भारत में मछली की खपत तेजी से बढ़ रही है। 2022 में, भारत की मछली की खपत 21.97 मिलियन मीट्रिक टन थी, और यह 2030 तक 30 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंचने का अनुमान है।
लंबोदर गर्म पानी की मछली है जो उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में पनपती है। भारत का अधिकांश भाग इस प्रकार की जलवायु का अनुभव करता है, जो लंबोदर की खेती के लिए अनुकूल बनाता है।
लंबोदर की खेती अपेक्षाकृत कम लागत वाली है। इसके लिए महंगे उपकरण या बुनियादी ढांचे की आवश्यकता नहीं होती है, और इसे छोटे तालाबों या टैंकों में भी उगाया जा सकता है।
लंबोदर मछली तेजी से बढ़ती है। वे 6-8 महीनों में परिपक्वता तक पहुंच सकते हैं, जिससे किसानों को जल्दी से लाभ मिल सकता है।
लंबोदर को ताजा, जमे हुए या डिब्बाबंद बेचा जा सकता है। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में किया जा सकता है, जिससे यह किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन जाता है।