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भारत के इन क्षेत्रों में केले की फसल को पनामा विल्ट रोग ने बेहद प्रभावित किया है

भारत के इन क्षेत्रों में केले की फसल को पनामा विल्ट रोग ने बेहद प्रभावित किया है

भारत के अंदर केले का उत्पादन गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है। पनामा विल्ट रोग से प्रभावित इलाके बिहार के कटिहार एवं पूर्णिया, उत्तर प्रदेश के फैजाबाद, बाराबंकी, महाराजगंज, गुजरात के सूरत और मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जनपद हैं। भारत में केले की खेती काफी बड़े पैमाने पर की जाती है। साथ ही, यह देश विश्व के सबसे बड़े केले उत्पादकों में से एक है। भारत विभिन्न केले की किस्मों की खेती के लिए जाना जाता है, जिनमें लोकप्रिय कैवेंडिश केले के साथ-साथ रोबस्टा, ग्रैंड नैने एवं पूवन जैसी अन्य क्षेत्रीय प्रजातियां भी शम्मिलित हैं। प्रत्येक किस्म की अपनी अलग विशेषताएं हैं। ऐसी स्थिति में यदि केले की फसल को कुछ हो जाए तो इसका प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव किसानों की आमदनी पर पड़ता है। साथ ही, देशभर के केला किसानों के लिए पनामा विल्ट रोग एक नई समस्या के रूप में आया है। यह बीमारी उनकी लाखों की फसल को बर्बाद कर रही है।

पनामा विल्ट रोग

यह एक कवक रोग है। इस संक्रमण से केले की फसल पूर्णतय बर्बाद हो सकती है। पनामा विल्ट फुसैरियम विल्ट टीआर-2 नामक कवक की वजह से होता है, जिससे केले के पौधों का विकास बाधित हो जाता है। इस रोग के लक्षणों पर नजर डालें तो केले के पौधे की पत्तियां भूरी होकर गिर जाती हैं। साथ ही, तना भी सड़ने लग जाता है। यह एक बेहद ही घातक बीमारी मानी जाती है, जो केले की संपूर्ण फसल को चौपट कर देती है। यह फंगस से होने वाली बीमारी है, जो विगत कुछ वर्षों में भारत के अतिरिक्त अफ्रीका, ताइवान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया सहित विश्व के बहुत सारे देशों में देखी गई। इस बीमारी ने वहां के किसानों की भी केले की फसल पूर्णतय चौपट कर दी है। वर्तमान में यह बीमारी कुछ वर्षों से भारत के किसानों के लिए परेशानी का कारण बन गई है।

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पनामा विल्ट रोग की इस तरह रोकथाम करें

पनामा विल्ट रोग की रोकथाम के संबंध में वैज्ञानिकों एवं किसानों की सामूहिक कोशिशों से इस बीमारी का उपचार किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है, कि पनामा विल्ट बीमारी की अभी तक कोई कारगर दवा नहीं मिली है। हालाँकि, CISH के वैज्ञानिकों ने ISAR-Fusicant नाम की एक औषधी बनाई है। इस दवा के इस्तेमाल से बिहार एवं अन्य राज्यों के किसानों को काफी लाभ हुआ है। सीआईएसएच विगत तीन वर्षों से किसानों की केले की फसल को बचाने की कोशिश कर रहा है। इस वजह से भारत भर के किसानों तक इस दवा को पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

पनामा विल्ट रोग का इन राज्यों में असर हुआ है

हमारे भारत देश में केले का उत्पादन बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात एवं मध्य प्रदेश में किया जाता है। पनामा विल्ट रोग से प्रभावित बिहार के कटिहार और पूर्णिया, उत्तर प्रदेश के फैजाबाद, बाराबंकी, महाराजगंज, गुजरात के सूरत और मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जनपद हैं। ऐसी स्थिति में यहां के कृषकों के लिए यह बेहद आवश्यक है, कि वो अपने केले की फसल का विशेष रूप से ध्यान रखते हुए उसे इस बीमारी से बचालें।
ओलावृष्टि और बारिश से किसानों की फसल हुई बर्बाद

