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Rajasthan ka krishi budget: किसानों के लिए बहुत कुछ है राजस्थान के कृषि बजट में

Rajasthan ka krishi budget: किसानों के लिए बहुत कुछ है राजस्थान के कृषि बजट में

13 महीनों तक चले किसान आंदोलन ने यह साबित किया कि अब सरकारों को उनकी तरफ ध्यान देना होगा अन्यथा सरकारें चल नहीं पाएंगी। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चल रहे चुनावों के मद्देनजर ही, डैमेज कंट्रोल करने के वास्ते प्रधानमंत्री को तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े। यह वापसी इसलिए हुई क्योंकि देश भर के किसान एकजुट हो गए थे। किसानों की एकता का ही यह परिणाम था कि कानून वापस हुए और अब किसान अपने घरों पर हैं। लेकिन, इसके दूरगामी परिणाम को आपने देखा क्या। इसका दूरगामी परिणाम है, 23 फरवरी को राजस्थान में पेश किया गया कृषि बजट। जी हां, जब से राजस्थान बना है, तब से लेकर अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि बजट के बाद कोई कृषि बजट पेश किया गया हो। वह भी अलग से। पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था। राजस्थान में जो कृषि बजट पेश किया गया, वह किसानों के आंदोलन की ही परिणिति है, ऐसा मानना गलत नहीं होगा।

क्या है कृषि बजट में

अब बड़ा सवाल यह है कि इस किसान बजट में है क्या।

दरअसल, इस किसान बजट में कई व्यवस्थाएं दी गई हैं। इन व्यवस्थाओं को गौर से देखें तो समझ जाएंगे कि राजस्थान सरकार किसानों को लेकर कितनी चिंतित है। हां, सरकारी खजाने की अपनी एक सीमा होती है। कृषि ही सब कुछ नहीं होती पर कृषि को तवज्जो देकर सरकार ने एक सकारात्मक रुख का प्रदर्शन तो जरूर किया है। आइए समझें कि इस कृषि बजट में है क्या।

1. मुख्यमंत्री कृषक साथी का बजट बढ़ गया

दरअसल, 2021 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उद्योग क्षेत्र में चलाई जाने वाली योजना को कृषि क्षेत्र में, थोड़े परिवर्तन के साथ लागू कर दिया। अर्थात, अगर आप किसान हैं और कृषि कार्य करते हुए आपके साथ कोई हादसा हो गया तो इस योजना के तहत आपको दो से 5 लाख रुपये तक की तात्कालिक सहायता मिलेगी। यह योजना कई क्लाउजेज की व्याख्या करती है। जैसे, यदि आपकी एक अंगुली कट जाए तो सरकार आपको 5000 रुपये देगी। दो कट जाए तो 10000 रुपये, तीन कट जाए तो 15000 रुपये और चार कट जाए तो 20000 रुपये का भुगतान करेगी सरकार। ऐसे ही अगर आपकी पांचों अंगुलियां कट जाती हैं तो सरकार आपको 25000 रुपये देगी। इस योजना के लिए बीते साल के बजट में 2000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी। अब इसका दायरा बढ़ाने की गरज से सरकार ने इस योजना के लिए 5000 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है। धनराशि बढ़ाने को किसानों ने बेहद बढ़िया माना है।

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2. मुख्यमंत्री जैविक कृषि मिशन

कृषि बजट में सरकार ने घोषणा की है कि इसी सत्र से मुख्यमंत्री जैविक खेती मिशन शुरू कर दिया जाएगा। इसके तहत सरकार उन किसानों को ज्यादा लाभ देगी, जो शुद्ध रूप से जैविक केती के लिए तैयार होंगे। इस योजना के तहत, सरकार उन्हें आर्थिक पैकेज तो देगी ही, जरूरत पड़ी तो उनकी फसलों को भी खरीद लेगी। इसके लिए पहले 600 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। अगले बजट में इस धनराशि को बढ़ाया भी जा सकता है।

3. बीज उत्पादन एवं विपणन तंत्र की घोषणा

इस कृषि बजट में सरकार ने एक ऐसा तंत्र विकसित करने की घोषणा की, जिसके तहत सभी किसानों तक सरकारी योजनाएं पहुंच सकें। खास कर बीज और कृषि के अन्य अवयवों को सरकार एक साथ किसानों तक पहुंचाना चाहती है। सरकार का जोर इस बात पर ज्यादा है कि राज्य के कम से कम दो लाख छोटे किसानों तक मूंग, मोठ और उड़द के प्रमाणित बीजों के मिनी किट्स मुफ्त में उपलब्ध कराए जाएं। इन चीजों के लिए ही बीज उत्पादन एवं विपणन तंत्र की घोषणा की गई है। सरकार एक सिस्टम बनाना चाह रही है जिससे समय पर और सिस्टमेटिक रुप में किसानों तक कृषि संबंधित चीजों की डिलीवरी हो सके। इस किस्म का सिस्टम छत्तीसगढ़ में पहले से चल रहा है।

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4. राजस्थान भूमि उर्वरकता मिशन की घोषणा

इस कृषि बजट में सरकार ने राजस्थान भूमि उर्वरकता मिशन की घोषणा की। इस मिशन के तहत राजस्थान के किसान यह जान सकेंगे कि उनकी जो जमीन है, उसकी उर्वरक क्षमता क्या है। किस किस्म की खेती उन्हें कब और कैसे करनी चाहिए। अभी राजस्थान में सभी किसान परंपरागत खेती कर रहे हैं। इस मिशन के शुरू हो जाने के बाद माना जा रहा है कि खेती कार्य में विविधता आएगी। समय-समय पर जब मिट्टी की जांच होगी तो किसानों को यह एडवाइस भी दिया जाएगा कि इसकी उर्वरकता बढ़ाने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए।

5. दूध पर 5 रुपये प्रति लीटर अनुदान

राजस्थान सरकार ने अपने कृषि बजट में यह व्यवस्था की है कि जो भी किसान अपना दूध सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों को देंगे, उन्हें 5 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से अनुदान भी मिलेगा। यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि दूध सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों के माध्यम से राजस्थान भर में बिके। 

6. कर्ज की व्यवस्था

इस कृषि बजट में घोषणा की गई है कि सरकार वर्ष 2022 में किसानों को फसली ऋण भी देगी। यह फसली ऋण 20000 करोड़ की लिमिट के भीतर होगी। ऐसे लाभार्थी किसानों की संख्या इस साल के लिए पांच लाख तय की गई है। इतना ही नहीं, जो लोग कृषि कार्य से प्रत्यक्ष रुप से नहीं जुड़े हैं, उन्हें भी कर्ज दिया जाएगा। इस साल ऐसे परिवारों की संख्या एक लाख तय की गई है। कर्ज कितना मिलेगा, यह तय नहीं है पर मिलेगा जरूर। कुल मिलाकर, यह किसानों के भीतर हौसला बुलंद करने वाला बजट है। इसे अगर अमली जामा पहना दिया जाए तो राजस्थान के किसानों की स्थिति बेहद सुदृढ़ हो सकती है। जिस भाव से बजट पेश किया गया है, वह बेहतर है। उसी भाव से इस पर अमल हो तो किसानों का सच में भला हो जाएगा।

वित्त मंत्री सीतारमण ने बजट में किसानों के लिए क्या दिया है ?

वित्त मंत्री सीतारमण ने बजट में किसानों के लिए क्या दिया है ?


