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अनार की खेती (Pomegranate Farming Info in Hindi)

अनार की खेती (Pomegranate Farming Info in Hindi)

दोस्तों आज हम बात करेंगे, अनार फल की जिसमें विभिन्न प्रकार के औषधि गुण मौजूद होते हैं। अनार एक बहुत ही फायदेमंद फल है यह दिखने में लाल रंग का होता है, इसमें बहुत सारे छोटे छोटे लाल रंग के रस भरे दाने होते हैं। अनार (Pomegranate) को विभिन्न प्रकार के नाम से जाना जाता है, अनार को बहुत से लोग बेदाना भी कहते हैं। अनार के पेड़ में फल आने से पहले अनार के बड़े लाल लाल फूल आते हैं जो बेहद ही खूबसूरत लगते हैं।

अनार के फल की खेती

अनार की खेती बहुत से क्षेत्रों में होती है, लेकिन अनार की मुख्य पैदावार भारत के महाराष्ट्र में होती है। अनार की पैदावार के लिए मुख्य राज्य जैसे: हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात आदि क्षेत्रों में अनार की पैदावार छोटे स्तर पर की जाती है बगीचे द्वारा, अनार के रस बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट होते हैं, स्वादिष्ट होने के साथ इसमें कई तरह के औषधीय गुण भी मौजूद होते हैं। अनार के उत्पादन की बात करें, तो भारत में अनार का क्षेत्रफल लगभग 113.2 हजार हेक्टेयर उत्पादन तथा इनमें करीब 745 हजार मैट्रिक टन और उत्पादकता 6.60 मैट्रिक टन प्रति हेक्टेयर की खेती होती हैं।

अनार के लिए जलवायु

किसान अनार की पैदावार के लिए उपोष्ण जलवायु सबसे अच्छी बताते हैं। क्योंकि अनार उपोष्ण जलवायु का पौधा होता है। अनार को उगाने के लिए सबसे अच्छी जलवायु अर्द्ध शुष्क जलवायु होती हैं, इस जलवायु में अनार की पैदावार काफी अच्छी उगाई जा सकती है। अनार के फलों का अच्छी तरह से विकास और पूर्ण रूप से पकने के लिए गर्म वातावरण तथा शुष्क जलवायु की बहुत ही जरूरत होती है। अनार के फलों की मिठास को बनाए रखने के लिए अच्छे तथा लंबे समय तक तापमान का उच्च रहना आवश्यक होता है। आर्द्र जलवायु के कारण फलों की गुणवत्ता को काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है। अनार की खेती किसान समुंद्र तल से लगभग 500 मीटर से ज्यादा ऊंचे स्थानों पर करते हैं। अतः या जलवायु अनार की पैदावार को काफी अच्छा बढ़ावा देती है। 

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अनार के लिए मिट्टी का चयन

किसानों के अनुसार आप अनार को किसी भी मिट्टी में उगा सकते हैं, परंतु इसके अच्छे विकास और अच्छी फसल, तथा जल निकास के लिए जो सबसे अच्छी मिट्टी है। वह रेतीली दोमट मिट्टी है, या मिट्टी अनार की फसल के लिए सबसे सर्वोत्तम मानी जाती है।

अनार के पौधों की सिंचाई

अनार के पौधों के लिए सिंचाई बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होती है, परंतु अनार के पौधे बहुत ही सूखे और सहनशील पौधा होता है। अनार के पौधों की सिंचाई के लिए मई का महीना सबसे अच्छा होता है, आप को मई से लेकर मानसून आने तक पूर्ण रूप से पौधों की सिंचाई करनी होती है। 10 से 15 दिनों के बीच पौधों की सिंचाई करनी चाहिए, क्योंकि वर्षा ऋतु होने के बाद फलों का काफी अच्छी मात्रा में विकास होता है। कई प्रकार की तकनीकों द्वारा किसान सिंचाई करते हैं जैसे ड्रिप, यदि जब आप ड्रिप से सिंचाई करें, तो इसकी आवश्यकता अनुसार ही करें। ड्रिप सिंचाई अनार की फसल के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी साबित होती है। इसमें लगभग 40% पानी की बचत होती है तथा 30 से 35% उपज में वृद्धि भी होती है।

अनार के पौधों की सधाई

अनार के पौधों के लिए सधाई बहुत ही जरूरी होती है, इनके अच्छे विकास के लिए सधाई आप दो तरह से कर सकते हैं यह दो प्रकार निम्नलिखित है :

  • एक तना पद्धति की सधाई

इस प्रकार की सधाई में किसान एक तने को छोड़कर जो सभी बाहरी टहनियां होती है, उन सभी टहनियों को किसी तेज औजार द्वारा काटकर अलग कर देते हैं। यह सभी पद्धति द्वारा जमीन में बहुत सारे सतह से अधिक सकर को निकालती है। इस क्रिया द्वारा पौधा झाड़े नुमा हो जाता है। कभी-कभी इस विधि को अपनाकर तना छेदक का अधिक होने का भय भी बना रहता है। यदि हम इस पद्धति को व्यावसायिक उत्पादन की दृष्टिकोण से देखें तो यह बहुत ज्यादा उपयुक्त नहीं होती।

