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IYoM: मिलेट्स (MILLETS) यानी बाजरा को अब गरीब का भोजन नहीं, सुपर फूड कहिये

IYoM: मिलेट्स (MILLETS) यानी बाजरा को अब गरीब का भोजन नहीं, सुपर फूड कहिये

दुनिया को समझ आया बाजरा की वज्र शक्ति का माजरा, 2023 क्यों है IYoM

पोषक अनाज को भोजन में फिर सम्मान मिले - तोमर भारत की अगुवाई में मनेगा IYoM-2023 पाक महोत्सव में मध्य प्रदेश ने मारी बाजी वो कहते हैं न कि, जब तक योग विदेश जाकर योगा की पहचान न हासिल कर ले, भारत इंडिया के तौर पर न पुकारा जाने लगे, तब तक देश में बेशकीमती चीजों की कद्र नहीं होती। कमोबेश कुछ ऐसी ही कहानी है देसी अनाज बाजरा की।

IYoM 2023

गरीब का भोजन बताकर भारतीयों द्वारा लगभग त्याज्य दिये गए इस पोषक अनाज की महत्ता विश्व स्तर पर साबित होने के बाद अब इस अनाज
बाजरा (Pearl Millet) के सम्मान में वर्ष 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स (आईवायओएम/IYoM) के रूप में राष्ट्रों ने समर्पित किया है।
इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स (IYoM) 2023 योजना का सरकारी दस्तावेज पढ़ने या पीडीऍफ़ डाउनलोड के लिए, यहां क्लिक करें
मिलेट्स (MILLETS) मतलब बाजरा के मामले में भारत की स्थिति, लौट के बुद्धू घर को आए वाली कही जा सकती है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष घोषित किया है। पीआईबी (PIB) की जानकारी के अनुसार केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जुलाई मासांत में आयोजित किया गया पाक महोत्सव भारत की अगुवाई में अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष (IYoM)- 2023 लक्ष्य की दिशा में सकारात्मक कदम है। पोषक-अनाज पाक महोत्सव में कुकरी शो के जरिए मिलेट्स (MILLETS) यानी बाजरा, अथवा मोटे अनाज पर आधारित एवं मिश्रित व्यंजनों की विविधता एवं उनकी खासियत से लोग परिचित हुए। आपको बता दें, मिलेट (MILLET) शब्द का ज्वार, बाजरा आदि मोटे अनाज संबंधी कुछ संदर्भों में भी उपयोग किया जाता है। ऐसे में मिलेट के तहत बाजरा, जुवार, कोदू, कुटकी जैसी फसलें भी शामिल हो जाती हैं। पीआईबी द्वारा जारी की गई सूचना के अनुसार महोत्सव में शामिल केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मिलेट्स (MILLETS) की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।

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अपने संबोधन में मंत्री तोमर ने कहा है कि, “पोषक-अनाज को हमारे भोजन की थाली में फिर से सम्मानजनक स्थान मिलना चाहिए।” उन्होंने जानकारी में बताया कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष घोषित किया है। यह आयोजन भारत की अगु़वाई में होगा। इस गौरवशाली जिम्मेदारी के तहत पोषक अनाज को बढ़ावा देने के लिए पीएम ने मंत्रियों के समूह को जिम्मा सौंपा है। केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने दिल्ली हाट में पोषक-अनाज पाक महोत्सव में (IYoM)- 2023 की भूमिका एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि, अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYoM)- 2023 के तहत केंद्र सरकार द्वारा स्थानीय, राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक कार्यक्रमों के आयोजन की विस्तृत रूपरेखा तैयार की गई है।

बाजरा (मिलेट्स/MILLETS) की वज्र शक्ति का राज

ऐसा क्या खास है मिलेट्स (MILLETS) यानी बाजरा या मोटे अनाज में कि, इसके सम्मान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरा एक साल समर्पित कर दिया गया। तो इसका जवाब है मिलेट्स की वज्र शक्ति। यह वह शक्ति है जो इस अनाज के जमीन पर फलने फूलने से लेकर मानव एवं प्राकृतिक स्वास्थ्य की रक्षा शक्ति तक में निहित है। जी हां, कम से कम पानी की खपत, कम कार्बन फुटप्रिंट वाली बाजरा (मिलेट्स/MILLETS) की उपज सूखे की स्थिति में भी संभव है। मूल तौर पर यह जलवायु अनुकूल फसलें हैं।

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शाकाहार की ओर उन्मुख पीढ़ी के बीच शाकाहारी खाद्य पदार्थों की मांग में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हो रही है। ऐसे में मिलेट पॉवरफुल सुपर फूड की हैसियत अख्तियार करता जा रहा है। खास बात यह है कि, मिलेट्स (MILLETS) संतुलित आहार के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा में भी असीम योगदान देता है। मिलेट (MILLET) या फिर बाजरा या मोटा अनाज बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन और खनिजों जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का भंडार है।

त्याज्य नहीं महत्वपूर्ण हैं मिलेट्स - तोमर

आईसीएआर-आईआईएमआर, आईएचएम (पूसा) और आईएफसीए के सहयोग से आयोजित मिलेट पाक महोत्सव के मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि, “मिलेट गरीबों का भोजन है, यह कहकर इसे त्याज्य नहीं करना चाहिए, बल्कि इसे भारत द्वारा पूरे विश्व में विस्तृत किए गए योग और आयुर्वेद के महत्व की तरह प्रचारित एवं प्रसारित किया जाना चाहिए।” “भारत मिलेट की फसलों और उनके उत्पादों का अग्रणी उत्पादक और उपभोक्ता राष्ट्र है। मिलेट के सेवन और इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता प्रसार के लिए मैं इस प्रकार के अन्य अनेक आयोजनों की अपेक्षा करता हूं।”

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मिलेट और खाद्य सुरक्षा जागरूकता

मिलेट और खाद्य सुरक्षा संबंधी जागरूकता के लिए होटल प्रबंधन केटरिंग तथा पोषाहार संस्थान, पूसा के विद्यार्थियों ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि तोमर ने मिलेट्स आधारित विभिन्न व्यंजनों का स्टालों पर निरीक्षण कर टीम से चर्चा की। महोत्सव में बतौर प्रतिभागी शामिल टीमों को कार्यक्रम में पुरस्कार प्रदान कर प्रोत्साहित किया गया।

मध्य प्रदेश ने मारी बाजी

मिलेट से बने सर्वश्रेष्ठ पाक व्यंजन की प्रतियोगिता में 26 टीमों में से पांच टीमों को श्रेष्ठ प्रदर्शन के आधार पर चुना गया था। इनमें से आईएचएम इंदौर, चितकारा विश्वविद्यालय और आईसीआई नोएडा ने प्रथम तीन क्रम पर स्थान बनाया जबकि आईएचएम भोपाल और आईएचएम मुंबई की टीम ने भी अंतिम दौर में सहभागिता की।