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज मोदी सरकार के द्वितीय कार्यकाल का अंतरिम बजट प्रस्तुत किया है। इस बजट में कृषि क्षेत्र पर भी काफी बल दिया गया है।

आज मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतरिम बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रस्तुत किया। जिसमें कई घोषणाएं की गईं, इस बजट में सभी का ध्यान रखने की कोशिश की गई है। कृषि क्षेत्र पर भी बजट में काफी फोकस किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि डेयरी किसानों के लिए एक व्यापक कार्यक्रम बनेगा।  

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि 11.8 करोड़ किसानों को सरकारी मदद दी गई है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम के माध्यम से करोड़ों किसानों को रकम सीधी ट्रांसफर की जा रही है। पीएम किसान योजना का देशभर के अन्नदाता लाभ पा रहा हैं। साथ ही पीएम फसल योजना का लाभ चार करोड़ किसानों को दिया जा रहा है।

कृषि क्षेत्र की ग्रोथ घटकर केवल 1.2 फीसदी हो गई है। इस कारण से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार के यूनियन बजट में कई उपायों का ऐलान किया है, जिससे कृषि क्षेत्र की उन्नति व विकास को बढ़ाया जा सके।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट संसद में पेश कर रहीं हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि देश में रोजगार के मौके बढ़ते जा रहे हैं। हमारी सरकार सर्वसमावेशी विकास कर रहे हैं। साल 2047 तक भारत एक विकसित राज्य बन जाएगा।

बजट में की गईं निम्नलिखित बड़ी घोषणाऐं 

टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं: वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि इस बार टैक्स स्लैब में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। पहले की तरह आयकर सीमा 7 लाख बनी रहेगी, जिससे नौकरीपेशा को कोई फायदा नहीं होगा।

फ्री बिजली का एलान: वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में एलान करते हुए कहा कि आने वाले समय में रूफटॉप सोलराइजेशन से 1 करोड़ परिवारों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि इससे मासिक 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि इससे 15,000 से 18,000 रुपये तक की बचत होने की उम्मीद है।

हाउसिंग स्कीम लाएगी सरकार: वित्त मंत्री ने हर गरीब को घर देने का एलान किया है। सीतारमण ने कहा कि किराए के मकानों, झुग्गियों या अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को अपना घर खरीदने के लिए सरकार नई हाउसिंग स्कीम लाएगी।

4 करोड़ मकानों का लक्ष्य होगा पूराः वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार हर गरीब को घर देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार 2 करोड़ घर गरीबों को सौंप चुकी है और 4 करोड़ घरों का लक्ष्य प्राप्त करने के नजदीक है। सीतारमण ने कहा कि हमारी सरकार ने 70 फीसद महिलाओं को घर देने का काम किया है।

मेडिकल कॉलेजों का होगा विस्तार: सीतारमण ने कहा कि सरकार मौजूदा अस्पताल के बुनियादी ढांचे का उपयोग कर अधिक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की योजना बना रही है। इसके लिए एक समिति का गठन किया जाएगा।

सर्वाइकल कैंसर के लिए टीकाकरण अभियान: सरकार सर्वाइकल कैंसर का खात्मा करने के लिए 9-14 वर्ष की लड़कियों के लिए टीकाकरण को प्रोत्साहित देगी।

आयुष्मान भारत का विस्तार: सभी आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों के लिए आयुष्मान भारत के तहत स्वास्थ्य देखभाल कवर का विस्तार हुआ है।

रक्षा खर्च बढ़ाः वित्त मंत्री ने कहा सरकार ने रक्षा खर्च को 11.1 फीसद तक बढ़ाया है, यह GDP का 3.4 फीसद होगा।

रेल होगी अपग्रेडः वंदेभारत स्तर के 40 हजार रेल डिब्बे बनाए जाएंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि ज्यादा भीड़ वाले रेल मार्गों के लिए 3 अलग कॉरिडोर बनाएं जाएंगे।

महिलाएं बनीं लखपतिः वित्त मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने 3 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने की योजना बनाई है और अभी तक एक करोड़ को लखपति बना दिया है।

MSP को छोड़ बहुत कुछ है किसानों के लिए इस बजट में

MSP को छोड़ बहुत कुछ है किसानों के लिए इस बजट में

अब गंगा के पांच किलोमीटर इलाके में आर्गेनिक खेती को बढ़ावा 2025 तक देश के सभी गांवों को आप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ा जाएगा ड्रोन के इस्तेमाल से खेती कराने की पेशकश, किसानों को फायदा होने का दावा कृषि विश्वविद्यालय खोलने के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहन टिकैत ने कहा, MSP पर तो कुछ बोला ही नहीं

कृषि विशेषज्ञ मानते हैं, खेती के लिए बेहतरीन बजट

मंगलवार को 2022-23 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों को लेकर कई बातें कीं। वैसे, माना यह जा रहा था कि 13 महीनों तक किसानों के विरोध के बाद सरकार दो कदम आगे बढ़ कर MSP पर कोई फैसला करेगी लेकिन इस पर कुछ हुआ नहीं। माना जा रहा था कि MSP बढ़ाई जाएगी और किसानों का दिल जीतने की कोशिश होगी। इसके पीछे बड़ा कारण यह माना जा रहा था कि पांच राज्यों में चुनाव हैं। सो, वित्त मंत्री किसानों के लिए MSP बढ़ाने की घोषणा करेंगी। लेकिन, ऐसा हो न सका। पूरे
बजट में MSP बढ़ाने को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई। हां, यह जरूर बताया गया कि किसानों को MSP के मद में 2.37 लाख करोड़ रुपये देने का इरादा है।

किसानों के लिए बहुत कुछ है इस बजट में

लेकिन, इसका अर्थ यह भी नहीं हुआ कि किसानों के खाते में इस बार वित्तमंत्री ने कुछ भी नहीं दिया। किसानों की झोली दूसरे तरीकों से भरने की कोशिश की गई है। इसमें बड़ा तथ्य है 2.37 लाख करोड़ रुपये MSP  में खर्च करने की योजना। यह धनराशि सीधे किसानों के खाते में जाएगी, फसल के एवज में।

ड्रोन की मदद से खेती

kisan drones गौर से देखें तो खेती-बाड़ी करने वालों के लिए इस बजट में ऐसी बहुत सारी व्यवस्थाएं हैं जिन पर अमल करके वे काफी आगे बढ़ सकते हैं। जैसे, अब खेती में ड्रोन का इस्तेमाल होगा। वित्त मंत्री की यह मान्यता रही है कि अगर ड्रोन आधारित खेती हुई तो निश्चित तौर पर किसानों का वक्त बचेगा और खेती की जो एक्यूरेसी है, वह बढ़ेगी। मतलब यह हुआ कि अब ड्रोन की मदद से किसान कम समय में ही यह जान सकेंगे कि उनकी फसलों की स्थिति क्या है और यह भी कि फसलों को दवा कब देनी है, कितनी देनी है, उसकी एक्यूरेसी क्या होनी चाहिए, यह सब ड्रोन की मदद से बेहद आसानी के साथ किया जाएगा।

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कृषि विश्वविद्यालय खोलने को राज्यों को प्रोत्साहन

agricultural university इसके साथ ही वित्तमंत्री ने कृषि विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया है। पिछले बजट में भी उन्होंने कहा था कि जब तक किसानी को पढ़ाई से नहीं जोड़ा जाएगा, किसानों को शिक्षित नहीं किया जाएगा, तब तक किसानों की आय बढ़ नहीं सकती। पिछले साल का संकल्प इस साल पूरा करते हुए उन्होंने कई कृषि विश्वविद्यालय खोलने की बातें अपने बजट भाषण में कही हैं। माना जाता है कि जब ये कृषि विश्वविद्यालय खुल जाएंगे तो किसानों को जमीन की उर्वरकता, खेती के तौर-तरीके आदि को आधुनिक रूप में समझने में बेहद मदद मिलेगी। वित्त मंत्री का कृषि विश्वविद्यालयों पर जोर इस बात का भी संकेतक है कि वह किसानों को खेती-बाड़ी की पढ़ाई करती हुई देखना चाहती हैं। यह जरूरी भी है।

आर्गेनिक खेती (Organic Farming) पर जोर

organic farming इस बजट में एक बड़ी बात आर्गेनिक खेती को लेकर भी हुई है। वित्त मंत्री ने कहा है कि अभी पहले चरण में गंगा नदी के पांच किलोमीटर के इलाके में आर्गेनिक खेती की जाएगी। इससे आर्गेनिक खेती को तो बढ़ावा मिलेगा ही, जो पैदावार होगी, वह आम लोगों को भी फायदा पहुंचाएगी। आर्गेनिक खेती में किसी भी किस्म का रसायन इस्तेमाल नहीं होता। इस किस्म की खेती को जीरो बजट खेती भी कहते हैं जिसे कई प्रदेशों के राज्यपाल रहे आचार्य वेदव्रत ने जबरदस्त तरीके से आगे बढ़ाया। माना जा रहा है कि आर्गेनिक खेती का मूल कांसेप्ट उन्हीं का है जिससे प्रधानमंत्री भी सहमत थे। वही चीज आज के बजट में भी प्रभावी तरीके से सामने आई है।

