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रीपर

एक घंटे में होगी एक एकड़ गेहूं की कटाई, मशीन पर सरकार की भारी सब्सिडी

एक घंटे में होगी एक एकड़ गेहूं की कटाई, मशीन पर सरकार की भारी सब्सिडी

इस सीजन में किसानों को कटाई के लिए मशीने भी कम कीमतों पर दी जाती हैं. जिनकी मदद से गेहूं कटाई में काफी समय लगता है. गेहूं के अच्छे उत्पादन के लिए किसान भी काफी मेहनत करते हैं. 

हालांकि गेहूं की फसल पककर तैयार हो चुकी है. जिसके बाद जल्द कटाई का काम भी शुरू हो जाएगा. इसमें समय, मेहनत और लागत कम करने के लिए कृषि मशीनों का उपयोग किये जाने की सलाह दी जाती है. 

लेकिन मशीनों से कटाई और गहाई के के बाद अक्सर पराली की समस्या हो जाती है. कटाई के बाद निकली फूंस को जानवरों के चारे के लिए इस्तेमाल किया जाता है. देश के अलग अलग राज्य की सरकारें मशीनों को खरीदने के लिए सब्सिडी देती है. 

 राजस्थान के कोटा में कुछ दिन पहले कृषि मोहत्सव का आयोजन हुआ था. जिसमें ऐसी ही एक मशीनरी आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी. इस मशीन का नाम रीपर ग्राइंडर था. 

इस मशीन की सबसे बड़ी खासियत यही है कि, ये मात्र एक घंटे में एक एकड़ गेहूं की फसल की कटाई कर सकती है. अगर किसान इस मशीन को खरीदता है, तो राज्य सरकार की तरफ से इसमें 50 फीसद तक सब्सिडी मिलती है.

रीपर ग्राइंडर के बारे में

इस मशीन से गेहूं की फसल काटने के लिए 5 से 10 मजदूरों की जरूरत पड़ सकती है. 10 एचपी के इंजन वाली मशीन की मदद से सिर्फ एक घंटे में एक एकड़ फसल की कटाई हो सकती है. 

रीपर ग्राइंडर की मदद से गेहूं के अलावा जौ, बाजरा, सरसों, धान की फसलों की कटाई कर सकते हैं. रीपर ग्राइंडर ना सिर्फ फसलों की कटाई करती है बल्कि, उपज को साइड में फैला देती है. 5 फीट तक की लंबी फसल की कटाई इस मशीन से की जा सकती है. एक घंटे चलाने के लिए इस मशीन में एक लीटर तेल लग जाता है. 

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सरकार की तरफ से मिलता है अनुदान

अगर किसान इस मशीन को खरीदना चाहते हैं, तो वो इसका कोई भी साइज़ चुन सकते हैं. जिसकी कीमत 50 हजार से लेकर 5 लाख रुपये तक हो सकती है. जिसके लिए सरकार की ओर से 50 फीसद तक सब्सिडी दे रही है. 

रीपर ग्राइंडर को खरीदने के लिए किसान को मशीन के डीलर से कोटेशन लेना पड़ेगा. जो अपने जिले के कृषि विभाग के ऑफिस में जमा करना होगा. इस मशीन को खरीदने के लिये कुछ जरूरी कागजों की जरूरत पड़ती है.

जिसमें आधार कार्ड की कॉपी, जमीन के कागज, बैंक की पासबुक की कॉपी शामिल है. इसके अलावा ई-मित्र सेंटर की मदद से ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं.

फसलों की कटाई और सफाई के लिए उपयोगी 4 कृषि यंत्रों की विशेषताऐं और लाभ

फसलों की कटाई और सफाई के लिए उपयोगी 4 कृषि यंत्रों की विशेषताऐं और लाभ

वर्तमान की बात करें तो किसानों के खेतों में रबी की फसलें लहला रही हैं और जल्द ही इनकी कटाई की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। ऐसे में किसानों को राहत दिलाने के लिए हम 4 कृषि यंत्रों (4 Farm Machinery ) की जानकारी देने जा रहे हैं। इनका उपयोग करके किसान फसल अवशेषों से भूसा बनाने का कार्य सहजता से कर सकते हैं। इन यंत्रों से किसानों की लागत भी कम आएगी। साथ ही, कटाई का कार्य भी शीघ्रता से हो सकेगा।

फसलों की कटाई के लिए उपयोगी 4 कृषि यंत्र

  • स्ट्रॉ रीपर मशीन 
  • रीपर बाइंडर मशीन 
  • कंबाइन हार्वेस्टर मशीन 
  • मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन 

स्ट्रॉ रीपर मशीन 

स्ट्रॉ रीपर एक ऐसी कटाई मशीन है, जो एक ही बार में पुआल को काटती है, थ्रेस करती है एवं साफ करती है। स्ट्रॉ रीपर को ट्रैक्टरों के साथ जोडक़र इस्तेमाल किया जाता है। इसके इस्तेमाल से ईंधन की खपत काफी कम होती है। इस यंत्र पर कई राज्य सरकारों की तरफ से सब्सिडी का फायदा भी किसानों को प्रदान किया जाता है।

