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सागवान

Sagwan: एक एकड़ में मात्र इतने पौधे लगाकर सागवान की खेती से करोड़ पक्के !

Sagwan: एक एकड़ में मात्र इतने पौधे लगाकर सागवान की खेती से करोड़ पक्के !

नेशनल-इंटरनेशनल मार्केट में छाल-पत्तों से लेकर लकड़ी तक की डिमांड वाले सागवान प्लांट की फार्मिंग (Sagwan Farming) से करोड़ों रुपए का मुनाफा तय है। कृषि विज्ञान एवं किसानी की पारंपरिक विधियों के सम्मिश्रण से सागवान की खेती कर किसान करोड़ों रुपयों का मुनाफा अर्जित कर सकते हैं।

ट्रिक करोड़ों की

मेरीखेती में, हम एक एकड़ के मान के आधार पर सागवान की खेती (Sagwan Ki Kheti) के तरीकों एवं उससे मिलने वाले अनुमानित लाभ पर फोकस करेंगे। कड़ी लकड़ी वाले इस पेड़ के जरिये, पेड़ के मालिक करोड़पति बन सकते हैं।

सागवान की खेती का गणित

खेत ही क्या, मुद्रा यानी रुपया (भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका), डॉलर, दिरहम, युआन का रोल जहां आ जाता है, वहां किसी वस्तु, सेवा या विचार की गुणवत्ता, उसकी जरूरत एवं उपलब्धता और कीमत ही उसकी सफलता की कुंजी मानी जाती है। सागवान की खेती (Teak Wood Farming) भी प्रकृति का वह विकल्प है जिसकी गुणवत्ता, मांग और कीमत उसे उत्पाद के तौर पर श्रेष्ठ बनाती है।

सागवान की डिमांड

सागवान को स्थानीय स्तर पर सगौना, सागौन, टीक, टीकवुड (Teak, Teakwood) भी कहा जाता है। इसकी लकड़ियों का जहाज़, रेल, बड़े यात्री वाहनों और फर्नीचर इंडस्ट्री सेक्टर तक व्यापक मार्केट है।

सागवान के औषधीय गुण

जीवित सागवान पेड़ की छाल और पत्तियां तक मनुष्य के लिए गुणकारी होती हैं। औषधीय उपचार में भी सागौन की छाल, पत्ती एवं जड़ों का उपयोग किया जाता है। खास तौर पर कई तरह की शक्ति वर्धक दवाएं भी इससे बनाई जाती हैं।

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मतलब साफ है कि सागवान फार्मिंग (Sagwan Farming) में लाभ के अवसर अपार हैं, सागौन के पेड़ के जरिए किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं।

अड़ियल स्वभाव वाला है सागवान का पेड़

खेत, जंगल, झरना, पोखर कहीं भी पनपने वाले अड़ियल स्वभाव के सागवान पौधे की खेती (Sagwan Cultivation) के मात्र इतने ही फायदे नहीं हैं, बल्कि यह गुणों की भरमार है।

जंगल नहीं अब खेतों की भी शान

पारंपरिक खेती-किसानी में आधुनिक कृषि विज्ञान की युक्तियों के साथ आज का किसान किसानी से दिन दूनी रात चौगुनी कमाई के विकल्प तलाश रहा है। कभी खेत से मात्र मुख्य फसल उपजाने वाला आज का किसान अब आय के अन्य विकल्प भी अपना रहा है।

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ऐसा ही एक विकल्प है सागवान फार्मिंग (Sagwan Farming) भी, लेकिन इसके लाभ हासिल करने के लिए कुछ खास चीजों का ध्यान रखने की जरूरत है। मसलन पौधरोपण के तरीके, पौधरोपण का समय, देखभाल में रखी जाने वाली सावधानियां, संभावित नुकसान, आदि।

सागवान के पौधे की कीमत

ऑनलाइन कृषि उत्पाद, पौधे आदि बेचने वाली कंपनियां मात्र 20 रुपए में सागवान के पौधे की सेल ऑफर कर रही हैं। नर्सरियों में पौधे की गुणवत्ता के आधार पर सागवान की कीमत में घट-बढ़ हो सकती है।

सागवान है मुनाफे का सौदा

मतलब आज लगाया गया सागवान का 20 रुपए का पौधा दस साल बाद परिपक्व होने पर आज की कीमत के मान से 25 से 40 हजार रुपए तक किसान को कमा कर दे सकता है। अधिक संख्या में रोपेे गए पौधे अधिक लाभ का पक्का संकेत है!

