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ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के लिए स्टार्टअप्स को बढ़ावा देगी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी

ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के लिए स्टार्टअप्स को बढ़ावा देगी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी

चंडीगढ़। ग्रामीण क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं और किसानों के लिए चौ. चरन सिंह एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (Chaudhary Charan Singh Haryana Agriculture University (CCSHAU) Hisar, Haryana ) स्टार्टअप्स (startups)  को बढ़ावा देने जा रही है। ऐसे किसान जो अपनी फसल के उत्पादन को बदलना चाहते हैं, उनके लिए यह अच्छा विकल्प हो सकता है।

वास्तव में चौ. चरन सिंह एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हरियाणा ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।

एग्री बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर (एबीक - (Agri-business Incubation Centre -ABIC)) चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (सीसीएसएचएयू) हिसार, हरियाणा में होस्ट किया गया है और नेशनल बैंक ऑफ एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) द्वारा समर्थित है। एबीक कृषि व्यवसाय और उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी के उत्थान व नवीनीकरण और कौशल विकास का सहारा लेगी। एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी इस योजना के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाना चाहती है। यूनिवर्सिटी इस योजना से किसानों और बेरोजगार युवाओं को जोड़कर स्टार्टअप के लिए नई तकनीकी व आर्थिक सहायता उपलब्ध कराएगी।

65 कम्पनियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है पिछले तीन सालों में

हरियाणा की चौ. चरन सिंह एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता के अनुसार पिछले तीन सालों में 65 कम्पनियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इससे बेरोजगार युवाओं और किसानों को स्वरोजगार स्थापित कराने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही इच्छुक उम्मीदवारों को पूर्ण तकनीकी जानकारी प्रदान की जाएगी। अब तक इस योजना के लिए 27 इनक्यूबेटि (incubatee) को 3.15 करोड़ रुपए का अनुदान राशि प्राप्त हो चूका है, जो 250 से अधिक लोगों को स्वरोजगार प्रदान करने जा रहा है।
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सामाजिक संस्था नाबार्ड भी कर रही है सहयोग

एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की इस योजना को सफल बनाने के लिए सामाजिक संस्था नाबार्ड भी भरपूर सहयोग कर रही है। एग्री बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर (एबीक) को अपनी गतिविधियों को बढाने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए और नाबार्ड ऐसे प्रयास में अपना योगदान देने को तैयार रहती है। पिछले दशकों से लगातार एबीक का प्रदर्शन काफी शानदार रहा है। केन्द्र ने भी विशेष तौर पर इसकी सराहना की है।
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युवाओं के लिए बेहतर विकल्प

इस योजना के अंतर्गत किसानों को स्वरोजगार के साथ-साथ युवाओं को भी शामिल किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना युवाओं के लिए एक बेहतर विकल्प है। किसानों के उत्पादों की प्रोसेसिंग, मूल्य संवर्धन, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और सर्विसिंग तमाम महत्वपूर्ण कार्यों के लिए मार्गदर्शन के साथ वो अपना खुद का एक व्यवसाय खड़ा कर सकते हैं। जो भविष्य के लिए अच्छा अवसर हो सकता है। ------ लोकेन्द्र नरवार
किसान उत्पादक संगठन (FPO) क्या है और स्वयं का FPO बनाने की क्या प्रक्रिया है?

किसान उत्पादक संगठन (FPO) क्या है और स्वयं का FPO बनाने की क्या प्रक्रिया है?

किसान उत्पादक संगठन (FPO) किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित होता है। इसकी सहायता से वह अपनी विभिन्न प्रकार की समस्याओं का मिनटों में समाधान कर लेते हैं। 

यदि आप भी अपना स्वयं का एक FPO (Farmer Producer Organization) बनाना चाहते हैं, तो आज का यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी और जानकारी पूर्ण साबित होगा।

किसानों की आर्थिक स्थिति को सशक्त और सुदृण बनाने के लिए FPO सबसे अच्छा साधन माना जाता है। एफपीओ की फुल फॉर्म किसान उत्पादक संगठन है। दरअसल, एफपीओ के जरिए से किसान भाइयों को कृषि यंत्रों से लेकर खाद-बीज और अन्य बहुत सारी चीजें सस्ती दरों पर मिलती हैं। 

आज के वक्त में छोटे और सीमांत श्रेणी के किसान संगठन से जुड़कर कार्य करना पड़ता है। यदि आप भी FPO से जुड़ना चाहते हैं, तो इसके लिए आप अपने जनपद के कृषि विभाग के कार्यालय में जाकर संपर्क साध सकते हैं।

साथ ही, यदि आप भी अपना स्वयं का एक FPO (Farmer Producer Organization) बनाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको ज्यादा परिश्रम या भाग दौड़ की आवश्यकता नहीं होती है। केवल कुछ ही अहम बातों का ध्यान रखना होता है। 

FPO क्या होता है ?

किसान उत्पादक संगठन यानी FPO किसानों द्वारा बनाया गया एक स्वयं सहायता समूह होता है। एफपीओ लघु एवं सीमांत किसानों का एक समूह है इससे जुड़े किसानों को अपनी उपज के लिये बाजार मिलने के साथ-साथ खेत में लगने वाले खाद, बीज, दवाइयां और कृषि यंत्र भी सस्ती दरों पर मिलते हैं। 

FPO के माध्यम से किसानों को सीधे तौर पर लाभ मिलता है। इसमें कोई बिचौलिया नहीं होते हैं। यदि देखा जाए तो FPO का मुख्य उद्देश्य किसानों का हर संभव सहयोग करना होता है।

FPO बनाने के लिए आवश्यक कागजात

FPO बनाने के लिए किसान के पास नीचे दिए गए आवश्यक कागजात अवश्य होने चाहिए। जैसे कि- आधार कार्ड, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, जमीन के कागजात, बैंक पासबुक की फोटोकॉपी आदि। 

किसान भाई इस तरह बनाएं FPO 

किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization) बनाने के लिए सर्व प्रथम कृषकों का एक समूह बनाना होगा। इस समूह में कम से कम 11 सदस्य होने चाहिए। इसके बाद आपको एक नाम सोचकर कंपनी एक्ट के अंतर्गत पंजीकरण करना होगा। 

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ध्यान रहे कि किसान उत्पादक संगठन के सभी सदस्यों का किसान होना और भारत की नागरिकता का होना अनिवार्य है। आप चाहें तो एफपीओ बनाने के लिए राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development) लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (Small Farmers’ Agri-Business Consortium) एवं राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) से भी संपर्क साध सकते हैं।