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विशेषताएं और लाभ

स्ट्रॉ रीपर मशीन की कीमत बहुत ज्यादा नहीं होती है, इसलिए इस कृषि यंत्र को छोटे और बड़े, दोनों किसान सुगमता से इस्तेमाल कर सकते हैं। इस मशीन के उपयोग से फसल काटने पर कई तरह के फायदे किसानों को मिलते हैं, जैसे गेहूं के दानों के साथ-साथ भूसा भी मिल जाता है। यह भूसा पशुओं के चारे के काम में आता है। इसके अतिरिक्त जो दाना मशीन से खेत में रह जाता है, उसको ये मशीन सहजता से उठा लेती है। जिसको किसान अपने पशुओं के लिए दाने के रूप में प्रयोग कर लेते हैं।

रीपर बाइंडर मशीन 

रीपर बाइंडर मशीन का इस्तेमाल फसल की कटाई के लिए किया जाता है। यह मशीन फसल की कटाई करने के साथ – साथ रस्सियों से उनका बंडल भी बनाती है। रीपर बाइंडर की मदद से 5 – 7 से. मी. ऊँची फसल की कटाई आसानी से की जा सकती है। इस यंत्र की सबसे बड़ी खासियत यह है, कि इस मशीन से गेहूं, जौ, धान, जेई और अन्य फसलों की आसानी से कटाई कर बंडल बना सकते है।

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विशेषताएं और लाभ 

रीपर बाइंडर के इस्तेमाल से फसल कटाई का काम आसानी से पूरा किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से धन, समय और मजदूरी सभी की बचत होती है। रीपर बाइंडर मशीन एक घंटे में एक एकड़ जमीन पर खड़ी फसल को काट सकती है। इस मशीन के इस्तेमाल से फसल कटाई के अतिरिक्त उनका बंडल भी निर्मित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त सबसे बड़ी विशेषता है, कि इसका उपयोग बारिश के मौसम में भी किया जा सकता है। फसल के अतिरिक्त खेतों में उगने वाली झाडियों की भी सहजता से कटाई की जा सकती है। रीपर बाइंडर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाना आसान होता है। 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से एक साथ कटाई तथा सफाई का कार्य किया जा सकता है। इस मशीन की सहायता से सरसों, धान, सोयाबीन, कुसुम आदि की कटाई और सफाई का कार्य कर सकते हैं। इसमें समय और लागत दोनों ही बहुत कम लगती है।

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विशेषताएं और लाभ 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन का प्रयोग कर लागत और समय की बचत की जा सकती है। इससे फसल की कटाई से लेकर फसल के दानों की सफाई तक का काम किया जाता है। इसके उपयोग से मृदा की उर्वरक क्षमता बढ़ती है। इस मशीन के इस्तेमाल से किसान प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली हानि से बच सकते हैं और वक्त रहते फसलों की कटाई कर सकते हैं। कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से किसान खेत में आड़ी-तिरछी पड़ी फसल को भी काट सकते हैं।

मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन 

यह मशीन किसानों के लिए एक बहुत बड़ी उपयोगी मशीन मानी जाती है। मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन से बाजरा, मक्का, जीरा, डालर चना, सादा चना, देशी चना, ग्वार, ज्वार मूंग, मोठ, ईसबगोल, मसूर, राई, अरहर, मूंगफली, गेहूं, सरसों, सोयाबीन और तुअर जैसी फसलों के दाने साफ-सुथरे तरीके से निकाले जाते हैं। इस मशीन के इस्तेमाल से फसल के दाने और भूसे को भिन्न-भिन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है। 

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विशेषताएं और लाभ

मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन की मुख्य विशेषता है, कि इसके उपयोग से फसल की कटाई कर अनाज और भूसे को अलग किया जाता है। यह मशीन फसलों के दाने को साफ-सुथरे ढ़ंग से अलग करता है। मल्टीक्रॉप थ्रेशर मशीन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है।  खेतों में जहाँ मशीन नहीं पहुँच सकती है, वहाँ हाथ का रीपर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है।

जानिए धान कटाई की सबसे बेहतरीन और शानदार मशीन के बारे में

जानिए धान कटाई की सबसे बेहतरीन और शानदार मशीन के बारे में

फसलों की कटाई करने के लिए किसान कई तरह के महंगे उपकरण को अपनाते हैं। परंतु, छोटू रीपर मशीन बाजार में धान कटाई करने वाली सबसे सस्ती एवं जबरदस्त मशीन है। अपनी फसल की कटाई के साथ-साथ ज्यादा आमदनी कमा सकते हैं। फसलों की कटाई के लिए किसान बाजार से विभिन्न प्रकार के महंगे उपकरण खरीदते हैं। परंतु, वहीं छोटे व सीमांत किसान महंगे कृषि उपकरणों को खरीदने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं, जिसके चलते वह हसिया इत्यादि का उपयोग करते हैं। 

किसानों की इसी परेशानी को मंदेनजर रखते हुए तकनीकी क्षेत्र की कंपनियां भी किसानों के बजट के हिसाब से उपकरणों को तैयार करने लगी हैं। दरअसल, फसल कटाई में रीपर मशीन का नाम सबसे ज्यादा सुनने को मिलता है। बतादें, कि यह मशीन गेहूं, धान, धनिया एवं ज्वार की फसल की कटाई बेहद ही सुगमता से करती है। इस मशीन की विशेषता यह है, कि इसमें किसान ब्लेड बदलकर बाकी फसलों की कटाई भी सहजता से कर सकते हैं। भारतीय बाजार में फसल कटाई के लिए बहुत सारी रेंज की बेहतरीन मशीनें है, जो किसानों के लिए काफी किफायती है। सिर्फ यही नहीं किसान इन मशीनों को घर बैठे ऑनलाइन माध्यम से भी खरीद सकते हैं। 