सागवान है सहफसली विकल्प

अब किसान एक करोड़ रुपए के मुनाफे के लिए 10 साल तो नहीं रुक सकता तो ऐसे में नियमित कमाई भी संभव है। सहफसली कृषि विधि से किसान सागवान के पेड़ों के बीच की भूमि पर सब्जियों और फूलों की खेती कर कमाई और मुनाफे को डबल कर सकते हैं।

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सागवान के पेड़ की परिपक़्वता में कितने साल लगेंगे ?

सागवान का पेड़ 10 से 12 साल बाद परिपक़्व होने पर किसान को 25 से 40 हजार रुपये तक कमा कर देगा। परिपक़्व सागवान का प्रत्येक पेड़ लम्बाई और मोटाई के हिसाब से 25 हजार से 40 हजार रुपये तक बिकता है। कृषि अनुसंधान के अनुसार एक एकड़ खेत में लगभग 120 सागवान के पौधे लगते हैं। यह पेड़ अपनी परिपक्वता के बाद भी करोड़ों रुपए की हैसियत रखते हैं। मतलब साफ है कि खेत में बारिश, गर्मी, तेज ठंड में यदि कोई फसल न भी हो, तब भी सागौन के करोड़ों रुपए के चंद पेड़, आमदनी की आस हो सकते हैं।

किसान अगर इन तीनों पेड़ों की खेती करते हैं तो हो सकते हैं करोड़पति

किसान अगर इन तीनों पेड़ों की खेती करते हैं तो हो सकते हैं करोड़पति

पारंपरिक खेती से परेशान किसान अब अपना रहे हैं, कमाने का दूसरा तरीका। गौरतलब हो की हाल के कुछ दिनों में पारंपरिक खेती का हाल बेहद खराब हो गया है। जिसके कारण किसान कमाने के लिए दूसरी तरफ रुख कर रहे हैं। आपको बता दें कि किसान अब पारंपरिक खेती के अलावा कम लागत में ज्यादा मुनाफे कमाने के लिए पेड़ की खेती अधिक कर रहे हैं। लेकिन गौरतलब हो की पेड़ की खेती के किसान को धैर्य रखने की जरूरत है, अगर किसान धैर्य के साथ पेड़ की खेती करते हैं तो उनको काम लागत में ज्यादा मुनाफे हो सकता है।

महोगनी, सागवान और गम्हार जैसे पेड़ों की खेती

पेड़ की खेती में भी आज कल किसानों के बीच ये तीन पेड़ काफी लोकप्रिय है, जिसके खेती कर किसान अच्छा मुनाफे कमा रहे है। किसान आजकल महोगनी, सागवान और गम्हार जैसे पेड़ों की खेती कर काम लागत में अच्छा मुनाफे कमा रहे है। आपको बता दें कि इन लकड़ियों का बाजार में भी काफी मांग है, जिससे कि अच्छे-अच्छे फर्नीचर और लकड़ी का सामान बनाया जाता है। बाजार में अच्छे कीमत होने के कारण किसान इन खेती पर काफी ध्यान दे रहे हैं आपको बता दें कि किसान अगर इसमें 8 से 10 साल तक धैर्य के साथ संयम पूर्वक खेती करते हैं तो इसमें एक पेड़ उनको करोड़ों रुपए का मुनाफा दे सकता है।


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सागवान (sagwan)

