इस जगह पौधों को दिया जा रहा बिजली करंट, आखिर क्या वजह है

इस जगह पौधों को दिया जा रहा बिजली करंट, आखिर क्या वजह है

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आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि वैज्ञानिकों का कहना है, कि यदि यह तकनीक कामयाब होती है, तो अति शीघ्र इसको संपूर्ण विश्व में फैला दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने बताया है, कि इसकी सहायता से वो वैश्विक खाद्य संकट से भी निपट सकते हैं।

कृषि तीव्रता से परिवर्तित हो रही है। लोग आधुनिक कृषि के माध्यम से फसलों की पैदावार उम्मीद से भी अधिक कर रहे हैं। हालांकि, इसके लिए किसान भांति-भांति के प्रयोग भी करते हैं। इस लेख में हम आपको एक ऐसे ही एक्सपेरीमेंट के विषय में बताएंगे। सबसे खास बात यह है, कि यदि ये प्रयोग सफल रहा तो बेहद शीघ्रता से आपको खाद एवं केमिकल रहित सब्जियां खाने को मिल सकती हैं। क्योंकि इनका जल्दी से विकास और बढ़वार करने के लिए केमिकल युक्त खाद के स्थान पर बिजली के झटके दिए जा रहे।

इंपीरियल कॉलेज लंदन में एक प्रयोग किया जा रहा है

यह एक प्रकार का प्रयोग है, जिसको इंपीरियल कॉलेज लंदन में किया जा रहा है। यहां प्लांट मॉर्फोजेनेसिस की एक परियोजना के अंतर्गत वर्टिकल फार्मिंग को परिवर्तित करने के लिए इलेक्ट्रोड युक्त हाइड्रोजेल क्यूब्स का उपयोग किया जा रहा है। दरअसल, इस एक्सपेरीमेंट के दौरान इन ट्रांसल्यूसेंट क्यूब्स में उपस्थित नेटवर्क स्ट्रक्चर में तरलता को स्थिर बनाए रखा जाता है। बतादें कि इसके लिए इन हाइड्रोजेल क्यूब्स में बिजली के हल्के-हल्के झटके दिए जाते हैं। उसके पश्चात इसी की वजह से लैब में उपस्थित छोटी एयर टनल्स से हरी-हरी पत्तियां निकलती हैं।

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वैज्ञानिकों ने कहा कि यह तकनीक विश्वभर में फैल जाऐगी

वैज्ञानिकों का कहना है, कि यदि ये तकनीक सफल रही तो अति शीघ्र इसे विश्व भर में फैला दिया जाएगा। बतादें, कि वैज्ञानिकों द्वारा इस तकनीक को बेहद शानदार बताया जा रहा है। उनका कहना है, कि इसकी सहायता से वो वैश्विक खाद्य संकट से भी निपट सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह है, कि इसके इस्तेमाल से सब्जियां केमिकल मुक्त होंगी जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी बेहतर होगा। साथ ही, भारत एवं चीन जैसे देश के लिए जहां पर आबादी अत्यधिक है ये तकनीक इनके लिए बेहद फायदेमंद होगी। किसान इस तकनीक की सहायता से अपने खेतों के साथ-साथ छोटी छोटी जगहों पर भी भरपूर मात्रा में सब्जियां उगा पाएंगे। यहां तक की अर्बन किसान जो टेरिस गार्डन में खेती करते हैं, उनके लिए भी यह तकनीक बेहद ही मददगार सिद्ध होगी।

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