  • बहु तना पद्धति की सधाई

इस विधि में अनार के पौधों को इस प्रकार से सधाई किया जाता है, कि इस क्रिया द्वारा 3/4 तने को छोड़कर सभी टहनियों को काटकर अलग कर दिया जाता है। इस स्थिति में प्रकाश की अच्छी रोशनी पौधों पर पड़ती है जिसकी वजह से पेड़ पौधों में फूल और फल की अच्छी मात्रा आना शुरू हो जाती है।

अनार की तुड़ाई

अनार स्वाद में मीठे तथा इस में मौजूद पोषक तत्व इसको लोकप्रिय फल बनाते हैं, इसकी तुड़ाई कम से कम 120 दिन से लेकर 130 दिन के बाद करनी चाहिए। अनार को नान-क्लामेट्रिक फल भी कहा जाता हैं। अनार को तोड़ने से पहले यह जरूर देख लेना चाहिए, कि अनार पूर्ण रुप से पक गए हैं कि नही तभी इनकी तुड़ाई करें।

अनार में फल फटने का रोग

अनार के फल फटने का रोग किस कारण होता है, ऐसी कौन सी कमी होती है जिसकी वजह से अनार के फल फट जाते हैं, यदि आप इस चिंता से जूझ रहे हैं, तो हम आपको इस की सही वजह बताते हैं जिससे आपको इन फलों के फटने का कारण पता चल जाएगा।

  • अनार के फलों के फटने का मुख्य कारण, किसी भी समय अचानक से सिंचाई देना इसका मुख्य कारण है।
  • जब तापमान में अचानक से परिवर्तन आता है तो भी फल फटने का भय बना रहता है।
  • कुछ ऐसे तत्व हैं जैसे बोरॉन और कैल्शियम जिनकी कमी के कारण फल फट जाते हैं।
  • कभी-कभी अचानक से गर्म हवाएं भी चलती है जिसकी वजह से फलों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है और फलों में फटने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

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अनार के पौधे की देखभाल :

अनार के पौधों की देखभाल करने के लिए किसान पौधों में गोबर की खाद का इस्तेमाल करते हैं और इनमें उर्वरक भी डालते हैं। उर्वरक पौधों की गुणवत्ता को बढ़ावा देता है। किसान अनार के पौधों की देखभाल के लिए और उनकी उत्पादकता को बढ़ाने के लिए 600 से 700 ग्राम यूरिया तथा 200 ग्राम सुपर फास्फेट और 200 से 250 ग्राम पोटेशियम सल्फेट को मिलाकर करीब साल भर में डालना चाहिए। अनार के पेड़ों में पानी की मात्रा देते वक्त इन विभिन्न प्रकार की बातों का ध्यान रखें। कि पौधों के आसपास ज्यादा गड्ढे में पानी न भरे, जिसकी वजह से अनार की जड़ें कमजोर हो जाए, पानी पूर्ण रूप से निकास का मार्ग बनाए रहे। इन बातों का ख्याल जरूर रखें वरना जड़े गल कर कमजोर हो जाएंगी।

अनार में पाए जाने वाले विटामिन

अनार में एक नहीं बल्कि कई तरह के विटामिन पाए जाते हैं, अनार खाने से त्वचा और बालों को बेहद फायदा होता है, त्वचा चमकती रहती हैं, और बालों की ग्रोथ अच्छी होती है। अनार में विटामिन के, सी बी के साथ - साथ आयरन, और फाइबर, जिंक, पोटेशियम, ओमेगा यह 6 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। यह सभी आवश्यक तत्व शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही साथ काम करने की क्षमता को भी बढ़ाते हैं। दोस्तों हम उम्मीद करते हैं, कि आपको हमारी यह पोस्ट अनार से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियों से आप संतुष्ट हुए होगे, यदि आपको हमारी दी हुई यह जानकारियां अच्छी लगी हों, तो हमारी इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया और दोस्तों के साथ शेयर करें। धन्यवाद।

अनार की फसल में फूल झड़ने के कारण ओर रोकथाम

अनार की फसल में फूल झड़ने के कारण ओर रोकथाम

अनार की फसल में कई कारणों से फूल झड़ जाते हैं। इस के रोकथाम के लिए उपाय निम्नलिखित हैं।

कई बार भूमि में प्रमुख पोशाक तत्त्वों की कमी के कारण अनार की फसल में फुल झड़ जाते हैं या बहुत कम फल बन पाते हैं। बोरोन की कमी के कारण फुल गिरते हैं इस के कमी को पूरा करने के लिए  बोरिक एसिड (17% बी) @ 0.05-0.1% स्प्रे करें पूर्व  फुल खिलने की अवधि के दौरान और उसके बाद दो पोस्ट ब्लूम एप्लीकेशन, एक 10 दिनों में  पंखुड़ी गिरने के बाद और अन्य फलों के सेट के दौरान।

