ब्राह्मी की खेती: उन्नत विधि, लाभ और उत्पादकता बढ़ाने के टिप्स
ब्राह्मी का नियमित सेवन मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होता है।
यह खराब जल निकासी वाली मिट्टी और जल-जमाव वाले क्षेत्रों में उपोष्णकटिबंधीय परिस्थितियों में अत्यधिक अच्छी तरह से बढ़ता है।
फसल की बेहतर पैदावार के लिए भूमि की अच्छी तैयारी आवश्यक है। खेत को गहरी जुताई कर खरपतवार रहित बनाना चाहिए।
आदर्श रोपाई के लिए 4-5 से.मी. लंबी कटिंग का उपयोग करें, जिनमें कुछ पत्तियां, गांठें और जड़ें मौजूद हों।
सिंचाई फसल की अच्छी वृद्धि और उपज के लिए महत्वपूर्ण है। रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करना आवश्यक होता है।
प्रारंभिक चरण में हर 5-20 दिनों पर हाथ से खरपतवार निकालना अनिवार्य है। पौधों की बढ़त के बाद, जब वे गाढ़ी चटाई जैसी बनावट बना लेते हैं.
फसल में फूल आने का समय रोपाई के 3 महीने बाद शुरू होता है। कटाई का सही समय अक्टूबर-नवंबर के बीच होता है।
शंख पुष्पी की खेती: जानें उन्नत तकनीक, जलवायु, मिट्टी और देखभाल के टिप्स
Click Here