इनकी रही उपस्थिति

कार्यक्रम में केंद्रीय राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, कृषि सचिव मनोज आहूजा, अतिरिक्त सचिव लिखी, ICAR के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र और IIMR, हैदराबाद की निदेशक रत्नावती सहित अन्य अधिकारी एवं सदस्य उपस्थित रहे। इस दौरान उपस्थित गणमान्य नागरिकों की सुपर फूड से जुड़ी जिज्ञासाओं का भी समाधान किया गया। महोत्सव के माध्यम से मिलेट से बनने वाले भोजन के स्वास्थ्य एवं औषधीय महत्व संबंधी गुणों के बारे में लोगों को जागरूक कर इनके उपयोग के लिए प्रेरित किया गया। दिल्ली हाट में इस महोत्सव के दौरान पोषण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की गईं। इस विशिष्ट कार्यक्रम में अनेक स्टार्टअप ने भी अपनी प्रस्तुतियां दीं। 'छोटे पैमाने के उद्योगों व उद्यमियों के लिए व्यावसायिक संभावनाएं' विषय पर आधारित चर्चा से भी मिलेट संबंधी जानकारी का प्रसार हुआ। अंतर राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYoM)- 2023 के तहत नुक्कड़ नाटक तथा प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं जैसे कार्यक्रमों के तहत कृषि मंत्रालय ने मिलेट के गुणों का प्रसार करने की व्यापक रूपरेखा बनाई है। वसुधैव कुटुंबकम जैसे ध्येय वाक्य के धनी भारत में विदेशी अंधानुकरण के कारण शिक्षा, संस्कृति, कृषि कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष (IYoM)- 2023 जैसी पहल भारत की पारंपरिक किसानी के मूल से जुड़ने की अच्छी कोशिश कही जा सकती है।
गन्ना किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, 15 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ सकती हैं गन्ने की एफआरपी

गन्ना किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, 15 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ सकती हैं गन्ने की एफआरपी

नई दिल्ली। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक की गई। बैठक में गन्ने की एफआरपी यानि उचित व लाभकारी मूल्य (Fair and Remunerative Price - FRP) बढाने के लिए निर्णय लिया गया। बताया जा रहा है कि गन्ना की एफआरपी में 15 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करने की सिफारिशें हुईं हैं। सम्भवतः जल्दी ही इसे पारित किया जाएगा। जानकारों की मानें तो बीते साल 2021 में गन्ने की एफआरपी 290 रुपए प्रति क्विंटल थीं, जो अब बढ़कर 305 रुपये प्रति क्विंटल हो जाएगी। बीते वित्तीय वर्ष में इसमें केवल 5 रुपये की वृद्धि हुई थी। गन्ने पर बढ़ाई जा रही एफआरपी आगामी 1 अक्तूबर से 30 सितंबर 2023 तक के लिए तय की जाएगी। इससे लाखों किसानों को फायदा मिलना तय है।

गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 के तहत तय होती है एफआरपी

- प्रदेश सरकार गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 के तहत गन्ने की एफआरपी तय करती है। इसके लिए कृषि लागत और मूल्य आयोग सिफारिश करता है। एफआरपी के अंतर्गत चीनी मिल किसानों से न्यूनतम भाव पर गन्ना खरीदता है।



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देश के कई राज्यों को नहीं मिलेगा एफआरपी का फायदा

- सरकार के इस फैसले से देश के कई राज्यों में गन्ना किसानों को फायदा नहीं मिलेगा। देश में सबसे ज्यादा गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है। लेकिन यूपी के गन्ना किसानों को एफआरपी पर बढ़ी हुई कीमत का लाभ नहीं मिलेगा। क्योंकि यूपी में एफआरपी पहले से ही ज्यादा है।

मंहगाई को देखते हुए बढ़नी चाहिए एफआरपी

- भले ही सरकार ने गन्ना की एफआरपी 15 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। लेकिन किसान इसे मंहगाई की तुलना में काफी कम मान रहे हैं। किसानों के कहना है कि मंहगाई के हिसाब से ही एफआरपी बढ़नी चाहिए। क्योंकि खाद, पानी, बीज और कीटनाशक दवाओं के साथ-साथ मेहनत-मजदूरी भी लगातार बढ़ रही है।



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घट रहा है गन्ना की खेती का रकबा

- उत्तर प्रदेश में पिछले कई सालों से गन्ना की खेती का रकबा लगातार घटता जा रहा है। चीनी मिलों से, गन्ना का बकाया भुगतान समय से न मिलना और दूसरी फसलों में अच्छा मुनाफा होने के चलते किसानों का गन्ना से मोहभंग होता जा रहा है।
गेहूं के उत्पादन में यूपी बना नंबर वन

गेहूं के उत्पादन में यूपी बना नंबर वन

आपदा को अवसर में कैसे बदला जाता है, यह कोई यूपी से सीखे। कोरोना के जिस भयावह दौर में आम आदमी अपने घरों में कैद था। उस दौर में भी ये यूपी के किसान ही थे, जो तमाम सावधानियां बरतते हुए भी खेत में काम कर रहे थे या करवा रहे थे। नतीजा क्या निकला? यूपी गेहूं के उत्पादन में पूरे देश में नंबर 1 बन गया। कुछ चीजें जब हो जाती हैं और आप उनके बारे में सोचना शुरू करते हैं, तो पता चलता है कि यह तो चमत्कार हो गया। ऐसा कभी सोचा ही नहीं गया था और ये हो गया। कुछ ऐसी ही कहानी है यूपी के कृषि क्षेत्र की। कोरोना के जिस कालखंड में आम आदमी अपनी जिंदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रहा था, सावधानियां बरतते हुए चल रहा था, उस यूपी में ही किसानों ने कभी भी अपने खेतों को भुलाया नहीं। क्या धान, क्या गेहूं, क्या मक्का हर फसल को पूरा वक्त दिया। निड़ाई, गुड़ाई से लेकर कटाई तक सब सही तरीके से संपन्न हुआ। यहां तक कि कोरोना काल में भी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की। इन सभी का अंजाम यह हुआ कि यूपी गेहूं के क्षेत्र में न सिर्फ आत्मनिर्भर हुआ बल्कि देश भर में सबसे ज्यादा गेहूं उत्पादक राज्य भी बन गया।


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अकेले 32 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन करता है यूपी

यूपी के एग्रीकल्चर मिनिस्टर सूर्य प्रताप शाही के अनुसार, यूपी में देश के कुल उत्पादन का 32 फीसद गेहूं उपजाया जाता है। यह एक रिकॉर्ड है, पहले हमें पड़ोसी राज्यों से गेहूं के लिए हाथ फैलाना पड़ता था। अब हमारा गेहूं निर्यात भी होता है, पड़ोसी राज्यों की जरूरत के लिए भी भेजा जाता है। शाही के अनुसार, ढाई साल तक कोरोना में भी हमारे किसानों ने निराश नहीं किया। इन ढाई सालों के कोरोना काल में सिर्फ कृषि सेक्टर की उत्पादकता बढ़ी। किसानों ने दुनिया को निराश नहीं होने दिया। खेतों में अन्न पैदा होता रहा तो गरीबों को मुफ्त में राशन लेने की दुनिया की सबसे बड़ी स्कीम प्रधानमंत्री के नेतृत्व में चलाई गई। आपको तो पता ही होगा कि देश में 80 करोड़ तथा उत्तर प्रदेश में 15 करोड़ लोगों को प्रतिमाह मुफ्त में दो बार राशन दिया गया। राज्य सरकार ने भी किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने के साथ ही यह तय किया कि महामारी के चलते किसी के भी रोजगार पर असर न पड़े। कोई भूखा न सोए, एक जनकल्याणकारी सरकार का यही कार्य भी होता है।

21 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर मिली सिंचाई की सुविधा

आपको बता दें कि यूपी में पिछले 5 सालों में हर सेक्टर में कुछ न कुछ नया हुआ है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से पिछले पांच साल में प्रदेश में 21 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर सिंचाई की सुविधा मिली है। सरयू नहर परियोजना से पूर्वी उत्तर प्रदेश के 9 जिलों में अतिरिक्त भूमि पर सिंचाई सुनिश्चित हुई है। हर जिले में व्यापक स्तर पर नलकूप की स्कीम चलाने के साथ सिंचाई की सुविधा को बढ़ाने के लिए पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को अपने खेतों में सोलर पंप लगाने की व्यवस्था की जा रही है। तो, अगर गेहूं समेत कई फसलों के उत्पादन में हम लोग आगे बढ़े हैं तो यह सब अचानक नहीं हो गया है। यह सब एक सुनिश्चित योजना के साथ किया जा रहा था, जिसका नतीजा आज सामने दिख रहा है।
तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान,पीएम ने किसानों को दिया बड़ा तोहफा

तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान,पीएम ने किसानों को दिया बड़ा तोहफा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए 14 महीने से विवादों में घिरे चले आ रहे तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करके पूरे राष्ट्र को चौंका दिया। इन तीनों कृषि कानूनों को लेकर किसान लगातार आंदोलन करते चले आ रहे हैं। किसान लगातार  कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए दिल्ली सीमा पर भारी संख्या में किसान पिछले साल सितम्बर माह से आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन को लेकर सैकड़ों किसानों की जाने तक चलीं गयीं हैं। किसान इन कृषि कानूनों को लेकर सरकार से कोई भी समझौता करने को तैयार नहीं हो रहे थे। हालांकि सरकार ने यह समझाने की बहुत कोशिश की कि ये कानून छोटे किसानों के हितों के लिए हैं क्योंकि देश में 100 में से 80 किसान छोटे हैं।  लेकिन आंदोलनरत किसानों ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की जिद पकड़ ली है। किसानों की जिद के आगे सरकार को हथियार डालते हुए इन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लेना पड़ा।

किसानों के कल्याण के लिए ईमानदारी से कोशिश की थी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमने हमेशा किसानों की समस्याओं और उनकी चिंताओं का ध्यान रखा और उन्हें दूर करने का प्रयास किया जब आपने हमें 2014 में सत्ता सौंपी तो हमें यह लगा कि किसानों के कल्याण, उनकी आमदनी बढ़ाने का कार्य करने का निश्चय किया। हमने कृषि वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों आदि से सलाह मशविरा करके कृषि के विकास व कृषि करने की आधुनिक तकनीक को अपना कर किसानों का हित करने का प्रयास किया।  काफी विचार-विमर्श करने के बाद हमने देश के किसानों खासकर छोटे किसानों को उनकी उपज का अधिक से अधिक दाम दिलाने, उनका शोषण रोकने एवं उनकी सुविधाएं बढ़ाने के प्रयास के रूप में तीन नये कृषि कानून लाये गये। उन कृषि कानूनों को लागू किया गया।

किसानों को पूरी तरह से समझा नहीं पाये

राष्ट्र के नाम अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने सच्चे मन एवं पवित्र इरादे से देश हित व किसान हित के सारे नियमों को समेट कर ये तीन कानून बनाये।  देश के कोटि-कोटि किसानों, अनेक किसान संगठनों ने इन कृषि कानूनों का स्वागत किया एवं समर्थन दिया। इसके बावजूद किसानों का एक वर्ग इन कृषि कानूनों से नाखुश हो गया। उन्होंने कहा कि हमने इन असंतुष्ट किसानों से लगातार एक साल तक  विभिन्न स्तरों पर बातचीत करने का प्रयास किया उन्हें सरकार की मंशा को समझाने का प्रयास किया । इसके लिए हमने व्यक्तिगत व सामूहिक रूप से किसानों को समझाने का प्रयास किया।  किसानों के असंतुष्ट वर्ग को समझाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों, मार्केट विशेषज्ञों एवं अन्य जानकार लोगों की मदद लेकर पूर्ण प्रयास किया किन्तु सरकार के प्रयास सफल नहीं हो पाये। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि सरकार ने दीपक के सत्य प्रकाश जैसे कृषि कानूनों के बारे में किसानों को समझाने का पूरा प्रयास किया लेकिन हमारी तपस्या में कहीं कोई अवश्य ही कमी रह गयी होगी जिसके कारण हम किसानों को पूरी तरह समझा नहीं पाये। कृषि कानून

किसानों को मनाने का पूरा प्रयास किया

18 मिनट के राष्ट्र के नाम संदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज गुरु नानक जयंती जैसे प्रकाशोत्सव पर किसी से कोई गिला शिकवा नहीं है और न ही हम किसी में कोई दोष ठहराने की सोच रहे हैं बल्कि हमने जिस तरह से देश हित और किसान हित में ये कृषि कानून लाये थे। भले ही देश के अधिकांश किसानों ने इन कृषि कानूनों का समर्थन किया हो लेकिन किसान का एक वर्ग नाखुश रहा और हम उसे नही समझा पाये हैं। उन्होंने कहा कि हमने किसानों को हर तरह से मनाने का प्रयास किया।

किसानों को अनेक प्रस्ताव भी दिये

आंदोलनकारी किसानों ने कृषि कानूनों के जिन प्रावधानों पर ऐतराज जताया था, सरकार उनको संशोधित करने को तैयार हो गयी थी। इसके बाद सरकार ने इन कृषि कानूनों को दो साल तक स्थगित करने का भी प्रस्ताव दिया था। इसके बावजूद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया था।  इन सब बातों को पीछे छोड़ते हुए सरकार ने नये सिरे से किसान हितों और देश के कल्याण के बारे में सोचते हुए प्रकाश पर्व जैसे अवसर पर इन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया है।\

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पिछली बातों को छोड़कर आगे बढ़ें

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में आंदोलनकारी किसानों का आवाहन करते हुए कहा कि हम सब पिछली बातों को भूल जायें और नये सिरे से आगे बढ़ें और देश को आगे बढ़ाने का काम करें। उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि कानूनों को वापस करने का फैसला ले लिया है।  उन्होंने कहा कि में आंदोलनकारी किसानों से आग्रह करता हूं कि वे आंदोलन को समाप्त करके अपने घरों को अपने परिवार के बीच वापस लौट आयें। अपने खेतों में लौट आयें । अपने संदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इसी महीने के अंत में होने वाले संसद के सत्र में इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की सभी विधिक कार्यवाही पूरी की जायेंगी।

किसान हित के लिए और बड़ा प्रयास करेंगे

प्रधानमंत्री का कहना है कि सरकार अब इससे अधिक बड़ा प्रयास करेगी ताकि किसानों का कल्याण उनकी मर्जी के अनुरूप किया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार ने छोटे किसानों का कल्याण करने, एमएसपी को अधिक प्रभावी तरीके से लागू करने सहित सभी प्रमुख मांगों पर आम राय बनाने के लिए एक कमेटी के गठन का फैसला लिया है। जिसे शीघ्र ही गठित करके नये सिरे से इससे भी बड़ा प्रयास किया जायेगा। कृषि कानून

छोटे किसानों का कल्याण करना सरकार की प्राथमिकता

प्रधानमंत्री ने दोहराया कि हम लगातार छोटे किसानों के कल्याण के लिये प्रयास करते रहेंगे। देश में 80 प्रतिशत छोटे किसान हैं।  इन छोटे किसानों के पास दो हेक्टेयर से भी कम खेती है। इस तरह के किसानों की संख्या 10 करोड़ से भी अधिक है। हमारी सरकार ने फसल बीमा योजना को अधिक से अधिक प्रभावी बनाया। 22 करोड़ किसानों को मृदा परीक्षण कार्ड देकर उनकी कृषि करने की तकनीक में मदद की। उन किसानों की कृषि लागत कम हो गयी तथा उनका लाभ बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि छोटे किसानों को ताकत देने के लिए सरकार ने हर संभव मदद देने का प्रयास किया और आगे भी ऐसे ही प्रयास करते रहेंगे।

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सितम्बर, 2020 में शुरू हो गया था आंदोलन

