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मध्यप्रदेश

मुंबई में आज भी टमाटर की कीमतें सातवें आसमान पर हैं

मुंबई में आज भी टमाटर की कीमतें सातवें आसमान पर हैं

मुंबई में जून में, टमाटर की कीमतें 30 रुपये प्रति किलोग्राम के रेगुलर भाव से तकरीबन दोगुनी होकर 13 जून को 50-60 रुपये हो गईं। जून के समापन तक 100 रुपये को पार कर गईं।

मुंबई में टमाटर की कीमतें

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि कंज्यूमर अफेयर के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में टमाटर के मैक्सीमम प्राइस 200 रुपये से नीचे आ गए थे। साथ ही, बात यदि मुंबई की करें तो विभाग के मुताबिक टमाटर का खुदरा भाव 160 रुपये प्रति किलोग्राम था। परंतु, वीकेंड पर टमाटर के रिटेल भावों के सारे रिकॉर्ड तोड़ने की खबरें सामने आ रही हैं। जी हां, मुंबई में टमाटर का भाव 200 रुपये प्रति को पार करते हुए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। कीमतों में बढ़ोतरी के कारण खरीदारों की संख्या पर भी प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिला है। यह अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ चुकी है, जिससे ग्राहकों की कमी की वजह से कुछ इलाकों में टमाटर की दुकानें बंद करनी पड़ीं।

टमाटर की कीमत विगत सात हफ्ते में 7 गुना तक बढ़ी है

मूसलाधार बारिश की वजह से कुल फसल की कमी एवं बड़े पैमाने पर क्षतिग्रस्त होने की वजह से बहुत सारी जरूरी सब्जियों के अतिरिक्त टमाटर की कीमतें जून से लगातार बढ़ रही हैं। जून में, टमाटर की कीमतें 30 रुपये प्रति किलोग्राम के रेगुलर भाव से तकरीबन दोगुनी होकर 13 जून को 50-60 रुपये हो गईं। जून के आखिर तक 100 रुपये को पार कर गईं। 3 जुलाई को इसने 160 रुपये का एक नया रिकॉर्ड बनाया, सब्जी विक्रेताओं ने भविष्यवाणी की कि रसोई का प्रमुख उत्पाद अंतिम जुलाई तक 200 रुपये की बाधा को तोड़ देगा, जो उसने किया है। ये भी पढ़े: सरकार अब 70 रुपए किलो बेचेगी टमाटर

किस वजह से टमाटर के भाव में आया उछाल

टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एपीएमसी वाशी के डायरेक्टर शंकर पिंगले के मुताबिक टमाटर का थोक भाव 80 रुपये से 100 रुपये प्रति किलोग्राम के मध्य है। हालांकि, लोनावाला लैंडस्लाइड की घटना, उसके पश्चात ट्रैफिक जाम और डायवर्जन की वजह से वाशी मार्केट में प्रॉपर सप्लाई की बाधा खड़ी हो गई, जिसकी वजह से कीमतों में अस्थायी तौर पर इजाफा देखने को मिला। डायरेक्टर ने बताया है, कि कुछ दिनों के भीतर सप्लाई पुनः आरंभ हो जाएगी।

जानें भारत में कहाँ कहाँ टमाटर 200 से ऊपर है

बतादें, कि वाशी के एक और व्यापारी सचिन शितोले ने यह खुलासा किया है, कि टमाटर 110 से 120 रुपये प्रति किलोग्राम पर विक्रय किया जा रहा है। दादर बाजार में रोहित केसरवानी नाम के एक सब्जी विक्रेता ने कहा है, कि वहां थोक भाव 160 से 180 रुपये प्रति किलो है। अचंभित करने वाली बात यह है, कि उस मुख्य दिन पर वाशी बाजार में अच्छी गुणवत्ता वाले टमाटर मौजूद नहीं थे। माटुंगा, फोर बंगलोज, अंधेरी, मलाड, परेल, घाटकोपर, भायखला, खार मार्केट, पाली मार्केट, बांद्रा और दादर मार्केट में विभिन्न विक्रेताओं ने टमाटर की कीमतें 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक बताईं। लेकिन, कुछ लोग 180 रुपये किलो बेच रहे थे।

