इस तकनीक से केले की खेती करके कमा सकते है अच्छा मुनाफा

भारत में पिछले कुछ वर्षों से केले की उन्नत प्रजातियों के पौधों को ऊतक संवर्धन (टिसु कल्चर) विधि से बनाया जा रहा है।

ऊतक संवर्धन द्वारा तैयार पौधों में, प्रकन्दों की तुलना में, फलन लगभग 60 दिन पूर्व होता है। इस प्रकार रोपण करने के बाद 12 से 14 महीने में ही केला की पहली फसल प्राप्त होती है।

इस विधि से तैयार किए गए पौधों की बुवाई करके समय और पैसे दोनों की बचत होती है। इस विधि में पौधों की देखभाल अधिक करनी पड़ती है।

आजकल पूरे भारत में केला की खेती के लिए ऊतक संवर्धन से तैयार पौधों का उपयोग रोपण सामग्री के रूप में किया जा रहा है।

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