लोकसभा से तीनों कृषि कानून 17 सितम्बर, 2020 को पास हो गये थे और राष्ट्रपति ने दस दिन बाद  इन कृषि कानूनों पर अपनी मुहर लगाकर लागू कर दिया था। इसके बाद ही किसानों ने अपना आंदोलन शुरू कर दिया था। ये तीन कृषि कानूनों में पहला कानून कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, दूसरा कानून कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करारा विधेयक 2020 तथा तीसरा आवश्यक वस्तु (संशोधन) 2020 नाम से तीसरा कानून था।

किन प्रावधानों पर थे किसान असंतुष्ट

किसानों को सबसे ज्यादा पहले कानून कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 के कई प्रावधानों में ऐतराज था।  मंडी के बाहर फसल बेचने की आजादी, एमएसपी और कान्टेक्ट फार्मिंग के प्रावधानों पर कड़ी आपत्ति जतायी गयी थी । सरकार ने अनेक स्तरों से सफाई दी और अनेक तरह के आश्वासन दिये लेकिन आंदोलनकारी किसानों को कुछ भी समझ में नहीं आया और उन्होंने किसान से इन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की जिद ठान ली।  किसानों की जिद के सामने सरकार को आखिर झुकना पड़ा भले ही इसके लिए किसानों को 14 महीने का लम्बा समय अवश्य लगा।
कृषि प्रधान देश में किसानों की उपेक्षा असंभव

कृषि प्रधान देश में किसानों की उपेक्षा असंभव

जिस देश की 80 फीसद आबादी परोक्ष एवं अपरोक्ष रूप से खेती किसानी से जुड़ी हो वहां किसानों की उपेक्षा कोई नहीं कर सकता। वह चाहे दृढ़ इच्छाशक्ति और कठोर निर्णय के आदी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मेादी ही क्यों न हों।आखिरकार प्रधानमंत्री को देशवासियों से क्षमा मांगते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करनी ही पड़ी। उन्होंने दैवीय शक्त्यिों का आह्वान करते हुए कहा कि हे देवि मुझे इतनी शक्ति दो कि शुभकार्य करने से पीछे न हटूं। उन्होंने स्पष्ट किया कि 29 नवंबर को शुरू हो रहे संसद सत्र में कानून रद्द करने का प्रस्ताव लाया जाएगा। मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र में कई लाभकारी और अहम फैसले लिए लेकिन कृषि कानूनों को अमल में लाने से उन प्रयासों पर पानी फिर गया। प्रधानमंत्री ने देश के किसानों की छोटी जोत और उससेे जीविका संचालन की दिक्कतों का मार्मिक जिक्र किया लेकिन लंबे समय तक कानून वापसी की मांग पर अड़े किसानों की अनदेखी भी उनसे छिपी नहीं रही । कानून वापसी के आन्देालन में तकरीबन 700 किसानों को जान गंवानी पड़ी। राजनीतिक समीक्षक इसे राजनीक पैतरे बाजी से जोड़ सकते हैं लेकिन यदि कानून वापसी का निर्णय उनके द्वारा लिया गया है तो वह काबिले तारीफ है। कानून को लागू करने और उसके समर्थन में माहौल बनाने में सरकार ने ऐडी चोटी का जोर लगाया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सभी संस्थान के निदेशकों ने प्रेस के माध्यम से कानून के फायादे गिनाने का प्रयास किया। पद्मश्री किसानों ने भी ज्यादातर सरकार का पक्ष लिया लेकिन कोई भी मत बहुसंख्यक किसानों की अनदेखी की हुंकार के आगे नहीं टिक पाय। सरकार ने अपने पक्ष में कई किसान संगठनों को भी खड़ा किया लेकिन कहीं न कहीं कानून को जीरो आवर्स लाने जैसे सरकार के निर्णय के चलते उसे विवादास्पद होने के कलंक से मुक्ति नहीं मिल सकी। आन्दोलन चलने के दौरान यह मसला भी भरपूर उठाया गया कि आन्दोलन में पंजाब, हरियाणा के अलावा अन्य राज्यों के किसान नहीं हैं लेकिन किसानों को डिगाने की कोशिशें नाकाम रहीं। यूंतो सरकार कानून को लेकर काफी कुछ समीक्षा कर चुुकी है लेकिन कानून वापसी के निर्णय के बाद भी समीक्षा का दौर जारी रहेगा। बहुसंख्यक किसानों वाले देश में कृषि और किसानों का भरोसे में लिए बगैर किसी ठोस नीति के अमल लाने की कल्पना भविष्य में भी कोई सरकार शयद ही कर पाए। ये भी पढ़े : तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान,पीएम ने किसानों को दिया बड़ा तोहफा

कानून रद्द करने की क्या होगी प्रक्रिया

—जिस कानून को रद्द करना होता है उसका एक प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजा जाता है। —कानून मंत्रालय सारे कानूनी पहलुओं की जांच परख एवं अध्ययन करता है। —जिस मंत्रालय से संबंधित कानून होता है वह मंत्रायल उसे वापस लिए जाने संबंधी बिल सदन में पेश करता है। —बिल पर सदन में बहस और बहस के बाद मतदान कराया जाएगा। कानून वापसी के समर्थन में ज्यादा मत पड़ने पर उसे वापस लिया जाएगा। —सदन में प्रस्ताव पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के माध्यम से कानून रद्द करने की अधिसूचना जारी होगी।

संयुक्त किसान मोर्चा ने किया स्वागत

संयुक्त किसान मोर्चा ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के प्रधानमंत्री के निर्णय का स्वागत किय है। मोर्चा घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा। यदि ऐसा होता है तो यह भारत में एक साल के किसान संघर्ष की ऐतिहासिक जीत होगी। बसपा सुप्रीमो मायावती एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकार को यह निर्णय काफी पहले लेना चाहिए था ताकि देश अनेक प्रकार के झगड़ों से बच जाता ।
पाकिस्तान को टमाटर और प्याज निर्यात करेगा भारत

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भीषण बाढ़ की वजह से पाकिस्तान में दिनोंदिन हालात खराब होते जा रहे हैं। इस दौरान पूरे देश में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। भीषण बाढ़ आने के बाद पूरे देश में लगभग 1000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जबकि कई लाख लोग बाढ़ की वजह से प्रभावित हुए हैं। फिलहाल लगभग आधा देश बाढ़ की चपेट में है, जिससे सरकार ने पूरे देश में आपातकाल की घोषणा की है। अनुमानों के मुताबिक़ पाकिस्तान को इस बाढ़ की वजह से लगभग 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान झेलना होगा। बाढ़ की स्थिति को देखते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय मदद की गुहार लगाई है। इस मामले में कई देश पाकिस्तान की मदद कर भी रहे हैं। हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को बाढ़ रिलीफ फंड के नाम पर 30 मिलियन डॉलर की मदद दी है। इसके अलावा आपदा की इस घड़ी में कई यूरोपीय देशों के अतिरिक्त दुनियाभर के अन्य देश पाकिस्तान की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ितों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। पाकिस्तान में बाढ़ की वजह से बहुत सारे लोग बेघर हो गये हैं। बाढ़ में उनका सामान या तो पानी के साथ बह गया है या खराब हो गया है, ऐसे में पूरे पाकिस्तान में चीजों के दामों में तेजी से इन्फ्लेशन (Inflation) देखने को मिल रहा है। वस्तुओं की कीमतें रातों रात आसमान छूने लगी हैं।


