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खीरा की यह किस्म जिससे किसान सालों तक कम लागत में भी उपजा पाएंगे खीरा

खीरा की यह किस्म जिससे किसान सालों तक कम लागत में भी उपजा पाएंगे खीरा

हम लोग सलाद में सबसे महत्वपूर्ण खीरा (cucumber ; kheera) को मानते हैं, इसके अलावा भी आजकल खीरा का उपयोग बहुत बढ़ गया है। देश ही नहीं विदेश में भी खीरा की मांग बढ़ती जा रही है, जिसके लिए खीरा निर्यात के मामलों पर भी काफी ऊपर है। अब देखा जा रहा है, कुछ दिनों से किसान बिना सीजन में खीरा को उगाने के लिए परेशान हैं। लेकिन अब जो हम आपको बताने जा रहे हैं, उसको जानकर आप काफी आश्चर्यचकित हो जाएंगे, क्योंकि किसान को अब खीरा उगाने के लिए बहुत सारी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। आईसीएआर (ICAR) के वैज्ञानिकों ने अब ऐेसे खीरे की किस्म को विकसित किया है, जिसमें ना ही किसी मौसम की बाधा आती है, नहीं बीज की टेंशन। आईसीएआर के वैज्ञानिकों के अनुसार यह बीज रहित खीरा (seedless cucumber) जिसका नाम डीपी-6 (DP-6) है, वह साल में 4 बार उग सकता है। इस खीरे की किस्म डीपी-6 बुवाई के 45 दिन बाद फलों का प्रोडक्शन करने लगता है। इतना ही नहीं जब एक बार फलना शुरू करता है, तो 3 से 4 महीने तक लगातार बीज रहित खीरा का फलन होते रहता है। आपको बता दें कि यह किस्म आईसीएआर आईएआरआई, पूसा इंस्टीट्यूट के सफल प्रयास से किसानों को मिला है।


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वैज्ञानिकों के कई सालों का सफल प्रयास

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीज रहित खीरा की किस्म कई सालों के मेहनत का परिणाम है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसका छिलका भी काफी पतला होता है, जिससे इसका उपयोग करने वाले बिना छीले भी इस डीपी 6 नामक खीरा को खा सकते हैं। आपको यह भी जान कर काफी आश्चर्य होगा कि इस डीपी 6 नामक खीरे के नस्ल में कड़वाहट बिल्कुल भी नहीं है। यह किस्म बिना परागण के ही बहुत अच्छा पैदावार दें सकती है। लेकिन इस बेमौसमी किस्म के खीरे को लेकर एक ये भी अनुमान लगाया जा रहा है की इसको खुले में लगाने से कीट-रोग लगने की संभावना काफी ज्यादा है। किसानों के मन में यह भी प्रश्न है की इसको या तो पॉलीहाउस या संरक्षित ढांचे में ही उगाया जायेगा।

क्या है खासियत

आपको बता दें कि किसी भी खीरे के बेल की हर गांठ पे मादा पुष्प निकलते हैं, लेकिन यह जान कर आपको काफी खुशी होंगी की इस डीपी-6 किस्म के बेल पर जितने ही मादा पुष्प निकलेंगे उतना ही फल का उत्पादन होगा। आपको ये बता दें कि 100 वर्गमीटर खेत में डीपी-6 किस्म के खीरे की तकरीबन 400 पौधे लगाए जा सकते हैं, जिसके हर एक पौधों से लगभग 4 किलो तक खीरे का उत्पादन हो सकता है।


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कितना है लागत व कैसे करें खेती