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जब पौधों में फल लगने शुरू हो जाएं तो नत्रजनःफॉस्फोरसःपोटाश:19:19:19 को ड्रिप की सहायता से 8 कि.ग्रा./हैक्टेयर की दर से एक दिन के अंतराल पर एक महीने तक दें। जब पौधों पर शत प्रतिशत फल आ जाएं तो नत्रजनःफॉस्फोरसःपोटाश:00:52:34 या मोनोपोटेशियम फास्फेट 2.5 किलो/हेक्टेयर की मात्रा को एक दिन के अन्तराल पर एक महीने तक दें।
किसान ड्रोन की सहायता से 15 मिनट के अंदर एक एकड़ भूमि में करेंगे यूरिया का छिड़काव

किसान ड्रोन की सहायता से 15 मिनट के अंदर एक एकड़ भूमि में करेंगे यूरिया का छिड़काव

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद में स्थित बीएचयू कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा खेतों में फसलों को जल पोषित करने हेतु अत्याधुनिक ड्रोन तैयार किया है। इस ड्रोन से किसान भाई कम वक्त में दवा व उर्वरकों का छिड़काव कर पाएंगे। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद में स्थित बीएचयू कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों हेतु अत्याधुनिक ड्रोन तैयार किया जाएगा। किसान ड्रोन तकनीक के माध्यम से कीटनाशक व उर्वरकों का छिड़काव फसलों पर कर पाएंगे। केवल 15 मिनट के समय के अंदर एक एकड़ भूमि पर खाद अथवा फिर कीटनाशक का छिड़काव कर सकेंगे। इस तकनीकी उपयोग से जल की खपत कम होने के साथ-साथ वक्त भी बचेगा। फसलों की पैदावार को अच्छा करने के लिए निरंतर केंद्र सरकार कदम उठा रही है। इसी कड़ी में बरकछा में उपस्थित कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों की खेती को अत्यधिक सुगम करने के लिए अत्याधुनिक ड्रोन निर्मित किया गया है।

समय की बर्बादी खत्म उत्पादन में होगी बढ़ोत्तरी

मिर्जापुर जनपद के बरकछा के बीएचयू में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से 10 लाख रुपये के खर्च से अत्याधुनिक ड्रोन तैयार किया गया है। ड्रोन तकनीक से केवल 15 मिनट में एक एकड़ भूमि पर खाद, कीटनाशक अथवा दवा का छिड़काव आसानी से कर सकते हैं। फसलों की पैदावार में बढ़ोत्तरी करने के लिये केंद्र सरकार निरंतर नई तकनीक जारी कर रही है। अत्याधुनिक ड्रोन समस्त तरह की कृषि हेतु लाभकारी है।
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किसानों के खर्च में कमी आएगी

किसान ड्रोन तकनीक का उपयोग करके नैनो यूरिया (Nano Urea) का भी छिड़काव कर सकते हैं। इससे किसानों की आमदनी में इजाफा होगा। कृषि विज्ञान केंद्र मुफ्त में किसानों को ड्रोन उपलब्ध कराएगा । इस ड्रोन के वजन की बात करें तो यह 14.5 किलो ग्राम का है। ड्रोन के नीचे एक बॉक्स बना रहता है। इस बॉक्स के अंदर कीटनाशक अथवा खाद रखा जा सकता है। कम जल खपत एवं कम खर्च में किसान खेतों में छिड़काव कर पाएंगे। इस तकनीक के इस्तेमाल से किसानों का खर्च भी काफी कम हो जाएगा।

ड्रोन से किया गया छिड़काव ज्यादा फायदेमंद होता है

कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ श्रीराम सिंह का कहना है, कि ड्रोन के माध्यम से किसान एक एकड़ भूमि में कीटनाशकों, वाटर सॉल्युबल उर्वरकों और पोषक तत्वों का फिलहाल कम समय के अंदर किसान छिड़काव कर पाएंगे। इसकी सहायता से उनके वक्त के साथ संसाधन भी बचेेंगे। ड्रोन तकनीक द्वारा ऊपर से छिड़काव किया जाता है, जो कि फसलों हेतु अत्यंत लाभकारी होता है। मैनुवल से अधिक ऊपर से छिड़काव लाभकारी होता है।

किसानों द्वारा नैनो यूरिया उपयोग किया जा सकता है

खेतों में छिड़काव हेतु किसान नैनो यूरिया (Nano Urea) का उपयोग कर सकते हैं। इफको द्वारा दानेदार खाद से इतर हटकर नैनो यूरिया तैयार किया है। एक बोतल नैनो यूरिया एक बोरी खाद के समरूप किसानों की फसलों की पैदावार में वृद्धि करने हेतु काम है। एक एकड़ भूमि के लिए पांच सौ एमएल की एक ही बोतल काफी है। नैनो यूरिया के 4 एमएल प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसलों में छिड़काव किया जा सकता है। ड्रोन तकनीक में इसी यूरिया का उपयोग कर सकते हैं। नैनो यूरिया पूर्णतय प्रदूषण से मुक्त है।
भारत में सर्वाधिक अनार का उत्पादन कौन-सा राज्य करता है