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ऐसे में खाने पीने की चीजों से लेकर सब्जियों के भी दाम आसमान छूने लगे हैं। पाकिस्तान के सिंध और बलूचिस्तान प्रांत में लगातार तीन महीने से हो रही बरसात ने सब्जियों की खेती को तबाह कर दिया है। इससे लाहौर के बाजार में टमाटर 500 रुपये प्रति किलो, जबकि प्याज 400 पाकिस्तानी रुपये प्रति किलो बिक रही है। पाकिस्तान में सब्जियों के दाम लगातार आसमान की ओर जा रहे हैं, ऐसे में पाकिस्तान की मौजूदा सरकार ने भारत से टमाटर और प्याज आयात करने का मन बनाया है, ताकि देश में बढ़ती हुई सब्जियों की कीमतों में लगाम लगाई जा सके। दक्षिण भारत में और इसके साथ ही पहाड़ी राज्यों में अगस्त-सितम्बर में टमाटर की फसल की जमकर पैदावार होती है। ऐसे में अगर भारत सरकार टमाटर और प्याज के निर्यात का फैसला करती है, तो देश में किसानों को टमाटर और प्याज के अच्छे दाम मिल सकते हैं। साथ ही देश में टमाटर और प्याज की गिरती हुई कीमतों को रोका जा सकेगा।


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पाकिस्तान पहले से ही अपनी ज्यादातर खाद्य चीजों का आयात करता रहा है। गेहूं से लेकर चीनी तक के लिए पाकिस्तान दूसरे देशों पर निर्भर है। ब्राजील पाकिस्तान में चीनी का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। इसी प्रकार प्याज और टमाटर, पाकिस्तान कुछ दिनों पहले तक अफगानिस्तान से खरीद रहा था। लेकिन बलूचिस्तान और सिंध में आई बाढ़ ने पाकिस्तान में प्याज और टमाटर की मांग को बढ़ा दिया है। इसकी आपूर्ति अकेले अफगानिस्तान नहीं कर पायेगा। इसलिए अब पाकिस्तान की सरकार इस मामले में भारत से आस अलगाये हुए है, ताकि भारत पाकिस्तान की जरुरत का प्याज और टमाटर पाकिस्तान को निर्यात करे, जिससे देश में प्याज और टमाटर की कमी न होने पाए और इन चीजों के भाव नियंत्रण में रहें।
जाने आलू उगाने की नई ‘56 इंच’ तकनीक, एक एकड़ में उगाएं 200 क्विंटल फसल

जाने आलू उगाने की नई ‘56 इंच’ तकनीक, एक एकड़ में उगाएं 200 क्विंटल फसल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय को दोगुना करने का एक मिशन बनाया है, जिसके तहत किसानों को नई तरीके से फसल उगाने और अलग अलग तरह की फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। केला और टमाटर के बाद अब आलू के उत्पादन में भी बाराबंकी के पद्मश्री किसान राम सरन वर्मा क्रांति ला रहे हैं। वह 56 इंच की बेड बनाकर एक एकड़ में 200 क्विंटल से अधिक आलू का उत्पादन कर रहे हैं। राम सरन वर्मा की यह नई तकनीक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय दोगुना करने के मिशन में मील का पत्थर भी साबित हो रहा है। साथ ही इस तकनीक में पानी की मात्रा भी काफी कम लगती है, तो बहुत ज्यादा सिंचाई की जरूरत भी नहीं पड़ती है।

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क्या है आलू उगाने की 56 इंच तकनीक

सामान्य तौर पर आलू उगाने के लिए अलग-अलग क्यारियां बनाई जाती हैं और उसमें आलू को लगा देने के बाद नालियां बनाई जाती हैं। इस तकनीक में एक क्यारी में एक बीज ही पड़ता है और जिसकी मोटाई करीब 12 से 14 इंच रहती है। इस तकनीक के तहत बहुत ज्यादा आलू नहीं उगाए जा सकते हैं और अगर 1 एकड़ की बात की जाए तो उसमें सिर्फ 100 से 120 क्विंटल आलू की ही पैदावार हो पाती है। लेकिन इन सबसे अलग बाराबंकी के पद्मश्री किसान राम सरन वर्मा ने 56 इंच चौड़ी बेड बनाकर उसमें आलू की दो लाइन की बोआई की है। बेड की चौड़ाई उन्होंने 56 इंच रखी है और इसलिये इसका नाम भी उन्होंने 56 इंच तकनीक दिया है। इसके अलावा इस तकनीक का एक बहुत बड़ा फायदा यह है, कि इसमें भले ही बारिश हो या किसी भी तरह की प्राकृतिक स्थिति उत्पन्न हो जाए इससे फसल को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है।


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40% तक बढ़ा है उत्पादन

रामसरन का कहना है, कि पिछले साल के मुकाबले आलू का उत्पादन लगभग 40% तक बढ़ गया है। इसमें फसल को ज्यादा नुकसान भी नहीं होता है इसलिए उत्पादन अच्छा खासा रहता है और मुनाफा भी बढ़िया बन जाता है। सूत्रों से पता चला है, कि राम सरन वर्मा ने इस नई तकनीक से 180 एकड़ में आलू की बुआई की है, जिसमें उन्होंने एक एकड़ में 40 ग्राम के 40 हजार आलू के बीज डाले हैं। सामान्यतः किसान एक बीघा जमीन में दो बोरी भी डाल देते हैं, लेकिन इस तकनीक के माध्यम से एक बोरी में ही काम चल जाता है। रामसरन की सलाह के अनुसार अच्छी पैदावार के लिए किसानों को 25 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच बुआई कर लेनी चाहिए।
जानिये PMMSY में मछली पालन से कैसे मिले लाभ ही लाभ

जानिये PMMSY में मछली पालन से कैसे मिले लाभ ही लाभ

खेती किसानी में इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (Integrated Farming System) या एकीकृत कृषि प्रणाली के चलन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें किसानों को परंपरागत किसानी के अलावा खेती से जुड़ी आय के अन्य विकल्पों को अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। मछली पालन भी इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (Integrated Farming System) का ही एक हिस्सा है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना

इस प्रोत्साहन की कड़ी में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana)(PMMSY) भी, किसान की आय में वृद्धि करने वाली योजनाओं में से एक योजना है। इस योजना का लाभ लेकर किसान मछली पालन की शुरुआत कर अपनी कृषि आय में इजाफा कर सकते हैं। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना क्या है, किस तरह किसान इस योजना का लाभ हासिल कर सकता है, इस बारे में जानिये मेरी खेती के साथ। केंद्र और राज्य सरकार की प्राथमिकता देश के किसानों की आय में वृद्धि करने की है। 

खेती, मछली एवं पशु पालन के अलावा जैविक खाद आदि के लिए सरकार की ओर से कृषक मित्रों को उपकरण, सलाह, बैंक ऋण आदि की मदद प्रदान की जाती है। किसानों की आय को बढ़ाने में मछली पालन (Fish Farming) भी अहम रोल निभा सकता है। ऐसे में आय के इस विकल्प को भी किसान अपनाएं, इसलिए सरकारों ने मछली पालन मेें किसान की मदद के लिए तमाम योजनाएं बनाई हैं।

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के शुभारम्भ अवसर पर प्रधानमंत्री का सम्बोधन

कम लागत में तगड़ा मुनाफा पक्का

मछली पालन व्यवसाय में स्थितियां अनुकूल रहने पर कम लागत में तगड़ा मुनाफा पक्का रहता है। किसान अपने खेतों में मिनी तालाब बनाकर मछली पालन के जरिए कमाई का अतिरिक्त जरिया बना सकते हैं। मछली पालन के इच्छुक किसानों की मदद के लिए पीएम मत्स्य संपदा योजना बनाई गई है। इस योजना का लाभ लेकर किसान मछली पालन के जरिए अपनी निश्चित आय सुनिश्चित कर सकते हैं।