वैज्ञानिकों के मुताबिक यह डीपी -6 किस्म के खीरे का उत्पादन कमर्शियल जगहों जैसे होटल या फिर घर में आसानी से किया जा सकता। आपको बता दें कि इस डीपी-6 किस्म का खीरे जिसे आईसीएआर-आईएआरआई पूसा इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के द्वारा किया गया है, वह समान खीरे के किस्म के बीज से लगभग 15 रुपए अधिक कीमत में मिलेगा। वैज्ञानिकों के अनुसार किसान भी इस किस्म के खीरे की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो वो भी इस बीज को लगा सकते हैं। लेकिन इस अच्छे बीज के लिए किसानों को दिल्ली स्थित पूसा इंस्टीट्यूट के सब्जी विज्ञान केंद्र से जाकर लाना होगा। आपको यह भी बता दें की किसानों को इस डीपी-6 किस्म के खीरे की संरक्षित खेती के लिए, केंद्र सरकार के संरक्षित खेती योजना का लाभ लेकर, अच्छा उत्पादन कर बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं। इस किस्म के खीरे की खेती में किसान को कम लागत में भी अच्छा मुनाफा मिलेगा, आपको यह जान कर भी हैरानी होगी की किसान के इस डीपी-6 किस्म के खीरे के खेती के लिए एक एकड़ में तकरीबन 20 हजार रुपए लगाने पड़ेगा।
किसान सुबोध ने दोस्त की सलाह से खीरे की खेती कर मिशाल पेश करी है

किसान सुबोध ने दोस्त की सलाह से खीरे की खेती कर मिशाल पेश करी है

बिहार के इस किसान ने पारंपरिक खेती छोड़ शुरु की खीरे की खेती। आज वह हर सीजन में लाखों की आमदनी कर रहे हैं। भारत में किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर नई तकनीक को अपना रहे हैं। किसान सब्जी एवं मेडिसिनल प्लांट की खेती कर आर्थिक हालातों को बेहतर कर रहे हैं। इस वक्त बिहार के भिन्न-भिन्न जनपदों में युवा किसान सब्जी और औषधीय पौधों की खेती कर काफी मोटी आमदनी कर रहे हैं। इसके लिए बिहार सरकार भी किसानों को बड़े पैमाने पर सब्सिड़ी उपलब्ध करा रही है।

किसान सुबोध खीरे की खेती करते हैं

बिहार के सहरसा जनपद के युवा किसान सुबोध झा ने अपनी 4 एकड़ की भूमि में नेट हाउस पद्धति से
खीरे की खेती की चालू करी। उसके लिए उन्होंने बिहार सरकार से सब्सिड़ी भी ली है। किसान सुबोध का कहना है, कि केवल 3 से 4 महीनों में ही उन्हें चार से पांच लाख रुपए का मुनाफा हुआ। इस आमदनी से उन्होंने फिलहाल औषधीय पौधों की भी खेती चालू कर दी है। ये भी पढ़े: पॉली हाउस तकनीक से खीरे की खेती कर किसान कमा रहा बेहतरीन मुनाफा

सुबोध को खीरे की खेती के लिए किसने सलाह दी

किसान सुबोध का कहना है, कि वह काफी वर्षों से खेती-किसानी कर रहे हैं। परंतु, खीरे की खेती के संदर्भ में उनके एक दोस्त ने जानकारी दी, जो कि बिहार के कृषि विभाग में नौकरी करते हैं। उनकी सलाह के पश्चात उन्होंने इसकी खेती की शुरुआत करी है। सुबोध अपने खीरे की खेती के लिए केवल जैविक खाद का उपयोग करते हैं, जिस कारण उनके खीरे की मांग बाजार में काफी ज्यादा रहती है।

सुबोध से अन्य किसान भी तकनीकी गुर सीख रहे हैं

सुबोध का कहना है, कि उनकी खीरे की खेती की सफलता को ध्यान में रखते हुए उनके आस पास के साथी किसान भी बेहद प्रभावित हुए हैं। साथ ही, उन्होंने भी खीरे और औषधीय पौधे की खेती शुरु कर दी है। सुबोध ने बताया है, कि वह समय-समय पर अपने जनपद के कृषि वैज्ञानिकों से खेती से जुड़ी जानकारी से जुड़ी सलाह लेते हैं। वह बताते हैं, कि नेट हाउस में सब्जी की खेती करने से उनको काफी अच्छा उत्पादन हांसिल हुआ है। देखा देखी उनकी राह पर अन्य युवा किसान भी चलने लगे हैं।