खरपतवार गन्ने की फसल को काफी प्रभावित कर सकता है

By: Merikheti
Published on: 04-Dec-2023

गन्ने की बिजाई से पूर्व खरपतवार नियंत्रण को अवश्य ध्यान में रखें। गन्ने की फसल में यदि समय से खरपतवार नियंत्रण न किया जाए तो उत्पादन में कमी देखने को मिलती है। उत्पादन 10 से 30 फीसद तक घट सकता है। ऐसे में जानते हैं की खरपतवार पर नियंत्रण कैसे रखें।  भारत में इन दिनों शरदकालीन गन्ने की बिजाई चल रही है। ऐसे वक्त में खरपतवार नियंत्रण भी बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि, खरपतवार की वजह से गन्ने की फसल को काफी हानि हो सकती है, जो उपज में भी गिरावट ला सकता है। अब ऐसी स्थिति में बिजाई से पूर्व वक्त रहते इस पर काबू कर लेना चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया है, कि किसानों को नियमित तौर पर खरपतवार नियंत्रण करना चाहिए। जिससे कि उनकी फसल का पूर्ण विकास संभव हो सके। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के प्रसार अधिकारी डॉक्टर संजीव पाठक का कहना है, कि देश के विभिन्न राज्यों में इन दिनों गन्ने की बिजाई चल रही है। किसान भाई बिजाई से पूर्व खरपतवार नियंत्रण को अवश्य ध्यान में रखें। उन्होंने कहा है, कि गन्ने में चौड़ी एवं सकरी पत्ती के लगभग 45 तरीके के खरपतवार पाए जाते हैं।

इस तरह गन्ने की उपज काफी घटती है 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि जिन खेतों में ट्रेंच विधि से गन्ने की बिजाई की जाती है। वहां बीच में काफी जगह होने के चलते खरपतवार तीव्रता से बढ़ती है। गन्ने की फसल में यदि वक्त से खरपतवार नियंत्रण न किया जाए, तो गन्ने की पैदावार में कमी देखने को मिल सकती है। बतादें, कि उत्पादन 10 से 30 फीसद तक घट सकता है। क्योंकि खरपतवार गन्ने की फसल के साथ-साथ बढ़ते हैं। इस वजह से समय रहते खरपतवार पर काबू करें, जिससे कि आपकी फसल को हानि ना पहुंचे। 

ये भी पढ़ें:
चीनी के मुख्य स्त्रोत गन्ने की फसल से लाभ

खरपतवार पर इस तरह काबू करें

डॉ. संजीव पाठक ने कहा है, कि गन्ने की बिजाई के प्रारंभिक तीन माह में खरपतवार नियंत्रण बेहद जरूरी है। खरपतवार नियंत्रण के लिए दो विधियों का उपयोग किया जा सकता है। प्रथम विधि जिसमें रासायनिक तरीके से खरपतवार नाशक दवाओं का छिड़काव कर खरपतवारों को खत्म किया जा सकता है। वहीं, दूसरी विधि यांत्रिक विधि है, जिसमें निराई गुड़ाई करके खरपतवार समाप्त किये जा सकते हैं। निराई-गुड़ाई करने से मृदा में वायु का प्रवाह होता है, जिससे गन्ने की जड़ों का शानदार विकास होता है। बतादें, कि जब जड़ें पूर्ण रूप से विकसित होगी तो मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्वों, किसानों द्वारा दिए गए उर्वरक एवं सिंचाई के जल को पौधे शानदार तरीके से ग्रहण करेंगे, जिससे बढ़वार एवं विकास भी अच्छा होगा। अब ऐसे में किसानों को काफी अच्छी उपज मिलेगी। साथ ही, फसल में उगे हुए खरपतवार भी समाप्त हो जाएंगे।

ये भी पढ़ें:
गन्ना किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, 15 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ सकती हैं गन्ने की एफआरपी

किसान भाई दवा का छिड़काव इस तरह से करें 

यदि किसी विशेष परिस्थितियों में रासायनिक विधि का उपयोग करना पड़े तो चौड़ी पत्ती एवं सकरी पत्ती वाले खरपतवार की रोकथाम करने के लिए एक साथ 500 ग्राम मेट्रिब्यूजीन 70 प्रतिशत (Metribuzin 70% WP) और 2 4 डी 58 प्रतिशत ढाई लीटर प्रति हेक्टेयर के अनुरूप 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर उसका छिड़काव कर दें। इस दौरान सावधानी रखें, कि दवा का छिड़काव गन्ने की दो लाइनों के मध्य की जगह पर खरपतवार पर ही करें। यह प्रयास करें, कि गन्ने के पौधों पर दवा ना गिर पाए। गन्ने के पौधों पर दवा का छिड़काव होने से पौधों की बढ़वार काफी प्रभावित हो सकती है।

श्रेणी