PMMSY के लाभ ही लाभ

पीएमएमएसवाय (PMMSY) यानी प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में किसानों के लिए फायदे ही फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा ये है कि, इसमें पात्र किसानों को योजना में सब्सिडी प्रदान की जाती है। सब्सिडी मिलने से योजना से जुड़ने वाले पर धन की उपलब्धता का बोझ कम हो जाता है। खास तौर पर अनुसूचित जाति से जुड़े हितग्राही को अधिक सब्सिडी प्रदान की जाती है। इस वर्ग के महिला और पुरुष किसान हितग्राही को PMMSY के तहत 60 फीसदी तक की सब्सिडी प्रदान की जाती है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से जुड़ने वाले अन्य वर्ग के किसानों के लिए 40 फीसदी सब्सिडी का प्रबंध किया गया है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना लोन, वो भी प्रशिक्षण के साथ

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली पालन की शुरुआत करने वाले किसानों को सब्सिडी के लाभ के साथ ही मत्स्य पालन के बारे में प्रशिक्षित भी किया जाता है। अनुभवी प्रशिक्षक योजना के हितग्राहियों को पालन योग्य मुफाकारी मछली की प्रजाति, मत्स्य पालन के तरीकों, बाजार की उपलब्धता आदि के बारे में प्रशिक्षित करते हैं।

कैसे जुड़ें PMMSY योजना से

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत लाभ लेने के इच्छुक किसान मित्र पीएम किसान योजना की अधिकृत वेबसाइटपर आवेदन कर सकते हैं। और अधिक जानकारी के लिए, भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट को देखें : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मात्स्यिकी विभाग  मत्स्य पालन विभाग (Department of Fisheries) - PMMSY पीएम मत्स्य संपदा योजना के साथ किसान नाबार्ड से भी मदद जुटा सकता है। मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए लागू पीएम मत्स्य संपदा योजना के अलावा, किसान हितग्राही को मछली पालन का व्यवसाय शुरू करने के लिए सस्ती दरों पर बैंक से लोन दिलाने में भी मदद की जाती है।

आधुनिक तकनीक से बढ़ा मुनाफा

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से जुड़े झारखंड के कई किसानों की आय में उल्लेखनीय रूप से सुधार हुआ है। राज्य के कई किसान इस योजना के तहत बॉयोफ्लॉक (Biofloc) और आरएएस (Recirculating aquaculture systems (RAS)) जैसी आधुनिक तकनीक अपनाकर मछली पालन से भरपूर मुनाफा कमा रहे हैं। राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (NATIONAL FISHERIES DEVELOPMENT BOARD), भारत सरकार द्वारा जारी लेख "जलकृषि का आधुनिक प्रचलन : बायोफ्लॉक मत्स्य कृषि" की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिये, यहां क्लिक करें - बायोफ्लॉक मत्स्य कृषि 

पीएम मत्स्य संपदा योजना में किसानों को रंगीन मछली पालन के लिए भी अनुदान की मदद प्रदान की जाती है। साथ ही नाबार्ड भी टैंक या तालाब निर्माण के लिए 60 फीसदी अनुदान प्रदान करता है।

ऐसे सुनिश्चित करें मुनाफा

खेत में मछली पालन का जो कारगर तरीका इस समय प्रचलित है वह है तालाब या टैंक में मछली पालन। इन तरीकों की मदद से किसान मुख्य फसल के साथ ही मत्स्य पालन से भी कृषि आय में इजाफा कर सकते हैं। मत्स्य पालन विशेषज्ञों के मान से 20 लाख की लागत से तैयार तालाब या टैंक से किसान बेहतरीन कमाई कर सकते हैं।

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विशेषज्ञों के अनुसार मछली पालन में अधिक कमाई के लिए किसानों को फीड आधारित मछली पालन की विधि को अपनाना चाहिए। इस तरीके से मछलियों की अच्छी बढ़त के साथ ही वजन भी बढ़िया होता है। यदि मछली की ग्रोथ और वजन बढ़िया हो तो किसान की तगड़ी कमाई भी निश्चित है। प्रचलित मान से किसान को एक लाख रुपए के मछली के बीज पर पांच से छह गुना ज्यादा लाभ मिल सकता है। किसान बाजार में अच्छी मांग वाली मछलियों का पालन कर भी अपनी नियमित कमाई में यथेष्ठ वृद्धि कर सकते हैं। किसानों को पंगास या मोनोसेक्स तिलापिया प्रजाति की मछलियों का पालन करने की सलाह मत्स्य पालन के विशेषज्ञों ने दी है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना

प्रधानमंत्री किसान योजना ने देश के प्रत्येक किसान को न केवल आय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है, बल्कि प्रत्येक किसान को विश्वास प्रदान किया है। 

भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार योजना में 85 मिलियन किसानों ने पंजीकरण कराया है और पहली किस्त में ही लगभग 65 मिलियन किसानों को 3.5 बिलियन डॉलर की राशि अंतरित की गई है। 

आय सहायता योजना ने किसानों की मदद की है, क्योंकि प्रारंभिक किस्त में लगभग 1.1 मिलियन किसानों के खाते में पांच सौ रुपये से कम की राशि थी और प्रधानमंत्री किसान योजना के माध्यम से जमा कराई गई 2000 रुपये की राशि की पहले दिन ही निकासी की गई। 

राज्य सरकारों द्वारा लाभार्थियों की पहचान की जा रही है और यह सौ प्रतिशत केन्द्र प्रायोजित योजना है। इसके तहत छोटे और मझौले किसान परिवारों को प्रति वर्ष 6000 रुपये का आय समर्थन दिया जा रहा है।

सभी किसान योजना के हकदार   

Govt policies

सरकार ने किसानों के लिए बड़ा फैसला लिया है। मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का दायरा बढ़ा दिया है। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के अपने संकल्प पत्र में इसके विस्तार का वादा किया था। 

इस स्कीम के तहत खेती-किसानी के लिए सालाना 6000 रुपए तीन किस्तों में मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम अब देश के सभी 14.5 करोड़ किसान परिवारों के लिए लागू हो गई है। 

24 फरवरी 2019 को जब प्रधानमंत्री ने इसकी शुरुआत की थी तब सिर्फ यह सिर्फ 12 करोड़ किसानों के लिए ही थी, क्योंकि इस पर 2 हेक्टेयर यानी 5 एकड़ तक जमीन होने की शर्त थी, लेकिन अब इस शर्त को सरकार ने हटा दिया है और अब सभी किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। फिर भी कुछ शर्तें लागू रहेंगी, ताकि इसका लाभ असली किसानों तक ही पहुंचे। 

तीन किस्तों में हर साल किसानों को मिलेंगे 6000 रुपए  

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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का ऐलान पीएम मोदी सरकार के अंतरिम बजट के दौरान किया गया था। योजना के तहत देश के छोटे किसानों को सीधे उनके बैंक खाते में हर साल 6000 रुपए की सहायता राशि दी जाएगी।

यह योजना 1 दिसंबर 2018 से पूरे देश में लागू हो चुकी है। योजना के तहत पहले कमजोर किसान परिवार, जिनके पास 2 हेक्टेयर या उससे कम जमीन है तो उन्हें 6000 रुपए प्रति वर्ष दर से सहायता दिए जाने का फैसला लिया था लेकिन अब इसमें सभी किसानों को इस योजना का लाभ मिलेगा। 

सरकार सीधे किसनों के बैंक खाते में पैसे डालेगी। इस योजना की पहली किस्त 2.25 करोड़ किसानों को मिल भी चुकी है। सरकार ने योजना के लिए 75,000 करोड़ रुपए आवंटित किए थे। 