बहुत सारे विक्रेताओं ने बंद की अपनी दुकान

रविवार को ग्राहकों की कमी के चलते फोर बंगलों और अंधेरी स्टेशन इलाके में टमाटर की दोनों दुकानें बिल्कुल बंद रहीं। टमाटर विक्रेताओं का कहना है, कि जब टमाटर की कीमतें गिरेंगी तब ही वो दुकान खोलेंगे। वैसे कुछ विक्रेताओं ने यह कहा है, कि त्योहारी सीजन जैसे कि रक्षाबंधन अथवा फिर जन्माष्टमी के दौरान दुकान खोलेंगे। बाकी और भी बहुत सारे दूसरे सब्जी दुकानदारों ने अपने भंडार को कम करने अथवा इसे प्रति दिन मात्र 3 किलोग्राम तक सीमित करने जैसे कदम उठाए गए हैं। विक्रेताओं में से एक ने हताशा व्यक्त की क्योंकि ज्यादातर ग्राहक सिर्फ और सिर्फ कीमतों के बारे में पूछ रहे हैं और बिना कुछ खरीदे वापिस लौट रहे हैं।

1277 किसानों ने खंडवा में प्राकृतिक खेती के लिए पोर्टल पर करवाया पंजीकरण

1277 किसानों ने खंडवा में प्राकृतिक खेती के लिए पोर्टल पर करवाया पंजीकरण

खंडवा जिले में नर्मदा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए प्राकृतिक खेती करना आवश्यक है. मध्यप्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती में इच्छुक किसानों के लिए एक वेबसाइट बनाई है. जो भी किसान प्राकृतिक खेती के लिए रजिस्ट्रेशन करना चाहता है वो प्राकृतिक कृषि पद्धति - किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग मध्यप्रदेश  के आधिकारिक वेबसाइट: http://mpnf.mpkrishi.org/ पर जाकर रजिस्ट्रेशन करवा सकते है.

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प्राकृतिक खेती के लिए खंडवा जिले से 1277 किसान, खरगोन से 2052, बड़वानी जिले से 2130 किसान प्राकृतिक खेती के लिए आगे आए. 1223 कृषि अधिकारी, कर्मचारी व किसानों को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए शामिल किया गया है.

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करोड़ों रुपए बचेंगे कीटनाशक, खाद के कम इस्तमाल से

जैसा कि हम सब जानते है की आज - कल खेती में खाद और कीटनाशकों का इस्तमाल होता है. खाद और कीटनाशक खरीदने के लिए रुपए भी लगते है. कृषि अधिकारियों के मुताबिक ये लगभग 9000-9500 रुपए प्रति हेक्टेयर खाद के लिए और 4000-5000 कीटनाशक के लिए लगते है. यदि दोनों को मिलाया जाए तो ये लगभग 1400-1500 रुपए होते है. यही पूरे जिले का मिलाए तो करोड़ों होते है. वहीं यदि इसका इस्तमाल कम कर दिया जाए तो करोड़ों का फायदा होगा.

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कितने किसानों ने कौन - कौन जिले से पंजीकरण करवाया है

इस योजना में बहुत से किसानों ने अपना सहयोग दिखाया है. जैसे- इंदौर से 1567, बुरहानपुर से 684, खरगोन से 2052, बड़वानी से 2130, खंडवा से 1277, धार से 836, आलीराजपुर से 1389, झाबुआ से 958. कुल मिलाकर - 10893 किसानों ने प्राकृतिक खेती के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया.  