ओलावृष्टि और बारिश से किसानों की फसल हुई बर्बाद

मध्य प्रदेश में अचानक आई बारिश और ओलावृष्टि की वजह से वहां के किसानों की गेंहू की खड़ी फसल खराब हो गई है। स्थानीय विधायक कुणाल चौधरी ने बताया है, कि बारिश और ओलावृष्टि होने से किसानों की फसलों को खूब हानि हुई है।उहोंने यह भी कहा कि मैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी से निवेदन करना चाहता हूं, कि वह किसानों की आर्थिक सहायता करें। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि मध्य प्रदेश के शाजापुर जनपद में शनिवार को प्रचंड बारिश हुई। परिणामस्वरुप किसान की खड़ी गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है। खबरों के मुताबिक, इस आकस्मिक बारिश से किसानों को बेहद आर्थिक हानि पहुंची है। इस परिस्थिति में कालापीपल के विधायक कुणाल चौधरी ने किसानों की क्षतिग्रस्त हुई फसल के विषय में जानकारी लेने के लिए उनके खेतों में जाकर फसलों का सर्वेक्षण किया। साथ ही, बीजेपी सरकार पर खूब जमकर तंज कसे। इसी कड़ी में एक पीड़ित किसान विधायक को देखके भावुक हो गया उनके गले से लगकर रोने लगा। खबरों के अनुसार, जनपद में तकरीबन 40% से अधिक रबी की फसल हानि हो गई है।

विधायक से गले मिलकर रोया पीड़ित किसान

विधायक कुणाल चौधरी ने बताया है, कि बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को बड़े स्तर पर हानि पहुंची है। इसी संदर्भ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कुणाल चौधरी का कहना है, कि अतिशीघ्र उनके स्तर से प्रभावित किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। साथ ही, उन्होंने बताया है, कि राज्य में सोयाबीन, प्याज एवं लहसुन उत्पादक किसानों को लाभ अर्जित नहीं हुआ है। भाव कम होने के कारण सोयाबीन, प्याज एवं लहसुन की कृषि करने वाले किसान भाई फसल पर किया गया खर्च भी नहीं निकाल पाए हैं। फिलहाल, वर्षा से गेहूं की फसल के ऊपर भी संकट के बादल छा गए हैं। अब सरकार द्वारा किसानों से समुचित मूल्य पर गेहूं खरीदना चालू करने की जरूरत है। ये भी देखें: सर्दी में पाला, शीतलहर व ओलावृष्टि से ऐसे बचाएं गेहूं की फसल

किसानों ने क्षतिग्रस्त फसल के लिए की आर्थिक सहायता की माँग

इसी कड़ी में कुणाल चौधरी ने बताया है, कि कांग्रेस द्वारा किसान भाइयों का कर्ज माफ कर कृषि को सुगम कर दिया था। परंतु, आज की सरकार ने केवल किसानों का जीवन बर्बाद करने का कार्य किया है। आज की सरकार ने 4 गुना महंगा खाद करके किसानों की फसल पर लगने वाली लागत को बढ़ाने का कार्य किया है। इतना ही नहीं किसानों के आगे बेबुनियाद और झूठे वादे करके उनको मुख्यमंत्री जी गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं। दूसरी तरफ बढ़ती महंगाई की वजह से किसानों का फसल पर किए जाने वाला खर्च 3 गुना बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में हमारी चाह है, कि किसान भाइयों को समुचित आर्थिक सहायता प्रदान की जाए एवं गेहूं का मूल्य 3000 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया जाए। साथ ही, कालापीपल के विधायक कुणाल चौधरी ने यह बताया है, कि सरकार को 40000 प्रति हैक्टर की कीमत से किसानों को आर्थिक सहायता देनी चाहिए।

बारिश की वजह से रबी फसल क्षतिग्रस्त

साथ ही, शाजापुर जनपद के प्रभारी मंत्री ने सूचित किया है, कि मध्यप्रदेश में ओलावृष्टि की वजह से किसानों की फसल को बेहद हानि हुई है। ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को जो हानि वहन करनी पड़ी है, उसका सर्वेक्षण करने के आदेश दिए जा चुके हैं। परंतु, विचार करने योग्य बात यह है, कि मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और शिवराज सरकार के मंत्री द्वारा जब आदेश जारी किया जा चुका है। तो फिर क्यों अब तक किसानों के खेत में कोई राजस्व अधिकारी निरीक्षण करने अब तक क्यों नहीं पहुंचा है।
किसान फसल की देखभाल के लिए 7 करोड़ का हेलीकॉप्टर खरीद रहा है

किसान फसल की देखभाल के लिए 7 करोड़ का हेलीकॉप्टर खरीद रहा है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि नक्सल प्रभावित जनपदों में रहने वाले एक किसान ने अपने खेत की देखरेख करने के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं। तकरीबन 1000 एकड़ जमीन में खेती की देखभाल के लिए 7 करोड़ रुपये का हेलीकॉप्टर उन्होंने पसंद किया है। भारत के सर्वश्रेष्ठ किसान सम्मान से नवाजे गए छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कोंडा गांव जनपद के निवासी उन्नत किसान राजाराम त्रिपाठी अपनी एक हजार एकड़ खेती की देखरेख करने के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं। राजाराम त्रिपाठी राज्य के पहले ऐसे किसान हैं, जो कि हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं। 7 करोड़ के खर्चे से खरीदे जा रहे हेलीकॉप्टर के लिए उन्होंने हॉलैंड की रॉबिन्सन कंपनी से सौदा भी कर लिया है। वर्ष भर के अंतर्गत उनके समीप R-44 मॉडल का 4 सीटर हेलीकॉप्टर भी आ जाएगा।

