Ad

uae

यूएई ने भारतीय गेंहू व आटे निर्यात पर लगाई 4 माह तक रोक

यूएई ने भारतीय गेंहू व आटे निर्यात पर लगाई 4 माह तक रोक

नई दिल्ली। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने भारत के गेहूं व आटे निर्यात पर आगामी 4 माह तक रोक लगा दी है। भारत दुनियाभर में दूसरा गेहूं निर्यातक  (wheat export) देश है। निर्यात पाबंदी को 13 मई 2022 से लागू माना जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार वे कंपनियां जो निर्यात करना चाहती हैं वे 13 मई से पहले यूएई में लाए गए गेहूं का निर्यात करने के लिए मंत्रालय के पास आवेदन दे सकती हैं।

ये भी पढ़ें: गेहूं के फर्जी निर्यात की जांच कर सकती है सीबीआई
गेहूं उत्पादन में कमी और कीमतों में बेहताशा वृद्धि की वजह से भारत ने गेहूं निर्यात पर 14 मई को ही पाबंदी लगा दी थी। पाबंदी के बाद भी भारत से 4.69 लाख टन गेहूं के शिपमेंट को मंजूरी दी गई थी। भारत और यूएई ने फरवरी में कारोबार और निवेश के मामले में करार किया था। इस करार का उद्देश्य दोनों देशों के बीच कारोबार को पांच साल में सालाना 100 अरब डॉलर तक ले जाने का उद्देश्य रखा गया था। जिसमें सभी तरह के टैरिफ में कटौती का प्रावधान तय किया गया था। वैश्विक बाजार में थम गईं हैं गेहूं की कीमतें - भारत ने बीते 14 मई से गेंहू के निर्यात पर प्रतिबंध  लगा रखा है। बावजूद इसके वैश्विक बाजार में पिछले एक सप्ताह के दौरान गेहूं की कीमतें थमी हुईं हैं। गेहूं के भाव में ज्यादा अंतर देखने को नहीं मिला है। ------ लोकेन्द्र नरवार
भारत में 2 बिलियन डॉलर इन्वेस्ट करेगा UAE, जानिये इंटीग्रेटेड फूड पार्क के बारे में

भारत में 2 बिलियन डॉलर इन्वेस्ट करेगा UAE, जानिये इंटीग्रेटेड फूड पार्क के बारे में

भारत में इंटीग्रेटेड फूड पार्क बनाने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) (United Arab Emirates - UAE) ने 2 बिलियन डॉलर इन्वेस्ट करने का निर्णय लिया है। गुरुवार को I2U2 की बैठक में भारत में निवेश से जुड़ी जानकारी प्रकाश में आई। संयुक्त अरब अमीरात द्वारा भारत में इन्वेस्टमेंट के जरिये इंटीग्रेटेड फूड पार्क की सीरीज डेवलप की जाएगी। अव्वल तो यह I2U2 की बैठक क्या है, मेगा फूड पार्क (Mega Food Park) क्या है, इसके क्या फायदे हैं, भारत में वर्तमान में इस संदर्भ में क्या स्थिति है, इन सवालों के जानिये जवाब मेरीखेती पर। संयुक्त अरब अमीरात के द्वारा भारत में इंटीग्रेटेड फूड पार्क की सीरीज डेवलपमेंट से जुड़े निवेश के बारे में बयान I2U2 की संयुक्त बैठक में दिया गया। गौरतलब है कि भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, इजरायल के पीएम यायर लापिड (Yair Lapid) और यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, I2U2 के पहले वर्चुअल शिखर सम्मेलन में सम्मिलित हैं। इस सम्मेलन में ये लीडर्स संयुक्त आर्थिक परियोजनाओं पर चर्चारत हैं।

I2U2 का अर्थ

आईटूयू2 (I2U2) भारत, अमेरिका, इजरायल और यूएई द्वारा मिलकर बनाया गया एक समूह है। दरअसल, I2U2 नाम में आई-2 का मतलब इंडिया (भारत) और इस्राइल से, जबकि यू-2 का उपयोग यूएस और यूएई के लिए किया गया है। I2U2 समूह की अवधारणा विगत 18 अक्टूबर को चार देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हुई थी। गौरतलब है कि बीते तीन सालों में भारत के संबंध समूह के अन्य तीन देशों के साथ मजबूत हुए हैं। समूह 12U2 का प्रमुख उद्देश्य पानी, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य एवं फूड सिक्योरिटी अर्थात खाद्य सुरक्षा जैसे छह क्षेत्रों में मिलकर निवेश एवं प्रोत्साहन को बढ़ावा एवं मदद देना है। इस I2U2 वर्चुअल सम्मेलन में प्रमुख चर्चा का विषय यूक्रेन-रूस गतिरोध, वैश्विक खाद्य एवं ऊर्जा का संकट हैं।

