बिहार राज्य के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बताया है, कि इस योजना पर कार्य होने से उत्तर बिहार की काफी बड़ी परेशानी आहिस्ते-आहिस्ते समाप्त हो जाएगी। लोगों को अपना घर छोड़कर बाहर रोजगार के लिए नहीं जाना पड़ेगा।
कोसी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है। यह नदी नेपाल से होते हुए बिहार में अंदर आ जाती है। बतादें, कि एक रिपोर्ट के अनुसार, कोसी नदी में आई बाढ़ से प्रति वर्ष तकरीबन 21,000 वर्ग किमी का क्षेत्रफल प्रभावित होता है। इससे ग्रामीण अर्थ व्यवस्था पूर्णतया बर्बाद हो जाती है। साथ ही, भारी तादात में जान-माल का भी खतरा रहता है। अब ऐसी स्थिति में प्राकृतिक आपदा को काबू करने के लिए कोसी विकास प्राधिकरण बनाने की मांग उठ रही है। बिहार सरकार केंद्र सरकार से यह मांग कर रही है। परंतु, केंद्र की ओर से कोई आधिकारिक तौर पर उत्तर नहीं मिल पा रहा है। हालांकि, पटना हाईकोर्ट की ओर से भी कोसी विकास प्राधिकरण बनाने की मांग पर मुहर लग गई है।
हाय डैम की जरूरत 1950 में महसूस की गई थी
दरअसल, बिहार सरकार कोसी नदी से होने वाली तबाही को काबू करने के लिए केंद्र सरकार से कोसी विकास प्राधिकरण बनाने की गुहार कर रही है। परंतु, केंद्र की एनडीए सरकार की ओर से कोई सटीक और संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार के समक्ष समस्याएं खड़ी हो गई हैं, अब इनका समाधान किस तरह से किया जाए। विशेष बात यह है, कि कोशी की विनाशकारी बाढ़ से संरक्षण हेतु भारत- नेपाल सीमा पर ‘हाय डैम’ की आवश्यकता 1950 में ही महसूस की जा चुकी थी। परंतु, राजनीतिक और कूटनीतिक दोनों स्तर पर विफलता की वजह से आज तक समाधान नहीं खोज पाए हैं।
केंद्र से 70 प्रतिशत खर्च करने का आग्रह किया गया है
सबसे विशेष बात यह है, कि पटना हाईकोर्ट ने वर्ष 2022 में एक जनहित याचिका पर इस संबंध में सुनवाई की थी। उस वक्त हाईकोर्ट द्वारा केंद्र और राज्य सरकार को वर्ष 2023 में कोसी विकास प्राधिकरण बनाने के लिए निर्देशित किया था। साथ ही, पटना हाईकोर्ट ने इस प्राधिकरण में बिहार सरकार, भारत सरकार और नेपाल सरकार की प्रतिनिधि को शम्मिलित करने हेतु बोला था। इस निर्णय के बाद बिहार सरकार द्वारा केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक कोसी विकास प्राधिकरण तैयार करने के लिए पत्र भी भेजा।
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इसमें कोसी हाइडेन के निर्माण और अन्य वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध होने तक राज्य को अंतर्राष्ट्रीय नदियों की वजह बाढ़ से होने वाले नुकसान के लिए राशि का 70% खर्चा भारत सरकार द्वारा प्रदान करने का आग्रह किया गया। परंतु, बिहार में एनडीए सरकार के जाने के बाद मामला ठंडे बस्ते में न पड़ जाए। इस वजह से हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कोसी मेची नदी जोड़ने की योजना हेतु फंडिंग के मुद्दे को भी शीघ्रता से निराकरण करने हेतु भारत सरकार को रिपोर्ट देने को बोला था।
कितने हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी
कोसी मेची लिंक परियोजना से बिहार के तपोवन क्षेत्र में 214000 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि की सिंचाई हो सकेगी। मजेदार बात यह है, कि भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय एवं जल शक्ति मंत्रालय से इसके लिए मंजूरी ली जा सकती है। भारत सरकार की उच्च स्तरीय समिति द्वारा इस योजना को राष्ट्रीय परियोजना में शम्मिलित करने की अनुशंसा भी कर चुकी है। परंतु, फंडिंग पैटर्न पर भारत सरकार द्वारा आज तक कोई निर्णय नहीं किया है। इसकी वजह से राष्ट्रीय परियोजना में शम्मिलित नहीं किया जा सकता है।
फसल क्षतिग्रस्त होने से बच पाएगी
बिहार सरकार के मुताबिक, केंद्र सरकार से उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश की केन बेतवा लिंक योजना की तरह ही कोसी मेची लिंक योजना के लिए भी 80% प्रतिशत अनुदान लिया जा सकता है। बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा का कहना है, कि इस योजना पर कार्य होने से उत्तर बिहार की काफी बड़ी परेशानी से धीरे-धीरे छुटकारा मिल जाएगा। लोगों को अपना घर छोड़कर कहीं बाहर रोजगार खोजने नहीं जाना नहीं पड़ेगा। साथ ही, किसानों की फसल चौपट भी नहीं हो सकेगी।