भारत में सर्वाधिक अनार का उत्पादन कौन-सा राज्य करता है

भारत के 4 प्रदेशों में अनार का उत्पादन किया जाता है। महाराष्ट्र राज्य में सर्वाधिक अनार का उत्पादन किया जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य राज्य भी हैं। इन राज्यों के अंदर किसान अनार का उत्पादन करके बेहतर आय अर्जित कर रहे हैं। सूखा, बारिश और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाऐं और कीट रोग फसल को काफी हानि पहुँचाते हैं। देश में कृषि कर किसान अच्छी वार्षिक आय कर सकते हैं। धान, सरसों, आलू, गेंहू जैसी पारंपरिक खेती की तरफ अधिक रुख रखते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, किसान पारंपरिक खेती से हटकर भी कार्य कर कुछ नया कर सकते हैं। अनार की खेती भी लाभकारी साबित होती है। किसान उन्नत तकनीक एवं बेहतर समझदारी से इसका उत्पादन करें। तब वह इससे अच्छा खासा मुनाफा अर्जित कर सकेंगे। आगे इस लेख में हम यही जानने का प्रयास करेंगे कि देश में किन राज्यों में अनार की पैदावार की जाती है।

अनार का उत्पादन इन 4 राज्यों में भरपूर किया जाता है

आपको बतादें कि अनार का फल एक सदाबहार फल है। इसकी सालभर माँग रहती है, साथ ही इसके प्रत्येक मौसम में खाने के शौकीन हैं। इसके पीछे एक करण भी है। इसके अंतर्गत प्रचूर मात्रा में विटामिन, फाइबर, पोटेशियम, जिंक एवं आयरन विघमान रहता है। डॉक्टर भी बीमार एवं स्वस्थ्य समस्त लोगों को अनार के सेवन हेतु सलाह प्रदान करते हैं। अनार की पैदावार की बात की जाए तो देश के 4 राज्यों के अंतर्गत ही अनार का 95 फीसद तक उत्पादन हो जाता है। देश के किस राज्य में कितना ज्यादा उत्पादन होता है, यह जानने का करेंगे।
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भारत में सर्वाधिक उत्पादन किस राज्य में किया जाता है

भारत के अंदर अनार की सर्वाधिक पैदावार महाराष्ट्र राज्य में होती है। अनार उत्पादन के संबंध में यह प्रथम स्थान रखता है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, देश में अनार की पैदावार 54.85 फीसद तक होती है। विशेषज्ञों ने बताया है, कि अनार को सही तरीके से विकसित करने हेतु जो जलवायु और मृदा की आवश्यकता होती है। जो कि महाराष्ट्र में उपलब्ध है। किसान भी इसका उत्पादन करके बेहतरीन आय कर सकते हैं।

अनार उत्पादन के मामले में कौन-सा राज्य किस स्थान पर है

आंकड़ों के मुताबिक, अनार उत्पादन में जहां प्रथम स्थान पर महाराष्ट्र है। वहीं, दूसरे स्थान पर गुजरात आता है। यहां भारत का कुल उत्पादन 21.28 फीसद होता है। इसके उपरांत तीसरे स्थान पर कर्नाटक का स्थान है, कर्नाटक में 9.51 फीसद अनार का उत्पादन किया जाता है। वहीं, आंध्र प्रदेश के अंदर भी अनार की पैदावार की जाती है। यहां 8.82 फीसद अनार का उत्पादन किया जाता है।
बनारस के अब तक 22 उत्पादों को मिल चुका है जीआई टैग, अब बनारसी पान भी इसमें शामिल हो गया है

बनारस के अब तक 22 उत्पादों को मिल चुका है जीआई टैग, अब बनारसी पान भी इसमें शामिल हो गया है

आज तक उत्तर प्रदेश के समकुल 45 उत्पादों को जीआई टैग हांसिल हो चुका है। इन के अंतर्गत 22 उत्पाद बनारस जनपद के ही हैं। बतादें, कि जीआई टैग प्राप्त होने से बनारस के लोगों के साथ- साथ किसान भी काफी प्रसन्न हैं। अपने मीठे स्वाद के लिए विश्व प्रसिद्ध बनारसी पान को जीआई टैग मिल गया है। विशेष बात यह है कि इसके अतिरिक्त लंगड़ा आम को भी जीआई टैग प्रदान किया गया है। विशेष बात यह है कि जीआई टैग प्राप्त होने से किसी भी उत्पाद की ब्रांडिंग बढ़ जाती है। साथ ही किसी खास क्षेत्र से उसकी पहचान भी जुड़ जाती है। जानकारी के अनुसार अब तक उत्तर प्रदेश के समकुल 45 उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है, जिनमें से 22 उत्पाद एकमात्र बनारस के ही हैं। वहीं जीआई टैग मिलने से बनारस की आम जनता और किसानों में भी खुशी की लहर दौड़ रही है। जानकारी के अनुसार, बनारस में उत्पादित किए जाने वाले बैंगन की एक विशेष किस्म ‘भंता’ को भी जीआई टैग प्राप्त हो चुका है। यह भी पढ़ें : किन वजहों से लद्दाख के इस फल को मिला जीआई टैग