ये भी पढ़ें: यूएई ने भारतीय गेंहू व आटे निर्यात पर लगाई 4 माह तक रोक

मेगा फूड पार्क (Mega Food Park) किसे कहते हैं ?

मेगा फूड पार्क में एग्री प्रोडक्ट्स (कृषि उत्पाद) के भंडारण और उसकी प्रोसेसिंग की व्यवस्था रहती है। इस व्यवस्था तंत्र में इन प्रॉडक्ट्स की प्रोसेसिंग के जरिये इनका मूल्य संवर्धन किया जाता है। इसके लिए व्यवस्थित तंत्र के तहत कच्चे माल को उच्च क्वालिटी की ऊंची कीमत वाले उत्पादों में बदला जाता है। यानी मेगा फूड पार्क (Mega Food Park) खाद्य सुरक्षा के लिए तैयार वह व्यवस्थित तंत्र है, जिसमें खेत की फसलों के भंडारण के साथ ही उससे तैयार उत्पादों के भंडारण और उसकी प्रोसेसिंग से लेकर उन्हें बाजार उपलब्ध कराने तक की सारी व्यवस्था निहित है।

ये भी पढ़ें: किसान उड़ान योजना से विकसित हो रही ये सुविधाएं : बदल रही पूर्वोत्तर के किसानों की तस्वीर और तक़दीर
मौजूदा तौर पर भारत में किसान और किसानी हित में लागू मंडी क्रय-विक्रय व्यवस्था के मुकाबले यह तंत्र इसलिए सफल कहा जा सकता है क्योंकि, इसमें फसल के उच्चतम उपभोग से लेकर उसके उचित एवं उच्चतम दाम प्राप्त करने का सार भी समाहित है। किसानों को उपज की सही कीमत मिले, बाजार को जरूरी प्रोसेस्ड प्रॉडक्ट्स मिले, इस उद्देश्य से केंद्र सरकार ने वर्ष 2009 में देश में 42 मेगा फूड पार्क स्थापित करने की दिशा में काम शुरू किया था। वर्तमान में, देश में 22 मेगा फूड पार्क ने काम करना शुरू कर दिया है।

केंद्रीय मंत्री पटेल ने दी जानकारी

संसद में शुक्रवार को केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल (Prahlad Singh Patel) ने देश में स्वीकृत 38 मेगा फूड पार्कों को दी गई अंतिम मंजूरी के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि 3 अन्य मेगा फूड पार्क को भी सैद्धांतिक अनुमति दी गई है। इन तीन में से दो मेगा फूड पार्क मेघालय और तमिलनाडु में स्थापित होने जा रहे हैं।

फूड पार्कों में 6.66 लाख रोजगार सृजित

केंद्रीय मंत्री ने एक सवाल का जवाब में बताया कि, एक मेगा फूड पार्क से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर 5 हजार लोगों के लिए रोजगार सृजन होता है। यहां यह ध्यान रहे कि बिजनेस प्लान के आधार पर प्रोजेक्ट्स में सृजित रोजगार संख्या भिन्न भी हो सकती है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वर्तमान में संचालित 22 मेगा फूड पार्कों से लगभग 6,66,000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त हुआ है। राज्य सभा में लिखित जवाब में उन्होंने बताया कि, ये 22 मेगा फूड पार्क- असम, पंजाब, ओडिशा, मिजोरम, महाराष्ट्र सहित 15 राज्यों में संचालित किए जा रहे हैं।

मेगा फूड पार्क में उपलब्ध व्यवस्थाएं

मेगा फूड पार्क एक ऐसा बड़ा तंत्र है जहां कृषि उत्पादित फसल (एग्री प्रॉडक्ट्स), फल-सब्जियों के सुरक्षित भंडारण की व्यवस्था होती है। यहां इन प्रॉडक्ट्स की प्रोसेसिंग कर मार्केट की डिमांड के मुताबिक प्रॉडक्ट्स तैयार किए जा सकते हैं। साथ ही इन मेगा फूड पार्क का सड़क, रेल एवं जल मार्ग से जुड़ने का भी बेहतर नेटवर्क होता है। यहां निर्मित वस्तुओं को कम समय में देश के अन्य राज्यों के साथ ही निर्यात के तौर पर विदेशों तक अल्प समय में पहुंचाया जा सकता है।