गौरतलब हो कि सागवान (sagwan) अभी के दिनों में काफी लोकप्रिय होते दिख रहा है, जिससे किसान इसकी खेती (Sagwan Ki Kheti; Sagwan Farming) पर काफी ध्यान दे रहे हैं। आपको बता दें कि सागवान उगाने में ज्यादा दिमाग नहीं लगता है और यही खूबी उसको बाजार में काफी लोकप्रिय बना रही है। सागवान की लकड़ी का उपयोग आजकल रेल के डब्बे को बनाने में उपयोग किया जाता है, इतना ही नहीं इस से आजकल प्लाईवुड भी बन रहा है जो कि काफी महंगा बिक रहा है। आपको यह भी बताते चलें कि सागवान की लकड़ी के अलावा इसके पत्ते और छाल का भी काफी महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक उपयोग है। आपको बता दें कि इनके छाल और पत्तों का उपयोग कई तरह के एनर्जी देने वाली दवाओं को बनाने में किया जाता है। आपको बता दें कि किसान 1 एकड़ में सागवान के 120 पेड़ लगा सकते हैं। 8 से 10 साल बाद जब पेड़ कटाई की स्थिति में आ जाता है तो उस वक्त एक पेड़ की कीमत लगभग ₹40000 तक होती है। अगर इस हिसाब से अनुमान लगाया जाए तो 1 एकड़ में किसान अगर सागवान की खेती करते हैं, तो उसका मुनाफा करोड़ों रुपए तक पहुंच जाता है।

महोगनी

महोगनी (Mahogany) की खेती किसानों को करोड़पति बना सकती है। आपको बता दें कि इस पेड़ की लंबाई 200 फिट तक हो सकती है, जो किसानों को काफी अच्छा मुनाफा देती है। आपको यह भी बताते चले कि इस पेड़ का उपयोग जहाज बहुत सारे गहने, सजावट और मूर्तियां को बनाने में किया जाता है। अगर किसान इस पेड़ को लगाने के बाद 12 साल तक संयम बरतकर इसका ध्यान रखें, तो वह किसानों को करोड़पति बना सकता है। आपको बता दें कि अभी इस महोगनी के पेड़ की कीमत बाजार में  2500 रुपए प्रति क्यूबिक फिट है। आपको यह भी बताते चलें कि सागवान की लकड़ी के अलावा इसके पत्ते, फूल और छाल का काफी औषधीय प्रयोग भी है, जिसके कारण बाजार में छाल, पत्ती और फूल का भी अच्छी खासी कीमत किसानों को मिल जाती है।


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सफेदा या गमहार

अब बात करते हैं सफेदा या गमहार या नीलगिरी (Nilgiri; यूकेलिप्टस; Eucalyptus) की खेती की तो इसकी खेती काफी आसानी से किसानों के द्वारा किया जा सकता है। इस के पेड़ को तैयार होने में तकरीबन 5 साल का वक्त लगता है, जिसके बाद इसका एक पेड़ 400 किलो लकड़ी के आसपास देता है, जिसमें प्रति किलो लकड़ी की कीमत ₹7 के आसपास है। इसके लकड़ी का प्रयोग इंधन और फर्नीचर के रूप में काफी अधिक मात्रा में किया जाता है। 5 साल में तैयार होने के बाद यह पेड़ किसानों को लाखों रुपए का मुनाफा देते हैं।
फसलों के साथ पेड़ों का भी होगा अब बीमा, देखभाल के लिए सरकार से मिलेगी सब्सिडी