बेतवा परियोजना

Betwa Project इस बजट में अनेक नदियों के किनारे विभिन्न किस्म की परियोजनाओं को भी शुरू करने की बात कही गई है। मध्य प्रदेश के बेतवा परियोजना के लिए 44650 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। मकसद यह है कि देश भर के करीब 10 लाख हेक्टेयर भूमि को खेती योग्य जल उपलब्ध हो। वित्तमंत्री ने किसानों को और राहत देने की पेशकश की है। उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा है कि सरकार चाहती है कि किसानों की अधिकांश फसल वह खुद खरीद ले ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि वर्ष 2022-23 तक केंद्र सरकार किसानों से 1000 एमएलटी धान की फसल खरीदे।

एग्रो फारेस्ट्री

agro factory इस बजट में एग्रो फारेस्ट्री को लेकर भी चर्चा हुई। वित्त मंत्री ने कहा कि आने वाला वक्त एग्रो फारेस्ट्री का है। जो भी किसान इस क्षेत्र में आना चाहें, सरकार उनकी मदद करेगी। पैसे देगी। उन्हें अन्य तरीकों से भी सहयोग करेगी। सब्सिडी देने की बात चल रही है।

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हर गांव में 2025 तक आप्टिकल फाइबर का जाल

village Technology कृषि से ही जुड़े ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए भी इस बजट में काफी बातें कही गई हैं। उनमें अहम है, देश भर के सभी गांवों में 2025 तक आप्टिकल फाइबर बिछा देना। वित्त मंत्री ने कहाः यह बेहद उम्दा योजना है। हम चाहते हैं कि देश के जितने भी गांव हैं, उन सभी गांवों में आप्टिकल फाइबर बिछाया जाए ताकि हर गांव इंटरनेट से कनेक्टेड हो। उनका कहना था कि अभी इंटरनेट की कमी के कारण देश के गांवों का एक बड़ा हिस्सा तकनीकी ज्ञान और कृषि संबंधी जानकारियों सहित अनेक फायदों और सुविधाओं से अनभिज्ञ रह जाता है। केंद्र सरकार चाहती है कि कृष् और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र में काम हो और तेजी से हो। हमें पूरा विश्वास है कि देश के सभी गांव 2025 तक इंटरनेट की सुविधा से युक्त हो जाएंगे। एक बार जब वह इंटरनेट की सुविधा से जुड़ जाएंगे तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था का कायाकल्प होने में बहुत वक्त नहीं लगेगा।

केसीसी पर कोई चर्चा नहीं

वैसे, इस बजट से किसान यह उम्मीद लगा रहे थे कि केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) की क्रेडिट क्षमता बढ़ा दी जाएगी लेकिन फिलहाल इस पर बजट में कोई चर्चा नहीं हुई। इससे किसानों में थोड़ी मायूसी देखी गई।

प्रतिक्रियाएं

सरकार जब तक MSP  गारंटी कानून नहीं बताती, किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। इस बजट में MSP  गारंटी कानून की कोई बात ही नहीं कही गई। -राकेश टिकैत, किसान नेता यह बजट भविष्य का बजट है। यह एग्रीकल्चर सेक्टर को पूरी तरह बदल कर रख देगा। इस बजट की सबसे बड़ी खास बात यह है कि इसमें कृषि क्षेत्र में पढ़ाई को लेकर गंभीरता दिखाई गई है। यह अच्छी बात है। आप जब पढ़-लिख कर खेती करेंगे तो निश्चित तौर पर आप बढ़िया से खेती करेंगे, बढ़िया आमदनी होगी आपकी। आप सोचिए कि सरकार 2025 तक किसानों को हर गांव में आप्टिकल फाइबर तकनीक देने जा रही है। इसका सीधा असर किसानों, उन्के बच्चों या यूं कहें कि पूरे परिवार, पूरे इलाके में होगा। यह किसानों के लिए अब तक का बेहतरीन बजट है। -प्रोफेसर सीएन बी शर्मा, कृषि अर्थशास्त्री
उत्‍तर प्रदेश बजट 2.0 में यू.पी. के किसानों को क्या मिला ?

उत्‍तर प्रदेश बजट 2.0 में यू.पी. के किसानों को क्या मिला ?

उत्‍तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2022 का बजट पेश किया है। जिसमे यू. पी. के वयस्कों, महिलाओं, गरीब किसानों, बेरोजगारों आदि सभी को लगभग काफ़ी कुछ मिला है। तो आइए हम जानते है कि इस बजट के माध्यम से वहां के किसानों को क्या फ़ायदा मिला ?

उत्‍तर प्रदेश बजट 2.0 के माध्यम से किसानों को फ़ायदा :

- सिंचाई के लिए मुफ़्त बिजली, पी.एम. कुसुम योजना, सोलर पैनल्स, लघु सिंचाई परियोजना

बजट में किसानों को सिंचाई के लिए मुफ़्त बिजली का प्रावधान है। इसके लिए किसानों को पी.एम. कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को मुफ़्त सोलर पैनल्स उपलब्ध कराए जाएंगे। सिंचाई की अवशेष परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के साथ एक हज़ार करोड़ रुपए की लागत से लघु सिंचाई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का विशेष प्रावधान भी इस बजट में है।

- भामाशाह भावस्थिरता कोश की स्थापना के लिए फंड

किसानों के लिए भामाशाह भावस्थिरता कोश की स्थापना के लिए फंड की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री जी ने पहले से ही धान, गेहूं, और अन्य फसलों के लिए एम.एस.पी. कला उपलब्ध कराई थी लेकिन आलू, टमाटर, प्याज, आदि फसलों में इस प्रकार की व्यवस्था नहीं थी जो कि इस बजट में कराई गई है।

- जैविक खेती

प्रदेश में अभी भी काफ़ी किसान जैविक खेती से जुड़े हुए हैं, जिनके लिए मुख्यमंत्री जी ने टेस्टिंग लैब के व्यवस्था की है। और अगले 5 वर्षों में संपूर्ण बुंदेलखंड खंड को जैविक खेती से जोड़ने का प्रावधान भी इस बजट में पेश किया गया है।

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- बीजों का वितरण

वर्ष 2021-2022 में 60.10 लाख क्विंटल बीजों का वितरण किया गया था और वर्ष 2022-2023 में इसकी मात्रा बढ़ाकर 60.20 लाख क्विंटल बीजों का वितरण किया जाएगा।

- नलकूप तथा लघु नहर

प्रदेश में 30,307 राजकीय नलकूपों तथा 252 लघु नहरों के माध्यम से मुफ़्त सिंचाई सुविधा की व्यवस्था की गई है।

- लघु सिंचाई परियोजना

मुख्यमंत्री लघु सिंचाई परियोजना के लिए एक हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।

- उर्वरक का वितरण

वर्ष 2021-2022 में कृषकों के लिए 98.80 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण किया गया था तथा वर्ष 2022-2023 में 119.30 लाख मीट्रिक टन उर्वरक के वितरण का लक्ष्य रखा गया है।

- सोलर पंपों की स्थापना

कृषकों को सिंचाई के लिए डीजल विद्युत के स्थान पर ऊर्जा प्रबंधन के तहत ऊर्जा संरक्षण के लिए कृषकों के लिए सोलर पंपों की स्थापना की जाएगी।

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विपक्ष की ओर से बयान :

इस बजट पर विपक्ष की ओर से मायावती ने अपना बयान देते हुए कहा है कि, इस बजट से मुख्यमंत्री जी आम जनता की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। उन्होनें आगे ट्वीट कर के कहा है कि "यूपी सरकार का बजट प्रथम दृष्टया वही घिसापिटा व अविश्वनीय तथा जनहित एवं जनकल्याण में भी खासकर प्रदेश में छाई हुई गरीबी, बेरोजगारी व गड्ढायुक्त बदहाल स्थिति के मामले में अंधे कुएं जैसा है, जिससे यहाँ के लोगों के दरिद्र जीवन से मुक्ति की संभावना लगातार क्षीण होती जा रही है।" उन्होंने आगे कहा है कि किसानों के लिए जो बड़े बड़े वादे किए गए थे, तथा जो बुनियादी कार्य प्राथमिकता के आधार पर करने थे वे कहां किए गए। 

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी ने इतने बजट पेश किए है जिसमे केवल नंबर बढ़ाए गए है, इससे किसानों को कोई फायदा नही मिला है। बेरोजगारी और गरीबी अपनी चरम सीमा पर है। बजट के बारे में जो कुछ भी मुख्यमंत्री जी ने कहा है, उससे आम जनता और किसानों को कोई फायदा नही है। साथ ही वे कहते हैं उनके इन कामों से जनता का कोई फायदा नहीं होगा। वहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी जी ने बजट प्रस्तुत करने के बाद अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि यह बजट 2022-2023 का है, जिससे यूपी की 25 करोड़ जनता का फायदा होगा और साथ ही यह बजट उत्तर प्रदेश के गरीब किसानों और नौजवानों की इच्छाओं को ध्यान में रख कर बनाया गया है। इसके अलावा उन्होनें कहा है कि यह बजट प्रदेश के उज्जवल भविष्य को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।

पंजाब सरकार के इस साल के बजट में किसानों के लिए क्या है? 

