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पोपलर

पढ़िए बिहार के MBA पास किसान की बेमिसाल कहानी, अब तक बांट चुके हैं 15 लाख पौधे

पढ़िए बिहार के MBA पास किसान की बेमिसाल कहानी, अब तक बांट चुके हैं 15 लाख पौधे

पटना। आज हम आपके लिए लेकर आये हैं, पढ़े-लिखे किसान की बेमिसाल कहानी। आमतौर पर यह धारणा रहती है कि खेती-किसानी करने वाले किसान पढ़े-लिखे नहीं होते हैं। लेकिन आज पढ़िए एक ऐसे किसान की कहानी, जो MBA की पढ़ाई पास करके 40 एकड़ से ज्यादा जमीन में करता है खेती और अब तक देश के विभिन्न स्थानों पर 15 लाख से ज्यादा पौधे बांट चुका है।


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जी हां, हम बात कर रहे हैं कि बिहार के मधुबनी जिले के बिरौल गांव के रहने वाले कपिल देव झा (Kapil Dev Jha) की, जिन्होंने MBA की पढ़ाई पूरी करके 17 साल तक एक फाइनेंस कंपनी में काम किया, लेकिन नौकरी छोड़कर आज खेती किसानी का काम कर रहे हैं। साधारण कद-काठी वाले कपिल इन दिनों 40 एकड़ जमीन पर पेड़-पौधों की नर्सरी (Nursery) लगाते हैं और अब तक देश के विभिन्न स्थानों पर 15 लाख से ज्यादा पौधे बांट चुके हैं।

40 एकड़ का घना जगंल बना है फार्म हाउस

गांव के निकट ही सड़क किनारे कपिल ने 40 एकड़ में एक फार्म हाउस बना रखा है। इसमें कुछ पौधे फलों व कुछ लकड़ियों के लिए लगाए गए हैं, जिनको देखकर पूरा फार्म हाउस एक घने जंगल की तरह दिखाई देता है।

आम की बीजू वैरायटी संजोये हुए हैं कपिल

कपिल ने अपने फार्म हाउस में 3500 से अधिक आम के पेड़ लगाए हुए हैं। वर्तमान स्थिति में अधिकांश किसान ग्राफ्टेड आम पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। कपिल देव लगातार वर्षों पुरानी बीजू वैरायटी को संजोये हुए हैं, जबकि अधिकांश किसान बीजू आम को वरीयता नहीं दे रहे हैं। हालांकि आज भी अच्छी सेहत और लकड़ी के मामले में बीजू आम का कोई मुकाबला नहीं है।


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खेतों की मेड़ पर लगा रखे हैं पोपलर के पेड़

पूरे फार्म हाउस में अच्छी पैदावार के लिए जमीन को कई छोटे-बड़े खेतों में बांट रखा है और खेतों की मेड़ पर पोपलर के पेड़ लगा रखे हैं, जो काफी फायदेमंद साबित हो रहे हैं।

मिनी फारेस्ट बनाने वाले कपिल को ग्रामीण बोलते हैं मालिक

कपिल देव निरंतर निस्वार्थ रूप से अपना पूरा जीवन पर्यावरण और जल संरक्षण में लगाकर मानव-जाति के कल्याण में जुटे हुए हैं और लोगों की जिंदगी में प्रेम का भाव जागृत कर रहे हैं। यही वजह है कि स्थानीय लोग कपिल देव को मालिक कहकर पुकारते हैं।

वाटर कंजर्वेशन में किया है काम

कपिल देव के 40 एकड़ मिनी फॉरेस्ट में 5 एकड़ का एक तालाब है। इसी तालाब में वाटर कंजर्वेशन का काम कर रहे हैं, जिसमें वह मछ्ली पालन के साथ-साथ मखाने की खेती भी करते हैं। इन्ही खूबियों के कारण आज उनकी गांव में अलग ही पहचान बन गई है।
फसलों के साथ पेड़ों का भी होगा अब बीमा, देखभाल के लिए सरकार से मिलेगी सब्सिडी

