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वेयरहाउस

राजस्थान में एमएसपी पर अब ऑनलाइन खरीदी जाएंगी फसलें

राजस्थान में एमएसपी पर अब ऑनलाइन खरीदी जाएंगी फसलें

राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार किसानों की समृद्धि और खुशहाली के लिए दिन रात काम कर रही है। इसके तहत सरकार कई ऐसे प्रयास कर रही है जिससे किसानों को फायदा होने के साथ-साथ उनकी जीवनशैली आसान बनाई जा सके। इसको देखते हुए गहलोत सरकार ने राज्य में अनाजों की खरीदारी के लिए पूरा सिस्टम ऑनलाइन कर दिया है। अब राज्य में एमएसपी (MSP) के माध्यम से फसलों की खरीदारी ऑनलाइन की जाएगी ताकि किसान भाई अपनी फसल को बेहद आसानी से बेंच पाएं। इसका एक फायदा ये भी होगा कि ऑनलाइन माध्यम से किसानों को बेहद आसानी से भुगतान किया जा सकेगा, जिससे फसल बेचने के बाद किसानों के खातों में त्वरित पैसा आ सकेगा। फसल की ऑनलाइन खरीदी की घोषणा के बाद राजस्थान देश में ऐसा पहला राज्य बन गया है, जहां फसल बेंचने से लेकर भुगतान तक की प्रक्रिया ऑनलाइन की जाएगी।

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इस प्रक्रिया को ऑनलाइन करने में राजस्थान स्टेट कॉपरेटिव मार्केटिंग फैडरेशन (Rajasthan State Co-operative Marketing Federation Ltd.) ने महत्वपूर्ण योगदान निभाया है, इस प्रक्रिया को पूरी तरह से राजस्थान स्टेट कॉपरेटिव मार्केटिंग फैडरेशन ही संचालित करेगा। ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से सरकार का उद्देश्य है कि किसानों की फसलों की खरीद सुनिश्चित हो सके तथा किसानों को उनकी फसलों का पूरा दाम मिले।

किसान अपनी फसलों को किस प्रकार से ऑनलाइन बेंच सकते हैं

राजस्थान में इस नई योजना के अंतर्गत किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य में अपनी फसल बेंचने के लिए ऑनलाइन नामांकन करवाना होगा, जिसके लिए किसान भाई नजदीकी खरीद केंद्र या ई-मित्र केंद्र पर जाकर अपना नामंकन करवा सकते हैं। नामांकन करवाने के लिए किसानों को आधार कार्ड, जन आधार कार्ड, गिरदावरी पी-35, बैंक खाते आदि की डिटेल की जरुरत पड़ सकती है, इसलिए किसान ये दस्तावेज अपने साथ रखें। नामांकन करते वक़्त आधार के माध्यम से किसान का बायोमेट्रिक सत्यापन किया जाएगा, इसके बाद नामांकन पूर्ण हो जाएगा।

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जब किसान से फसल खरीदने की बारी आएगी तो राजस्थान स्टेट कॉपरेटिव मार्केटिंग फैडरेशन के द्वारा किसान को एसएमएस (SMS) के माध्यम से सूचित किया जाएगा। इसके साथ ही एसएमएस के माध्यम से किसान को तुलाई की दिनांक, कृषि जिंस की मात्रा तथा खरीदी केंद्र के बारे में भी सूचित किया जाएगा। जिसके बाद किसान निर्धारित दिनांक को नियत खरीदी केंद्र पर जाकर अपनी फसल की तुलाई करवा सकता है। जहां पर किसान का फिर से बायोमीट्रिक सत्यापन किया जाता है और तुलाई की रसीद दी जाती है, इसके बाद किसानों के रूपये शीघ्र ही उनके खातों में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं। इस प्रक्रिया से किसानों की सहूलियत बढ़ेगी और कई दिनों तक फसलों को बेचने के लिए लाइनों में लगने से निजात मिलेगी। किसानों की सहूलियतों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने खरीदी केंद्रों की संख्या में भी इजाफा किया है। सरकार की कोशिश है कि किसानों के लिए खरीदी केंद्र उनके पास ही उपलब्ध करवाए जाएं ताकि किसानों को ज्यादा भटकना न पड़े। इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने खरीदी केंद्रों की संख्या बढाकर 650 से अधिक कर दी है, पहले राज्य में खरीदी केंद्रों की संख्या मात्र 250 थी। अब बड़े केंद्रों के साथ-साथ ग्राम सेवा सहकारी समितियों पर भी खरीद केंद्र बनाए गए हैं, साथ ही पंजीयन करवाने के लिए तहसीलों को भी अधिकृत कर दिया गया है। अब तहसीलों में भी किसान अपना पंजीयन करवा सकते हैं।

