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बिना प्रौद्योगिकी के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था मुमकिन नहीं - राज्य मंत्री कैलाश चौधरी

बिना प्रौद्योगिकी के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था मुमकिन नहीं - राज्य मंत्री कैलाश चौधरी

अनुसूचित जाती आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने कहा है, कि बदलते युग में टेक्नोलॉजी के माध्यम से भारत 2047 तक विकसित देश बनने में सक्षम होगा। साथ ही, अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ विश्व के लिए उत्पादन भी करेगा। कृषि में प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है, कि यदि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त करना है, तो कृषि क्षेत्र में सटीक खेती (प्रिसिजन फार्मिंग), कृत्रिम मेधा (एआई) और कृषि-ड्रोन आदि जैसी नवीन तकनीकों को बड़े स्तर पर अपनाना होगा। उन्होंने ईटी एज की मदद से भारत की प्रमुख कृषि-रसायन कंपनी धानुका समूह द्वारा नई दिल्ली में आयोजित "कृषि में भविष्य की नई तकनीकें: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक परिदृश्य परिवर्तक" पर एक दिन के सेमिनार में यह कहा है।

अनाज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भरता हेतु मिलेगा सहयोग

स्वयं के खेती के अनुभव को याद करते हुए उन्होंने कहा, "ट्रैक्टर तकनीक की शुरुआत से पहले किसानों के पास बारिश के 4-5 दिनों के भीतर खेतों को जोतने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। बैल जोतते थे, इसलिए गति धीमी होने की वजह से आधे खेत अनुपयोगी रह जाते थे। ट्रैक्टर प्रौद्योगिकी ने किसानों को कुछ दिनों में खेतों के बड़े भू-भाग को जोतने में सक्षम बनाया और इससे हमें अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भरता हांसिल करने में मदद मिली। इसी तरह हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के निकट भविष्य के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खेती में कृत्रिम मेधा (एआई), ड्रोन, सटीक खेती, ब्लॉकचेन जैसी नवीन तकनीकों का फायदा उठाने की जरुरत है।"

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फसलीय पैदावार में वृद्धि करने के लिए तकनीक बेहद जरूरी - कैलाश चौधरी

कैलाश चौधरी ने संगोष्ठी में मौजूद वैज्ञानिकों को नवीन कृषि प्रौद्योगिकियों के साथ किसानों को सशक्त बनाकर कृषि उत्पादन में पर्याप्त इजाफा करने के लिए भारत के वर्षा-सिंचित जनपदों में 40 प्रतिशत कृषि योग्य जमीन में तकनीक का इस्तेमाल कर उत्पादन बढ़ाने का भी आह्वान किया। भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री ने कहा, "देश में अधिकांश कृषि भूमि की क्षमता समाप्त हो गई है। केवल बारिश पर निर्भर क्षेत्र बचा है, जिसकी क्षमता का दोहन करने की जरुरत है।"

भारत के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम राम नाथ कोविंद ने संगोष्ठी को भेजा संदेश

संगोष्ठी के लिए भेजे गए अपने संदेश में भारत के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम राम नाथ कोविंद ने कहा, “भारतीय कृषि विज्ञान आधारित प्रौद्योगिकियों को अपनाने के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार दे रही है। स्पष्ट रूप से गतिशील कृषि वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, किसानों के प्रतिनिधियों और उद्योग जगत के दिग्गजों की मौजूदगी में यह चर्चा एक सदाबहार क्रांति के जरिए से कृषि के भविष्य में क्रांति लाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।”

कृषि में प्रौद्योगिकी किसानों को सशक्त और मजबूत बना सकती है

अपने जमीनी अनुभव को साझा करते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने कहा है, कि किसानों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए प्रौद्योगिकी के विवेकपूर्ण इस्तेमाल की वकालत की है। उन्होंने कहा,“जब मैंने एक स्कूल में छात्रों से बातचीत की, तो उनमें से तकरीबन सभी वैज्ञानिक, इंजीनियर और डॉक्टर बनना चाहते थे। परंतु, उनमें से कोई भी किसान बनना नहीं चाहता था। ऐसा इसलिए है, क्योंकि देश ने खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता तो हांसिल कर ली है। लेकिन, किसान आज भी गरीब है। यही वजह है, कि हमें इस बात पर विचार करने की काफी जरुरत है, कि किस तरह कृषि में प्रौद्योगिकी प्रत्यक्ष तौर पर किसानों को मजबूत और शक्तिशाली बना सकती है। साथ ही, उनके जीवन को अच्छा बनाकर उन्हें सम्मानित जीवन प्रदान कर सकती है।