छोटू रीपर मशीन की कीमत काफी किफायती होती है

फसल की कटाई के लिए छोटू रीपर मशीन का इस्तेमाल किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है। बतादें, कि इस मशीन से चना, सोयाबीन और बरसीम की फसल की कटाई बड़ी ही सुगमता से की जा सकती है। यह मशीन तकरीबन 1 फुट तक के पौधे की कटाई सहजता से कर सकती है। साथ ही, इस मशीन के इंजन की बात की जाए, तो इसमें 50cc का 4 स्ट्रोक इंजन दिया गया है। इसके साथ-साथ इसमें इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले के जरिए अन्य जानकारी किसानों को प्रदान की जाती है।

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छोटू रीपर मशीन वजन में काफी हल्की होती है। बतादें, कि इसका कुल वजन ही 8-10 किलो ग्राम तक है। अगर हिसाब किताब लगाया जाए तो इस मशीन से गेहूं फसल की कटाई करने पर 4 गुना तक मजदूरी कम लगती है। साथ ही, इस मशीन में ईंधन की खपत की मात्रा ना के बराबर होती है। खेत में छोटू रीपर मशीन से प्रति घंटे 1 लीटर से भी कम तेल की खपत होती है। इस मशीन में किसान ब्लेड बदलकर भी बाकी फसलों की सुगमता से कटाई कर सकते हैं। देखा जाए तो ज्यादा दांत वाले ब्लेड का उपयोग मोटे और कड़े पौधों की कटाई करने के लिए किया जाता है। 

छोटू रीपर मशीन के माध्यम से बेहतरीन कमाई होगी

यदि आप इस मशीन का उपयोग किसान के किसी दूसरे खेत में भी करते हैं, तो इससे प्रति दिन अच्छी आय की जा सकती है। प्राप्त हुई जानकारी के मुताबिक, छोटू रीपर मशीन का किराया एक बीघा खेत के लिए 300 रुपए तक है। वहीं, यदि आप एक दिन में 1 एकड़ खेत की फसल कटाई करते हैं, तो दिन में आप 1500 से 1800 रुपए की आसानी से कमाई कर सकते हैं। साथ ही, इस मशीन के अंदर 1 बीघा खेत में न्यूनतम आधा लीटर डीजल लगता है। इसके अतिरिक्त इसके मेंटीनेंस इत्यादि का खर्च निकालकर आपकी आमदनी से 200-300 रुपए की बचत होती है। अब इस तरह से यह मशीन किसानों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराती है।

फसल कटाई के लिए सेल्फ प्रोपेल्ड यानी स्वचालित रीपर और कंबाइन हार्वेस्टर

फसल कटाई के लिए सेल्फ प्रोपेल्ड यानी स्वचालित रीपर और कंबाइन हार्वेस्टर

खेती के लिए विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रों का इस्तेमाल किया जाता है। बुवाई से लगाकर कटाई तक इन यंत्रों का इस्तेमाल किया जाता है। खेती के लिए जिन कृषि उपकरणों या यंत्रों की आवश्यकता होती है। 

इसकी जानकारी होनी विशेष आवश्यक है। ताकि कृषक सही कृषि यंत्र का चयन कर सकें और खेती के समस्त कार्यों को सुगम बना सकें।

सेल्फ प्रोपेल्ड वर्टिकल कन्वेयर रीपर

सेल्फ प्रोपेल्ड वर्टिकल कन्वेयर रीपर इंजन द्वारा संचालित किया जाता है। इसे वॉक-बिहाइंड टाइप हार्वेस्टर के नाम से भी जाना जाता है। यह हार्वेस्टर धान, गेहूं और दूसरी तिलहन और दलहन जैसी फसलों की कटाई एवं बिजाई के लिए उपयोग में लिया जाता है। 

इससे कृषक मजदूरी और कटाई के दौरान आने वाले खर्च की बचत कर सकता है। भारत में सेल्फ प्रोपेल्ड वर्टिकल कन्वेयर रीपर की कीमत तकरीबन 80 हजार रुपये है।

राइडिंग टाइप सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर

राइडिंग टाइप सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर एक मशीन है, जिसको चालक सीट पर बैठकर संचालित किया जाता है। इसमें 6 हॉर्स पावर/4.5 किलो वॉट का डीजल इंजन आता है। 

बतादें, कि इस मशीन में आपको क्लच, ब्रेक, स्टेयरिंग और हाइड्रोलिक सिस्टम सहित बहुत सारी सुविधाऐं मिल जाती हैं। इसमें फसल बार, कनवेयर बेल्ट, डिवाइडर, स्टार व्हील और वायर स्प्रिंग लगे हुए आते हैं। 

इस मशीन का इस्तेमाल गेहूं, सोयाबीन, धान और अन्य अनाज एवं तिलहन जैसी फसलों की कटाई के लिए किया जाता है। भारत में राइडिंग टाइप सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर की कीमत तकरीबन 1.20 लाख रुपये हैं। 