ये भी पढ़ें: धान की कटाई के बाद भंडारण के वैज्ञानिक तरीका

क्लस्टर बेस्ड सर्विस

मेगा फूड पार्क को “क्लस्टर” बेस्ड अवधारणा पर विकसित किया गया है। इसमें प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्रों (Primary Processing Center), केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्रों (Central Processing Center) की व्यवस्था की गई है। फल-सब्जियों के साथ-साथ उद्यमियों द्वारा खाद्य प्रसंस्करण यूनिटों (Food Processing Units) की स्थापना के लिए भी इसमें 25-30 पूर्ण विकसित भूखंडों सहित आपूर्ति श्रृंखला संरचना का तंत्र स्थापित किया जाता है।

किसानों को मिलने वाले फायदे

कृषि उत्पादित फसल के भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था के अभाव में फल-सब्जियों के सड़ने का खतरा रहता है। मेगा फूड पार्क में एग्री प्रॉडक्ट्स के भंडारण की व्यवस्था के साथ ही प्रोसेसिंग तंत्र की सुलभता के कारण फल-सब्जियों के सड़ने के बजाए, कीमत बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। कच्चे माल के सुरक्षित भविष्य के कारण किसान, उद्योग, व्यापारी के मुनाफे के साथ ही जिले एवं राज्य के राजस्व में भी सकारात्मक वृद्धि होती है। फल-सब्जियों जैसी फसलों की प्रोसेसिंग के विकल्प न होने से, दूरदराज तक भेजने के चक्कर में व्यापारी व किसान को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता था। ऐसे में जिन राज्यों, जिलों में किसी फसल की यदि प्रधानता है, वहां प्रोसेसिंग यूनिट लग जाए तो फसल सड़ने से बचेगी, किसान का भला होगा, व्यापारी भी नुकसान से बच जाएगा।

ये भी पढ़ें: किसान रेल योजना (Kisan Rail info in Hindi)
इसे टमाटर से समझा जा सकता है, अल्प काल तक खाद्य योग्य टमाटर उत्पादित क्षेत्र में, टोमैटो सॉस बनाने की प्रोसेसिंग यूनिट यदि विकसित की जाए, तो किसान व किसानी सभी का कल्याण होगा।

ये भी पढ़ें: टमाटर की खेती में हो सकती है लाखों की कमाई : जानें उन्नत किस्में

काम करने का तंत्र

मेगा फूड पार्क प्रोजेक्ट का कार्यान्वयन एक विशेष प्रयोजन उपाय (एसपीवी) करती है। जो संस्था अधिनियम के अंतर्गत एक पंजीकृत कॉरपोरेट निकाय है। राज्य सरकार, राज्य सरकार की संस्थाओं एवं सहकारिताओं को मेगा फूड पार्क परियोजना के कार्यान्वयन के लिए पृथक रूप से एसपीवी बनाने की आवश्यकता नहीं है।