बनारसी पान को मिला जीआई टैग

वाराणसी के प्रसिद्ध बनारसी पान को भौगोलिक संकेत टैग मिल गया है। यह टैग प्रदर्शित करता है, कि किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान के उत्पादों में कुछ ऐसे गुण विघमान होते हैं, जो उस मूल की वजह होते हैं। अपने बेहतरीन स्वाद के लिए प्रसिद्ध बनारसी पान विशेष सामग्री का उपयोग करके अनोखे ढंग से बनाया जाता है। पद्म पुरस्कार से सम्मानित जीआई विशेषज्ञ रजनीकांत ने बताया है, कि बनारसी पान समेत वाराणसी के तीन अतिरिक्त उत्पादों रामनगर भांटा (बैंगन), बनारसी लंगड़ा आम और आदमचीनी चावल को भी जीआई टैग मिल चुका है। बनारसी पान को जीआई टैग प्राप्त होने के उपरांत काशी इलाका फिलहाल 22 जीआई टैग उत्पादों का दावा करता है। नाबार्ड (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) उत्तर प्रदेश की सहायता से, कोविड चरण के समय 20 राज्य-आधारित उत्पादों के लिए जीआई आवेदन दायर किए गए थे। इनमें से 11 उत्पाद, जिनमें सात ओडीओपी एवं काशी क्षेत्र के चार उत्पाद शम्मिलित हैं। इनको नाबार्ड एवं योगी आदित्यनाथ सरकार की सहायता से इस वर्ष जीआई टैग प्राप्त हो चुका है। यह भी पढ़ें : जल्द ही पूरी तरह से खत्म हो सकता है महोबा का देशावरी पान

बाकी नौ उत्पाद भी सम्मिलित किए जाऐंगे

रजनीकांत का कहना है, कि पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के जीआई उत्पादों को निर्मित करने में कारीगरों समेत समकुल 20 लाख लोग शम्मिलित होते हैं, जिनमें वाराणसी के लोग भी सम्मिलित हैं। इन उत्पादों का वार्षिक कारोबार 25,500 करोड़ रुपये आंका गया है। उन्होंने यह आशा भी जताई कि अगले माह के अंत तक बाकी नौ उत्पादों को भी देश की बौद्धिक संपदा में शामिल कर लिया जाएगा। इनमें बनारस लाल भरवा मिर्च, लाल पेड़ा, चिरईगांव गूसबेरी, तिरंगी बर्फी, बनारसी ठंडाई आदि शम्मिलित हैं।

बनारस के कौन-कौन से उत्पादों को मिल चुका है जीआई टैग

इससे पूर्व, काशी एवं पूर्वांचल इलाके में 18 जीआई उत्पाद मौजूद थे। इनमें बनारस वुड काविर्ंग, मिजार्पुर पीतल के बर्तन, मऊ की साड़ी, बनारस ब्रोकेड और साड़ी, हस्तनिर्मित भदोही कालीन, मिजार्पुर हस्तनिर्मित कालीन, बनारस मेटल रेपोसी क्राफ्ट, वाराणसी गुलाबी मीनाकारी, वाराणसी लकड़ी के लाख के बर्तन और खिलौने, निजामाबाद काली पत्री, बनारस ग्लास शामिल थे. बीड्स, वाराणसी सॉफ्टस्टोन जाली वर्क, गाजीपुर वॉल हैंगिंग, चुनार सैंडस्टोन, चुनार ग्लेज पटारी, गोरखपुर टेराकोटा क्राफ्ट, बनारस जरदोजी और बनारस हैंड ब्लॉक प्रिंट आते हैं। इसके अंतर्गत 1,000 से अधिक किसानों का पंजीयन किया जाएगा। साथ ही, जीआई अधिकृत उपयोगकर्ता प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। नाबार्ड के एजीएम अनुज कुमार सिंह का कहना है, कि आने वाले समय में नाबार्ड इन जीआई उत्पादों को और आगे बढ़ाने हेतु विभिन्न प्रकार की योजनाएं चालू करने जा रहा है। उनका कहना है, कि वित्तीय संस्थान उत्पादन एवं विपणन हेतु सहयोग प्रदान किया जाएगा।
अनार की खेती करके किसान हो सकते हैं मालामाल, कम लागत में होता है जबरदस्त मुनाफा