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आज के जीवन में किसानों के लिए पेड़ों का महत्व बढ़ता जा रहा है। इनसे न केवल लोगों को ऑक्सीजन (Oxygen) मिलती है बल्कि इन दिनों पेड़ किसानों के लिए कमाई का एक मुख्य साधन बनते जा रहे हैं। पेड़ों को लगाकर किसान भाई फल, फूल, औषधि, रबड़, तेल, चंदन, पशु चारा और लकड़ी का जबरदस्त उत्पादन कर रहे हैं और जमकर पैसा कमा रहे हैं। कई किसान अपने खेतों में विविधिता पूर्ण तरीके से खेत में फसल लगाते हैं। किसान अपने खेतों में तो खेती करते हैं लेकिन खेत की मेड़ों में फलदार यह औषधीय पेड़ लगा देते हैं, जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी होती है। अगर आज के युग की बात करें तो किसान अपने खेत की मेड़ों में पोपलर, महोगनी, सागवान, बबूल के पेड़ भी लगा रहे हैं। इन पेड़ों से किसान लड़की का उत्पादन करते हैं और उसे बाजार में बेंचते है। किसानों की इस प्रकार की खेती पर अब सरकार सहायता करने जा रही है। जल्द ही उत्तर प्रदेश की सरकार किसानों को पेड़ों का बीमा करवाने की सुविधा देगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जल्द ही उत्तर प्रदेश सरकार नई एग्रो फॉरेस्ट्री पॉलिसी लाने की तैयारी कर रही है। इससे किसानों को पेड़ों के बीमा का अलावा अन्य तरह के फायदे होंगे। यदि हम उत्तर प्रदेश की बात करें तो इस राज्य में कृषि एक मुख्य व्यवसाय है। जिससे प्रदेश की ज्यादातर जनता जुड़ी हुई है। यहां पर बागवानी, औषधी, मसाला, सब्जी, फल और पेड़ों से लेकर घास तक की खेती होती है। इन फसलों पर मौसम की वजह से या जंगली जानवरों और कीटों के प्रकोप की वजह से नुकसान भी होता है। जिससे फसलों के हुए घाटे की भरपाई करने के लिए सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसलों का बीमा करवाती है। इससे किसान फसल में होने वाले आर्थिक नुकसान से बच जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर प्रदेश की सरकार हर किसान के खेत में लगे पेड़ों का नई कृषि वानिकी नीति के तहत बीमा करवाएगी। जिससे यदि किसी भी प्रकार के प्राकृतिक नुकसान के कारण किसानों के पेड़ों को क्षति पहुंचती है तो उसकी भरपाई बीमा कंपनियों के द्वारा की जाएगी। इसके साथ ही इस नई कृषि वानिकी नीति के तहत पौधों की रोपाई और पेड़ों से मिले उत्पादों की मार्केटिंग में भी सरकार के द्वारा किसानों की मदद की जाएगी।

पेड़ों की खेती के लिए भी मिलेगी सब्सिडी

आजकल देश में बढ़ती जनसंख्या और उद्योगों के कारण बाजार में लड़की की मांग तेजी से बढ़ी है। इसको देखते हुए कृषि वानिकी नीति के तहत सरकार एक नया प्रावधान जोड़ने की तैयारी में है। इसके तहत वन विभगा किसानों को पौधे मुहैया करवाएगा। जिसमें व्यावसायिक महत्व वाले पौधे भी मुहैया करवाए जाएंगे। इन पेड़ों को अपने खेतों में लगाकर किसान भाई आसानी से इमारती लकड़ी के पेड़, फूड प्रोसेसिंग के लिए आंवला जैसे पेड़, जामुन और आम सरीखे फलदार पेड़, औषधीय पौधे और अन्य वानस्पतिक किस्मों के पेड़ लगा सकते हैं। जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी होगी।
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पेड़ों से मिलने वाले उत्पादों की मार्केटिंग में सहयोग करेगी सरकार

उत्तर प्रदेश की सरकार नई कृषि वानिकी नीति के तहत पेड़ों के बीमा, उत्पादन के साथ-साथ उनसे प्राप्त होने वाले उत्पादों की मार्केटिंग में भी सहयोग करने वाली है। इसके तहत किसानों का उद्योगों एक साथ समन्वय स्थापित करवाया जाएगा ताकि किसानों को पेड़ों की लकड़ी या दूसरी उपज बेचने के लिए बाजारों के चक्कर नहीं लगाने पड़ें। इसके लिए प्रदेश में क्लस्टरों का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही सरकार महंगे और कमर्शियल पेड़ों की देखभाल के लिए किसानों को सब्सिडी भी प्रदान करेगी ताकि किसानों के ऊपर पेड़ों की बागवानी का खर्चा भारी न पड़े।

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मिली हरी झंडी

सुप्रीम कोर्ट ने पहले लकड़ी आधारित उद्योगों को लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा रखी थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हटा दिया है। अब किसान बिना किसी चिंता के पेड़ों को अपने खेतों में लगा पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से किसानों के साथ-साथ लकड़ी कारोबार से जुड़े दूसरे हितग्राहियों को भी भारी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए अब उत्तर प्रदेश सरकार भी आगे आई है और सरकार आगामी कैबिनेट मीटिंग में कृषि वानिकी नीति पर आधारित ड्राफ्ट तैयार करके कैबिनेट के सामने प्रस्तुत करने की तैयारी कर रही है।