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गुणवत्ता युक्त किस्मों पर होगा काम, गेहूं की उच्च क्वालिटी किस्म हो रही तैयार : डा. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह

गुणवत्ता युक्त किस्मों पर होगा काम, गेहूं की उच्च क्वालिटी किस्म हो रही तैयार : डा. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह

करनाल स्थित राष्ट्रीय गेहूं अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Wheat and Barley Research (IIWBR)) की पांच किस्मों को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में अनुमोदित किया गया है। करनाल संस्थान की 5 किस्मों का अनुमोदन पहली बार हुआ है। यह जानकारी संस्थान के निदेशक डा. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि आने वाले साल में गेहूं उत्पादन का टारगेट 12 मिलियन एमटी का है। बाजार में कंपनियों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए देश के वैज्ञानिक तैयार हैं। करनाल में बंटास बीमारी से मुक्त जौ (Barley) बनाने की दिशा में अनुसंधान हो रहा हैं। अब उत्पादन से अधिक गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाएगा। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर (मध्य प्रदेश) एवं -भारतीय गेहूँ एवं जो अनुसंधान संस्थान, करनाल के संयुक्त तत्वाधान में अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधानकर्ताओं की 61 वीं संगोष्ठी का आयोजन ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में किया गया। देश के विभिन्न क्षेत्रों से गेहूँ और जौ के वैज्ञानिकों ने इसमें भाग लिया। 2021-22 के दौरान हुई प्रगति की समीक्षा करने और 2022-23 के लिए अनुसंधान गतिविधियों खाका तैयार करने के लिए यह बैठक आयोजित की गई। इस कार्यशाला के एक विशेष सत्र के दौरान भारतीय गेहूँ एवं जो अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रजाति पहचान समिति [वेराइटल आइडेंटिफिकेशन कमेटी (वीआईसी)] की अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस कमेटी की अध्यक्षता डॉ टी.आर. शर्मा, उप-महानिदेशक (फसल विज्ञान), भाकृअनुप, नई दिल्ली ने की। समिति ने सभी 27 प्रस्तावों (1 क्षेत्रफल विस्तार सहित) पर विचार किया और सर्वसम्मति से उनमें से 24 को मंजूरी दी गई। उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के लिए कुल 9 किस्मों की पहचानी गई तथा एक किस्म का क्षेत्र विस्तार किया गया। गेहूं की किस्मों में उच्च उर्वरता एवं अगेती बुवाई के लिए डीबीडब्ल्यू 370, डीबीडब्ल्यू 371, डीबीडब्ल्यू 372, पीवीडब्ल्यू 872, सिंचित एवं समय से बुवाई के लिए पीबीडब्ल्यू 826, सीमित सिंचाई एवं समय से बुवाई के लिए एचडी 3369, एचआई 1653, एचआई 1654 तथा जैव प्रोद्योगिकी के एमएबीबी तकनीक से विकसित एचडी 3406 (सिंचित दशा - समय से बुवाई) की भी पहचान की गयी।


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वहीं भाकृअनुप-भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा विकसित डीबीडब्ल्यू 303 को मध्य क्षेत्र में उच्च उर्वरता अगेती बुआई के लिए क्षेत्रफल विस्तार के लिए प्रस्तावित किया गया है। तीन दिनों तक चले इस संगोष्ठी में देश- विदेश से लगभग 400 प्रतिभागियों ने भाग लिया और इस कार्यक्रम को और सुदृढ़ बनाने पर मंथन किया। किसानों के लिए गेहूँ की उच्च गुणवत्ता वाली किस्मों के तेजी से विकास के लिए और गहनता से कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया गया साथ ही निर्यात के मानदंडों के अनुरूप गेहूँ उत्पादन को बढ़ावा देने तथा किसानों को जागरूक करने पर बल दिया गया।
पिछले साल की अपेक्षा बढ़ सकती है, गेहूं की पैदावार, इतनी जमीन में हो चुकी है अभी तक बुवाई

पिछले साल की अपेक्षा बढ़ सकती है, गेहूं की पैदावार, इतनी जमीन में हो चुकी है अभी तक बुवाई