अनार की खेती करके किसान हो सकते हैं मालामाल, कम लागत में होता है जबरदस्त मुनाफा

अनार एक बेहतरीन फल है। जो विटामिन्स और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह शरीर में हीमोग्लोबिन को बढ़ाता है, इसके सेवन से शरीर में कभी भी हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होती है। अनार में आयरन, पोटेशियम, जिंक, विटामिन के, विटामिन सी, विटामिन बी और ओमेगा-6 की प्रचुरता होती है। जो शरीर को स्वस्थ और तंदरुस्त रखने में सहायक होते हैं। इन्हीं सब खूबियों को देखते हुए बाजार में इन दिनों अनार की भारी मांग रहती है। ऐसे में अगर किसान भाई बाजार की मांग की पूर्ति के लिए अनार की खेती करें तो इससे वो कम समय में अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं। यह एक ऐसी फसल है जो उच्च तापमान वाली जगहों पर उगाई जाती है। अनार के पेड़ तेज धूप और उच्च तापमान सहन करने की क्षमता भी रखते है। साथ ही इस फसल में पानी की जरूरत भी बेहद कम होती है। इस कारण से इस फसल की खेती गर्मियों में की जाती है। गर्मियों का मौसम इस फसल के लिए बेहद अनूकूल माना गया है। जितनी ज्यादा गर्मी पड़ेगी, अनार की फसल उतनी तेजी के साथ ग्रोथ कर सकेगी। ज्यादा सिंचाई करने पर अनार के पेड़ अच्छी ग्रोथ नहीं करते हैं। यही कारण है कि इसकी खेती ज्यादा वर्षा वाले स्थानों पर नहीं की जाती है। भारत में अनार की खेती मुख्यतः राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में की जाती है। कृषि वैज्ञानिक बताते है  कि यह एक सब-ट्रॉपिकल क्लाइमेट पौधा है जो गर्म और उष्ण मौसम में तेजी से विकसित होता है। तेज गर्मी वाले मौसम में इसके फल तेजी से विकसित होते हैं। साथ ही अगर मौसम गर्म रहा तो इस फसल की कटाई भी समय पर की जाती है। अगर अनार के खेत में 38 डिग्री सेल्सियस तापमान रहता है तो यह उसके लिए सबसे अच्छा माना गया है। ये भी पढ़े: अनार की फसल में फूल झड़ने के कारण ओर रोकथाम अनार की खेती के लिए रेतीली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। इस मिट्टी में अनार का पौधा तेजी से ग्रोथ करता है। अनार के पौधों की रोपाई अगस्त से फरवरी माह के बीच की जाती है। इस दौरान किसान भाई नर्सरी से अनार का पौधा लाकर अपने खेत में लगा सकते हैं। इसके अलावा इसके पौधे कलम विधि द्वारा भी तैयार किए जा सकते हैं। एक साल पुरानी शाखाओं से 20 से 30 सेंटीमीटर लंबी कलमों को काटकर नर्सरी में बेहद आसानी से पौधा तैयार किया जा सकता है। जब कलम में जड़ें विकसित होने लगें तो पौधे को खेत में स्थानांतरित कर दें। फिलहाल बाजार में अनार की कई किस्में उपलब्ध हैं। जिनके पौधे किसान भाई अपने खेत में लगा सकते हैं। ज्योति, मृदुला, कंधारी, अरक्ता और सुपर भगवा अनार की कुछ बेहतरीन किस्मों के नाम हैं। ज्योति किस्म के फल साइज़ में बड़े होते हैं और इनमें रस ज्यादा निकलता है। साथ ही मृदुला किस्म के फल मीडियम साइज के होते हैं और इनके बीजों का रंग लाल होता है। अगर किसान भाई अनार के पेड़ लगाते हैं तो वह पेड़ आगामी 25 सालों तक फल देता रहेगा। जिससे किसान भाई को बिना किसी मेहनत के 25 सालों तक अनार की फसल प्राप्त होती रहेगी।
महाराष्ट्र के दो किसान भाइयों ने अनार उगाकर कमाए लाखों रुपये, विदेश में हो रहा फलों का निर्यात

महाराष्ट्र के दो किसान भाइयों ने अनार उगाकर कमाए लाखों रुपये, विदेश में हो रहा फलों का निर्यात

अनार एक महत्वपूर्ण फसल है। जिसका उत्पादन ज्यादातर महाराष्ट्र में किया जाता है। महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक और गुजरात में भी अनार के छोटे बगीचे देखे जा सकते हैं। यह बेहद स्वादिष्ट होता है तथा औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसलिए इसे लोगों के द्वारा खूब पसंद किया जाता है। इन दिनों अनार उगाने के मामले में महाराष्ट्र के सातारा जिले के वाठार निंबालकर गांव के दो भाइयों की चर्चा जोरों पर हो रही है। दोनों भाइयों ने कड़ी मेहनत से अपने खेतों में अनार की खेती की है और अब वो अनार का निर्यात विदेशों में भी कर रहे हैं। जिससे उन्हें भरपूर फायदा हो रहा है। गर्मियों के मौसम में दोनों भाइयों के लिए अनार लाल सोना साबित हो रहा है। बताया जा रहा है कि अमोल अहिरकर और चंद्रकांत अहिरकर ने 20 एकड़ जमीन में अनार के पेड़ लगाए थे। अब अनार के पेड़ फल देने लगे हैं और गर्मियों के मौसम में जमकर उत्पादन हो रहा है। अहिरकर बंधुओं ने बताया है कि वो इस बाग से हर साल 80 से 90 लाख रुपये तक का अनार मंडी में बेंच लेते हैं। इसके साथ ही वो अनार का विदेशों में भी निर्यात करते हैं। जहां से उन्हें ज्यादा अच्छे दाम प्राप्त होते हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास 42 एकड़ कृषि भूमि है। जिसमें से मात्र 20 एकड़ भूमि पर अनार की खेती की जा रही है। जबकि बाकी बची हुई जमीन पर गन्ने की खेती की जा रही है। अभी फिलहाल 20 एकड़ जमीन पर उन्होंने 5500 अनार के पेड़ लगाए हुए हैं।

