेमाल किया जा सकता है, इसके अलावा वरमीक्यूलाइट तथा परलाइट का मिश्रण बनाकर बेहतर पोषक तत्वों वाला एक गाढ़ा घोल तैयार किया जा सकता है। प्रो-ट्रे विधि से तैयार नर्सरी की छोटी पौध में मृदा जनित कीटों और कई प्रकार के बैक्टीरिया के द्वारा पहुंचाए जाने वाले नुकसान की कम संभावना होती है, इसलिए अधिक उपज प्राप्त होना अनुमानित होता है।

पहाड़ी क्षेत्रों पर रहने वाले किसान भाई कैसे करें उत्पादन के लिए विदेशी सब्जियों का चयन :-

वर्तमान में चल रही बाजार मांग और बेहतर उत्पादन देने वाली सब्जियों का चयन करना किसानों के लिए मुनाफा दायक हो सकता है। वर्तमान में भारतीय बाजार में लोकप्रिय और अक्टूबर महीने के शुरुआती दिनों में उगाई जा सकने वाली सब्जियां जैसे कि सेलेरी, स्विस चार्ड तथा लाल पत्ता गोभी और चाइनीस पत्ता गोभी के अलावा ब्रोकली जैसी सब्जियां प्रमुख है। यदि कोई किसान भाई गर्मियों के समय में पत्तेदार सब्जियां जैसे कि चेरी टमाटर, बेबीकॉर्न और शिमला मिर्च उगाना चाहता है तो इन की बुवाई अप्रैल महीने की शुरुआत में की जा सकती है।


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विदेशी सब्जियों में कैसे करें कीट एवं रोग का बेहतर प्रबंधन :-

वर्तमान में सुझाई गई वैज्ञानिक तकनीकों के तहत ग्रीन हाउस तकनीक का इस्तेमाल कर कीट और रोगों से बचा जा सकता है। ग्रीन हाउस विधि से मृदा और बीजजनित रोग जैसे किडंपिंग ऑफ तथा ब्लैक रोट आदि से बचा जा सकता है। इन रोगों की रोकथाम के लिए डाईथेन- एम नामक रसायन का इस्तेमाल 2 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर किया जा सकता है।

विदेशी सब्जियों की कटाई के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां :-

कुछ पत्तेदार विदेशी सब्जियां की कटाई की शुरुआत पौधरोपण के 50 दिनों के अंतर्गत कर लेनी चाहिए। इससे अधिक समय होने पर पत्तियों की गुणवत्ता में गिरावट आती है और सब्जी का स्वाद भी धीरे-धीरे खत्म होता जाता है। सुबह के समय सब्जी के पत्तियों की तुड़ाई करना सर्वोत्तम माना जाता है, क्योंकि इस समय पत्तियों के पर्ण में पानी की मात्रा सर्वाधिक होती है और उन्हें तोड़ने के बाद लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है। एक बार पत्तियों की तुड़ाई करने के बाद पौधे की पुनः वृद्धि के लिए बेहतर जैविक खाद का प्रयोग कर मृदा में मिला देना चाहिए। चेरी टमाटर और शिमला मिर्च जैसी विदेशी सब्जियों के उत्पादन के दौरान परिवहन के समय को कम रखना चाहिए, क्योंकि परिवहन में लगने वाले समय के दौरान इनका रंग हरे से लाल हो जाता है, इसलिए इनकी तुड़ाई उसी समय करनी चाहिए जब फल परिपक्व होने शुरू हो जाए, नहीं तो सब्जी की बिक्री में गिरावट हो सकती है। आशा करते हैं पर्वतीय क्षेत्रों जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तरी पूर्वी भारतीय राज्य में रहने वाले किसान भाइयों को Merikheti.com के द्वारा उपलब्ध करवाई गई 'वैज्ञानिक विधि से विदेशी सब्जी उत्पादन' की यह जानकारी पसंद आई होगी और आप भी भविष्य में बेहतर पौधशाला निर्माण और उर्वरकों के सही प्रबंधन की मदद से अच्छा मुनाफा कमा पाएंगे।