Ad

kundru

पंडाल तकनीकी से कुंदरू की खेती करके मिल रहा दोगुना उत्पादन

पंडाल तकनीकी से कुंदरू की खेती करके मिल रहा दोगुना उत्पादन

नई दिल्ली। सामान्यतः भारत में कुंदरू या कुंदुरी (Kundru, Coccinia grandis, Kovakka अथवा Coccinia indica or Coccinia Ivy Gourd) की बहुत ज्यादा लोकप्रियता नहीं है। लेकिन आज देश भर की मंडियों में कुदरु की अच्छी मांग है। मंडियों में बढ़ती मांग को देखते हुए किसानों ने कुंदरू की खेती शुरू कर दी है। कुछ स्थानों पर पंडाल लगाकर कुंदरू की खेती की जा रही है। इससे किसान को फसल का दोगुना उत्पादन मिल रहा है। आंध्र प्रदेश के नरसारावपेट मंडल के गांव मुल्कालूरु के रहने वाले किसान आदित्य नारायन रेड्डी अपनी पत्नी सुशीला के साथ बीते 30 वर्षों से खेती कर रहे हैं। हर साल दोनों पति-पत्नी खेती में नए-नए प्रयोग करते हैं। उनके पास स्वंय की 3 एकड़ जमीन है, जिसमें वह सब्जियां ही उगाते हैं। इस साल उन्होंने अपने एक एकड़ खेत में पंडाल लगाकर कुंदरू की खेती की, जिसमें दोगुना उत्पादन हुआ।
ये भी पढ़े: गर्मियों की हरी सब्जियां आसानी से किचन गार्डन मे उगाएं : करेला, भिंडी, घीया, तोरी, टिंडा, लोबिया, ककड़ी

पंडाल लगाने के लिए किसान ने बैंक से लिया था 2 लाख का लोन

अपनी फसल का उत्पादन बढ़ाने और मेहनत को कम करने के लिए किसान आदित्य नारायण रेड्डी ने बैंक से 2 लाख रुपए का लोन लिया था, जिस पर आंध्र प्रदेश जल क्षेत्र सुधार परियोजना के तहत एक लाख रुपये की सब्सिडी मिली। इस तरह कुल 3 लाख रुपए की लागत से किसान ने अपने खेत पर पंडाल लगाया और आज उसी पंडाल के खेत में कुंदरु कर खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

अर्थ स्थाई पंडाल विधि से खेत में लगाया पंडाल

किसान आदित्य नारायण रेड्डी ने एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में अर्थ स्थाई पंडाल विधि (permanent pandals for Creeper vegetables cultivation) सीखकर, 3 लाख रुपए की लागत से अपने खेत में पंडाल लगाया। अर्थ स्थाई पंडाल लगाने से उनका उत्पादन दोगुना यानी 40 टन हो गया। कुंदरू की खेती में प्रति एकड़ लागत तकरीबन 2 लाख रुपये आती है और 40 टन माल को बेचकर करीब 3 लाख रुपए की आमदनी होती है। इस तरह प्रति एकड़ एक लाख रुपए मुनाफा हो जाता है।
ये भी पढ़े: बारिश में लगाएंगे यह सब्जियां तो होगा तगड़ा उत्पादन, मिलेगा दमदार मुनाफा

पंडाल विधि में हर दो साल बाद बदलने होते हैं बांस

किसान आदित्य नारायण रेड्डी ने जानकारी देते हुए बताया कि पंडाल खेती में हर दो साल बाद पंडाल के बांस बदलने होते हैं, जिससे पंडाल सुरक्षित व मजबूत बना रहता है और फसल के लिए उपयोगी रहता है। उन्नत शील किसान आज पंडाल विधि से खेती करने के लिए दूसरे किसानों को प्रेरित कर रहे हैं।

सुशीला रेड्डी को मिल चुका है जिले की सर्वश्रेष्ठ महिला का खिताब

किसान आदित्य नारायण रेड्डी की पत्नी सुशीला रेड्डी को साल 2010 में जिले की सर्वश्रेष्ठ महिला का खिताब मिल चुका है। आज सुशीला रेड्डी अपने क्षेत्र के किसानों को प्रशिक्षण देती हैं और खेती से जुड़ी जानकारियां देकर किसानों की मदद कर रहीं हैं।
एक बार बुवाई करने पर सालों तक होता है उत्पादन, किसान कर सकते हैं मोटी कमाई