पंजाब सरकार के इस साल के बजट में किसानों के लिए क्या है? 

पंजाब में 27 जून को पेश यानी आज के दिन पेश हुआ बजट, जिसमे शिक्षा, कृषि और स्वास्थ्य में फोकस किया गया है.

हरपाल सिंह चीमा जो की पंजाब के वित्त मंत्री है उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को लेकर बजट पेश किया. उन्होंने एक जुलाई से मुफ्त बिजली देने का वादा किया और साथ ही अपने मंत्री विजय सिंगला के खिलाफ मान की कार्रवाई का जिक्र किया. 11,000 करोड़ रुपए भगवंत मान सरकार ने कृषि के लिए आवंटित किए है. जिसमे से पराली जलाने की समस्या के लिए 200 करोड़ रुपए आवंटित किए है.

ये भी पढ़ें: पंजाब सरकार बनाएगी पराली से खाद—गैस राज्य में मेडिकल कॉलेज बहुत कम है जिसकी वजह से सरकार ने 16 मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का वादा किया है. जिसकी वजह से राज्य में कुल 25 मेडिकल कॉलेज हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि वन विधायक वन पेंशन से 19 करोड़ हर साल और पेपरलेस बजट से 21 लाख रुपए बचेंगे. वित्तमंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि बजट का एक एक पैसा लोगो पर खर्च होगा. हरपाल चीमा का कहना है कि यह बजट आम जनता की सलाह से बनाया गया है. इस बजट के लिए 20384 सुझाव लोगो ने दिए जिसमे से लगभग 5503 राज्य की महिलाओं ने भी सलाह दी थी. इस बार बजट में कोई नया टैक्स नहीं जोड़ा गया है. 450 करोड़ का प्रावधान सीधी बिजाई के लिए किया है. पिछली बार सरकार ने टैक्स की चोरी को लेकर कोई इंतजाम नही किया था, परंतु इस बार सरकार ने टैक्स की चोरी को रोकने के लिए पहली बार यूनिट बनाने जा रही है. शिक्षा के क्षेत्र में इस बार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. स्कूली व उच्च शिक्षा में 16, तकनीकी शिक्षा में 47 और मेडिकल शिक्षा में 57 फीसदी तक का इजाफा किया गया है। भगवंत मान सरकार ने 2022 - 23 में 55 हजार 860 करोड़ के बजट खर्चे का अनुमान रखा है.
राजस्थान सरकार देगी निशुल्क बीज : बारह लाख किसान होंगे लाभान्वित

राजस्थान सरकार देगी निशुल्क बीज : बारह लाख किसान होंगे लाभान्वित

राजस्थान सरकार पहली बार कृषि के उत्थान के लिए अलग से कृषि बजट लाई है. इस बजट में मिलेट प्रमोशन मिशन के लिए 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है. इसके तहत फसल सुरक्षा मिशन के जरिए एक करोड़ पच्चीस लाख मीटर मे तारबंदी के लिए सहायता दी जाएगी, वहीं फसलों को आवारा पशुओं से बचाने के लिए हर गांव में एक नंदी शाला बनाने की योजना भी लाई गई है. जैविक खेती मिशन शुरू की जाएगी और साथ ही कस्टम हायरिंग सेंट्रल को १००० ड्रोन दिए जाने का प्रावधान किया गया है. अब होगी ड्रोन से राजस्थान में खेती, किसानों को सरकार की ओर से मिलेगी 4 लाख की सब्सिडी राजस्थान के कृषि बजट में की गई घोषणाओं को लेकर सरकार किसानों के बीच जा रही है और पूरी जानकारी दे रही है. जयपुर के दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केंद्र में बजट की घोषणाओं को लेकर एक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया. कार्यक्रम में किसानों को जानकारी दी गई कि अभी तक १५००० मूंग और ४२००० संकर बाजरा के बीजों का निशुल्क वितरण किसानों के बीच किया गया है. कार्यक्रम में जयपुर के अतिरिक्त जिला कलेक्टर अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि किस प्रकार अलग से पेश किए गए इस बजट के प्रावधानों का किसानों को लाभ मिलेगा और इससे उत्पादकता बढ़ेगी. खेती किसानी को बढ़ाने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा १२ लाख लघु एवं सीमांत किसानों को निशुल्क बीज मुहैया कराई जानी है. इसके तहत ८ लाख संकर मक्का मिनीकट, १० लाख बाजरा, २.७४ लाख मूंग, २६३१५ मोठ, ३१२७५ उड़द एवं १ लाख ढेंचा बीज का किसानों के बीच मुफ्त में वितरण किया जाना है, जिससे छोटे एवं सीमांत किसानों के बीज को लेकर हो रही परेशानी समाप्त हो जाएगी. साथ ही खेती की लागत में भी कमी आएगी और आय में वृद्धि होगी.

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रबी या खरीफ किसी भी सीजन में किसानों को अच्छी बीज प्राप्त करने में काफी समस्या आती है. पैसा खर्च करने के बाद भी कई बार ऐसा होता है कि उन्हें नकली बीज मिलता है, जिससे फसल अच्छी नहीं होती और किसानों को आर्थिक नुकसान भी होता है. मौके पर कृषि पदाधिकारियों ने बताया कि २०२२ - २३ के कृषि बजट में किसान कल्याण कोष की रकम को दो हजार करोड़ से बढ़ाकर पांच हजार करोड़ रूपया कर दिया गया है. कृषि साथी योजना के अंतर्गत ११ मिशन चलाए जाएंगे, जिसके लिए प्रशासनिक स्वीकृति भी दे दी गई है. कई काम आरंभ भी किए जा चुके हैं. फार्म पॉन्ड और डिग्गी निर्माण में किसान रुचि ले रहे हैं. वही ग्रीन हाउस, शेड नेट हाउस, लोड टलन के लिए भी बड़ी मात्रा में किसानों का आवेदन प्राप्त हो रहा है.

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जयपुर में आयोजित इस सेमिनार में अधिकारियों ने बताया कि जिले में २० समुदायिक जल स्रोतों की स्थापना हो चुकी है. सांगानेर, बगरू, शाहपुरा में नवीन मंडी और मिनी फूड पार्क के लिए निशुल्क भूमि आवंटन का काम जारी है. वही सेमिनार में उपस्थित प्रतिभागियों ने बताया यह राज्य में ११४ नए दुग्ध उत्पादन सहकारी समितियों का पंजीकरण हुआ है, जिसमें केवल जयपुर में ६० समितियां है. इंदिरा गांधी नहर परियोजना में लगभग एक हजार छह सौ करोड़ रुपए की लागत से जीर्णोधार एवं सिंचाई संबंधी कार्य किया जा रहा है.
Natural Farming: प्राकृतिक खेती में छिपे जल-जंगल-जमीन संग इंसान की सेहत से जुड़े इतने सारे राज

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जीरो बजट खेती की दीवानी क्यों हुई दुनिया? नुकसान के बाद दुनिया लाभ देख हैरान ! नीति आयोग ने किया गुणगान

भूमण्डलीय ऊष्मीकरण या आम भाषा में ग्लोबल वॉर्मिंग (Global Warming) से हासिल नतीजों के कारण पर्यावरण संरक्षण (Environmental protection), संतुलन व संवर्धन के प्रति संवेदनशील हुई दुनिया में नेट ज़ीरो एमिशन (net zero emission) यानी शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए देश नैचुरल फार्मिंग (Natural Farming) यानी प्राकृतिक खेती का रुख कर रहे हैं। प्राकृतिक खेती क्या है? इसमें क्या करना पड़ता है? क्या प्राकृतिक खेती बहुत महंगी है? जानिये इन सवालों के जवाब।

खेत और किसान की जरूरत

इसके लिए यह समझना होगा कि, किसी खेत या किसान के लिए सबसे अधिक जरूरी चीज क्या है? उत्तर है खुराक और स्वास्थ्य देखभाल।मतलब, यदि किसी खेत के लिए जरूरी खुराक यानी उसके पोषक तत्व और पादप संरक्षण सामग्री का प्रबंध प्राकृतिक तरीके से किया जाए, तो उसे ही प्राकृतिक खेती (Natural Farming) कहते हैं।

प्राकृतिक खेती क्या है?