डॉ दीपक पेंटल ने कृषि-रसायन को लेकर क्या कहा है

दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर डॉ दीपक पेंटल द्वारा जीएम फसलों की सशक्त वकालत करते हुए कहा, "अमेरिका ने बहुत पहले जीएम फसलों को पेश करके कृषि उत्पादन में 35% की वृद्धि की है, जबकि यूरोप सिर्फ 6-7% तक ही सीमित रहा है। वैसे भी यूरोप में जनसंख्या नहीं बढ़ रही है, इसलिए उनके पास विकल्प है। लेकिन क्या हमारे पास विकल्प है? इसलिए हमें यह तय करने की आवश्यकता है, कि हम विभाजन के किस तरफ रहना चाहते हैं। डॉ. पेंटल ने कृषि-रसायनों के इस्तेमाल का समर्थन करते हुए कहा है, कि यदि हम चाहते हैं कि फसलों को कम हानि पहुँचे, तो उच्च गुणवत्ता वाले कृषि-रसायन जरूरी हैं।
धानुका एग्रीटेक ने प्रेस विज्ञप्ति में आधुनिक तकनीक से भारतीय कृषि को मजबूत करने की बात कही है

धानुका एग्रीटेक ने प्रेस विज्ञप्ति में आधुनिक तकनीक से भारतीय कृषि को मजबूत करने की बात कही है

धानुका एग्रीटेक प्रेस विज्ञप्ति : भारतीय किसानों की समस्याओं के प्रभावी समाधान के रूप में धानुका एग्रीटेक ऐसे उत्पाद लेकर आया है, जो उत्पादन क्षमता के साथ ही लाभ के प्रतिशत को भी बढ़ा देंगे। इतना ही नहीं धानुका अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास और प्रशिक्षण केंद्र के जरिए यह कंपनी किसानों तक नवीनतम समाधान बिना किसी अवरोध के सीधे पहुंचाने का काम भी कर रही है।

भारतीय कृषि मौजूदा समय में बड़े बदलावों से गुजर रही है। आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी या एग्री-टेक के कारण आई इस बदलाव की लहर के बूते अब देश अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कृषि महाशक्ति के रूप में उभरकर आने को तैयार है। पिछले कुछ वर्षों में ही, एग्री-टेक ने लाभ प्रतिशत और उत्पादन क्षमता को बढ़ा दिया है, जिसने एक बार फिर से देश की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका को मजबूती दे दी है।

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इस बढ़ोतरी को देखते हुए कहा जा सकता है कि साल 2030 तक भारत की जीडीपी में कृषि का लाभांश योगदान 600 अरब डॉलर तक पहुंचने की क्षमता है, जो 2020 की तुलना में 50 प्रतिशत से भी ज्यादा की वृद्धि होगी। इसके अलावा, एग्री-टेक ग्रामीण इलाकों के उत्थान में भी योगदान दे रहा है, जो भारत को वैश्विक स्तर पर खाद्य उत्पादन के क्षेत्र में एक प्रमुख उत्पादक के रूप में स्थापित कर रहा है।

कृषि क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत बनाने के इस मिशन को धानुका एग्रीटेक आगे बढ़ा रहा है। एक लीडर की भूमिका निभाते हुए कंपनी भारतीय किसानों को नवीन कृषि-तकनीक और आधुनिक पद्धतियां उपलब्ध करवा रहा है, जिससे वे और भी अधिक सक्षम बन रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और टिकाऊ कृषि समाधानों का उपयोग करते हुए कंपनी ने एग्री-टेक के क्षेत्र में इनोवेशन को भी बढ़ावा दिया है।

कृषि से जुड़ी नवीनतम जानकारी हासिल करने के लिए धानुका ने अमेरिका, जापान और यूरोप जैसे देशों की टॉप एग्री-इनपुट कंपनियों से हाथ मिलाया है। इसका इस्तेमाल कर कंपनी ने भारतीय कृषि में ऐसी अत्याधुनिक तकनीक को पेश किया है, जो देश को वैश्विक स्तर पर कृषि क्षेत्र में अग्रणी बनने की ओर ले जा रही है। वर्तमान में, धानुका के पास तीन ऐसे अत्याधुनिक विनिर्माण इकाइयां (मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी) हैं जिनके जरिए उच्चतम स्तर के कृषि उत्पादों का उत्पादन किया जा रहा है।