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मक्का हार्वेस्टिंग के लिए सेल्फ प्रोपेल्ड कंबाइन हार्वेस्टर

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन को मक्के की फसल कटाई के लिए डिजाइन किया गया है। इस मशीन का हेडर और भी कंबाइन हार्वेस्टर पर लगाया जा सकता है। 

बतादें, कि फसल कटाई के पश्चात इसे फीडर कनवेयर के माध्यम से सिलेंडर और कनकेव असेम्बली मे ले जाया जाता है। यहां पर फसल की थ्रेशिंग की जाती है। दाने एवं भूसे को भिन्न भिन्न हिस्सों मे एक दूसरे से अलग किया जाता है।

बतादें, कि इस कंबाइन हार्वेस्टर का इस्तेमाल मक्का फसल की कटाई और उसकी सफाई के लिए किया जाता है। इसका हेडर परिवर्तित कर अनाज और अन्य फसल की कटाई भी की जा सकती है। 

भारत में मक्का हारवेस्टिंग कंबाइन हार्वेस्टर की कीमत लगभग 12 से 14 लाख रुपये के बीच होती है। 


कंबाइन हार्वेस्टर मशीन (Combine Harvester Machine) की संपूर्ण जानकारी

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन (Combine Harvester Machine) की संपूर्ण जानकारी

आजकल खेती भी पूरी तरह से मशीन(machine) पर निर्भर हो गई है. जैसे हम देख रहे हैं की पहले समय में लोग जो काम अपने शरीर की मेहनत से करते थे वो सभी काम आज मशीन(machine) से होने लगे हैं। 

फिर चाहे खेत की तैयारी हो, माझा हो, खेत को लेवल करना हो, बुबाई करनी हो या फिर फसल की कटाई करनी हो. आप कह सकते हैं कि फसल की बुवाई से लेकर फसल को घर तक लाने के सभी काम मशीन से होने लगे है। 

आज हम कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) की बात करते हैं कि कैसे इसने हमारी मजदूरों पर निर्भरता काम कर दी है। कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) न होती तो हम अपने खेतों की फसल को समय से घर न ला पाते और न ही इसको समय से बाजार में पंहुचा पाते। 

इस कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) ने हमारी मजदूरों पर निर्भरता काफी हद तक कम कर दी है. आइये जानते हैं इसकी उपलब्धता के बारे में और कौन-कौन सी कंपनी इसका निर्माण करती हैं। 

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) के प्रकार:

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) दो तरह की होती हैं. 

  1. ट्रेक्टर(Tractor) चालित मशीन(Machine)
  2. कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine)

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1- ट्रैक्टर(Tractor) निर्मित या चालित मशीन(Machine):

जो बड़े किसान होते हैं उनके पास सामान्यतः बड़े ट्रेक्टर(Tractor) होते हैं जो की उनके बड़े काम आसानी से कर सकें इन्हीं ट्रैक्टर्स को वो कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) चलाने में करते है। 

जब तक फसल को तैयार करने के लिए जो काम ट्रेक्टर से करने होते हैं उसे करने के बाद उसी ट्रेक्टर(Tractor) को कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) चलाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। 

जब आपकी फसल कट जाये उसके बाद आप ट्रेक्टर(Tractor) को नीचे उतार कर ट्रेक्टर(Tractor) की तरह प्रयोग में ला सकते हैं.नीचे दिए चित्र में देखें: 

2. स्वचालित कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine):

ये मशीन(Machine) आती ही इसी काम के लिए हैं इनमे ट्रेक्टर(Tractor) नहीं लगा होता है इसका इंजन सिर्फ कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) के लिए ही बनाये जाते हैं तथा इनका फसल कटने के बाद अगली फसल आने तक कोई भी काम नहीं होता। इसका प्रयोग सामान्यतः ऐसे किसान करते हैं जो कि किराये पर अपनी मशीन(Machine) चलाते हैं। 

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आजकल सभी बड़ी कंपनियां(Company) कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) बनाते हैं जिनमे, 

  1. हिन्द एग्रो हार्वेस्टर(Hind Agro Harvester)
  2. प्रीत हार्वेस्टर(Preet Harvester)
  3. क्लास हार्वेस्टर(Class Harvester)
  4. केएस ग्रुप हार्वेस्टर(KS Group Harvester)
  5. एग्रीस्टार हार्वेस्टर(Agristar Harvester)
  6. न्यू हिन्द हार्वेस्टर(New Hind Harvester)
  7. स्वराज(Swaraj)
  8. इंडो फार्म हार्वेस्टर(Indo Farm Harvester)
  9. मलकीत एग्रो इंडस(Malkit Agro Indus)
  10. शक्तिमान हार्वेस्टर(Shaktiman Harvester)
  11. ऐस हार्वेस्टर(S Harvester)
  12. न्यूहॉलैंड(New Holland)
  13. करतार(Kartar)
  14. गोमसेलमष(Gomselmash)
  15. दसमेश(Dasmesh)

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) का कार्य:

इस मशीन(Machine) की सहायता से किसान गेंहूं, सरसों, धान, सोयाबीन आदि फसलों को काट कर दाने अलग करता है. इसके अंदर स्टोरेज क्षमता भी होती है जो कि भर जाने पर चालक को टंकी भर जाने का अपडेट देती है जिससे कि उसको खाली करके दुबारा से काम स्टार्ट किया जा सके। 

कंबाइन हार्वेस्टर(Combine Harvester) की रील खड़ी फसल को काटने वाली यूनिट तक पहुंचाती है। कटर बार के अंदर बड़े-बड़े चाकू जैसे बहुत ही तेज धारदार ब्लैड होते हैं जिनसे वो खड़ी फसल को काटता है। इसके बाद फसल कन्वेयर बेल्ट के जरिए रेसिंग यूनिट में जाती है। 

यहां पर फसल के दाने ड्रेसिंग ड्रम और कंक्रीट क्लीयरेंस से रगड़ने पर अलग हो जाते हैं। इसके साथ ही बड़े-बड़े छटना के द्वारा अनाज साफ हो जाता है और ब्लोवर से भूसा या तूरा अलग हो जाता है. इस मशीन में एक स्टोन ट्रैप यूनिट लगी होती है, जो कि फसल के साथ आने वाले कंकड़, मिट्टी आदि को अलग कर देता है।  

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) की उपयोगिता:

यह मशीन किसानों के लिए बहुत उपयोगी है। इसकी मदद से किसान को मजदूर न मिलने पर मशीन से काम किया जाता है और कम से कम 10 से 15 दिन पहले ही किसान अपनी फसल को बाजार, मंडी में ले जाकर बेच सकता है।

इससे अनाज को अलग करके तूरा और भूसा को खेत में खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। जिससे कि खेत की उर्बरकता बानी रहती है. इससे खेत में गिरी हुई फसल को भी काटा जा सकता है।  

प्रदूषण रोकने के लिए जरूरी है स्ट्रा रीपर वाली मशीन(Straw Reaper Machine):

सरकार ने इससे होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए इसके साथ स्ट्रा रीपर(Straw Reaper) लगाना जरूरी कर दिया है बिना स्ट्रा रीपर(Straw Reaper) की मशीन(Machine) को सीज कर दिया जायेगा।

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क्या काम करता है स्ट्रा रीपर(Straw Reaper):

स्ट्रा रीपर एक कृषि यंत्र है, यह हार्वेस्टिंग मशीन(Harvesting Machine) में लगाया जाता है. इससे धान, गेंहूं, सरसों आदि फसलों की कटाई के बाद बचने वाले अवशेष छोटे-छोटे टुकड़ों में कट जाते हैं, जो कि जलाने में मुश्किल होते हैं और खेत की जुताई के समय मिट्टी में ही मिल जाते हैं. इससे प्रदूषण की समस्या नहीं होती और किसान के खेत में खाद का काम भी यही अवशेष करते हैं.

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) के नुकसान:

प्रौद्योगिकी एक महान नौकर है, लेकिन एक बुरा स्वामी है। कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) के कुछ नुकसान भी हैं अगर हम उसका सही से उपयोग न करें तो इससे खेत को फसलों के अवशेष ज्यादा होने की वजह से किसान समय से अगली फसल की तैयारी समय से नहीं कर पाता है। 

उसको नष्ट करने के लिए किसान को ज्यादा जोत लगानी पड़ती हैं जिससे की किसान का खर्चा ज्यादा आता है, दूसरा अगर इसमें आग लगा दी जाये तो इससे पर्यावरण को नुकसान होता है तथा सरकार पराली जलाने को लेकर बहुत सख्त है।

कैसे खरीदें कंबाइन हार्वेस्टर(Combine Harvester):

कंबाइन हार्वेस्टर(Combine Harvester) को खरीदने के दो तरीके हैं पहला आप किसी भी कंपनी से सीधे इसे खरीद सकते हैं या सरकार द्वारा दी गई अनुदान की स्कीम से भी इसे ले सकते हैं. अनुदान से मिलना आसान नहीं है क्यों कि यह बहुत ही मॅहगा यन्त्र है तो हर कोई इसको खरीद नहीं पता है. 

ज्यादातर किसान किराये पर लेकर ही अपनी फसल इससे कटवाते हैं. इस वजह से कई बार किसानों को अपना नंबर आने के लिए कई कई दिन तक इन्तजार करना पड़ता है और कई बार इससे फसल ज्यादा पक जाने कि वजह से खेत में ही झड़ जाती है| 

अनुदान देने के लिए सरकार अपनी तरफ से कोशिश कराती है कि सही पात्र को इसका फायदा मिले लेकिन इसमें भी कुछ लोग खेल कर जाते हैं और जो सरकार का रजिस्ट्रेशन पोर्टल(Registration Portal) है वो समय पर खुल ही नहीं पता है. 

किसानों को पता ही नहीं चलता और इसका अनुदान किसी ख़ास आदमी को मिल जाता है। सब्सिडी(Subsidy) पाने के लिए अपने जिले के कृषि अधिकारी से संपर्क में रहें जिससे की जब भी किसी यन्त्र पर सब्सिडी(Subsidy) आती है तो आपको पता चल सके।

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) की कीमत:

कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) की रेट 15 लाख से लेकर 40 - 45 लाख तक जाते हैं. इसकी कीमत इसके फीचर(Feature) पर निर्भर करता है. जिस मशीन(Machine) की ब्लेड ज्यादा बड़ा होगा वो काम समय में ज्यादा फसल की कटाई कर सकता है. 