प्राकृतिक खेती, प्रकृति के द्वारा स्वयं के विस्तार के लिए किए जाने वाले प्रबंधों का मानवीय अध्ययन है। इसमें कृषि विज्ञान ने किसानी में उन तरीकों कोे अपनाना श्रेष्यकर समझा है, जिसे प्रकृति खुद अपने संवर्धन के लिए करती है। प्राकृतिक खेती में किसी रासायनिक पदार्धों के अमानक प्रयोग के बजाए, प्रकृति आधारित संवर्धन के तरीके अपनाए जाते हैं। इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (Integrated Farming System) या एकीकृत कृषि प्रणाली, प्राकृतिक खेती का वह तरीका है, जिसकी मदद से प्रकृति के साथ, प्राकृतिक तरीके से खेती किसानी कर किसान कृषि आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकता है।


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प्राकृतिक संसाधनों के प्रति देशों की सभ्यता का प्रमाण तय करने वाले नेट ज़ीरो एमिशन (net zero emission) यानी शुद्ध शून्य उत्सर्जन अलार्म, के कारण देशों और उनसे जुड़े किसानों को कृषि के तरीकों में बदलाव करना होगा। COP26 summit, Glasgow, में भारत ने 2070 तक, अपने नेट ज़ीरो एमिशन को शून्य करने का वादा किया है। इसी प्रयास के तहत भारत में केंद्र एवं राज्य सरकार, इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (Integrated Farming System) को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित कर रही हैं। प्राकृतिक खेती में सिंचाई, सलाह, संसाधन के प्रबंध के लिए किसानों को प्रोत्साहन योजनाओं के जरिए लाभान्वित किया जा रहा है।


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प्राकृतिक खेती के लाभ

प्राकृतिक खेती के लाभों की यदि बात करें, तो इसमें घरेलू संसाधनों से आवश्यक पोषक तत्व और पादप संरक्षण सामग्री तैयार की जा सकती है। किसान इस प्रकृति के साथ वाली किसानी की विधि से कृषि उत्पादन लागत में भारी कटौती कर कृषि उपज से होने वाली साधारण आय को अच्छी-खासी रिटर्न में तब्दील कर सकते हैं। प्राकृतिक खेती से खेत में उर्वरक और अन्य रसायनों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।

प्राकृतिक खेती की जरूरत

एफएओ 2017, खाद्य और कृषि का भविष्य – रुझान और चुनौतियां शीर्षक आधारित रिपोर्ट के अनुसार नीति आयोग (NITI Aayog) ने मानवीय जीवन क्रम से जुड़े कुछ अनुमान, पूर्वानुमान प्रस्तुत किए हैं। नीति आयोग द्वारा प्रस्तुत जानकारी के अनुसार, विश्व की आबादी वर्ष 2050 तक लगभग 10 अरब तक हो जाने का पूर्वानुमान है। मामूली आर्थिक विकास की स्थिति में, इससे कृषि मांग में वर्ष 2013 की मांग की तुलना में 50% तक की वृद्धि होगी। नीति आयोग ने खाद्य उत्पादन विस्तार और आर्थिक विकास से प्राकृतिक पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव पर चिंता जताई है। बीते कुछ सालों में वन आच्छादन और जैव विविधता में आई उल्लेखनीय कमी पर भी आयोग चिंतित है। रिपोर्ट के अनुसार, उच्च इनपुट, संसाधन प्रधान खेती रीति के कारण बड़े पैमाने पर वनों की कटाई, पानी की कमी, मृदा क्षरण और ग्रीनहाउस गैस का उच्च स्तरीय उत्सर्जन होने से पर्यावरण संतुलन प्रभावित हुआ है। वर्तमान में बेमौसम पड़ रही तेज गर्मी, सूखा, बाढ़, आंधी-तूफान जैसी व्याथियों के समाधान के लिए कृषि-पारिस्थितिकी, कृषि-वानिकी, जलवायु-स्मार्ट कृषि और संरक्षण कृषि जैसे ‘समग्र’ दृष्टिकोणों पर देश, सरकार एवं किसानों को मिलकर काम करना होगा। खेती किसानी की दिशा में अब एक समन्वित परिवर्तनकारी प्रक्रिया को अपनाने की जरूरत है।

भविष्य की पीढ़ियों का ख्याल

हमें स्वयं के साथ अपनी आने वाली पीढ़ियों का भी यदि ख्याल रखना है, धरती पर यदि भविष्य की पीढ़ी के लिए जीवन की गुंजाइश शेष छोड़ना है तो इसके लिए प्राकृतिक खेती ही सर्वश्रेष्ठ विचार होगा।


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यह वह विधि है, जिसमें कृषि-पारिस्थितिकी के उपयोग के परिणामस्वरूप भावी पीढ़ियों की जरूरतों से समझौता किए बगैर, बेहतर पैदावार हासिल होती है। एफएओ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए तमाम सहयोगी योजनाएं जारी की हैं।

प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के लाभों को 9 भागों में रखा जा सकता है :

1. उपज में सुधार 2. रासायनिक आदान अनुप्रयोग उन्मूलन 3. उत्पादन की कम लागत से आय में वृद्धि 4. बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चितिकरण 5. पानी की कम खपत 6. पर्यावरण संरक्षण 7. मृदा स्वास्थ्य संरक्षण एवं बहाली 8. पशुधन स्थिरता 9.रोजगार सृजन

नो केमिकल फार्मिंग

प्राकृतिक खेती को रासायनमुक्त खेती ( No Chemical Farming) भी कहा जाता है। इसमें केवल प्राकृतिक आदानों का उपयोग किया जाता है। कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र पर आधारित, यह एक विविध कृषि प्रणाली है। इसमें फसलों, पेड़ों और पशुधन एकीकृत रूप से कृषि कार्य में प्रयुक्त होते हैं। इस समन्वित एकीकरण से कार्यात्मक जैव विविधता के सर्वोत्तम उपयोग में किसान को मदद मिलती है।


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प्रकृति आधारित विधि

अपने उद्भव से मौजूद प्रकृति संवर्धन की वह विधि है जिसे मानव ने बाद में पहचान कर अपनी सुविधा के हिसाब से प्राकृतिक खेती का नाम दिया। कृषि की इस प्राचीन पद्धति में भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखा जाता है। प्राकृतिक खेती में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग वर्जित है। जो तत्व प्रकृति में पाए जाते है, उन्हीं को खेती में कीटनाशक के रूप में अपनाया जाता है। एक तरह से चींटी, चीटे, केंचुए जैसे जीव इस खेती की सफलता का मुख्य आधार होते हैं। जिस तरह प्रकृति बगैर मशीन, फावड़े के अपना संवर्धन करती है ठीक उसी युक्ति का प्रयोग प्राकृतिक खेती में किया जाता है।

ये चार सिद्धांत प्राकृतिक खेती के आधार

प्राकृतिक कृषि के सीधे-साधे चार सिद्धांत हैं, जो किसी को भी आसानी से समझ में आ सकते हैं। ये चार सिद्धांत हैं:
  • हल का उपयोग नहीं, खेत पर जुताई-निंदाई नहीं, बिलकुल प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र की तरह की जाने वाली इस खेती में जुताई, निराई की जरूरत नहीं होती।
  • किसी तरह का कोई रासायनिक उर्वरक या फिर पहले से तैयार की हुई खाद का उपयोग नहीं
  • हल या शाक को नुकसान पहुंचाने वाले किसी औजार द्वारा कोई निंदाई, गुड़ाई नहीं
  • रसायनों पर तो किसी तरह की कोई निर्भरता बिलकुल नहीं।

जीरो बजट खेती (Zero Budget Farming)

अब जिस खेती में निराई गुड़ाई की जरूरत न हो, तो उसे जीरो बजट की खेती ही कहा जा सकता है। प्राकृतिक खेती को ही जीरो बजट खेती भी कहा जाता है। प्राकृतिक खेती में प्रकृति प्रदत्त संसाधनों को लाभकारी बनाने के तरीके निहित हैं। किसी बाहरी कृत्रिम तरीके से निर्मित रासायनिक उत्पाद का उपयोग प्राकृतिक खेती में वर्जित है। जीरो बजट वाली प्राकृतिक खेती में गाय के गोबर एवं गौमूत्र का उपयोग कर भूमि की उर्वरता बढ़ाई जाती है। शून्य उत्पादन लागत की प्राकृतिक खेती पद्धति के लिए अलग से कोई इनपुट खरीदना जरूरी नहीं है। जापानियों द्वारा प्रकाश में लाई गई इस विधि की खेती में पारंपरिक तरीकों के विपरीत केवल 10 प्रतिशत पानी की दरकार होती है।
राजस्थान कृषि बजट समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ये है अगला प्लान

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4 लाख किसानों पर खर्च होंगे 1705 करोड़ रु.