धानुका इन नवीनतम पद्धतियों का इस्तेमाल एग्रोकेमिकल इंडस्ट्री से जुड़े अपने उत्पादों की बड़ी रेंज को तैयार करने में कर रहा है। इन उत्पादों में खरपतवार नाशक, कीटनाशक, फफूंदनाशक, बायोलॉजिकल्स, और प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर्स शामिल हैं, जो सभी मुख्य फसल कीटों, बीमारियों और खरपतवारों से जुड़ी समस्याओं का प्रभावी तरीके से समाधान करते हैं। किसानों को फसल से जुड़ी इन परेशानियों का सामना करने में सक्षम बनाने और फसल को सुरक्षित रखने के लिए धानुका नए उत्पाद लेकर आया है। धानुका के उत्पादों की BiologiQ रेंज की बात करें तो इसमें बायो-फर्टिलाइजर, बायो-इंसेक्टिसाइड्स, और बायो-फंगीसाइड्स दिए गए हैं।

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इन सभी में मौजूद जैविक एजेंट फसलों पर लगने वाले कीटों और बीमारियों को नियंत्रित करते हैं ताकि पौधों के विकास को बढ़ावा मिल सके। धानुका का नया उत्पाद Tizom जो पिछले साल लॉन्च किया गया है, गन्ने के लिए विशेषतौर पर बनाया गया खरपतवार नाशक है। यह गन्ने के खेतों से जुड़ी खरपतवारों की समस्या को प्रबंधित करने में सहायता प्रदान करता है। विकास की ओर बढ़ती भारतीय कृषि की समस्याओं के लिए BiologiQ और Tizom की रेंज में आने वाले उत्पाद ऐसे असरदार समाधान उपलब्ध करवाते हैं, जो किसानों को उत्पादन क्षमता और मुनाफा बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं।

लिए कुछ प्रभावी और आधुनिक समाधान लेकर आई है। BiologiQ रेंज में फसल सुरक्षा, मिट्टी के स्वास्थ्य, पौधों के पोषण जैसी कई जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उत्पाद बनाए गए हैं। इनमें बायो-पेस्टिसाइड्स, फंगीसाइड्स और क्रॉप न्यूट्रिटिव शामिल हैं। Biological Insecticides लक्षित कीटों को अपना होस्ट बनाकर उन्हें अंदर से खत्म करता है। इसकी यह खूबी इसे एक ताकतवर कीटनाशक बनाती है। वहीं, Fungicides पौधों के पैथजेनिक फंगस और बैक्टीरिया की गतिविधि को नियंत्रित करता है। इससे पौधों को स्वस्थ और सुरक्षित बनाए रखने में मदद मिलती है। इस रेंज में Nemataxe, Whiteaxe, Sporenil, Downil, Myconxt, और Omninxt जैसे प्रोडक्ट्स दिए गए हैं, जो फसल से जुड़ी विशेष समस्याओं का प्रभावी तरीके से दीर्घकालीन समाधान करते हैं।

BiologiQ रेंज के उत्पाद प्राकृतिक चीजों से तैयार किए जाते हैं। इसमें आर्टिफिशियल केमिकल्स नहीं होते हैं। इसकी जगह इन उत्पादों को शुद्ध माइक्रोबियल स्ट्रेन से निर्मित किया जाता है। यह उत्पाद न सिर्फ बेहतरीन फसल पैदावार में बल्कि मिट्टी के स्वास्थ्य का कायाकल्प कर उसे और उपजाऊ बनाने में भी योगदान देते हैं। इससे एक ओर खेती के जरिए ज्यादा आर्थिक लाभ की संभावना बढ़ती है, तो दूसरी ओर यह पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचता। इस रेंज के उत्पाद FCO और CIBRC सहित कड़े सरकारी नियामक मानकों पर खरे उतरते हैं। साथ ही इन्हें IMO, INDOCERT, ECOCERT, OMRI जैसे अंतर्राष्ट्रीय प्रमाणपत्र प्राप्त हैं। यह इन उत्पादों की विश्वसनीयता को दिखाने के साथ ही इस बात को प्रमाणित करता है कि इन्हें बनाने की प्रक्रिया में वैश्विक मानदंड का पूरी तरह से पालन किया गया है। यह प्रोडक्ट रेंज कृषि समाधान उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध धानुका एग्रीटेक की उस सोच को दर्शाती है, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि कंपनी का हर उत्पाद उच्चतम सुरक्षा मानकों पर खरा जरूर उतरे।