इस राज्य की सरकार किसानों के साथ कर रही है छलावा या मजाक? पढ़िए पूरी खबर

इस राज्य की सरकार किसानों के साथ कर रही है छलावा या मजाक? पढ़िए पूरी खबर

भोपाल। सत्ता हांसिल करने के लिए नेता तरह-तरह की सियासी गोटियां बिछाते हैं। चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा बातें भी किसानों की होती हैं। लेकिन सत्ता में आने के बाद नेताओं के बोल कैसे बदल जाते हैं। फिर वही नेता किसान हितों को भूलकर अपने हितों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। ताजा मामला मध्यप्रदेश राज्य से जुड़ा हुआ है। यहां की सरकार ने किसानों के लिए सोयाबीन बीज की कीमतों में 2600 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करके 2000 की सब्सिडी देने का फैसला किया है। यानि कि पहले 2600 रूपए जमा कराए जाएंगे, फिर 2000 रु. वापिस मिलेंगे। यह वापिस कब मिलेंगे यह भी निर्धारित नहीं किया गया है। ऐसे में किसानों को लग रहा है कि सरकार उनके साथ छलावा कर रही है अथवा मजाक। सरकार के इस फैसले से किसानों में रोष है। किसानों के साथ ही यह सीधे तौर पर छलावा ही है। आम तौर पर जब सोयाबीन बेची जाती है तो पांच हजार से छह हजार के बीच भाव रहता है। छह हजार का भाव भी इस बार सालों बाद आया है। अब उसी सोयाबीन को फिल्टर कर 10 हजार 100 रुपए क्विंटल में यहां बेचा जा रहा है। ऐसी स्थिति में कैसे खेती लाभ का धंधा बन पाएगी? किसानों का कहना है कि हमसे खरीदते समय किसी को भाव बढ़ाने की याद नहीं आती, अब जब बोवनी की जाना है तो स्वत: ही भाव बढ़ा दिए गए।

बीज प्राप्ति की रसीद व पावती नहीं मिलेगी

- सरकार द्वारा सोयाबीन बीज की कीमतों में वृद्धि और सब्सिडी देने वाले प्रावधान में एक निर्णय और लिया गया है। इसके तहत बीज प्राप्त करने वाले किसान को न कोई रसीद दी जाएगी और न ही पावती प्रति मिलेगी। जिससे किसान समय पर अपना तर्क रख सकें।

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सोयाबीन की ये वैरायटी उपलब्ध हैं

- सोयाबीन बीज की दो वैरायटी कृषि विभाग के पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। 1- 2034- Soya 2- 9560- Soya

इस प्रकार तय हुए हैं सोयाबीन बीज के रेट

- प्लांट पर सोयाबीन के 7500 प्रति क्विंटल - किसानों के लिए 10100 रुपए प्रति क्विंटल - 2000 रुपए सब्सिडी सोयाबीन प्रति बीघा खेत में 20 से 25 किलो बीघा के हिसाब से डाली जाती है। ------ लोकेन्द्र नरवार
मूंग का भाव एमएसपी तक पहुंचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार की कवायद शुरू

मूंग का भाव एमएसपी तक पहुंचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार की कवायद शुरू

भोपाल। मूंग (Mung bean) के भाव को एमएसपी (MSP) या न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) तक पहुंचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश की मंडियों में जल्दी ही मूंग के दामों में तेजी आ सकती है।

दूसरे राज्यों के कारोबारी ही मूंग की नीलामी में शामिल

मिली जानकारी के अनुसार 2021-22 सीजन में गोदाम से बिकने वाली मूंग की ई-नीलामी में राज्य सरकार, प्रदेश के मूंग कारोबारियों को अलग कर सकती है। इस बार दूसरे राज्यों के कारोबारी ही मूंग की नीलामी में शामिल होंगे। उन सभी कारोबारियों को जिला स्तर से शर्त माननी होगी, कि वो सभी कारोबारी मूंग खरीद के बराबर की एफडीआर अथवा बैंक गारंटी के कागजात प्रस्तुत करें।

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मान लिया कि किसी कारोबारी को एक करोड़ रुपए की मूंग खरीदनी है, तो उसे उतने ही रुपए की एफडीआर अथवा बैंक की गारंटी देनी होगी। इस प्रक्रिया के बाद जिला कलेक्टर या उनके अधिकृत अधिकारी के समक्ष इसका प्रमाण देंगे। मंडी अनुज्ञा पत्र भी प्रदेश से बाहर का प्राप्त करना आवश्यक होगा। सभी कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद ही कारोबारी मूंग की ई-नीलामी में शामिल हो सकेंगे। इस प्रक्रिया के पीछे सरकार चाहती है कि, मूंग रीसेल के लिए प्रदेश के बाजार में न आए, जिससे मंडियों में मूंग के दामों में बढ़ोतरी हो सके और मूंग के रेट को कुछ सहारा मिल सके। इससे मूंग को एमएसपी तक पहुंचाने की कवायद सफल हो सकती है।

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कारोबारियों के सामने आ सकती हैं मुश्किलें

सरकार के इस फैसले के बाद, मूंग की ई- नीलामी में शामिल होने वाले कारोबारियों के सामने काफी मुश्किलें आ सकती हैं। क्योंकि, इस फैसले के बाद कारोबारियों को मूंग खरीद के लिए बड़ी रकम लगानी होगी।