यहां संचालित हो रहे मेगा फूड पार्क

प्रदान की गयी जानकारी के अनुसार संचालित किए जा रहे 22 मेगा फूड पार्क इस प्रकार हैं :
  1. स्रीनी मेगा फूड पार्क, चित्तूर, आंध्र प्रदेश
  2. गोदवारी मेगा एक्वा पार्क, पश्चिम गोदावरी, आंध्र प्रदेश
  3. नॉर्थ इस्ट मेगा फूड पार्क, नलबाड़ी, असम
  4. इंडस बेस्ट मेगा फूड पार्क, रायपुर, छत्तीसगढ़
  5. गुजरात एग्रो मेगा फूड पार्क, सूरत, गुजरात
  6. क्रेमिका मेगा फूड पार्क, ऊना, हिमाचल प्रदेश
  7. इंटिग्रेटेड मेगा फूड पार्क, तुमकुर, कर्नाटक
  8. केरल औद्योगिक अवसंरचना विकास निगम (KINFRA) मेगा फूड पार्क, पलक्कड़, केरल
  9. इंडस मेगा फूड पार्क, खरगौन, मध्य प्रदेश
  10. अवंती मेगा फूड पार्क, देवास, मध्य प्रदेश
  11. पैथन मेगा फूड पार्क, औरंगाबाद, महाराष्ट्र
  12. सतारा मेगा फूड पार्क, सतारा, महाराष्ट्र
  13. ज़ोरम मेगा फ़ूड पार्क, कोलासिब, मिज़ोरम
  14. एमआईटीएस मेगा फूड पार्क, रायगढ़, ओडिशा
  15. इंटरनेशनल मेगा फूड पार्क, फज्जिलका, पंजाब
  16. सुखजीत मेगा फूड पार्क, कपूरथला, पंजाब
  17. ग्रीनेटक मेगा फूड पार्क, अजमेर, राजस्थान
  18. स्मार्ट एग्रो मेगा फूड पार्क, निजामाबाद, तेलंगाना
  19. त्रिपुरा मेगा फूड पार्क, पश्चिम त्रिपुरा, त्रिपुरा
  20. पतंजली फूड एंड हर्बल पार्क, हरिद्वार, उत्तराखंड
  21. हिमालयन मेगा फूड पार्क, उधम सिंह नगर, उत्तराखंड
  22. जंगीपुर बंगाल मेगा फूड पार्क, मुर्शीदाबाद, पश्चिम बंगाल।
भारत में यूएई द्वारा इन्वेस्ट की जा रही बड़ी राशि से निश्चित ही उम्मीद की जा सकती है कि, इससे I2U2 के उद्देश्य पूरे होंगे और भारत के कृषि उत्पादन, विनिर्माण एवं बाजार तंत्र में कसावट आने से उचित परिणाम मिलेंगे।
भारत ने किया रिकॉर्ड तोड़ चाय का निर्यात

भारत ने किया रिकॉर्ड तोड़ चाय का निर्यात

भारत द्वारा रिकॉर्ड तोड़ चाय का निर्यात किया गया है। बीते बहुत से वर्षों में निर्यात के आंकड़े काफी हद तक बढ़े हैं। चाय का विदेशों में किया गया निर्यात इस बार बढ़कर के 18.53 करोड़ किलोग्राम तक पहुँच गया है। दरअसल, ईरान, रूस, यूएई सहित विभिन्न देशों में भारत ने चाय निर्यात की है। कृषि उत्पादों का उत्पादन, निर्यात के संदर्भ में भारत निरंतर रिकॉर्ड तोड़ रहा है। बतादें, कि आलू, गेहूं, धान, गन्ना में भारत की विश्व में एक अलग ही पहचान रखता है। किसानों की मेहनत की वजह से करोड़ों हेक्टेयर में फसलों का उत्पादन किया जाता है। चाय के उत्पादन में भी देश ने अपनी विशेष पहचान स्थापित की है। मुख्य बात यह है, कि देश की चाय की चुस्की विश्व के विभिन्न देश ले रहे हैं। हाल ही, में चाय के निर्यात के नवीन आंकड़ें देखने को मिल रहे हैं।

चाय का निर्यात कितने करोड़ किलो हो गया है

भारत से चाय के निर्यात के आंकड़ें समक्ष आ चुके हैं। बीते वर्ष जनवरी से अक्टूबर के मध्य चाय का निर्यात 18.53 करोड़ किलोग्राम तक रहा है। जिसमें 18.1 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई है। लेकिन, पूर्व में यह 16 करोड़ किलोग्राम रहा था।

राष्ट्रकुल देशों में सर्वाधिक चाय निर्यात की गई है

चाय बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रकुल देश (सीआईएस ब्लॉक) वर्ष 2022 के पूर्व दस माह में 4 करोड़ 36.5 लाख किलोग्राम चाय आयात कर सर्वोच्च आयातक देशों का समूह रहा। जो कि इससे पहले यह 3 करोड़ 69.5 लाख किलोग्राम पर रहा था। साथ ही, रूस राष्ट्रकुल देशों में 3 करोड़ 28 लाख किलोग्राम की चाय आयात करने सहित सीआईएस ब्लॉक में सर्वोच्च आयातक देश रहा था।
ये भी देखें: विदेशों में बढ़ी देसी केले की मांग, 327 करोड़ रुपए का केला हुआ निर्यात