राजाराम सैकड़ों आदिवासी परिवारों के साथ 1000 एकड़ में खेती करते हैं

बतादें, कि किसान राजाराम त्रिपाठी सफेद मूसली, काली मिर्च एवं
जड़ी बूटियों की खेती करने के साथ-साथ मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के संचालन में अपनी अलग पहचान स्थापित कर चुके हैं। हाल ही में उनको लगभग 400 आदिवासी परिवार के साथ 1000 एकड़ में सामूहिक खेती करने एवं यह खेती सफल होने के चलते उन्हें सम्मानित भी किया गया था। उन्हें जैविक खेती के लिए भी बहुत बार राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही, वर्तमान में अपनी खेती किसानी में एक और इतिहास रचते हुए 7 करोड़ की लागत से हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं।

बैंक की नौकरी छोड़ शुरू की खेती

बस्तर के किसान राजाराम त्रिपाठी ने कहा है, कि उनका पूरा परिवार खेती पर ही आश्रित रहता है। कई वर्ष पहले उन्होंने अपनी बैंक की छोड़ के वह दीर्घकाल से खेती करते आ रहे हैं। साथ ही, वह मां दंतेश्वरी हर्बल समूह का भी बेहतर ढ़ंग से संचालन कर रहे हैं। बस्तर जनपद में पाई जाने वाली जड़ी बूटियों की खेती कर इसे प्रोत्साहन देने के साथ ही संपूर्ण राज्य में बड़े पैमाने पर इकलौते सफेद मूसली की खेती करते आ रहे हैं। राजाराम त्रिपाठी का कहना है, कि उनके समूह द्वारा यूरोपीय एवं अमेरिकी देशों में काली मिर्च का भी निर्यात किया जा रहा है। वर्तमान में अपनी करीब एक हजार एकड़ खेती की देखभाल के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं। ये भी देखें: आने वाले दिनों में औषधीय खेती से बदल सकती है किसानों को तकदीर, धन की होगी बरसात

राजाराम को हेलीकॉप्टर से खेती करने का विचार कैसे आया

राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि अपने इंग्लैंड एवं जर्मनी प्रवास के दौरान वहां उन्होंने देखा कि दवा और खाद के छिड़काव के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल हो रहा है। जिससे पैदावार का बेहतरीन परिणाम भी मिल रहा है। इसी को देखते हुए उन्होंने अपने किसान समूह के 1 हजार एकड़ के साथ आसपास के खेती वाले इलाकों में हेलीकॉप्टर से ही खेतो की देखभाल करने का संकल्प किया। साथ ही, हेलीकॉप्टर खरीदने का पूर्णतय मन बना लिया और हॉलैंड की रॉबिंसन कंपनी से सौदा भी कर लिया। राजाराम त्रिपाठी का कहना है, कि वे कस्टमाइज हेलीकॉप्टर बनवा रहे हैं। जिससे कि इसमें मशीन भी लगवाई जा सकें। उन्होंने कहा है, कि फसल लेते वक्त विभिन्न प्रकार के कीड़े फसलों को हानि पहुंचाते हैं। हाथों से दवा छिड़काव से भी काफी भूमि का हिस्सा दवा से छूट जाता है, जिससे कीटों का संक्रमण काफी बढ़ जाता है। हेलीकॉप्टर से दवा छिड़काव से पर्याप्त मात्रा में फसलों में दवा डाली जा सकती है, जिससे फसलों को क्षति भी नहीं पहुंचती।

हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण ले रहे राजाराम के भाई और बेटा

राजाराम त्रिपाठी ने कहा है, कि हेलीकॉप्टर को चलाने के लिए उनके भाई व बेटे को उज्जैन में स्थित उड्डयन अकादमी में हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण लेने के लिए भेजने की तैयारी हो चुकी है। प्रशिक्षण लेने के बाद उनके भाई व बेटे हेलीकॉप्टर से खेती की देखभाल करेंगे। उन्होंने कहा कि बस्तर में किसान की छवि नई पीढ़ी को खेती किसानी के लिए प्रेरित नहीं कर सकती। नई पीढ़ी के युवा आईटी कंपनी में नौकरी कर सकते हैं। लेकिन वह खेती को उद्यम बनाने की कोशिश नहीं करते। इसी सोच में तब्दीली लाने के लिए वह हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं। जिससे कि युवा पीढ़ी में खेती किसानी को लेकर एक सकारात्मक सोच स्थापित हो सके। ये भी देखें: Ashwgandha Farming: किसान अश्वगंधा की खेती से अच्छी-खासी आमदनी कर रहे हैं