ड्रिप इरिगेशन से फसल उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य तय

किसानों को मिलेगा फायदा

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य कृषि बजट की समीक्षा बैठक के दौरान प्रदेश में खेती-किसानी की स्थिति पर चर्चा की। सीएम गहलोत ने राजस्थान जैसे मरुस्थलीय प्रदेश में ड्रिप इरिगेशन को ही सिंचाई के लिए एक दीर्घकालिक समाधान बताया। उन्होंने ड्रिप इरिगेशन से फसल पैदावार बढ़ने की बात कही। उन्होंने कहा कि, किसानों का रुझान ड्रिप इरिगेशन की ओर बढ़ा है। राजस्थान सरकार इसके उपयोग के प्रति जागरूकता प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है जिसके लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं। ड्रिप इरिगेशन (Drip irrigation या trickle irrigation या micro irrigation या localized irrigation), सिंचाई की ऐसी विधि है, जिससे पानी और खाद की भरपूर बचत की जा सकती है।

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कृषि बजट में प्रावधान -

राजस्थान सरकार ने ड्रिप इरिगेशन के उपयोग को राज्य में अमल में लाने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। सीएम ने बताया कि, सरकार ने बजट में 4 लाख किसानों को ड्रिप इरिगेशन से लाभान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य पूर्ति के लिए 1705 करोड़ रुपए का प्रावधान कृषि बजट में किया गया है।

सिंचाई संयंत्र की उपलब्धता

सीएम गहलोत ने कहा कि, राजस्थान प्रदेश के 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ड्रिप इरिगेशन के लिए सरकार कृत संकल्पित है। इसके लिए राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन के तहत 1.60 लाख कृषकों को सिंचाई संयंत्र उपलब्ध कराने हेतु स्वीकृति जारी कर दी गई है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य कृषि बजट की समीक्षा बैठक में इस बारे में जानकारी प्रदान की।

जलसंचय अभियान

राजस्थान में कम पानी की स्थिति के कारण जलसंचय के लिए खास प्रबंध किए जा रहे हैं। राज्य में पानी की कमी की समस्या से निपटने के लिए अब तक 9,738 फार्मपोंड व 1,892 डिग्गियां बनाने के लिए इजाजत दी जा चुकी है।

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सोलर पंप वर्क ऑर्डर

राज्य सरकार के अनुसार सोलर पंप की स्थापना के लिए 22,807 किसानों को वर्क ऑर्डर जारी किए जा चुके हैं। इन सोलर पंप्स पर सरकार ने 61.58 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी की है।

75 फीसदी सब्सिडी

सिंचाई में प्रयुक्त होने वाले पानी की बचत को बढ़ावा देने के मामले मेें राजस्थान सरकार संवेदनशील नजर आ रही है। प्रदेश सरकार की ओर से सिंचाई के पानी की बचत संबंधी योजनाओं पर लगभग 75 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है।

ड्रोन की तैयारी

बैठक में बताया गया कि, राजस्थान सरकार 40 करोड़ की लागत से 1000 ड्रोन खरीदेगी। यह ड्रोन ग्राम सेवा सहकारी समितियों तथा कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को उपलब्ध करवाए जाएंगे।

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ये काम करेगा ड्रोन

सीएम ने उम्मीद जताई कि, राज्य सरकार द्वारा खरीद कर वितरित किए जाने वाले ड्रोन से प्रभावी एवं सुरक्षित तरीके के साथ ही कम समय में कीटनाशकों का छिड़काव संभव हो सकेगा। इससे न केवल फसल की कम लागत में रक्षा होगी बल्कि किसान की आय में भी बढ़ोतरी होगी। सीएम गहलोत ने राज्य में कृषि संबंधित योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लघु और सीमांत किसानों तक पहुंचाने के लिए किसान हितैषी कृषि प्रावधान करने के निर्देश बैठक में दिए।

फल-मसालों पर जोर

मुख्यमंत्री ने राजस्थान बागवानी विकास मिशन के तहत फलों व मसालों की खेती पर फोकस करने के लिए निर्देशित किया। राज्य में करीब 15000 हेक्टेयर क्षेत्र में फलों की खेती व 1500 हेक्टेयर क्षेत्र में मसालों की खेती का लक्ष्य तय किया गया है।

बगीचों पर ग्रांट बढ़ाई

राजस्थान सरकार द्वारा फल बगीचों की स्थापना एवं विस्तार के लिए ग्रांट प्रदान करने की सीमा 50 फीसदी से बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दी गई है। इसके तहत प्राप्त आवेदनों को स्वीकृति प्रदान करने की प्रक्रिया प्रदेश में जारी है।

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टिश्यू कल्चर पौध आपूर्ति

राजस्थान में खजूर की खेती के प्रोत्साहन के लिए सरकार ने खजूर बगीचा स्थापना तथा टिश्यू कल्चर पौध आपूर्ति के लिए अनुदान देना शुरू किया है। राज्य कृषि बजट की समीक्षा बैठक के दौरान कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने किसानों से ऋणमाफी, किसान ऊर्जा मित्र योजना, फसल सुरक्षा, मशीनरी खरीद आदि के लिए अनुदान से जुड़ी योजनाओं का अधिक से अधिक फायदा उठाने की अपील की है।

आगामी बजट से पूर्व वित्त मंत्री ने किसानों के साथ बैठक की

आगामी बजट से पूर्व वित्त मंत्री ने किसानों के साथ बैठक की

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण १ फरवरी, २०२३ को अगला आम बजट प्रस्तुत करेंगी। बजट की तैयारियों के लिए वित्त मंत्री फिलहाल बजट से पहले ही बैठकें कर रही हैं, जिसमें उन्होंने सभी किसान संगठनों व समतियों से उनकी मांगे व सुझाव लिए हैं।

क्या कहा किसानों ने बैठक के दौरान

सामान्य बजट २०२३-२४ हेतु अपनी विश लिस्ट में भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ ने मांग की कि सरकार को जहां आयातित कमोडिटी की देश में आने का खर्च न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम है, ऐसे में उपज के आयात को स्वीकृति नहीं देनी चाहिए। बतादें कि, उन्होंने केंद्र सरकार से कृषि क्षेत्र में मानव संसाधन उन्नति एवं प्रगति के विकास पर अधिक जोर देने का निवेदन किया है। अजय वीर जाखड़ द्वारा किसानों को उचित व उच्चतम मूल्य प्राप्त करने हेतु सामर्ध्यवान बनाने के लिए खेतों से स्वैच्छिक कार्बन क्रेडिट का दुनियाभर के स्तर पर व्यापार करने हेतु स्वीकृति के संबंध में वकालत की है ।


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बैठक में मौजूद कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन (सीआईएफए) के अध्यक्ष रघुनाथ दादा पाटिल ने बताया कि, टूटे चावल एवं गेंहू की तरह कृषि उत्पादों के निर्यात पर रोक लगाने की वजह से किसानों की आमदनी पर विपरीत असर हुआ है। पाटिल ने कहा कि बैठक के दर्मियान उनके द्वारा यह सलाह दी गयी कि, सरकार को कृषि उत्पादों के निर्यात पर रोक नहीं लगानी चाहिए। पाटिल जी के हिसाब से निर्यात के माध्यम से भारत को विदेशी मुद्रा अर्जित करने में सहायता प्राप्त होगी। भारत ने घरेलू आपूर्ति में बढ़ोत्तरी करने एवं महंगाई दर को रोकने के लिए टूटे चावल व गेंहू के निर्यात को रोक दिया गया है। खाद्य तेलों के आयात पर भारत की निर्भरता में घटोत्तरी हेतु पाटिल जी ने सलाह दी कि सूरजमुखी, मूंगफली और सोयाबीन के गृह उत्पादन में वृद्धि पर अधिक जोर देना चाहिए। १ फरवरी, २०२३ को आगामी आम बजट प्रस्तुत करने जा रही हैं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण।