एक बार बुवाई करने पर सालों तक होता है उत्पादन, किसान कर सकते हैं मोटी कमाई

कुंदरु एक ऐसी सब्जी है, जो भारत में हर मौसम में प्राप्त की जा सकती है। इनके पेड़ों को एक बार लगाने पर कई सालों तक इससे उत्पादन ले सकते हैं। कुंदरु की फसल में धान, गेहूं, दलहन, तिलहन जैसी पारंपरिक फसलों की अपेक्षा लागत भी कम आती है। इसके साथ ही इसकी खेती करने में मेहनत भी बेहद कम लगती है। इसकी अपेक्षा इस खेती में मुनाफा ज्यादा होता है, जिससे कम मेहनत पर किसानों की कमाई में तेजी से बढ़ोत्तरी होती है।

कुंदरु की खेती के लिए इस तरह की मिट्टी होती है उपयुक्त

कुंदरु की खेती के लिए वैसे तो हर प्रकार की मिट्टी उपयुक्त है। हर तरह की मिट्टी में इसकी खेती बेहद आसानी से की जा सकती है। लेकिन यदि बलुई दोमट मिट्टी में इसकी खेती की जाए तो इस फसल का शानदार उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस फसल के अंदर मिट्टी में लवणता को सहन करने की क्षमता होती है। इसके साथ ही यदि कृषि भूमि का pH मान 7 हो तो यह कुंदरु की फसल के लिए बेहद उपयुक्त है। इसकी खेती के लिए गर्म और नमी युक्त environment ठीक रहता है। फसल की शानदार उपज के लिए 30 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान सही रहता है।

इस तरह से करें कुंदरु के बीजों की बुवाई

इसके बीजों को सीधे खेत में बोया जा सकता है। इसके अलावा बीजों को नर्सरी में भी तैयार किया जा सकता है। इसके बाद खेत में मेड़ तैयार करके वहां पर पौधों को स्थानान्तरित कर दिया जाता है। कुंदरु के पौधों को इस तरह से लगाना चाहिए ताकि खरपतवार तैयार न हो।


ये भी पढ़ें:
देश में दलहन और तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के प्रयास करेगी सरकार, देश भर में बांटेगी मिनी किट
इसके लिए सबसे पहले गर्मी शुरू होते ही खेत की गहरी जुताई करके खेत को खुला छोड़ दें। इसके साथ ही खेत को अच्छी तरह से साफ कर दें। बाद में खेत में दो से तीन बार हैरो या कल्टीवेटर लगाकर खेत को समतल कर लें। इसके बाद बांस के खंबों को लगा दें। खेत में बांस के खंबों को लगाकर खेती करने को पांडाल प्रणाली कहते हैं। इससे उत्पादन ज्यादा होता है।

कुंदरु की खेती में इतना होता है उत्पादन

पहली बार कुंदरु में 50 दिन बाद फल लगते हैं। इसके बाद हर 15 दिन में इसके फलों की तुड़ाई की जा सकती है। हर 15 से 20 दिन के अंतराल में इसमें दोबारा फल आने लगते हैं। अगर कुंदरु के प्रति हेक्टेयर उत्पादन की बात करें तो एक हेक्टेयर में किसान भाई 450 क्विंटल तक कुंदरु उत्पादित कर सकते हैं। इसके एक बार पौधे लगाने पर अगले 4 सालों तक इससे फसल ली जा सकती है। अगर वर्तमान भाव की बात करें तो कुंदरु का भाव थोक बाजार में 4500 से लेकर 5000 रुपये प्रति क्विंटल है। जिससे इसकी खेती करके किसान भाई बंपर कमाई कर सकते हैं।


ये भी पढ़ें:
ऐसे एक दर्जन फलों के बारे में जानिए, जो छत और बालकनी में लगाने पर देंगे पूरा आनंद
भारत में कुंदरु की खेती ज्यादातर ऐसे स्थानों पर होती है जहां कम ठंड पड़ती है। साल में कम से कम 8 से लेकर 9 महीने तक इसके पेड़ फल देते रहते हैं। जिससे कहा जाता है, कि यह साल भर फल देने वाला पेड़ है।
किसान राजू कुमार चौधरी ने कुंदरू की खेती से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है