इससे भी कीमत बढ़ जाती है. आप हमारे एक्सपर्ट्स से भी इसकी कीमत और फीचर्स(Features) के बारे में पूछ सकते है. मेरीखेती वेबसाइट का उद्देश्य अपने किसान भाइयों को ज्यादा से ज्यादा और सटीक जानकारी देना है।

कृषि यत्रों के लिए लोन कैसे लें:

भारतीय स्टेट बैंक(State bank Of India) कृषि यत्रों के लिए लोन भी देती है. क्यों की ये सरकारी बैंक है तो आपको किसी भी तरह की छुपी हुई शर्तों से नहीं डरना है. 

प्राइवेट बैंकों की तरह इनकी कोई छुपी हुई शर्तें नहीं होती हैं. आपको नीचे स्टेट बैंक का लोन की अप्लाई(Apply) के लिए लिंक भी दिया जा रहा है. जिससे आप ऑनलाइन भी लोन(Loan) की प्रक्रिया देख सकते हैं। SBI Loan Link:http://bit.ly/3osRjgX

फसलों की होगी अच्छी कटाई, बस ध्यान रखनी होंगी ये बातें

फसलों की होगी अच्छी कटाई, बस ध्यान रखनी होंगी ये बातें

हमारा देश एक कृषि प्रधान देश कहलाता है. जहां पर बड़ी मात्रा में लगभग हर हिस्से में खेती की जाती है. देखा जाए तो यह मौसम रबी की फसलों का है. हालंकि कीं सर्दियों के मौसम से लेकर बारिश के मौसम के बीच में इसकी फसलों की बुवाई की है, बात फसलों की कटाई की करें, तो रबी की फसलों की कटाई मार्च के महीने से अप्रैल महीने के बीच की जाती है. अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि, फसलों की कटाई तो सभी कर लेते हैं, लेकिन क्या वो इससे जुड़ी बातों का ध्यान रख पाते हैं? तो आपको बता दें कि, खेती किसानी में फसलों की कटाई बेहद महत्वपूर्ण प्रक्रिया मानी जाती है. हालांकि आजकल श्रमिकों कि उपलब्धता और बहुत ज्यादा श्रमिकी किसानों के लिए बेहद गंभीर समस्या बनकर सामने आ रही है. परम्परागत रूप से कटाई का महीनों तक हलने वाला काम अब मशीनों की मदद से बेहद कम दिनों में पूरा हो जाता है. अगर फसलों की समय पर कटाई नहीं की गयी तो उनके खराब होने की आशंका बढ़ जाति है. साथ ही अगली फसल की बुवाई में भी देरी हो जाती है. जिससे किसानों को फसलों की उपज कम मिलती है. अज के समय में कटाई के लिए काफी मशीनों का विकल्प बाजार में उपलब्ध है. फसलों की कटाई के लिए किसान उन्नत हंसिया, पैदल चलाने वाला वर्टिकल कन्वेयर रीपर, बैठकर चलाने वाला कन्वेयर रीपर का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा किसान चाहे तो पॉवर टिलर चलित रीपर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. वहीं अगर आप दांतेदार हसिया का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको कम मेहनत करनी पड़ सकती है. इससे उत्पादकता भी बढ़ती है. इतना ही नहीं कटाई के बाद किसान यंत्रों के इस्तेमाल से फसलों की गहाई भी कर सकते हैं. वहीं छोटे किसानों की बात करें तो वो दस अश्वशक्ति वाली गहाई मशीनों का इस्तेमाल अपनी फसलों को काटने में कर सकते हैं. अब ऐसे में ये बात तो हुई फसलों की कटाई में इस्तेमाल किये जाने वाले यंत्रों की. जो आपकी फसल की बढ़िया तरीके कटाई भी करेंगे और निराई करने में भी मदद करेंगे. लेकिन बात जब फसलों की कटाई की ओर ध्यान रखने योग्य बातों की हो, तो उसे नजरअंदाज बिलकुल भी नहीं करना चाहिए. खेतों में रबी के सीजन की फसलों की कटाई का काम शुरू हो चुका है, इस सीजन की फसलों को उगाने के लिए ज्यादातर कम तापमान की जरूरत होती है. जिस वजह से इसकी बुवाई अक्टूबर से नवंबर के महीने के बीच में होती है. तो चलिए जान लेते हैं, कौन सी फसल की कटाई के वक्त कौन कौन सी बातों पर ध्यान देना जरूरी है.

पकी हो फसल

जब फसल पक जाती है, तो उसकी कटाई की बारी आती है. ऐसी स्थिति में किसान जब भी फसलों को काटने की तैयारी करेंम तो इस बात को सुनिश्चित कर लें कि, वो फसल कटने लायक हुई है या नहीं. आपको इस बात का ज्यादा ध्यान रखना है कि, कटाई के वक्त फसल पूरी तरह से पकी हुई और सूखी होनी चाहिए. इससे कटाई का काम आसान हो जाता है. ये भी देखें: एक घंटे में होगी एक एकड़ गेहूं की कटाई, मशीन पर सरकार की भारी सब्सिडी

मिट्टी न हो ज्यादा गीली

फसलों की कटाई के समय इस बात का भी ध्यान रखन बेहद महत्वपूर्ण है कि, मिट्टी में जरूरत से ज्यादा नमी ना हो. अगर मिट्टी ज्यादा गीली हुई तो कटाई के काम में मुश्किल खड़ी हो सकती है. और फसलें खराब हो सकती हैं.