यूएई (UAE) द्वारा 3 करोड़ से ज्यादा का चाय आयात किया है

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने साल 2022 में इसी दौरान में 3 करोड़ 29.5 लाख किलोग्राम सहित दूसरे सर्वोच्च आयातक के तौर पर सामने आया है। बीते वर्ष में इसी समय में यह 1 करोड़ 24.5 लाख किलोग्राम रहा था।

ईरान द्वारा चाय का आयात कम करना चिंता का विषय

ईरान भारतीय चाय का बड़ा खरीदार रहा है। परंतु, वर्तमान में ईरान के चाय आयात के आंकड़ों ने चिंता को काफी बढ़ा दिया है। ईरान द्वारा जनवरी माह से अक्टूबर 2022 तक 1 करोड़ 95.2 लाख किलोग्राम चाय का आयात किया गया है। साल 2021 में इसी दौरान में दो करोड़ 14.5 लाख किलोग्राम से बहुत कम है।
जलवायु परिवर्तन को लेकर दुबई में COP 28 बैठक का आयोजन होने जा रहा है

जलवायु परिवर्तन को लेकर दुबई में COP 28 बैठक का आयोजन होने जा रहा है

जैसा कि हम सब जानते हैं, कि कृषि क्षेत्र में जलवायु की एक अहम भूमिका होती है। दुबई में COP 28 बैठक का आयोजन किया जाएगा, जिसमें जलवायु परिवर्तन से जूझने के लिए बहुत सारे तरीकों पर मंथन किया जाएगा। केवल भारत ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व प्रदूषण की वजह से काफी परेशान है। विश्व भर के विभिन्न देश जलवायु परिवर्तन की चपेट में गए हैं, जिसको लेकर निरंतर मंथन भी किया जाता है। वर्तमान में एक बार पुनः इस दिक्कत से निजात पाने के लिए विचार-विमर्श और मंथन किया जा रहा है, जिसको लेकर सीओपी का आयोजन दुबई में किया जाएगा। सीओपी का अर्थ पार्टियों का सम्मेलन है। ये बैठकें वार्षिक होती है। अब तक समकुल 27 बैठकें हो चुकी हैं। अब 28 वीं बैठक होने वाली है।

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश क्यों आयोजन कर रहे हैं 

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश जलवायु परिवर्तन से जूझने में कारगर तरीकों का आकलन करने और यूएनएफसीसीसी के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत जलवायु कार्रवाई की योजना तैयार करने के लिए सीओपी का आयोजन करते हैं। इसका नाम जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन अथवा संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दलों का कॉन्फ्रेंस है। पहले COP का आयोजन वर्ष 1995 में बर्लिन में किया गया था। बीते साल इसका आयोजन मिस्र में हुआ था। अभी तक COP की कुल 27 बैठकें हो चुकी हैं।

ये भी पढ़ें:
कृषि-जलवायु परिस्थितियों में जुताई की आवश्यकताएं (Tillage requirement in agro-climatic conditions in Hindi)

दुबई में COP28 की बैठक कितनी तारीख तक चलेगी 

दुबई में COP28 30 नवंबर से शुरू हो जाएगी एवं 12 दिसंबर तक चलेगी। हर एक वर्ष संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन की मेजबानी एक भिन्न देश करता है। मेजबान देश की तरफ से एक अध्यक्ष भी नियुक्त किया जाता है, जिसका कार्य जलवायु वार्ता का नेतृत्व करते हुए समग्र दृष्टिकोण प्रदान करना होता है। इस बार संयुक्त अरब अमीरात के उद्योग एवं उन्नत प्रौद्योगिकी मंत्री, डॉक्टर सुल्तान अल-जबर COP28 वार्ता की अध्यक्षता करते दिखाई देंगे।

ये भी पढ़ें:
जानिए G20 बैठक में किसानों के लिए क्या महत्वपूर्ण कदम उठाया जाऐगा

जानिए किन क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित रहेगा 

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार की बैठक में वर्ष 2030 से पूर्व ऊर्जा परिवर्तन में तीव्रता लाना एवं उत्सर्जन में कटौती करना। पुराने वादों को पूरा करके एवं एक नए समझौते के लिए रूपरेखा विकसित करना जलवायु क्षेत्र में सुधार, प्रकृति, लोगों, जीवन आजीविका को जलवायु कार्रवाई के केन्द्र में रखना है। अब तक के सबसे समावेशी कॉप के संगठन पर ध्यान केंद्रित रहेगा।