ये लोग रहे बैठक में मौजूद

बतादें कि बैठक के दौरान प्रदेश अध्यक्ष, राज्य फल सब्जियां और फूल उत्पादक संघ (हिमाचल); और जेफरी रेबेलो, अध्यक्ष, यूपीएएसआई, (तमिलनाडु) वीरेन के खोना, सचिव, अखिल भारतीय मसाला निर्यातक फोरम, (केरल); ए एस नैन, निदेशक, गोविंद बल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, (उत्तराखंड); हरीश चौहान, भी मौजूद रहे। साथ ही, दक्षिण भारतीय गन्ना किसान संघ (एसआईएसएफए), तमिलनाडु के अध्यक्ष, वी राजकुमार, इफको के संयुक्त प्रबंध निदेशक – राकेश कपूर, भारतीय किसान संघ के महासचिव – मोहिनी मोहन मिश्रा एवं जैविक कृषि के लिए अंतरराष्ट्रीय क्षमता केंद्र (कर्नाटक) के कार्यकारी निदेशक – मनोज कुमार मेनन, जम्मू-कश्मीर फल और सब्जियां प्रसंस्करण और एकीकृत शीत भंडारण श्रृंखला संघ के अध्यक्ष – माजिद ए वफाई, एसोसिएटेड टी एंड एग्रो मैनेजमेंट सर्विसेज (असम) की कार्यकारी निदेशक – नंदिता शर्मा ने भी अपने विचार व सलाह साझा की।
बजट देख किसानों का फूटा गुस्सा, किसानों ने कहा सरकार की कथनी और करनी अलग हैं

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भारत सरकार की तरफ से केंद्रीय वित्त मंत्री माननीय निर्मला सीतारमण जी ने वित्त वर्ष 23 का बजट पेश कर दिया है। किसानों के लिए इस बजट में विभिन्न योजनाएं जारी करने का ऐलान किया गया है। किसान भाइयों को सरकार से बेहद उम्मीद थी, कि उनके लिए इस बजट में बहुत कुछ मिलेगा। लेकिन केंद्र इस वजट में लघु एवं सीमांत किसानों के लिए कोई खास प्रावधान देखने को नहीं मिल रहा है। कुछ किसानों का कहना है, कि उनकी किसान सम्मान निधि की सहायता राशि में वृद्धि होने की आशा थी। परंतु, ऐसा कुछ नहीं हुआ है। अगर हम बजट को देखें तो इसमें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसान भाइयों का कहना है, यदि किसान प्राकृतिक खेती की तरफ रुझान करें तो उनको कम उत्पादन मिलेगा। जिससे उनकी आमदनी भी कम होगी। किसान भाई इस वजट से नाखुश दिखाई दे रहे हैं। सरकार ने बजट में मछली पालन और पशुपालन के लिए प्रोत्साहन देने की घोषणा की है। इस संबंध में किसानों का कहना है, कि उनको पशुपालन में प्रोत्साहन मिलने से काफी राहत मिलेगी। लेकिन मछली पालन से लघु एवं सीमांत किसान इस योजना का लाभ लेने में असमर्थ हैं। छोटे किसानों के लिए सरकार ने उर्वरक एवं खाद बीज पर कोई रिहायत नहीं दी है।
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पिछले एक साल से किसानों को सूखा, बाढ़ और बरसात जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने काफी प्रभावित किया है। अब यदि ऐसे में किसान प्राकृतिक खेती करते हैं, तो उनको अच्छा उत्पादन मिलने की बेहद कम संभावना होगी। इस वजट में किसान भाईयों की फसल पर कोई भी न्यूनतम समर्थन MSP मूल्य की बात नहीं की गई है। भारत सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की निरंतर बात करती रहती है। लेकिन सरकार के बजट को बारीकी से देखा जाए तो छोटे और सीमांत किसानों के लिए बजट में कुछ खास देखने को नहीं मिल रहा है। merikheti.com ने बजट के बारे में किसानों की राय ली है जो कि उपरोक्त में आप देख चुके हैं। सरकार द्वारा जारी बजट में किसानों के लिए जो भी योजनाएं हैं। उन सबके बारे में Merikheti ने इस लेख में स्पष्ट कर दिया है। बजट आने के बाद किसानों से हुई वार्ता में किसान भाईयों ने अपनी जो प्रतिक्रिया दी हैं। वह काफी चौंकाने वाली हैं। किसानों ने अपनी आप बीती बताते हुए कहा है कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का केवल नाटक करती है। बाकी धरातल पर ऐसा कुछ देखने को नहीं मिलता है।
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सरकार इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स दिवस मनाने जा रही है, जिसके अंतर्गत बाजरा की पैदावार को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सरकार की इस पहल से किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं। इससे बाजरे की फसल का रकबा और माँग दोनों बढ़ेंगी। इसके अतिरिक्त बजट में किसानों के लिए क्या फायदा है। इस बात को देखने के लिए सालभर प्रयास जारी रहेगा।
हरियाणा कृषि बजट की अहम घोषणाएं, किसानों की होगी अच्छी आय

हरियाणा कृषि बजट की अहम घोषणाएं, किसानों की होगी अच्छी आय

केंद्र सरकार ने अपने वित्त वर्ष साल 2023 से 2024 के लिए 1 फरवरी को नया बजट पेश किया था. जिसके बाद देश के अन्य राज्यों की सरकारें भी नये साल के बजट के साथ अपने मास्टर प्लान बताने लगी है. जिसमें उत्तर प्रदेश के साथ साथ राजस्थान और हरियाणा का बजट भी शामिल है. जहां हरियाणा की बात की जाए, तो राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी हरियाणा का नया बजट गुरुवार को पेश कर चुके हैं. वित्त वर्ष साल 2023  से 2024 के लिए पशुपालन के साथ कृषि, बागवानी, सहकारिता और बागवानी मुख्य बिंदु रहे. इन सभी क्षेत्रों के लिए सरकार की तरफ से 8 हजार 316 करोड़ रुपये का आवंटन प्रस्ताव रखा गया. हालांकि यह प्रस्ताव पीछले साल के बजट से लगभग 19 फीसद ज्यादा है. ऐसे में वित्त वर्ष 2023 से 2024 के लिए राज्य सरकार ने किसी तरह की कोई भी नई योजना का ऐलान नहीं किया है. ये भी पढ़ें: यूपी के बजट में किसानों पर दिया गया है ख़ास ध्यान; जानें क्या है नई घोषणाएं इन सबके बीच किसानों के हित के बारे में सोचते हुए सरकार ने पहले से चली आ रही योजनाओं में कुछ खास बदलाव करते हुए राहत अनुदान पैकेज में बढ़ोतरी कर दी गयी है.

जानिए क्या हैं कृषि बजट की महत्वपूर्ण योजनाएं

  • हरियाण में भूजल संकट गहराता जा रहा है. जिसे ध्यान में रखते हुए खरीफ सीजन में धान की सीधी बिजाई का प्रस्ताव सामने रखा है.
  • इस साल राज्य में लगभग दो लाख हेक्टेयर के हिसाब से रकबा धान की सीधी बिजाई का मास्टर प्लान है.
  • ढेंचा खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा.
  • ढेंचा खेती के लिए लगने वाली लागत सरकार ने प्रति एकड़ के हिसाब से 720 रुपये रखी है. जिसके तहत किसानों को लगभग 80 फीसद का अनुदान दिया जाएगा.
  • हरियाणा में गर्मीं के सीजन में मूंग का उत्पादन बढ़ाने का भी प्लान है.
  • मूंग के अच्छे उत्पादन के लिए करीब एक लाख एकड़ से ज्यादा जगह को कवरेज किया जाएगा.
  • ड्रोन तकनीक के जरिये खेती किसानी से जुड़े काम को आसान बनाने में मदद दिलाई जाएगी.
  • 500 युवा किसानों को ड्रोन चालने की ट्रेनिंग का भी प्रस्ताव रखा गया है.
  • लगभग 50 हजार एकड़ जमीन को कृषि योग्य बनाया जाएगा.
  • अच्छी गुणवत्ता वाले शहद का उत्पादन बढ़ाने के लिए हनी क्वालिटी लैब की स्थापना की जाएगी.
  • शहद व्यापार में नीति भी लागू की जाएगी.
  • पंचकूला, पिनगवां, नूह, झज्जर और मणिपुर में बागवानी फसलों के लिए तीन सेंटर फॉर एक्सीलेंस बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
  • पराली खरीद के लिए 1 हजार रुपये देने का प्रस्ताव दिया गया है.
  • पराली जलाने से जुड़ी समस्या को निपटाने के लिए चयनित एजेंसियों को खर्चों के लिए 15 सौ रुपये प्रति टन के हिसाब से दिया जाएगा.