भारतीय गन्ना किसानों की फसलों को खरपतवारों से बचाएगा Tizom उत्पाद

भारतीय कृषि अनेक विविधताओं से भरी है, जिसमें अलग-अलग तरह की कृषि सम्बंधित समस्याओं के समाधान की जरूरत निरंतर बनी रहती है। ऐसे में धानुका एग्रीटेक द्वारा प्रस्तुत किया गया Tizom एक क्रांतिकारी खरपतवारनाशक के रूप में सामने आता है। यह दो रसायनों का अद्भुत मिश्रण है, जो आसानी से विविध प्रकार के खतपतवारों को नियंत्रित करने में सक्षम है। खासतौर पर यह जटिल खरपतवारों को नियंत्रित करने का एक प्रभावी समाधान है जिसमें की चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार (BLWs), संकरी पत्ती वाले खरपतवार (NLWs) और मोथा प्रजाति के खरपतवार सम्मिलित है। विशेषतौर पर Tizom को गन्ने के खेत में आने वाले खतपतवारों के लिए तैयार किया गया है जोकिं भारतीय गन्ना किसानों के लिए एक वरदान साबित हो रहा है।

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Tizom की विशेषता यह है, कि यह गन्ना किसानों को उनके खेत में आने वाले खतपतवारों को नियंत्रित करने में सक्षम बनाता है। जापानी तकनीक से तैयार किया गया यह खरपतवारनाशक अपने चयनात्मक गुण के कारण गन्ने की फसल को कोई दुष्प्रभाव नहीं पहुँचने देता है। इसके साथ ही Tizom लंबे समय तक खतपतवारों को नियंत्रित करने में भी समर्थ है, जिससे भारतीय गन्ना किसानों को उनके गन्ने की फसल की उपज बढ़ाने में सहायता मिल रही है, जिससे वो गोर्वान्वित हो रहे हैं।

हर तरह की परिस्थिति में अलग-अलग तरह के संसाधनों का उपयोग कर खेती करने वाले किसानों के लिए Tizom खरपतवारनाशक जटिल खरपतवारों के नियंत्रण को आसान और प्रभावी बना रहा है । इसके साथ ही यह फसल को सुरक्षित रखते हुए गन्ने की पैदावार बढ़ाने में सहायक साबित हो रहा है।

धानुका के कृषि नवीनीकरण में लीडर बनने की महत्वाकांक्षा को दर्शाता, हरियाणा के पलवल में स्थित धानुका कृषि अनुसंधान और प्रौद्योगिकी केंद्र धानुका एग्रीटेक लिमिटेड शुरुआत से ही इस चीज को अच्छे से समझता आया है कि सर्वश्रेष्ठ उत्पाद और सेवाएं प्रदान करने में अनुसंधान और विकास की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि उन्होंने एक बड़ा आरएंडडी सेटअप स्थापित किया। वर्तमान में, धानुका सबसे बड़े अनुसंधान एवं विकास दल में से एक है, जिससे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (SAU) और देश के विभिन्न प्रतिष्ठित अनुसंधान संगठनों में काम कर चुके अनुभवी वैज्ञानिकों और तकनीकि विषेशज्ञ जुड़े हैं।

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धानुका एग्रीटेक ने हाल ही में हरियाणा के पलवल में एक अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास और प्रशिक्षण केंद्र, धानुका कृषि अनुसंधान और प्रौद्योगिकी केंद्र (DART) की स्थापना की है। इस केंद्र की स्थापना अनुसंधान के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता को और मजबूती से दर्शाती है। DART का ध्यान ऐसे कृषि समाधानों को विकसित करने पर है जो भारतीय किसानों की बढ़ती जरूरतों को पूरा कर सके। इसके लिए यह केंद्र जैविक संश्लेषण, विश्लेषणात्मक, सूत्रीकरण, मिट्टी और जल विश्लेषण, कृषि अनुसंधान एवं विकास, वनस्पति विज्ञान, जैव-कीटनाशक, जैव परख और कीट-पालन सहित कई प्रकार की प्रयोगशालाओं की एक विस्तृत श्रृंखला से सुसज्जित किया गया है। इन विशेषताओं के साथ यह एक ऐसे केंद्र के रूप में सामने आता है, जो बुनियादी, व्यावहारिक और अनुकूल अनुसंधान के जरिए खेती से जुड़ी वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का समाधान करने का प्रयास करता है, ताकि भारतीय कृषि का सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके।