फैसले के बाद 200 रुपए बढ़े भाव

मूंग की ई-नीलामी में सरकार के इस फैसले के बाद, मूंग के भाव मे 200 रुपये तक कि बढ़ोतरी हुई है। इंदौर मंडी में अब 6300 रु की जगह 6650 रु प्रति क्विंटल और एवरेज में 5400 रु की जगह 6000 रु प्रति क्विंटल हो गए हैं
प्राकृतिक खेती के साथ देसी गाय पालने वाले किसानों को 26000 दे रही है सरकार

प्राकृतिक खेती के साथ देसी गाय पालने वाले किसानों को 26000 दे रही है सरकार

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक खेती (Natural Farming) को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में मुहिम छेड़ दी है। कई राज्यों में पीएम की इस मुहिम को आगे बढाने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है। इसी क्रम में मध्यप्रदेश सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। इस फैसले से प्रदेश के 26000 किसानों को फायदा मिलेगा। प्राकृतिक खेती के साथ-साथ देसी गाय पालने वाले मध्यप्रदेश के 26000 किसानों को प्रतिमाह 900 रु की आर्थिक मदद मिलेगी। नेचुरल फार्मिंग योजना को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने सबसे अच्छी पहल की है।

पहले चरण के लिए जारी हुई एडवाइजरी

- प्राकृतिक खेती के साथ-साथ देसी गाय पालने पर मध्यप्रदेश से 26000 किसानों की आर्थिक मदद करेगी। इस योजना को सफल बनाने के लिए पहले चरण की 28 करोड़ 08 लाख रु खर्च करने की मंजूरी मिल चुकी है।

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5200 गांव के किसानों को मिलेगा लाभ

- सरकार की इस योजना में प्रदेश के 26000 किसानों तक लाभ पहुंचेगा। इसके लिए प्रदेश के 5200 गांवों को इस योजना में शामिल किया जाएगा। सरकार की मंत्री-परिषद की बैठक में निर्णय लिया गया है कि प्राकृतिक खेती के साथ एक देसी गाय पालने वाले पशुपालक को अनुदान के रूप में 26000 रूपए दिए जाएंगे। योजना में 52 जिले के 5200 गांवों के किसानों को जोड़ा जाएगा। प्रत्येक जिले से 100 गांव होंगे।

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योजना में शामिल किसानों को दी जाएगी ट्रेनिंग

- मध्यप्रदेश सरकार ने इस योजना के अंतर्गत प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को ट्रेनिंग देने की योजना बनाई गई है। प्राधिक्षण में शामिल होने वाले प्रत्येक किसान को 400 प्रति दिन का खर्चा मिलेगा। जिसके लिए सरकार ने 39 करोड़ 50 लाख रु अलग से वहन करने की बात कही है। साथ ही प्राकृतिक कृषि किट लेने वाले किसानों को 75 फीसदी छूट का प्रावधान है और मास्टर ट्रेनर को 1000 रु प्रतिदिन मिलेंगे।
बदलते मौसम और जनसँख्या के लिए किसानों को अपनाना होगा फसल विविधिकरण तकनीक : मध्यप्रदेश सरकार

बदलते मौसम और जनसँख्या के लिए किसानों को अपनाना होगा फसल विविधिकरण तकनीक : मध्यप्रदेश सरकार

केंद्र सरकार किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजना बना रही है, जिससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। हाल ही के दिनों में एक ऐसे योजना की शुरुआत हुई है, जिसको जान कर किसान हैरान रह जायेंगे। इस योजना में आपको बताया जायेगा कि अब एक साथ आप कैसे विभिन्न प्रकार की खेती कर सकते हैं ताकि आपकी आय बढ़कर तिगुना हो जाए। इस योजना का नाम है “फसल विविधिकरण(Crop Diversification)। इस बदलते समय और बढ़ते जनसँख्या के लिए यह फसल विविधिकरण योजना एक बहुत ही आवश्यक कदम है। इस योजना से न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि यह उनके खेत का भी स्वास्थ्य ठीक करेगा जिससे अन्य फसलें भी अच्छे से उग सकेंगी। इस योजना पर केंद्र सरकार बहुत जोर दे रही है, लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि मध्य प्रदेश सरकार ने इस तरह की योजना की शुरुआत बहुत पहले कर दी थी, जिसमें धान, गेहूं और अन्य पारंपरिक खेती के अलावा सरकार अब फूल, सब्जी और मसाला की खेती पर काफी जोर दे रही है। इसके साथ-साथ फल पौधा रोपण और क्रॉप डायवर्सिफिकेशन पर भी सरकार नजर बनाये हुए है।