किसान राजू कुमार चौधरी ने कुंदरू की खेती से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है

कुंदरू एक लता वाली सब्जी की फसल है। इस वजह से इसकी खेती बैंगन एवं आलू की भांति नहीं की जाती है। कुंदरू की खेती के लिए खेत में लकड़ी का स्टैंड निर्मित किया जाता है, जिसकी सहायता से कुंदरू की लताएं फैलती हैं। साथ ही, समयानुसार कुंदरू की फसल के ऊपर कीटनाशकों का छिड़काव भी करते रहना चाहिए। बिहार में किसान अब बागवानी के अंदर प्रतिदिन नया- नया प्रयोग कर रहे हैं। वह बाजार की मांग के मुताबिक हरी सब्जियों की खेती कर रहे हैं। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ गई है। बिहार में सैकड़ों की तादात में ऐसे किसान हैं, जो सब्जी बेचकर काफी मोटी आमदनी कर रहे हैं। आज हम एक ऐसे ही किसान के विषय में बात करेंगे, जो कुंदरू की खेती से लाखों रुपये की आमदनी कर रहा है। उनसे अब बाकी किसान भी खेती की बारीकियाँ सीखते हैं।

किसान राजू कुमार चौधरी कहाँ के रहने वाले हैं

दरअसल, हम किसान राजू कुमार चौधरी के संबंध में चर्चा कर रहे हैं। वह मुजफ्फरपुर जिला स्थित बोचहां प्रखंड के निवासी हैं। वह अपने गांव चखेलाल में कुंदरू की खेती करते हैं। इससे उनको वर्ष भर में 25 लाख रुपये की कमाई हो जाती है। मुख्य बात यह है, कि राजू कुमार चौधरी केवल 1 एकड़ में कुंदरू की खेती करते हैं। उनकी मानें, तो पारंपरिक फसलों की तुलना में कुंदरू की खेती में कई गुना ज्यादा मुनाफा है।

ये भी पढ़ें:
आगामी रबी सीजन में इन प्रमुख फसलों का उत्पादन कर किसान अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं

किसान भाई कितने दिन कुंदरू का उत्पादन कर सकते हैं

किसान राजू की मानें तो कुंदरू एक ऐसी सब्जी है, जिसकी खेती करने पर काफी मोटी कमाई होती है। कुंदरू की फसल वर्ष भर में 10 महीने उत्पादन देती है। इसका अर्थ यह हुआ है, कि आप कुंदरू के बाग से 10 महीने तक सब्जी तोड़ सकते हैं। राजू कुमार चौधरी का कहना है, कि दिसंबर से जनवरी के मध्य कुंदरू की पैदावार नहीं होती है। इसके पश्चात 10 महीने आप इससे कुंदरू का उत्पादन हांसिल कर सकते हैं।

कुंदरू की सब्जी स्वाद में भी उत्तम होती है

किसान राजू के अनुसार, कुंदरू एक प्रकार की नगदी फसल है। इसकी खेती में लागत भी काफी कम है। मुख्य बात यह है, कि राजू ने कुंदरू की एन-7 किस्म की खेती कर रखी है। इस बीज को उन्होंने बंगाल से आयात किया था। एन-7 किस्म की विशेषता यह है, कि आम कुंदरू की तुलना में इसकी पैदावार ज्यादा होती है। साथ ही, खाने में इसका स्वाद में भी काफी उत्तम होता है।

ये भी पढ़ें:
कृषि वैज्ञानिकों ने मटर की 5 उन्नत किस्मों को विकसित किया है

किसान एक कट्ठे जमीन में कुंदरू की खेती से कितना कमा सकते हैं

दरअसल, किसान भाई यदि एक कट्ठे भूमि के हिस्से में भी कुंदरू की खेती करते हैं, तो बेहतरीन कमाई कर सकते हैं। एक कट्ठे भूमि में कुंदरू की खेती करने पर आप हर चौथे दिन एक क्विटल तक कुंदरू की पैदावार उठा सकते हैं। इस हिसाब से किसान वर्ष में 70 से 80 क्विटल कुंदरू का उत्पादन उठा सकते हैं, जिससे 1.50 लाख रुपये की आमदनी होगी। साथ ही, राजू ने बताया है, कि वह एक एकड़ में कुंदरू की खेती कर वार्षिक 20 से 25 लाख रुपए की आमदनी कर लेता है।