इस केंद्र में व्यापक अनुसंधान के लिए प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, कृषिविद और उद्योग विशेषज्ञ मिलकर काम करते हैं, ताकी किसानों को व्यावहारिक और नवीनतम समाधान उपलब्ध कराए जा सकें। इतना ही नहीं यह केंद्र किसानों को मिट्टी परीक्षण, जल विश्लेषण और जैव-कीटनाशक परीक्षण जैसी सेवाएं भी प्रदान करता है। DART के माध्यम से, धानुका एग्रीटेक किसानों को आधुनिक कृषि की चुनौतियों से सफलतापूर्वक निपटने के लिए जरूरी ज्ञान और उपकरण उपलब्ध करवाता है। व्यावहारिक उपयोग के साथ उन्नत अनुसंधान का मिश्रण यह भी सुनिश्चित करता है कि जो भी नए और आधुनिक समाधान हैं, वे सीधे खेतों में काम कर रहे किसानों तक पहुंच सकें। इतना ही नहीं DART किसानों को विशेषज्ञों द्वारा फसल संबंधित विविध प्रकार के प्रशिक्षण भी प्रदान करता है।

DAHEJ प्लांट: कृषि उत्पादन क्षमता बढ़ाना

पिछले साल धानुका एग्रीटेक ने उत्पादन क्षमताएं बढ़ाने पर भी काफी ध्यान केंद्रित किया है। अगस्त 2023 में, इसने गुजरात के दहेज में एक नया विनिर्माण केंद्र स्थापित किया। धानुका का लक्ष्य इस इकाई के माध्यम से कच्चे माल की सुरक्षा सुनिश्चित करना और विनिर्माण प्रक्रिया में पिछड़ चुके एकीकरण को आगे बढ़ाना है।

यह ईकाई धानुका के कृषि क्षेत्र में अपनी आत्मनिर्भरता और स्थिरता को बरकरार रखने के संकल्प को प्रदर्शित करता है। वैसे गुजरात में स्थित इकाई कच्चे माल की कम लागत सुनिश्चित करने और उत्पादन बढ़ाने में भी काफी मददगार साबित होगी। यह रणनीतिक कदम धानुका के उस दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें दूसरों पर निर्भरता कम करने और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद देश भर के किसानों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।

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ऐसे समय में जब देश का कृषि क्षेत्र एक अहम मोड़ पर खड़ा है, धानुका एग्रीटेक किसानों को परिवर्तनकारी उत्पाद और अग्रणी समाधान उपलब्ध करवाने पर लगातार काम कर रहा है। यह कृषि विकास और उत्पादकता को बढ़ाने के नए आयाम खोलने में अहम भूमिका निभाएगा। चाहे फसल को सुरक्षित रखने वाली BiologiQ रेंज हो या फिर खरपतवार का सफल प्रबंधन करने वाला Tizom, धानुका सीधे तौर पर भारतीय कृषि की उभरती जरूरतों को संबोधित कर रहा है। इस पहल का हिस्सा बनते हुए धानुका कृषि अनुसंधान और प्रौद्योगिकी केंद्र एक ओर व्यावहारिक उपयोग के साथ वैज्ञानिक अनुसंधान को एकजुट कर रहा है, तो दूसरी ओर उत्पादन क्षमता का विस्तार कर आत्मनिर्भरता बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

धानुका एग्रीटेक साल 2024 में नए उत्पाद बाजार में उतारने को तैयार है, जिसे लेकर अभी से ही उत्सुकता देखने को मिल रही है। इन नवीनतम उत्पादों की बदौलत भारत की मौजूदा कृषि पद्धियों के मानक ऊपर उठते दिखेंगे, तो वहीं खेती के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आते भी देखे जा सकेंगे। यह आगामी उत्पाद श्रृंखला भारतीय कृषि की बढ़ती जरूरतों के अनुसार अत्याधुनिक तकनीकों और लंबे समय तक चलने वाले समाधानों को पेश करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

इन सब उत्पादों और अन्य चीजों के दम पर धानुका एग्रीटेक एक बार फिर से एग्री-टेक के क्षेत्र में खुद को लीडर के तौर पर साबित कर रहा है। यह भारतीय कृषि क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलावों को संचारित करता देखा जा सकता है। नवाचार, स्थिरता और आत्मनिर्भरता की दिशा में कंपनी के निरंतर प्रयास भारत में कृषि के भविष्य को बेहतर आकार देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

