राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात भारत में सरसों के तेल के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं. इन राज्यों में शुष्क जलवायु सरसों की खेती के लिए उपयुक्त है.
सरसों की फसल की कटाई फरवरी और मार्च के महीनों के बीच की जाती है. कटाई के बाद, बीजों को निकाला जाता है और फिर सरसों का तेल बनाने के लिए कोल्हू या मिलों में ले जाया जाता है.
सरसों के तेल का उत्पादन पारंपरिक रूप से कोल्हू (Kolhu) नामक लकड़ी के घोलक का उपयोग करके किया जाता था. आजकल, आधुनिक मिलों का उपयोग करके तेल निकाला जाता है
सरसों के तेल का उपयोग मुख्य रूप से खाना पकाने में किया जाता है. इसका मजबूत स्वाद और तीखी सुगंध भारतीय व्यंजनों को एक विशिष्ट चरित्र प्रदान करता है. इसके अलावा, सरसों के तेल का उपयोग मालिश और आयुर्वेदिक दवाओं में भी किया जाता है.
भारत सरसों के तेल का शुद्ध आयातक देश है. इसका मतलब है कि हम घरेलू खपत को पूरा करने के लिए विदेशों से सरसों का तेल आयात करते हैं.
भारत सरकार किसानों को सरसों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहल कर रही है. इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रदान करना और उन्नत बीजों और तकनीकों को उपलब्ध कराना शामिल है.