नेचुरल फार्मिंग की ओर ज्यादा ध्यान

कृषि में लगने वाली लागत को कम करने के लिए नेचुरल फार्मिंग की तरफ ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, गाय पालन से लेकर कम बजट में अच्छी फसलों का उत्पादन करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसी तरफ पर हरियाणा की सर्कन ने भी अपने इस नये बजट में 20 हजार एकड़ रकबे को नेचुरल फार्मिंग के लिए निर्धारित किया है. बता दें सरकार के इस कदम से कृषि विशेषज्ञों को मदद मिलेगी. इसके अलावा जींद और सिरसा जिले में कुल तीन नेचुरल फार्मिंग से जुड़े ट्रेनिंग सेंटर भी खोले जाएंगे.

पशु पालन के लिए भी महत्वपूर्ण घोषणाएं

हरियाणा को दूध के उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है. किसान अपनी किसानी के साथ पशु पालन का भी काम करते हैं. हालांकि पशु पालन के विकास को लेकर सरकार पहले से ही कई तरह की योजनाएं चला रही है. लेकिन वित्त वर्ष 2023 से 2024 में इस सेक्टर में विकास के लिए हरियाणा पशुधन उत्थान की भी शुरुआत करने का प्लान है.
  • पशुधन की स्वास्थ्य से जुड़ी सुरक्षा के लिए 70 नई मोबाइल पशु चिकित्सा युनिट की शुरुआत की जाएगी.
  • राज्य के कई हिस्सों में पशु चिकित्सा पालीटेक्निक की भी स्थापना की जाएगी.
  • दो हाईटेक वेटनरी पेट क्लिनिक फरीदाबाद और गुरुग्राम में शुरू किया जाएगा.
  • हरियाणा गौ सेवा आयोग ने 4 सौ करोड़ का बजट आवारा पशुओँ की सुरक्षा के लिए देने का ऐलान किया है. यह बजट पहले सिर 40 करोड़ रुपये ही था.
  • ग्राम पंचायतों की सहमती के बाद नई गौशालाओं की स्थापना की जाएगी.

नहीं झेलनी पड़ेगी पानी की किल्लत

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि, सरकार ने पिछले कुछ सालों में सूक्ष्म सिंचाई की तरफ खास ध्यान दिया है. जिससे भूजल को संरक्षित करने में काफी मदद मिली है. जिसके बाद इसी कड़ी में बजट 2023 से 2024 के लिए सरकार उन गांवों में एक हजार पोजोमीटर की स्थापना करवाएगी जहां पानी की किल्लत है. इस योजना को नाम अटल भूजन योजना रखा गया है. हरियाणा सरकार का इस साल करीब ढ़ाई लाख एकड़ कृषि क्षेत्रफल को सूक्ष्म सिंचाई से जोड़ेगी. जिसके लिए 4 हजार ऑन फार्म वाटर टैंक का निर्माण किया जाएगा. बात गन्ने के उत्पान को बढ़ाने की करें तो उसके लिए भी सरकार के पिटारे से काफी कुछ निकला है. जहां राज्य में 2 लाख एकड़ पर जल संचय के लिए कई तरह के ढांचों की स्थापना करवाई जाएगी.
छत्तीसगढ़ के ‘भरोसे का बजट’ कितना भरोसेमंद, जानिए असल मायने

छत्तीसगढ़ के ‘भरोसे का बजट’ कितना भरोसेमंद, जानिए असल मायने

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल जल्द ही बजट पेश करने वाले हैं. उन्हों इस बजट को भरोसे का बजट नाम दिया है, हालांकि सीएम के पिटारे से जनता के लिए क्या कुछ निकलने वाला है,न और क्या यह बजट जनता की कसौटियों पर उतर पाएगा, इस बात से पर्दा तो बजट पेश होने के बाद ही उठेगा. लेकिन इससे पहले सीएम ने जनता के नाम संबोधन दिया. जिसमें उन्होंने कई अहम बातों का जिक्र किया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस बार के बजट को भरोसे का बजट कहा है. उन्होंने बजट को यह नाम प्रदेश की जनता जो संबोधन करते वक्त दिया. बजट में क्या ख़ास है, और इसके मायने क्या हैं, इसका बेसब्री से जनता को इन्तजार है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीएम ने गृह विभाग, कृषि विभाग, सिंचाई विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, रोजगार विभाग और सड़क विभाग से जुड़े अलग अलग मंत्रियों के साथ साथ अफसरों से भी चर्चा की और उसी के आधार पर बजट की रूप रेखा को तैयार किया.

सीएम के कार्यकाल का आखिरी बजट बेहद ख़ास

बताया जा रहा है कि, भूपेश सिंह बघेल सीएम और वित्त मंत्री दोनों का जिम्मा खुद उठा रहे हैं. उनके कार्यकाल का यह आखिरी बजट है. जिस वजह से इस बजट को बेहद खास बताया जा रहा है. विधानसभा चुनाव साल 2023 के चलते हर वर्ग और हर तबके के लोगों को साधने की तैयारी है. वहीं जो कर्मचारी सरकार की नीतियों से रूठे हैं, उन्हें मनाने की कोशिश भी इस बार के बजट में की जाएगी. इसके अलावा सालों से लम्बित पड़ी मांगों को भी पूरा किया जा सकता है. वहीं छत्तीसगढ़ के इस साल के बजट में नियमित समय कई तरह की जनता से जुड़ी घोषणाएं की जा सकती हैं.

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बजट में किसानों को मिल सकती है सौगात

किसानों के जरिये सत्ता हासिल करने वाली कांग्रेस सरकार किसानों के हित में बजट के पिटारे से कुछ खास घोषणाएं कर सकती है. हालांकि राज्य में धान की खेती सबसे ज्यादा की जाती है, जिसपर राजनीती भी केन्द्रित रहती है. बताया जा रहा है कि, धान पर बोनस को लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकार के बीच हमेशा से ही खींचतान रहती है. जिस बझ से छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के हित में बड़ा ऐलान कर सजती है. खबरों के मुताबिक धान के अलावा अन्य खाद्यान के समर्थन मूल को लेकर बड़ा तोहफा दिया जा सकता है. वहीं खेती और किसानी से जुड़े उपकरणों में करों में छूट देने के साथ सब्सिडी को बढ़ाया जा सकता है.

अनियमित संविदा कर्मचारियों के सपने हो सकते हैं पूरे

छत्तीसगढ़ के बजट में अनियमित संविदा कर्मचारियों को अच्छी खबर मिल सकती है. बजट के जरिये उनका सपना पूरा हो सकता है. बताया जा रहा है कि, कर्मचारियों के संविलियन की राह आसान हो सकती है. इसके अलावा युवाओं के लिए नौकरी, पुलिस में भर्ती और और शिक्षक में भर्ती समेत कई अहम ऐलान हो सकता है.

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युवाओं और महिलाओं के लिए भी खास है बजट

इस बजट में युवाओं और महिलाओं के लिए भी काफी कुछ हो सकता है. जिसमें स्टार्टअप योजना से लेकर इनोवेशन सेंटर खोलने और महिलाओं को सेल्फ डिपेंड बनाने को लक्सर बड़ा ऐलान किया जा सकता है.

यहां पर भी सरकार की नजर

अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और आदिवासी वर्ग को वोट को साधने का सरकार का सबसे बड़ा मास्टर प्लान है. जिसके लिए सरकार कई बड़े ऐलान कर सकती है.