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इसके साथ ही अब सरकार ने वेयरहाउस सेवा को भी ऑनलाइन कर दिया है, अब राज्य में वेयरहाउस ई-रिसिप्ट सेवा की व्यवस्था को लागू कर दिया गया है। जिसके तहत किसान भाइयों को फसल बेंचने के बाद 3 दिन के भीतर भुगतान कर दिया जाएगा पहले यह व्यवस्था ऑफलाइन थी। जिसमें भुगतान करने में कई महीनों का समय लग जाता था, क्योंकि किसान की उपज वेयरहाउस में जमा होने के बाद नैफेड तक रसीद पहुंचे में ही महीनों लग जाते थे। जिससे किसानों के भुगतान में अनावश्यक देरी होती थी, इस सुविधा के लागू हो जाने के बाद किसानों को देरी से होने वाले भुगतान से निजात मिलेगी। राज्य में यह व्यवस्था लागू होने के बाद किसान काफी खुश हैं, किसानों का कहना है कि वो अब अपनी फसल बिना किसी परेशानी के बेंच पाएंगे। इसके साथ ही उन्हें भुगतान भी जल्दी मिल जाएगा। इस प्रक्रिया के लागू होने के बाद किसानों के समय की बचत होगी, जिससे किसान अपनी दूसरी खेती पर ज्यादा ध्यान दे पाएंगे। अन्य खेती में ज्यादा ध्यान देने से किसान अपनी पैदावार को और ज्यादा बढ़ा सकते हैं। जिससे किसानों की थोड़ी बहुत आमदनी और ज्यादा बढ़ सकती है।
अब मात्र 3% ब्याज के साथ किसानों को मिलेगा 2 करोड़ रुपये तक का लोन

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किसान अच्छा उत्पादन करने के बाद भी अभी काफी परेशान चल रहे हैं क्योंकि आज की दुनिया में देखा जा रहा है कि किसानों की फसल, रखरखाव की सही व्यवस्था नहीं होने के कारण खराब हो जाती है। उनको मेहनत करके उपजाने के बाद भी बाजार में सही कीमत नहीं मिल पाता, जिससे की उनको हर समय घाटे का सौदा करना पड़ता है। आए दिन यह भी देखा जाता है कि जिस समय अनाज का उत्पादन होता है उस समय किसानों को रखरखाव की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण कम दाम में भी इन्हें बाजार में बेच देना पड़ता है। लेकिन अब किसानों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि भारत सरकार ने एक स्कीम लॉन्च किया है, जिससे कि किसानों को काफी सहूलियत मिलेंगे।


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इस नेशनल एग्रीकल्चर इन्फ्रा फाइनेंसिंग फैसिलिटी (National Agriculture Infra Financing Facility) स्कीम में भारत सरकार ने किसानों के लिए 2 करोड़ तक का लोन देने का प्रावधान रखा है, आपको बता दें कि इस योजना में 7 साल के अंदर लोन चुकता करने के लिए बैंक गारंटी के रूप में सरकार की तरफ से भी सुविधा प्रदान किया जाएगा। उतना ही नहीं अब इस योजना के तहत किसानों को सात वर्ष तक ब्याज में 3% की छूट भी दिया जा रहा है, जिससे किसान सहूलियत के साथ बैंक का पैसा वापस कर सकेंगे। नेशनल एग्रीकल्चर इन्फ्रा फाइनेंसिंग फैसिलिटी योजना में आवेदन के लिए आधिकारिक वेबसाइट https://agriinfra.dac.gov.in/ पर जाकर आवेदन किया जा सकता है और लोन आवेदन की प्रक्रिया का हिंदी में वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें : https://agriinfra.dac.gov.in/Content/video/Agri_pro_Hindi_6.mp4 [embed]https://agriinfra.dac.gov.in/Content/video/Agri_pro_Hindi_6.mp4[/embed] आपको यह भी बताते चलें की अब किसान इस योजना के लाभ मिलने के कारण वेयरहाउस से लेकर कोल्ड चेन कोल्ड स्टोर लॉजिस्टिक यूनिट्स की स्थापना कर सकेंगे और इसका फायदा यह होगा कि किसान अपनी उपज को सुरक्षित कुछ दिन बाद भी बाजारों में बेच सकेंगे। गौरतलब हो कि पिछले दिनों किसानों का पूरी उपज बाजार में नहीं बिकने से किसान काफी परेशान होते थे और लंबे समय तक अपने अनाज को स्टोर करके भी नहीं रख सकते थे। लेकिन इस योजना के आने के बाद किसानों में काफी खुशी है, क्योंकि अब किसानों के उपज अच्छे मुनाफ़े के साथ लंबे समय के बाद भी बाजार में बिक सकता है।