धानुका ने लांच किया नया फर्टिलाइजर और कीटनाशक, जानिये क्या होगा फायदा

धानुका ने लांच किया नया फर्टिलाइजर और कीटनाशक, जानिये क्या होगा फायदा

धानुका कंपनी द्वारा नए फर्टिलाइजर और कीटनाशकों  को लांच किया गया है, यह कीटनाशक और फर्टिलाइजर ज्यादातर किसानों के लिए सब्जी उगाने के तौर पर निर्मित किया गया है। 

यह शक्तिशाली और प्रभावी कीटनाशक है। यह कीटनाशक थ्रिप्स, सफ़ेद मक्खी, फल छेदक कीट, जैसिड, अंकुर और पत्ते छेदक कीटों को नियंत्रित करने की प्रभावी क्षमता रखता है। 

यह पौधे से रस को चूसने वाले कीटों पर भी नियंत्रण रखता है। यह किसानों के लिए काफी सहायक और प्रभावी कीटनाशक है, यह फसल के नुक्सान पर भी नियंत्रण बनाये रखता है। 

एग्रो केमिकल कंपनी धानुका ने खेती के लिए नया कीटनाशक जिसका  नाम 'लानेवो' और बायो फर्टिलाइजर 'माईकोर सुपर' लांच किया है। धानुका द्वारा यह फर्टिलाइजर और कीटनाशक खेतों में क्रान्ति लाने के लिए निर्मित किया गया है। 

यह बायो फर्टिलाइजर और कीटनाशक  'माईकोर सुपर' तिरुपति आंध्र प्रदेश, नासिक (महाराष्ट्र ) और बेंगलुरु (कर्नाटक) में लांच किया गया है। बहुत जल्द यह देश के अन्य सभी हिस्सों में भी लांच कर दिया जाएगा। 

‘लानेवो’ कीटनाशक को जापान के  निस्सान केमिकल कारपोरेशन की भागीदारी के साथ तैयार किया गया है।  ‘लानेवो’एक साथ दो लाभ प्रदान करता है, यह चूसने और चबाने वाले दोनों प्रकार के कीटों में सहायक होता है। 

यह बायो फर्टिलाइजर स्वस्थ फसल और अधिक पैदावार के उद्देश्य से निर्मित किया गया है। इन दोनों प्रोडक्ट्स के लांच होने पर राहुल धानुका जो एग्रीटेक कंपनी लिमिटेड के जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर है, यह दोनों इनपुट धानुका के विकास और कृषि के लिए नए समाधान उपलब्ध कराते है। 

धानुका कंपनी ने क्या किया दावा 

धानुका कंपनी का कहना है यह कीटनाशक खास तौर पर उन किसानों के लिए लांच किया गया है जो ज्यादातर सब्जी उत्पादन का कार्य करते है। 

यह शक्तिशाली और प्रभावी कीटनाशक है जो की थ्रिप्स, सफेद मक्खी, जैसिड, फल छेदक कीट अंकुर एवं पत्ती कीट को प्रभावी रूप से नियंत्रित करता है। यह कीटनाशक रस चूसने और पत्तियों को चबाने वाले कीटों को देखते हुए किसानों के लिए निर्मित किया गया है। 

कीटों को कंट्रोल करने की क्षमता 

यह कीटनाशक, कीटनाशक अधिनियम 1968 की धारा 9 (3 ) के अंतर्गत निर्मित किया गया है। यह कीटनाशक जापान की निस्सान केमिकल कारपोरेशन के सहयोग के साथ लांच किया गया है। 

यह कीटनाशक बहुत ही प्रभावित तरीके से कार्य करता है। यह कीटनाशक कीटों की प्रतिरोधक क्षमता को कम करके पत्तियों के निचले हिस्सों में छुपे हुए कीटों तक पहुंचकर उन्हें नष्ट करता है। 

किन सब्जी फसलों में करें इस्तेमाल वाई फुकागावा सान 

लानेवो का उपयोग हम मिर्च, टमाटर और बैगन की फसलों में आसानी से कर सकते है। जापान के निस्सान केमिकल के जनरल मैनेजर वाई फुकागावा सान ने खा यह कीटो को बहुत ही प्रभावी रूप से नियंत्रित  करता है। पत्तियों के निचले हिस्से जहां पर कीट छुपे हुए होते है उस जगह को भी सुरक्षित रखते है।