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अमोल अहिरकर और चंद्रकांत अहिरकर ने बताया कि उनके बागों के अनार नेपाल, बांग्लादेश और ईरान में निर्यात किए जाते हैं। इन देशों में महाराष्ट्र के अनार की भारी मांग रहती है। अहिरकर बंधुओं ने सबसे पहले साल 1996 में अपनी पुश्तैनी डेढ़ एकड़ जमीन पर अनार की खेती शुरू की थी। उन्होंने पहले साल ही बेजोड़ मेहनत की थी जिसके बदौलत उन्हें लाखों रुपये का मुनाफा हुआ। पहले उनके पास मात्र डेढ़ एकड़ जमीन ही थी। लेकिन दोनों भाई कड़ी मेहनत और अनार की खेती करके 42 एकड़ जमीन के मालिक बनने में कामयाब रहे। भविष्य में अहिरकर बंधु और बड़ी जमीन पर खेती करना चाहते हैं। अहिरकर बंधुओं की मेहनत को देखकर कई बार बड़े-बड़े नेता भी प्रभावित हो चुके हैं। कुछ साल पहले तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार ने अहिरकर बंधुओं की अनार की खेती की तारीफ की थी। अनार सब-ट्रॉपिकल जलवायु का पेड़ है। जो अर्ध शुष्क जलवायु में तेजी से ग्रोथ दिखाता है। अनार के फलों के विकास एवं पकने के लिए गर्म एवं शुष्क जलवायु अच्छी मानी जाती है। 38 डिग्री सेल्सियस के आसपास का तापमान अनार की खेती के लिए सर्वोत्तम माना गया है। इसकी खेती के लिए उचित जल निकास वाली रेतीली दोमट मिट्‌टी अच्छी मानी जाती है। सुपर भगवा, ज्योति, मृदुला, अरक्ता और कंधारी अनार की बेहतरीन किस्में है। जिनका उपयोग करके किसान भाई ज्यादा से ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। अनार के पेड़ों को कलमों के द्वारा लगाया जाता है। इसके लिए एक साल पुरानी शाखाओं से 20 से 30 सेंटीमीटर लंबी कलमें काटकर पौधशाला में लगा दी जाती हैं। इसके बाद उन्हें खेत में रोप दिया जाता है। अगर कलमों को लगाने के पहले उन्हें 3000 पी.पी.एम. से उपचारित किया जाता है, तो जड़ें तेजी से निकलती हैं और ज्यादा संख्या में निकलती हैं। अहिरकर बंधुओं से प्रेरित होकर देश के ने किसान भी अपनी जमीन पर अनार या अनार जैसा मुनाफा देने वाले किसी अन्य फल की खेती कर सकते हैं। जिससे भविष्य में उन्हें बम्पर लाभ प्राप्त हो सकता है
गुलाबी फलों का उत्पादन कर किसान सेहत के साथ साथ कमाऐं मुनाफा

गुलाबी फलों का उत्पादन कर किसान सेहत के साथ साथ कमाऐं मुनाफा

गुलाबी रंग के फल हमारे शरीर के लिए काफी लाभकारी होते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही फलों के विषय में बताने जा रहे हैं। गुलाबी खाद्य पदार्थ, एंथोसायनिन और बीटालेंस जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। यह हमारे शरीर में एंटीऑक्सिडेंट का कार्य करते हैं, जो प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करते हैं। हम अपनी थाली में कई तरह के फलों और सब्जियों का उपयोग करते हैं। परंतु, गुलाबी रंग के खाद्य पदार्थ हमारे शरीर के लिए बेहद ही लाभकारी होता है। ऐसे में आज हम आपको गुलाबी रंग के कुछ फलों के विषय में जानकारी देने जा रहे हैं, जो हमारे शरीर की उत्तम सेहत के लिए आवश्यक होता है। प्राकृतिक रूप से गुलाबी खाद्य पदार्थों में एंथोसायनिन और बीटालेन, फ्लेवोनोइड और एंटीऑक्सिडेंट युक्त यौगिक शम्मिलित होते हैं, जो शरीर को कई प्रकार की बीमारियों से सुरक्षा करता है।