भारत के साथ दुनिया भर में गेहूं खाना बनाने का एक मुख्य स्रोत है। अगर वैश्विक हालातों पर गौर करें, तो इन दिनों दुनिया भर में गेहूं की मांग तेजी से बढ़ी है। जिसके कारण गेहूं के दामों में तेजी से इजाफा देखने को मिला है। दरअसल, गेहूं का उत्पादन करने वाले दो सबसे बड़े देश युद्ध की मार झेल रहे हैं, जिसके कारण दुनिया भर में गेहूं का निर्यात प्रभावित हुआ है। अगर मात्रा की बात की जाए तो दुनिया भर में निर्यात होने वाले गेहूं का एक तिहाई रूस और यूक्रेन मिलकर निर्यात करते हैं। पिछले दिनों दुनिया में गेहूं का निर्यात बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, जिसके कारण बहुत सारे देश भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं।


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दुनिया में घटती हुई गेहूं की आपूर्ति के कारण बहुत सारे देश गेहूं खरीदने के लिए भारत की तरफ देख रहे थे। लेकिन उन्हें इस मोर्चे पर निराशा हाथ लगी है। क्योंकि भारत में इस बार ज्यादा गर्मी पड़ने के कारण गेहूं की फसल बुरी तरह से प्रभावित हुई थी। अन्य सालों की अपेक्षा इस साल देश में गेहूं का उत्पादन लगभग 40 प्रतिशत कम हुआ था। जिसके बाद भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। कृषि विभाग के अधिकारियों ने इस साल रबी के सीजन में एक बार फिर से गेहूं के बम्पर उत्पादन की संभावना जताई है।


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आईसीएआर आईआईडब्लूबीआर के डायरेक्टर ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा है, कि इस साल देश में पिछले साल के मुकाबले 50 लाख टन ज्यादा गेहूं के उत्पादन की संभावना है। क्योंकि इस साल गेहूं के रकबे में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। साथ ही इस साल किसानों ने गेहूं के ऐसे बीजों का इस्तेमाल किया है, जो ज्यादा गर्मी में भी भारी उत्पादन दे सकते हैं। आईसीएआर आईआईडब्लूबीआर गेहूं की फसल के उत्पादन एवं रिसर्च के लिए शीर्ष संस्था है। अधिकारियों ने इस बात को स्वीकार किया है, कि तेज गर्मी से भारत में अब गेहूं की फसल प्रभावित होने लगी है, जिससे गेहूं के उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है।

इस साल देश में इतना बढ़ सकता है गेहूं का उत्पादन

कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले आईसीएआर आईआईडब्लूबीआर के अधिकारियों ने बताया कि, इस साल भारत में लगभग 11.2 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हो सकता है। जो पिछले साल हुए उत्पादन से लगभग 50 लाख टन ज्यादा है। इसके साथ ही अधिकारियों ने बताया कि इस साल किसानों ने गेहूं की डीबीडब्लू 187, डीबीडब्लू 303, डीबीडब्लू 222, डीबीडब्लू 327 और डीबीडब्लू 332 किस्मों की बुवाई की है। जो ज्यादा उपज देने में सक्षम है, साथ ही गेहूं की ये किस्में अधिक तापमान को सहन करने में सक्षम हैं।


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इसके साथ ही अगर गेहूं के रकबे की बात करें, तो इस साल गेहूं की बुवाई 211.62 लाख हेक्टेयर में हुई है। जबकि पिछले साल गेहूं 200.85 लाख हेक्टेयर में बोया गया था। इस तरह से पिछली साल की अपेक्षा गेहूं के रकबे में 5.36 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। आईसीएआर आईआईडब्लूबीआर के अधिकारियों ने बताया कि इस साल की रबी की फसल के दौरान राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश में गेहूं के रकबे में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी हुई है।

एमएसपी से ज्यादा मिल रहे हैं गेहूं के दाम

अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों को देखते हुए इस साल गेहूं के दामों में भारी तेजी देखने को मिल रही है। बाजार में गेहूं एमएसपी से 30 से 40 प्रतिशत ज्यादा दामों पर बिक रहा है। अगर वर्तमान बाजार भाव की बात करें, तो बाजार में गेहूं 30 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है। इसके उलट भारत सरकार द्वारा घोषित गेहूं का समर्थन मूल्य 20.15 रुपये प्रति किलो है। बाजार में उच्च भाव के कारण इस साल सरकार अपने लक्ष्य के अनुसार गेहूं की खरीदी नहीं कर पाई है। किसानों ने अपने गेहूं को समर्थन मूल्य पर सरकार को बेचने की अपेक्षा खुले बाजार में बेचना ज्यादा उचित समझा है। अगर इस साल एक बार फिर से गेहूं की बम्पर पैदावार होती है, तो देश में गेहूं की सप्लाई पटरी पर आ सकती है। साथ ही गेहूं के दामों में भी कमी देखने को मिल सकती है।