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गौरतलब है कि साल 2022-23 में 2 हज़ार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फल पौधा रोपण अभियान के तहत विभिन्न प्रकार के पौधे लगाये गए हैं, जिसमें आम, अमरुद, संतरा, निम्बू, काजू, अनार, ड्रैगन फ्रूट, स्ट्रॉबेरी, केला जैसे पौधे शामिल थे। इन फलों का उत्पादन शुरू हो चुका है। इसके अलावा सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में फसल विविधिकरण का उपयोग किया जा रहा है, खीरा, शिमला मिर्च, लौकी, भिन्डी और अन्य सब्जी का उत्पादन किया जा रहा है। आपको बता दे कि फसल विविधिकरण का उपयोग कर पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सब्जी, मसाला और फूल के उत्पादन में 6.45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आपको मालूम हो कि इस योजना को और मजबूती प्रदान करने के लिए राज्य के 137 से अधिक नर्सरी को स्वयं सहायता समूह से जोड़ा गया है, जिससे हजारों पौधे तैयार किए गए है। मध्य प्रदेश के उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा की इस वर्ष कोल्ड स्टोरेज का 25 लाख मीट्रिक टन क्षमता वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। उसी समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि “एक जिला एक उत्पादन” के तहत बागवानी फसलो और उत्पादों की मार्केटिंग एक मिशन की तरह की जाएँ, जिससे किसानों को लाभ हो और पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिल सके।

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किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण

मुख्यमंत्री ने अधिकारीयों को निर्देशित किया कि किसानों के विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाये, जिसमे उनको ड्रिप इर्रेगेशन (drip irrigation), जैविक बागवानी, माली प्रशिक्षण आदि के बारे में उनको बताया जाए ताकि उनकी आय बढे। इसके लिए जगह जगह प्रशिक्षण केंद्र व मुरौना में सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस प्रारंभ भी किया जाएगा। प्रदेश के दस जिलों को ग्रीन क्लस्टर हाउस के रूप में विकसत करने की भी बात कही गयी है, इसमें भोपाल, सीहोर, उज्जैन, रतलाम, नीमच, बड़वानी, खण्डवा, खरगौन जबलपुर और छिंदवाड़ा शामिल हैं। दस जिलों में बनेंगे ग्रीन हाउस क्लस्टर।

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प्रदेश में फसलों की उत्पादकता में वृद्धि और विविधीकरण, कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रयास, प्रमाणित जैविक उत्पादन में वृद्धि, कृषि एवं उद्यानिकी उत्पादों का मूल्य संवर्धन पर भी चर्चा की गयी।  बैतूल जिले में शेडनेट निर्माण का क्लस्टर विकसित किया गया है। प्रदेश के दस जिलों भोपाल, सीहोर, उज्जैन, रतलाम, नीमच, बड़वानी, खण्डवा, खरगौन जबलपुर और छिंदवाड़ा में ग्रीन हाउस क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। इस साल सीहोर, ग्वालियर और मुरैना में इनक्यूबेशन सेंटर्स का भूमि-पूजन किया गया है। अतिरिक्त रोजगार के लिए मत्स्यपालन, रेशम पालन विकास और मधुमक्खी पालन के कार्यों को बढ़ावा देने की बात भी कही गयी है।
राजस्थान के साथ-साथ इस राज्य को भी बारिश और ओलों से हुआ भारी नुकसान