गुलाबी फलों का उत्पादन

चुकंदर

चुकंदर हमारे शरीर का रक्त परिसंचरण को बढ़ाने, रक्तचाप को सुदृढ़ रखने में सहायता करता है। कच्चे चुकंदर के रस का सेवन, सलाद एवं सब्जी के रूप में उपयोग करना चाहिए। यह हमारे शरीर के लिए जरूरी विटामिन, खनिज एवं फोलेट की मात्रा की पूर्ति करता है। इसके अलावा चुकंदर में एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं जो कैंसर-रोधी गुणों के लिए जाने जाते हैं।

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अनार

अनार का सेवन हमारी रक्त शर्करा और रक्तचाप को नियंत्रित करता है। यह हमारी पाचन संबंधी समस्याओं के लिए भी लाभदायक होता है। इसके अलावा इन फलों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण विघमान होते हैं, जो हमें रोगों से बचाता है। अनार का जूस मूत्र संक्रमण के लिए एक निवारक का कार्य करता है।

ड्रैगन फ्रूट

यह अनोखा आकर्षक उष्णकटिबंधीय फल है, इसका सेवन हमारी मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों से रक्षा करता है। आहार में ड्रैगन फ्रूट को शम्मिलित करने से यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को अच्छा बनाता है। साथ ही, हृदय से जुड़ी बीमारियों के लिए भी अच्छा माना जाता है।

बैंगनी पत्तागोभी

यह रंगीन पत्तेदार हरी पत्तागोभी एंटीऑक्सीडेंट का एक शक्तिशाली भंडार होती है, जो हमारे शरीर की सेलुलर क्षति के विरुद्ध एक प्रभावी सुरक्षा प्रदान करती है। इसमें विघमान विटामिन सी एवं कैरोटीन की भरपूर मात्रा के साथ-साथ पर्याप्त फाइबर भी मौजूद होता है, जो हमारे शरीर की प्रतिरक्षा करता है।

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लीची

लीची तांबा, लोहा, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे खनिज तत्वों से भरपूर होती है। यह हमारे शरीर की हड्डियों को शक्ति प्रदान करता है। यह मोतियाबिंद, मधुमेह, तनाव एवं हृदय रोगों से भी शरीर को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
विदेश से नौकरी छोड़कर आया किसान अनार की खेती से कमा रहा करोड़ों

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राजस्थान राज्य के सिरोही निवासी नवदीप एक सफल किसान के तौर पर उभरके सामने आए हैं। दरअसल, वह प्रति वर्ष 1.25 करोड़ की आय अर्जित कर रहे हैं। राजस्थान राज्य के सिरोही जनपद के निवासी नवदीप गोलेछा ने कृषि क्षेत्र में एक ऐसा कार्य कर दिया है, जिससे संपूर्ण राजस्थान में उनका नाम रोशन हो रखा है। आज वह कृषि के क्षेत्र में लाखों की आमदनी कर रहे हैं। बतादें, कि नवदीप एक व्यावसायिक परिवार से आते हैं। उन्होंने साल 2011 में वित्तीय अर्थशास्त्र में एमएससी की पढ़ाई इंग्लैंड से संपन्न की है। नवदीप ने उधर ही एक इन्वेस्टमेंट बैंकर के रूप पर कार्य करना चालू किया था। 

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 इसी बीच उनके परिवार वाले उनके ऊपर लौटकर भारत आने का दबाव बनाना चालू कर दिया था। नवदीप वर्ष 2013 में अपनी नौकरी को छोड़के भारत वापस लौट आए।

 

इतने एकड़ भूमि पर कर रहे अनार का उत्पादन

घर लौटकर आने के उपरांत नवदीप ने रिजॉर्ट चालू करने के विषय में विचार विमर्श किया। परंतु, नवदीप ने पुनः वृक्षारोपण में हाथ आजमाने के विषय में विचार किया। उसके उपरांत पुनः उन्होंने जोधपुर से 170 किलोमीटर दूर सिरोही गांव में 40 एकड़ की भूमि पर कृषि करने के विषय में विचार किया। उन्होंने समकुल 30 एकड़ में अनार के पौधों का वृक्षारोपण किया एवं बाकी 10 एकड़ में पपीता, शरीफा और नींबू के पेड़ लगाने चालू किए। उस समय उनके गाँववाले उनका खूब मजाक बनाते थे। क्योंकि, नवदीप ने विदेश से नौकरी छोड़ खेती किसानी की तरफ अपना रुख किया।

 

एपीडा से पंजीकरण करा सीधे कर रहे अनार के उत्पादन का निर्यात

नवदीप गोलेछा ने अनार का उत्पादन करने से पूर्व ही सर्वप्रथम क्षेत्र के कृषि विभाग में संपंर्क साधा था। नवदीप ने अपनी भूमि की मृदा का परीक्षण करवाया एवं रिसर्च के उपरांत अनार की खेती चालू की थी। जब अनार के फलों की पैदावार चालू होने लगी तो उन्होंने खुद के उत्पादन का निर्यात करने हेतु एपीडा सहित पंजीकरण करावाया साथ ही खुद के उत्पाद को सीधे तौर पर निर्यात करने की मंजूरी ली है। नवदीप नीदरलैंड में खुद के काफी अधिक उत्पादों का निर्यात करते हैं।