फसलों के साथ पेड़ों का भी होगा अब बीमा, देखभाल के लिए सरकार से मिलेगी सब्सिडी

आज के जीवन में किसानों के लिए पेड़ों का महत्व बढ़ता जा रहा है। इनसे न केवल लोगों को ऑक्सीजन (Oxygen) मिलती है बल्कि इन दिनों पेड़ किसानों के लिए कमाई का एक मुख्य साधन बनते जा रहे हैं। पेड़ों को लगाकर किसान भाई फल, फूल, औषधि, रबड़, तेल, चंदन, पशु चारा और लकड़ी का जबरदस्त उत्पादन कर रहे हैं और जमकर पैसा कमा रहे हैं। कई किसान अपने खेतों में विविधिता पूर्ण तरीके से खेत में फसल लगाते हैं। किसान अपने खेतों में तो खेती करते हैं लेकिन खेत की मेड़ों में फलदार यह औषधीय पेड़ लगा देते हैं, जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी होती है। अगर आज के युग की बात करें तो किसान अपने खेत की मेड़ों में पोपलर, महोगनी, सागवान, बबूल के पेड़ भी लगा रहे हैं। इन पेड़ों से किसान लड़की का उत्पादन करते हैं और उसे बाजार में बेंचते है। किसानों की इस प्रकार की खेती पर अब सरकार सहायता करने जा रही है। जल्द ही उत्तर प्रदेश की सरकार किसानों को पेड़ों का बीमा करवाने की सुविधा देगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जल्द ही उत्तर प्रदेश सरकार नई एग्रो फॉरेस्ट्री पॉलिसी लाने की तैयारी कर रही है। इससे किसानों को पेड़ों के बीमा का अलावा अन्य तरह के फायदे होंगे। यदि हम उत्तर प्रदेश की बात करें तो इस राज्य में कृषि एक मुख्य व्यवसाय है। जिससे प्रदेश की ज्यादातर जनता जुड़ी हुई है। यहां पर बागवानी, औषधी, मसाला, सब्जी, फल और पेड़ों से लेकर घास तक की खेती होती है। इन फसलों पर मौसम की वजह से या जंगली जानवरों और कीटों के प्रकोप की वजह से नुकसान भी होता है। जिससे फसलों के हुए घाटे की भरपाई करने के लिए सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसलों का बीमा करवाती है। इससे किसान फसल में होने वाले आर्थिक नुकसान से बच जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर प्रदेश की सरकार हर किसान के खेत में लगे पेड़ों का नई कृषि वानिकी नीति के तहत बीमा करवाएगी। जिससे यदि किसी भी प्रकार के प्राकृतिक नुकसान के कारण किसानों के पेड़ों को क्षति पहुंचती है तो उसकी भरपाई बीमा कंपनियों के द्वारा की जाएगी। इसके साथ ही इस नई कृषि वानिकी नीति के तहत पौधों की रोपाई और पेड़ों से मिले उत्पादों की मार्केटिंग में भी सरकार के द्वारा किसानों की मदद की जाएगी।

पेड़ों की खेती के लिए भी मिलेगी सब्सिडी

आजकल देश में बढ़ती जनसंख्या और उद्योगों के कारण बाजार में लड़की की मांग तेजी से बढ़ी है। इसको देखते हुए कृषि वानिकी नीति के तहत सरकार एक नया प्रावधान जोड़ने की तैयारी में है। इसके तहत वन विभगा किसानों को पौधे मुहैया करवाएगा। जिसमें व्यावसायिक महत्व वाले पौधे भी मुहैया करवाए जाएंगे। इन पेड़ों को अपने खेतों में लगाकर किसान भाई आसानी से इमारती लकड़ी के पेड़, फूड प्रोसेसिंग के लिए आंवला जैसे पेड़, जामुन और आम सरीखे फलदार पेड़, औषधीय पौधे और अन्य वानस्पतिक किस्मों के पेड़ लगा सकते हैं। जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी होगी।
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पेड़ों से मिलने वाले उत्पादों की मार्केटिंग में सहयोग करेगी सरकार

उत्तर प्रदेश की सरकार नई कृषि वानिकी नीति के तहत पेड़ों के बीमा, उत्पादन के साथ-साथ उनसे प्राप्त होने वाले उत्पादों की मार्केटिंग में भी सहयोग करने वाली है। इसके तहत किसानों का उद्योगों एक साथ समन्वय स्थापित करवाया जाएगा ताकि किसानों को पेड़ों की लकड़ी या दूसरी उपज बेचने के लिए बाजारों के चक्कर नहीं लगाने पड़ें। इसके लिए प्रदेश में क्लस्टरों का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही सरकार महंगे और कमर्शियल पेड़ों की देखभाल के लिए किसानों को सब्सिडी भी प्रदान करेगी ताकि किसानों के ऊपर पेड़ों की बागवानी का खर्चा भारी न पड़े।

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मिली हरी झंडी

सुप्रीम कोर्ट ने पहले लकड़ी आधारित उद्योगों को लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा रखी थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हटा दिया है। अब किसान बिना किसी चिंता के पेड़ों को अपने खेतों में लगा पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से किसानों के साथ-साथ लकड़ी कारोबार से जुड़े दूसरे हितग्राहियों को भी भारी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए अब उत्तर प्रदेश सरकार भी आगे आई है और सरकार आगामी कैबिनेट मीटिंग में कृषि वानिकी नीति पर आधारित ड्राफ्ट तैयार करके कैबिनेट के सामने प्रस्तुत करने की तैयारी कर रही है।