सहूलियत के हिसाब से करें कटाई

खेती करने वालों में छोटे किसान भी हैं, और बड़े किसान भी. अगर आपकी खेती छोटे स्तर पर है तो आप फसलों की कटाई हाथों से भी कर सकते हैं. वहीं अगर आप व्यापक स्तर पर खेती करते हैं, तो आपको आधुनिक कम्बाइनों की जरूरत पड़ सकती है. हालंकि आजकल बाजार में कई तरह के विकल्प भी उपलब्ध हैं. जिनका इस्तेलाम अगर चाहें तो कर सकते है.

खेतों में न छोड़ें पराली

अगर आपने अपनी फसल की कटाई कम्बाइन से की है तो कटाई के बाद क्काफी हद तक पराली भी रह जाती है. अब ऐसे में बची हुई पराली को ज्यादा देर तक खेतों में नहीं छोड़ना चाहिए. क्योंकि इससे वो जरूरत से ज्यादा सूख जाएगी. जिस वजह से उसकी तुड़ी कम बनती है.

ना जलाएं पराली

फसल की कटाई के बाद गेंहूं की बची हुई पराली को काफी किसान आग लगा देते हैं. जोकि करना बिलकुल गलत है. पराली को कभी भी नहीं जलाना चाहिए. इससे मिट्टी के अंदरूनी हिस्से के साथ साथ अच्छे और जरुरतमन्द कीटों और वातावरण को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचता है.

मशीन के काट रहे हैं फसल तो रहें सावधान

अगर आप मशीन की मदद से फसल काट रहे हैं, तो आपको ज्यादा से ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आगजनी की सबसे ज्यादा घटनाएं बिजली के शार्ट सर्किट की वजह से होती हैं. ऐसी स्थिति में किसान अपनी फसलों के ढेर को बिजली लेने के आस पास ना रखकर दूर रखें. इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखें की फसल काटने वाली कम्बाइन की ऊंचाई ज्यादा होती है. इसलिए बिजली की लाइन वाली क्षेत्र में जब भी फसल काटें तो तारों पर जरुर ध्यान रखें. इस सीजन में गेहूं की फसल की कटाई का काम तेजी से हो रहा है. बात रबी की फसल की कटाई की करें, तो किसान भी खेतों में युद्धस्तर पर लगे हुए हैं. गेहूं के अलावा, सरसों और मोटे अनाजों की कटाई का काम जोरों पर किया जा रहा है. बता दें फरवरी के मौसम में ही गर्मी ने अपने तेवर दिखने शुरू कर दिए हैं. जिस वजह से तापमान भी बढ़ना शुरू हो गया है. जिसका असर खेतों में कड़ी फसलों पर पड़ रहा है. जिस वजह से अधिकांश क्षेत्रों में फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है.
विश्व की सर्वाधिक तीखी मिर्च ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज किया

विश्व की सर्वाधिक तीखी मिर्च ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज किया

आजकल एक ही फसल की विभिन्न किस्में देश में मौजूद हैं। कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि विशेषज्ञ निरंतर नवीन किस्मों को विकसित करने के प्रयास में जुटे रहते हैं। उसी तरह लाल मिर्च की एक किस्म भूत जोलोकिया आजकल गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होने की वजह से चर्चा में है। सामान्यतः मिर्च का इस्तेमाल सब्जी में तीखापन लाने, महक और स्वाद को बढ़ाने हेतु किया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि नागालैंड की भूत जोलोकिया मिर्च विश्व की सर्वाधिक तीखी मिर्च मानी जाती है। दरअसल, मिर्च का नाम कान में पड़ते ही तीखेपन का स्वाद मन में आ जाता है। आमतौर पर मिर्च का उपयोग सब्जी में सलाद एवं स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। लाल मिर्च तुलनात्मक काफी ज्यादा तीखी होती है। इसको पीसकर मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। मिर्च उपयोग से सब्जी का रंग लाल होने के साथ-साथ इसके स्वाद में भी परिवर्तन आ जाता है। आज ऐसी मिर्च के विषय में जानने का प्रयास करेंगे, जिसको विश्व की सबसे ज्यादा तीखी मिर्च के रूप में जाना जाता है। अच्छी विशेषताओं वाली यह मिर्च महिलाओं के सुरक्षा कवच का कार्य करती है।

भूत जोलोकिया मिर्च गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में हुई शामिल

भूत जोलोकिया मिर्च को दुनिया की सर्वाधिक तीखी मिर्च के रूप में जानी जाती है। इसका उत्पादन भारत के नागालैंड में किया जाता है। इसके तीखेपन स्वाद की वजह से भूत जोलोकिया मिर्च को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल है। वर्ष 2007 में इसे रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है। नागालैंड में अधिकाँश किसान इसकी खेती किया करते हैं। साथ इसको विश्व के विभिन्न देशों में मिर्च को निर्यात किया जाता है। भारत की भूत जोलोकिया की मांग विदेशों तक से भी रहती है। यह भी पढ़ें: यहां के किसान मिर्च की खेती से हो रहे हैं मालामाल, सरकार भी कर रही है मदद

