किसान उड़ान योजना से विकसित हो रही ये सुविधाएं : बदल रही पूर्वोत्तर के किसानों की तस्वीर और तक़दीर

कृषि उत्पादों के निर्यात में पूर्वोत्तर की हिस्सेदारी आज कल काफी चर्चा में है । पूर्वोत्तर में हार्टिकल्चर (उद्यान विज्ञान या औद्यानिकी, Horticulture), फ्लोरिकल्चर (Flower Farming) व आर्गेनिक उत्पादों के निर्यात की पर्याप्त एवम बेहतर संभावनाएं दिख रही है। बुनियादी ढांचे को एग्री इंफ्रा फंड से विकसित करने पर लगातार जोर दिया जा रहा है। भारतीय कृषि उत्पादों का विश्व बाजार में वर्चस्व बढ़ाने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों की हिस्सेदारी पर जोड़ दिया जा रहा है। गुणवत्ता के कारण यहां के कृषि उत्पादों का स्थानीय बाजार के साथ-साथ निर्यात बाजार में भी भारी मांग है। पूर्वोत्तर राज्यों में विशेष तरह के गुण वाले फसलों की खेती होती है, जिसकी निर्यात यहां के किसानों की तक़दीर बदल सकती है।

विकसित हो रही है उन्नत खेती की टेक्नोलॉजी

केंद्र सरकार के द्वारा इसके लिए विशेष हस्तलिपि तैयार किया गया है, जिसके एक हिस्से को लागू भी कर दिया गया है। पूर्वोत्तर के राज्यों की कृषि निर्यात को दोगुना करने में अहम भूमिका हो सकती है। उत्पादों की गुणवत्ता का बुनियादी ढांचा को जोर शोर से विकसित किया जा रहा है। इन राज्यों में विश्वस्तरीय फलों व फूलों की खेती की संभावना को देखते हुए यहां उन्नत खेती की टेक्नोलॉजी और निर्यात के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को भी विकसित किया जा रहा है।

आर्गेनिक कृषि उत्पादों को दिया जा रहा है विशेष बढ़ावा

आर्गेनिक कृषि उत्पादों को कृषि मंत्रालय के द्वारा विशेष बढ़ावा दिया जा रहा है। इन उत्पादों के सर्टिफिकेशन से लेकर भंडारण और लॉजिस्टिक की सुविधाएं को विकसित करने पर जोड़ दिया जा रहा हैं। एग्रीकल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का इसमें अहम योगदान है। किसान रेल की तर्ज पर इन राज्यों के लिए किसान उड़ान जैसी योजना विशेष लाभकारी साबित हो रही है।

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पूर्वोत्तर के राज्यों में निर्यात की है जोरदार संभावनाएं

अगर आंकड़ो पर गौर किया जाए तो असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम राज्यों की, देश की कुल सकल घरेलू उत्पाद में तीन फीसदी की हिस्सेदारी है। यहां निर्यात की पर्याप्त संभावनाएं है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव से यहां के उत्पादों का घरेलू बाजार में और निर्यात बाजार में पहुंचाना आसान नही है। इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाएं को तैयार किया हैं।

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पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की है अलग पहचान और खासियत

यहां के लगभग सभी राज्यों की अपनी अपनी अलग खासियतें हैं, जिसका उपयोग विश्व बाजार में अपना वर्चस्व और दबदबा कायम करने में कारगर साबित हो सकता है। सिक्किम की बड़ी इलायची, असम की कार्बी एनग्लांग अदरक, नागा मिर्च, मिजोरम की ब‌र्ड्स आई चिल्ली, हथेई चिल्ली और डल्ले खुर्सानी जैसे उत्पादों की माँग घरेलू बाजार से लेकर निर्यात बाजार में भी है।