राजस्थान के साथ-साथ इस राज्य को भी बारिश और ओलों से हुआ भारी नुकसान

राजस्थान के उपरांत मध्य प्रदेश राज्य भी ओलावृष्टि से काफी प्रभावित हुआ है। राज्य में  गेहूं, सरसों के अलावा संतरा को भी बहुत हानि वहन करनी पड़ी है।  तीव्र वेग से पवन एवं अत्यधिक ओलावृष्टि की वजह से किसानों की फसल नष्ट होकर भूमि पर गिर चुकी है। विगत सीजन में किसानों को बाढ़, बारिश और सूखा का सामना करना पड़ा था। नई साल की शुरुआत में कड़ाकडाती ठंड एवं पाले की वजह से किसानों की फसलों में बेहद हानि देखने को मिली है। फिलहाल, अत्यधिक बारिश के साथ ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को काफी नुकसान वहन करना पड़ा है। अभी तक ओलावृष्टि का कहर राजस्थान के विभिन्न जनपदों से देखने को मिल रहा है। परंतु, बाकी राज्यों में भी ओलावृष्टि की वजह से फसलों को हानि हुई है।  किसान विशेषज्ञों से मशवरा लेकर खेत में स्थित जल की जल निकासी का इंतजाम किया जा रहा है।

मध्यप्रदेश राज्य में ओलावृष्टि के कारण फसलों में काफी हानि देखने को मिली है

मध्यप्रदेश राज्य के जनपद मंदसौर में बेहद ओलावृष्टि देखने को मिली है। मौसम खराब होने की वजह से यहां विगत तीन दिनों से ओलावृष्टि देखी जा रही है। ओलावृष्टि की वजह से गेहूं, संतरा, लहसुन अन्य फसलों में हानि होने की संभावना ज्यादा रहती है। मंदसौर जनपद के सीतामऊ, मल्हारगढ़ और पिपलियामंडी सहित बाकी क्षेत्रों में खूब जमकर वर्षा देखी गई है। बारिश के साथ आसमान से ओले भी पड़े हैं। इसके अंतर्गत फसलों में जल भराव हो गया है। साथ ही, तीव्र हवा एवं ओलावृष्टि की वजह से फसल भूमि पर जा गिरी है।

अगला पश्चिमी विक्षोभ 2 फरवरी से आरंभ

मौसम विभाग ने बताया है, कि "प्रेरित चक्रावतीय परिसंचरण दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान के ऊपर समुद्र तल से डेढ़ किमी की ऊंचाई तक सक्रिय है। दो फरवरी के उपरांत आगामी पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने की पूर्ण उम्मीद है"। इसके अंतर्गत आगामी दिनों के अंदर भी बात होने की पूर्ण उम्मीद है। किसानों को दिक्कत  हैं, कि इस प्रचंड वर्षा में चना, गेहूं, सरसों की फसल का संरक्षण किस प्रकार से किया जा सकता है। जल निकासी तो किसान कर रहा है। लेकिन, ओलावृष्टि एवं तेज हवाओं से संरक्षण में किसानों नाकामयाब साबित हो रहे हैं।
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सावधान अभी सर्दी गई नहीं हैं

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ दिन धूप निकलने पर यह वहम ना पालें कि सर्दी अब नहीं रही हैं। फिलहाल, जनवरी माह चल रहा है, जिस प्रकार से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुआ है। उसका प्रभाव बड़े पैमाने पर देखा जा रहा है। आपको बतादें, कि बारिश, ओलावृष्टि एवं हिमालय की तरफ से आ रही शीत लहरों की  वजह से तापमान में अत्यधिक गिरावट देखने को मिली है। आगामी दिनों के अंतर्गत आपको तापमान में कमी और ज्यादा देखने को मिलेगी।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बढ़ती जनसंख्या में खाद्य सुरक्षा के लिए आगाह किया

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बढ़ती जनसंख्या में खाद्य सुरक्षा के लिए आगाह किया

जनपद के सौंसर विकासखंड में विकास यात्रा के चलते मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने कृषि विभाग के माध्यम से आयोजित श्रीअन्न (Millets) और प्राकृतिक खेती के उत्पादों जिनमें मिलेट्स से बने कुकीज़, बिस्कुट व्यंजन के स्टॉल का नजारा लिया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विभाग लाभान्वित हितग्राही को मंच से हितलाभ मुख्यमंत्री जी के माध्यम से वितरित किये गये। इस उपलक्ष्य पर कलेक्टर श्रीमती शीतला पटले, उप संचालक कृषि श्री जितेन्द्र सिंह और जनप्रतिनिधि मौजूद थे। मुख्यमंत्री जी को मिलेट्स से निर्मित उत्पादों के स्टाल पर सूचना व जानकारी उप परियोजना संचालक आत्मा श्रीमती प्राची कौतू ने प्रदान की। विभाग के सहायक संचालक श्री धीरज ठाकुर, श्री दीपक चौरसिया, श्री चौकीकर, श्रीमती सरिता सिंह, श्री सचिन जैन, श्री नीलकंठ पटवारी समेत बाकी अधिकारी मौजूद थे।