भूत जोलोकिया मिर्च कितने दिन में तैयार हो जाती है

भारत के नागालैंड की यह प्रसिद्ध भूत जोलोकिया मिर्च 75 से 90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। अगर हम आकार की बात करें तो मिर्च की ऊंचाई 50 से 120 सेंटीमीटर तक होती है। इसका उत्पादन पहाड़ों पर काफी अच्छी तरह से होता है। सामान्य मिर्च की तुलना में लाल मिर्च लंबाई में छोटी होती है। अगर इसकी लंबाई की बात की जाए तो यह 3 सेंटीमीटर तक होती है। वहीं चौड़ाई 1 से 1. 2 सेंटीमीटर तक होती है।

भूत जोलोकिया महिलाओं की सुरक्षा करने हेतु भी काम आती है

भूत जोलोकिया की एक और सबसे बड़ी खासियत है। इसका उपयोग सुरक्षा बल एजेंसियों द्वारा आँसू गैस गोला इत्यादि उत्पाद बनाने के लिए भी किया जाता है। साथ ही, इसके तीखी होने की विशेषता के चलते इस मिर्च से स्प्रे भी तैयार की जाती है। इससे महिलाओं के साथ होने वाली बदसलूकी और छेड़खानी में संरक्षण के तौर पर उपयोग करती हैं। बतादें, कि स्प्रे से गले एवं आंखों में जलन होनी चालू हो जाती है। व्यक्ति की खांसी नहीं रुकती और बेहाल हो जाता है।
किसान भाई इन दो कृषि उपकरणों से कुछ ही घंटे में गेंहू की फसल काट सकते हैं

किसान भाई इन दो कृषि उपकरणों से कुछ ही घंटे में गेंहू की फसल काट सकते हैं

रबी की फसलों के अंतर्गत गेहूं खाद्यान्न की प्रमुख फसल के तौर पर किसानों द्वारा चुनी जाने वाली प्रमुख फसल है। हम आज आपको इस फसल की कटाई से संबंधित दो कृषि यंत्रों के बारे में जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं, जिनके माध्यम से आप कई एकड़ फसल को कुछ ही घंटों के अंदर काट सकते हैं। किसान और सरकार चाहते हैं, कि भारतभर में फसलों का उत्पादन और उनकी गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी हो। क्योंकि, इससे कृषक एवं सरकार दोनों को फायदा होगा। लेकिन यह सिर्फ तब ही संभव हो पाएगा, जब फसल उत्पादन का काम कम लागत में संपन्न हो। इसका एक मात्र विकल्प यह है, कि आधुनिक कृषि यंत्रों का इस्तेमाल किया जाए, जिससे कि समय, श्रम एवं लागत की बचत हो पाए। इससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी हांसिल हो सकेगा। ऐसे में आज हम ऐसे आधुनिक 2 कृषि यंत्रों के विषय में बताएंगे, जो कि गेहूं की कटाई को काफी सुगम बना देते हैं।

ट्रैक्टर चलित रीपर बाइंडर

आपकी जानकरी के लिए बतादें, कि इस मशीन के द्वारा कटर बार से पौधे कटे जाते हैं, उसके बाद पुलों में बंध जाते हैं। इसके पश्चात संचरण प्रणाली द्वारा एक ओर गिरा दिया जाता है। मुख्य बात यह है, कि इस मशीन की सहायता से कटाई और बंधाई का काम बेहद ही सफाई से होता है।

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कार्यक्षमता: इससे तकरीबन 0.40 हेक्टेयर/घंटा की दर से कटाई कर सकते हैं। इससे कटाई की लागत लगभग 1050/- रुपए घंटा आती है। कीमत: इस मशीन का अनुमानित मूल्य तकरीबन 2 से 3 लाख रुपए के आस-पास होता है।

स्वचालित वर्टिकल कन्वेयर रीपर

किसान भाइयों आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि छोटे और मध्यम किसानों के लिए गेहूं की कटाई करने हेतु यह अत्यंत उपयोगी मशीन है। इस मशीन में आगे की तरफ एक कट्टर बार लगी होती है, तो वहीं पीछे संचरण प्रणाली लगी होती है। इसके साथ ही रीपर में तकरीबन 5 हॉर्स पावर का एक डीजल इंजन लगा होता है, जो कि पहियों और कटर बार के लिए चलाने का कार्य करता है। कीमत: इस मशीन की अनुमानित लागत रुपए लगभग 100000/- है। कार्यक्षमता: इस मशीन से कटाई करने की लागत लगभग 1100 रुपए प्रति हेक्टेयर आती है. इसकी कार्य क्षमता लगभग 0.21 हेक्टेयर प्रति घंटा है।

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इन कृषि यंत्रों को खरीदने के लिए आप अपने क्षेत्र में स्थानीय कंपनियों से संपर्क कर सकते हैं, जो कि कृषि यंत्रों का निर्माण करती हैं। बतादें, कि यह कृषि यंत्र आपको बहुत ही कम कीमत में मिल जाएंगे।