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लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कौन-कौन इस योजना का लाभ ले सकता है। आपको बता दें कि इस योजना की अवधि 10 वर्ष की है जो कि 2020 से शुरू होकर 2029 तक चलेगी। इस योजना में किसानों को ₹2,00,00,000 तक तत्कालीन 3% सालाना ब्याज दर में छूट के साथ उपलब्ध कराया जाएगा। आपको यह भी बता दें कि इस योजना के तहत ऋण के लिए कवरेज भी उपलब्ध कराए जाएंगे। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान, पैक्स, लाइबिलिटी ग्रुप, कृषि उद्यमी भी शामिल हैं।
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भारतीय किसानों को मोदी सरकार ने एक और बड़ा तोहफा दिया है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले-पहले केंद्र सरकार की तरफ से कृषकों के लिए एक नवीन योजना जारी करने की घोषणा की है। 

योजना के अंतर्गत किसान भाइयों को अब गोदाम में भंडारित अनाज पर भी कर्ज मिलेगा। ये ऋण वेयर हाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) द्वारा प्रदान किया जाएगा। 

किसानों को केवल रजिस्टिर्ड गोदामों में अपने उत्पाद रखने होंगे, जिसके आधार पर उन्हें ऋण दिया जाएगा। यह लोन 7% प्रतिशत की ब्याज दर पर बिना किसी चीज को गिरवी रखे मिलेगा। 

सोमवार (4 मार्च, 2024) को उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री, पीयूष गोयल ने दिल्ली में डब्ल्यूडीआरए के ई-किसान उपज निधि (डिजिटल गेटवे) की शुरुआत करने के अवसर पर ये जानकारी प्रदान की।

पीयूष गोयल ने कहा कि इस डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए कृषकों को बैंक के साथ संबंध बनाने का विकल्प भी दिया जाएगा। फिलहाल, डब्ल्यूडीआरए के पास देश भर में तकरीबन 5,500 रजिस्टर्ड गोदाम हैं। गोयल ने बताया कि भंडारण के लिए अब सुरक्षा जमा शुल्क कम हो जाएगा। 

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इन गोदामों में किसानों को पहले अपनी पैदावार का 3% प्रतिशत सुरक्षा जमा राशि देनी पड़ती थी। वर्तमान में सिर्फ 1 प्रतिशत सुरक्षा जमा धनराशि देनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए गोदामों का इस्तेमाल करने और उनकी आमदनी में इजाफा करने के लिए यह फैसला लिया गया है।

किसान अपनी उपज कम भाव पर बेचने के लिए नहीं होंगे मजबूर  

गोयल ने कहा कि ई-किसान उपज निधि किसानों को संकट के वक्त में उनके उत्पाद को कम मूल्य पर बेचने से बचाएगी। ई-किसान उपज निधि और टेक्नोलॉजी से किसान भाइयों को उनकी उपज की भंडारण की सुविधा मिलेगी। 

किसानों को उनके उत्पादों के लिए समुचित मूल्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र 2047 तक भारत को 'विकसित भारत' बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। 

गोयल ने कहा कि हमारे प्रयास में डिजिटल गेटवे पहल खेती को आकर्षक बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। कृषक भाई बगैर किसी संपत्ति को गिरवी रखे ई-किसान उपज निधि किसानों द्वारा संकट के समय में उनकी उपज बिक्री को रोक सकती है। 

अधिकांश तौर पर किसानों को अपनी पूरी फसल को सस्ती दरों पर बेचना पड़ता है। क्योंकि, उन्हें फसल के पश्चात भंडारण की शानदार रखरखाव सुविधाएं नहीं मिलती हैं। गोयल ने कहा कि डब्लूडीआरए के अंतर्गत गोदामों की अच्छी तरह से निगरानी की जाती है।

इनकी स्थिति काफी शानदार है और ये बुनियादी ढांचे से सुसज्जित हैं, जो कृषि उपज को अच्छी स्थिति में रखते हैं तथा खराब नहीं होने देते और इस तरह ये किसानों के कल्याण को बढ़ावा देते हैं। 

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गोयल ने इस बात पर काफी जोर दिया है, कि 'ई-किसान उपज निधि' और ई-नाम के साथ किसान एक इंटरकनेक्टिड मार्केट की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने में सक्षम होंगे। 

जो कि उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर या उससे ज्यादा की कीमत पर अपनी उपज को सरकार को बेचने का लाभ प्रदान करती है। 

एमएसपी पर सरकारी खरीद दोगुना से ज्यादा बढ़ी है 

गोयल ने कहा कि पिछले एक दशक में एमएसपी के माध्यम से सरकारी खरीद 2.5 गुना तक ज्यादा बढ़ी है। दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी खाद्यान्न भंडारण योजना के विषय में बोलते हुए मंत्री ने डब्ल्यूडीआरए से सहकारी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले समस्त गोदामों का फ्री रजिस्ट्रेशन करने के एक प्रस्ताव की योजना बनाने का आग्रह किया। 

उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र के गोदामों को मदद देने की पहल से किसानों को डब्ल्यूडीआरए गोदामों में अपनी उपज का भंडारण करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे उन्हें अपनी फसल बेचने पर काफी अच्छा भाव मिल सकेगा।