कैसे करें आवेदन  

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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ लेने के लिए आपको ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करना पड़ेगा। किसानों को इसके लिए सबसे पहले कृषि विभाग में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, प्रशासन उसका वेरीफिकेशन करेगा।

रेवेन्यू रिकॉर्ड, बैंक अकाउंट नंबर, मोबाइल नंबर और आधार नंबर देना होगा। कोई कन्फ्यूजन है तो अपने लेखपाल से संपर्क कर सकते हैं। लेखपाल ही यह वेरीफाई करता है कि आप किसान हैं। 

अगर लेखपाल और कृषि अधिकारी किसी असली किसान को इसका लाभ देने में आनाकानी कर रहे हैं तो सोमवार से शुक्रवार तक पीएम-किसान हेल्प डेस्क (PM-KISAN Help Desk) के ई-मेल Email (pmkisan-ict@gov.in) पर संपर्क कर सकते हैं। 

वहां से भी न बात बने तो इस सेल के फोन नंबर 011-23381092 (Direct HelpLine) पर फोन करें। आॉनलाइन आवेदन करते समय किसान को अपना आधार कार्ड नंबर, मतदाता पहचान पत्र और बैंक से संबंधित यानी कि बैंक खाता संख्या पास होना जरूरी है। 

इसके अलावा अगर किसान एससी/एसटी वर्ग से है तो उसके लिए उसे सर्टिफिकेट देना होगा। इसके बाद आपको अपनी जानकारी देने होगी जैसे कि पिता का नाम, मोबाइल नंबर, जन्मतिथि, खेती की जानकारी जैसे- खेत का आकार, कितनी जमीन है आदि। 

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का ऑफलाइन आवेदन करने के लिए किसानों को ग्राम पंचायत या फिर पास के जनसेवा केन्द्र पर जाना होगा। यहां आपको फार्म दिए जाएंगे, जिन्हें आपको भरना होगा। 

कैसे पता चलेगा कि आपका नाम रजिस्टर हो चुका है

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का फार्म भरने के बाद जो भी लाभकारी किसान हैं, उनके नामों की लिस्ट पंचायत पर लगाई जाएगी। इसके अलावा जिन किसानों को उसका लाभ मिलना है उनके मोबाइल पर भी एसएसएस भेजा जाएगा। 

किन्हें योजना से रखा गया वंचित 

केंद्र या राज्य सरकार में अधिकारी (मल्टी टास्किंग स्टाफ/चतुर्थ श्रेणी/समूह डी कर्मचारियों को छोड़कर) एवं 10 हजार से अधिक पेंशन पाने वाले किसानों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। 

इसके अलावा अन्य पेशेवर जैसे डॉक्टर, वकील आदि अगर खेती करते हैं तो वे भी लाभ के लिए योग्य नहीं हैं। इसके साथ ही पिछले वित्तीय वर्ष में जिन्होंने इनकम टैक्स दिया है वे भी इसका लाभ नहीं उठ सकते हैं। 

वहीं जो सांसद, विधायक, मंत्री या फिर मेयर खेती करते हैं उनको भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा।  

कैबिनेट ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अंतर्गत लाभार्थियों के बैंक खाते आधार से जोड़ने की अनिवार्यता में छूट प्रदान करने को मंजूरी दी

कैबिनेट ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अंतर्गत लाभार्थियों के बैंक खाते आधार से जोड़ने की अनिवार्यता में छूट प्रदान करने को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक मे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के अंतर्गत लाभार्थियों के बैंक खाते आधार से जोड़ने की अनिवार्यता में छूट दिये जाने की मंजूरी दी। इस योजना के अंतर्गत कुछ अपवादों को छोड़कर जोत वाले किसान परिवारों की आय में 6,000 रूपये की सालाना सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत हर चार महीने पर 2,000-2,000 रूपये की तीन किस्तें प्रदान की जाती हैं। यह धनराशि डीबीटी माध्यम से लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे जमा कराई जाती है।

 

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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि 

 इस योजना के तहत 1 अगस्त, 2019 के बाद उन लाभार्थियों को तीसरी किस्त जारी की गई, जिन्हें दिसम्बर, 2018- मार्च, 2019 के दौरान पहली किस्त प्राप्त हुई थी तथा अप्रैल-जुलाई, 2019 को उन लाभार्थियों को दूसरी किस्त प्राप्त हुई थी। यह धनराशि केवल बैंक खातों के आधार संख्या से जुड़े होने के आधार पर जारी की गई थी। इसी तरह 1 अगस्त, 2019 के बाद उन लोगों को दूसरी किस्त जारी की गई, जिन्हें अपनी पहली किस्त अप्रैल-जुलाई, 2019 को केवल बैंक खातों के आधार संख्या से जुड़े होने के आधार पर प्राप्त हुई थी। शेष लाभार्थियों को 1 अगस्त, 2019 को पहली किस्त केवल बैंक खातों के आधार संख्या से जुड़े होने के आधार पर दी जानी थी। असम, मेघालय और जम्मू कश्मीर के किसान, जहां आधार की व्यापक पैठ संभव नहीं हो सकी है, उन्हें 31 मार्च, 2020 तक इस आवश्यकता से छूट प्रदान की गई है।

  प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि 

 हालांकि 1 अगस्त, 2019 के बाद किस्त जारी करने के निर्धारित समय के अनुसार धनराशि जारी करने के लिए 100 प्रतिशत खातों को आधार से जोड़ा जाना संभव नहीं हो सका है। अब जबकि किसान रबी के मौसम की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में उन्हें कृषि से जुड़े अनेक कार्यों जैसे बीजों के खरीद, मिट्टी की तैयारी और सिंचाई जैसी संबंधित गतिविधियों, मशीनों और उपकरणों के रख-रखाव के लिए धन की नितांत आवश्यकता है। इन आवश्यकताओं के साथ-साथ, हाल ही में शुरू हुआ त्यौहारों का मौसम भी गरीब किसान परिवारों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालेगा। आधार संख्या के साथ लाभार्थियों के खाते को  जोड़े नहीं जा सकने के कारण अगली किस्तों के जारी होने में विलंब होगा और इससे किसानों में असंतोष फैलेगा। इसलिए 1 अगस्त, 2019 के बाद लाभार्थियों को लाभ जारी करने के लिए बैंक खातों के आधार संख्या से जुड़े होने की अनिवार्यता में 30 नवंबर, 2019 तक छूट प्रदान की गई है। इससे बड़ी संख्या में उन किसानों को तत्काल धनराशि जारी की जा सकेगी, जो इस अनिवार्यता की वजह से यह लाभ प्राप्त नहीं कर सकते हैं। लाभ जारी करने के लिए यह अनिवार्यता 1 दिसम्बर, 2019 के बाद से लागू हो जाएगी। सरकार भुगतान करने से पहले इस आंकड़े की वैद्यता के लिए उचित उपाय करेगी।

 

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि 

 केन्द्रीय क्षेत्र की योजना यथा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत कुछ अपवादों को छोड़कर जोत वाले किसान परिवारों की आय में 6,000 रूपये की सालाना सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत हर चार महीने पर 2,000 रूपये की तीन किस्तें प्रदान की जाती हैं। यह धनराशि डीबीटी माध्यम से लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे जमा कराई जाती है। इस योजना के अंतर्गत कुल 27,000 करोड़ रूपये से अधिक धनराशि जारी की जा चुकी है। पहली किस्त 6,76,76,073 लाभार्थियों को, दूसरी किस्त 5,14,27,195 लाभार्थियों को और तीसरी किस्त 1,74,20,230 को जारी की जा चुकी है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत लगभग 42 करोड़ गरीबों को 53,248 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मिली. 1.70 लाख करोड़ रुपये के प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के हिस्से के रूप में सरकार ने महिलाओं और गरीब वरिष्ठ नागरिकों एवं किसानों को मुफ्त अनाज देने और नकद भुगतान करने की घोषणा की। इस पैकेज के त्‍वरित कार्यान्वयन पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा निरंतर पैनी नजर रखी जा रही है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) के तहत लगभग 42 करोड़ गरीबों को 53,248 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मिली। पीएमजीकेपी के विभिन्न घटकों के तहत अब तक हासिल की गई प्रगति इस प्रकार है:

  • 16394 करोड़ रुपये पीएम-किसान की पहली किस्त के भुगतान के लिए 8.19 करोड़ लाभार्थियों के खाते में डाले गए।
  • 10029 करोड़ रुपये पहली किस्त के रूप में 20.05 करोड़ (98.33%) महिला जन धन खाताधारकों के खाते में डाले गए।पीएमजेडीवाई की महिला खाताधारकों की संख्या, जिनके खातों से पहली किस्त के तहत ग्राहक प्रेरित लेन-देन द्वारा डेबिट किया गया है, 8.72 करोड़ (44%) है। 10,315 करोड़ रुपये दूसरी किस्त के तहत 20.62 करोड़ (100%) महिला जन धन खाताधारकों के खाते में डाले गए। पीएमजेडीवाई की महिला खाताधारकों की संख्या, जिनके खातों से दूसरी किस्त के तहत ग्राहक प्रेरित लेन-देन द्वारा डेबिट किया गया है, 9.7 करोड़ (47%) है।
  • कुल 2814.5 करोड़ रुपये लगभग 2.81 करोड़ वृद्ध व्यक्तियों, विधवाओं और दिव्‍यांगों को दो किस्तों में वितरित किए गए।सभी 2.81 करोड़ लाभार्थियों को दो किस्तों में लाभ हस्तांतरित किए गए।
  • 2.3 करोड़ भवन और निर्माण श्रमिकों को कुल 4312.82 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्राप्त हुई।
  • अब तक 101 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न 36 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अप्रैल के लिए उठाया गया है.36.93 एलएमटी खाद्यान्न का वितरण किया गया है, जिसके तहत अप्रैल 2020 के लिए 36 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 73.86 करोड़ लाभार्थियों को कवर किया गया है।32.92 एलएमटी खाद्यान्न का वितरण किया गया है, जिसमें 35 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा मई 2020 के लिए 65.85 करोड लाभार्थियों को कवर किया गया है।  3.58 एलएमटी खाद्यान्न का वितरण किया गया है जिसमें जून 2020 के लिए 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 7.16 करोड़ लाभार्थियों को कवर किया गया है।  5.06 एलएमटी दालें भी विभिन्न राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में भेजी गई हैं।कुल 1.91 एलएमटी दलहनों को अब तक 19.4 करोड़ पारिवारिक लाभार्थियों में से 17.9 करोड़ पारिवारिक लाभार्थियों को वितरित किया गया है।
  • कुल 9.25 करोड़ पीएमयूवाई सिलेंडर इस योजना के तहत अब तक बुक किए गए हैं और 8.58 करोड़ पीएमयूवाई मुफ्त सिलेंडर पहले ही लाभार्थियों को वितरित किए जा चुके हैं।
  • ईपीएफओ के 16.1 लाख सदस्यों ने ईपीएफओ खाते से गैर-वापसी योग्य अग्रिम की ऑनलाइन निकासी का लाभ उठाया है, जो कुल 4725 करोड़ रुपये  है।
  • मनरेगा के लिए बढ़ी हुई दर को 01-04-2020 से अधिसूचित किया गया है। चालू वित्त वर्ष में 48.13 करोड़ मानव कार्य दिवस सृजित किए गए.इसके अलावा, मजदूरी और सामग्री दोनों के ही लंबित बकाये को समाप्त करने के लिए राज्यों को 28,729 करोड़ रुपये जारी किए गए।
  • 24% ईपीएफ अंशदान 59.23 लाख कर्मचारियों के खाते में हस्तांतरित किया गया, जो कुल 895.09 करोड़ रुपये है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज02/06/2020 तक कुल प्रत्यक्ष लाभ हस्‍तांतरण  योजनालाभार्थियोंकीसंख्याधनराशि पीएमजेडीवाई की महिला खाताधारकों को सहायता पहली किस्‍त - 20.05 करोड़ (98.3%) दूसरी किस्‍त –20.63 करोड़ पहली किस्‍त  - 10029 करोड़ दूसरी किस्‍त  – 10315 करोड़ एनएसएपी के लिए सहायता (वृद्ध विधवा, दिव्यांग, वरिष्ठ नागरिक) 2.81  करोड़ (100%) पहली किस्‍त -  1407 करोड़ दूसरी किस्‍त  – 1407 करोड़ पीएम-किसान के तहत किसानों के खातों में धनराशि डाली गई 8.19 करोड़ 16394 करोड़ भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों को सहायता 2.3 करोड़ 4313 करोड़ ईपीएफ में 24% अंशदान .59 करोड़ 895 करोड़ उज्ज्वला पहली किस्‍त  – 7.48 दूसरी किस्‍त – 4.48 8488 करोड़ कुल42  करोड़ 53248 करोड़  

 
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत राज्य सरकारों को 4000 करोड़ रुपये आवंटित  

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत राज्य सरकारों को 4000 करोड़ रुपये आवंटित  

कृषि,सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग ‘‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का घटक ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ (पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी)’’ कार्यान्वित कर रहा है। 

पीएमकेएसवाई- पीडीएमसी के तहत सूक्ष्म सिंचाई प्रौद्योगिकियों यथा ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के माध्‍यम से खेत स्तर पर जल उपयोग की क्षमता बढ़ाने पर फोकस किया जाता है। 

ड्रिप सूक्ष्म सिचाई तकनीक से न केवल जल की बचत करने में, बल्कि उर्वरक के उपयोग, श्रम खर्च और अन्य कच्‍चे माल की लागत को कम करने में भी मदद मिलती है।

चालू वर्ष के लिए 4000 करोड़ रुपये का वार्षिक आवंटन पहले ही हो गया है और राज्य सरकारों को सूचित कर दिया गया है। 

राज्य सरकारों ने इस कार्यक्रम के तहत कवर किए जाने वाले लाभार्थियों की पहचान कर ली है।वर्ष 2020-21 के लिए कुछ राज्यों को फंड जारी करने की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है। 

 इसके अलावा, नाबार्ड के साथ मिलकर 5000 करोड़ रुपये का सूक्ष्म सिचाई कोष बनाया गया है। इस कोष का उद्देश्य राज्यों को विशेष सिंचाई और अभिनव परियोजनाओं के माध्यम से सूक्ष्म सिचाई की कवरेज के विस्तार के लिए आवश्‍यक संसाधन जुटाने में सुविधा प्रदान करना है। 

इसका एक अन्‍य उद्देश्‍य किसानों को सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियां स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी के तहत उपलब्ध प्रावधानों से परे सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देना है। 

ब तक नाबार्ड के माध्यम से आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु को सूक्ष्म सिचाई कोष से क्रमश: 616.14 करोड़ रुपये और 478.79 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। 

इन परियोजनाओं के अंतर्गत कवर किया गया क्षेत्र आंध्र प्रदेश में 1.021 लाख हेक्टेयर और तमिलनाडु में 1.76 लाख हेक्टेयर है। 

 पिछले पांच वर्षों (2015-16 से 2019-20 तक) के दौरान 46.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी के माध्यम से सूक्ष्म सिंचाई के तहत कवर किया गया है।