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अंतर्राष्ट्रीय फलक पर मध्यप्रदेश एवं इंदौर धूमकेतु की भाँति चमक रहा है। हाल ही में इंदौर में जी-20, कृषि कार्य समूह की प्रथम बैठक 13 से 15 फरवरी को समापन हुई। बैठक की शुरुआत सोमवार को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी। इसके चलते कृषि पर ध्यान से विचार-विमर्श किया। आखरी दिन चार तकनीकी विषयों ‘खाद्य सुरक्षा एवं पोषण’ ‘जलवायु स्मार्ट दृष्टिकोण सहित सतत कृषि ’, ‘समावेशी कृषि मूल्य श्रृंखला एवं खाद्य प्रणाली’, एवं ‘कृषि परिवर्तन हेतु डिजिटलीकरण’ पर चर्चा हुई।

जनसँख्या में वृद्धि की वजह से खाद्य सुरक्षा व्यवस्थित होनी अति आवश्यक है

स्वयं के उद्घाटन भाषण के दौरान मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा जनसँख्या वृद्धि की वजह खाद्य सुरक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया का केवल 12 फीसद भू-भाग कृषि के लायक है। साल 2030 तक खाद्यान्न की मांग 345 बिलियन टन तक पहुँच जाएगी। वहीं साल 2000 में यह मांग 192 बिलियन टन पर थी। जाहिर है, कि ना तो खेती की भूमि में बढ़ने वाली है एवं ना ही हमारे प्राकृतिक संसाधनों में वृद्धि होनी है। ऐसी स्थिति में कृषि लायक जमीन का समुचित इस्तेमाल एवं कृषि भूमि की पैदावार को बढ़ाने हेतु कोशिश करनी होगी। कृषि उत्पादन बढ़ाना है, तो डिजिटलाइजेशन, नवीन तकनीक मैकेनाइजेशन एवं नव बीज के इस्तेमाल को लगातार बढ़ावा देना होगा। पैदावार में वृद्धि सहित उत्पादन का खर्च कम करना भी बेहद जरुरी है। मुख्यमंत्री जी का कहना है, कि विश्व मे प्रत्येक चीज का विकल्प हो उपस्थित है। परंतु फल, सब्जी और अनाज का कोई विकल्प नहीं है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा भी इस साल को मिलेट ईयर के तौर पर घोषित किया गया है। कोशिश करें कि यह पोषक अनाज भूमि से गायब न हो जाए। प्राकृतिक खेती की तरफ रुख करना बेहद आवश्यक है।

कृषि क्षेत्र के विकास हेतु यह तीन एस बेहद महत्वपूर्ण हैं

आपको बतादें कि 14 फरवरी की बैठक में कृषि पर विमर्श के सत्र में नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा उनके उद्घाटन भाषण के दौरान खेती किसानी में विकास हेतु 3एस टेम्पलेट – स्मार्ट, सर्व आल और सस्टेनेबल के विषय में चर्चा की। उन्होंने भारत की कृषि विकास चर्चा में ड्रोन की अहमियत पर भी ध्यान दिया।

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इश्यू नोट प्रस्तुति के चलते केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव श्री मनोज आहूजा ने मुख्य भाषण प्रस्तुत किया। खाद्य सुरक्षा एवं पोषण, जलवायु स्मार्ट दृष्टिकोण सहित अड़िग कृषि, समावेशी कृषि मूल्य श्रृंखला एवं खाद्य प्रणाली और कृषि परिवर्तन हेतु डिजिटलीकरण के चार मुख्य विषयों को शम्मिलित करते हुए एडब्ल्यूजी हेतु इश्यू नोट पर प्रस्तुतियां व्यक्त की गईं। आमंत्रित देशों, सदस्य देशों एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने इश्यू नोट पर स्वयं की भावना व्यक्त की। जी- 20 सदस्य देशों एवं अतिथि देशों द्वारा भी जी- 20 कृषि एजेंडे पर विशेष गौर करते हुए द्विपक्षीय बैठकें कीं।