सालाना कितने करोड़ का टर्न ओवर है

राजाराम का कहना है, कि उनके भाई व बच्चे भी नौकरी की वजह खेती किसानी कर रहे हैं। साथ ही, खेती बाड़ी में उनको काफी रूचि भी है। खेती-बाड़ी और दंतेश्वरी हर्बल समूह से उनका वार्षिक टर्न ओवर लगभग 25 करोड़ रुपए है। अब उनके साथ-साथ आसपास के आदिवासी किसान भी उन्नत किसान की श्रेणी में आ गए हैं। उनके द्वारा भी हर्बल उत्पादों का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें सफेद मूसली एवं बस्तर की जड़ी-बूटी भी शम्मिलित है। गौरतलब है, कि उनकी इसी सोच व खेती किसानी के लिए किए जा रहे नए नए प्रयास और उससे मिल रही सफलता की वजह से राजाराम त्रिपाठी चार बार सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं।
किसान भाई इन दो कृषि उपकरणों से कुछ ही घंटे में गेंहू की फसल काट सकते हैं

किसान भाई इन दो कृषि उपकरणों से कुछ ही घंटे में गेंहू की फसल काट सकते हैं

रबी की फसलों के अंतर्गत गेहूं खाद्यान्न की प्रमुख फसल के तौर पर किसानों द्वारा चुनी जाने वाली प्रमुख फसल है। हम आज आपको इस फसल की कटाई से संबंधित दो कृषि यंत्रों के बारे में जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं, जिनके माध्यम से आप कई एकड़ फसल को कुछ ही घंटों के अंदर काट सकते हैं। किसान और सरकार चाहते हैं, कि भारतभर में फसलों का उत्पादन और उनकी गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी हो। क्योंकि, इससे कृषक एवं सरकार दोनों को फायदा होगा। लेकिन यह सिर्फ तब ही संभव हो पाएगा, जब फसल उत्पादन का काम कम लागत में संपन्न हो। इसका एक मात्र विकल्प यह है, कि आधुनिक कृषि यंत्रों का इस्तेमाल किया जाए, जिससे कि समय, श्रम एवं लागत की बचत हो पाए। इससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी हांसिल हो सकेगा। ऐसे में आज हम ऐसे आधुनिक 2 कृषि यंत्रों के विषय में बताएंगे, जो कि गेहूं की कटाई को काफी सुगम बना देते हैं।

ट्रैक्टर चलित रीपर बाइंडर

आपकी जानकरी के लिए बतादें, कि इस मशीन के द्वारा कटर बार से पौधे कटे जाते हैं, उसके बाद पुलों में बंध जाते हैं। इसके पश्चात संचरण प्रणाली द्वारा एक ओर गिरा दिया जाता है। मुख्य बात यह है, कि इस मशीन की सहायता से कटाई और बंधाई का काम बेहद ही सफाई से होता है।

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कार्यक्षमता: इससे तकरीबन 0.40 हेक्टेयर/घंटा की दर से कटाई कर सकते हैं। इससे कटाई की लागत लगभग 1050/- रुपए घंटा आती है। कीमत: इस मशीन का अनुमानित मूल्य तकरीबन 2 से 3 लाख रुपए के आस-पास होता है।

स्वचालित वर्टिकल कन्वेयर रीपर

किसान भाइयों आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि छोटे और मध्यम किसानों के लिए गेहूं की कटाई करने हेतु यह अत्यंत उपयोगी मशीन है। इस मशीन में आगे की तरफ एक कट्टर बार लगी होती है, तो वहीं पीछे संचरण प्रणाली लगी होती है। इसके साथ ही रीपर में तकरीबन 5 हॉर्स पावर का एक डीजल इंजन लगा होता है, जो कि पहियों और कटर बार के लिए चलाने का कार्य करता है। कीमत: इस मशीन की अनुमानित लागत रुपए लगभग 100000/- है। कार्यक्षमता: इस मशीन से कटाई करने की लागत लगभग 1100 रुपए प्रति हेक्टेयर आती है. इसकी कार्य क्षमता लगभग 0.21 हेक्टेयर प्रति घंटा है।

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इन कृषि यंत्रों को खरीदने के लिए आप अपने क्षेत्र में स्थानीय कंपनियों से संपर्क कर सकते हैं, जो कि कृषि यंत्रों का निर्माण करती हैं। बतादें, कि यह कृषि यंत्र आपको बहुत ही कम कीमत में मिल जाएंगे।