भारत एक कृषि प्रधान देश है, भारतीय कृषि का इतिहास काफी ज्यादा प्राचीन है। सदियों से देश कृषि समृद्ध रहा है। लेकिन, समय के साथ साथ बढ़ती आधुनिकता के चलते कृषि की उत्पादकता और कृषकों की आय में भी काफी सकारात्मक सुधार देखने को मिला है।
आज मेरीखेती के लेख में हम आपको एक ऐसे किसान से रूबरू कराने वाले हैं, जिन्होंने खेती करने की शुरुआत में काफी समस्याओं और कठिनाइयों का सामना किया।
सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने अनेकों बाधाओं के होते हुए भी कृषि को आज उस मुकाम में पहुंचा दिया जो कि अपने आप में एक मिसाल है।
जैसा कि किसान साथियों हम सब जानते हैं कि भारत में अधिकांश किसान आज भी पारंपरिक तौर तरीकों से ही कृषि उत्पादन करते हैं। यही वजह है कि आज भी किसान को उसकी प्रत्याशा के अनुरूप उपज और मुनाफा नहीं मिल पाता है।
लेकिन, आज के समय में तकनीकी बदलाव के कारण बहुत सारे ऐसे किसान हैं, जो आधुनिक कृषि उपकरणों, कृषि नवाचारों और कृषि वैज्ञानिकों की मदद से खेती से शानदार आय करने में सफलता प्राप्त कर रहे हैं। ऐसे ही किसानों में से एक हैं मथुरा जनपद के अंतर्गत आने वाले नौहझील गांव के किसान देवेंद्र पाठक जी।
दरअसल, देवेंद्र पाठक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं, बचपन से उनकी रूचि कृषि कार्यों में काफी ज्यादा थी।
इन्होंने अपनी 12 वीं तक की पढाई करने के बाद अपनी पैतृक जमीन पर खेती किसानी करने का निर्णय लिया।
ये भी पढ़ें: 10वीं पास लवलेश कुमार ने दुग्ध उत्पादन में बनाया रिकॉर्ड, जानिए इनकी कहानी
देवेंद्र पाठक समेत यह समकुल चार भाई हैं, इनके पिताजी एक रिटायर्ड सरकारी शिक्षक हैं। इनमें से दो भाई गांव में कृषि और दो भाई बाहर व्यवसाय में संलग्न हैं। आज की तारीख में देवेंद्र पाठक 150 बीघे जमीन पर सफलतापूर्वक खेती करते हैं।
देवेंद्र पाठक ने जब शुरुआत में खेती किसानी करने का कार्य प्रारंभ किया, तब तक ना तो कोई कृषि उपकरण कृषि क्षेत्र में प्रचलन में था और ना ही पर्याप्त मात्रा में उर्वरकों की आपूर्ति थी।
देवेंद्र पाठक ने विषम परिस्थितियों में रहकर भी कृषि कार्य करना जारी रखा और कृषि से आय में वृद्धि करने का सिलसिला शुरू होने लगा। देवेंद्र पाठक ने मेरीखेती की टीम को यह भी बताया कि जब उन्होंने कृषि करना शुरू किया था तब मजदूरों का समय पर मिलना भी एक बहुत बड़ी चुनौती हुआ करता था।
आगे उन्होंने यह भी बताया कि मानव संसाधन के पर्याप्त समय और मात्रा में उपलब्ध ना होने की वजह से कई बार खेत में खड़ी फसल भी बर्बाद हो जाती थी।
जैसे जैसे समय गुजरा खेती किसानी के अंदर आधुनिक उपकरणों का प्रचलन शुरू होने लगा। देवेंद्र पाठक को हमेशा से कृषि उपकरणों और नवाचारों में बेहद दिलचस्पी रहती थी। जैसे ही कृषि बाजार में ट्रैक्टर का आगमन हुआ देवेंद्र ने एक ट्रैक्टर खरीद लिया।
इतना ही नहीं ट्रैक्टर के द्वारा संचालित होने वाले समस्त उपकरणों को भी जोड़ना शुरू कर दिया। इससे उनकी खेती में कम लागत और कम समय में अधिक मुनाफा होना प्रारम्भ हो गया।
आज के समय में देवेंद्र पाठक अपने कृषि कार्यों के लिए दो सहायक कर्मियों को स्थायी रूप से अपने खेत के लिए रखते हैं।
देवेंद्र पाठक खेती किसानी के साथ साथ पशुपालन भी करते हैं। देवेंद्र पाठक के कई उन्नत नस्लों की गाय और भैंसों का भी पालन करते हैं।
खेती किसानी से अधिक आय कमाने को लेकर देवेंद्र ने बताया कि वह पारंपरिक ढ़ंग से खेती नहीं करते हैं। उन्होंने हमेशा से लकीर से हटकर खेती किसानी की है।
क्योंकि, वह शुरू से कृषि विशेषज्ञ और कृषि वैज्ञानिकों के निरंतर संपर्क में रहे हैं। उन्होंने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों की सलाहनुसार खेती-किसानी संबंधी ऐसे कई कार्य किए जिससे उनको उम्मीद से ज्यादा मुनाफा हांसिल हुआ।
ये भी पढ़ें: वर्मी कंपोस्ट ने बदली इस किसान की तक़दीर, 50 लाख कमा रहा मुनाफा जाने इसकी कहानी
देवेंद्र पाठक अपनी खेती करने के दौरान अत्याधुनिक कृषि उपकरणों जैसे छिड़काव के लिए ड्रोन, भूमि को एकसार करने के लिए लैंड लेवलर और कटाई के लिए मानव संसाधन की जगह कंपास का उपयोग करते हैं।
इससे उनका कृषि कार्य समय पर कम खर्च में पूरा हो जाता है। परिणामस्वरूप, खेती में आने वाली लागत में गिरावट आती है और मुनाफा में निश्चित रूप से वृद्धि होती है।
साथ ही, देवेंद्र के पास ट्रैक्टर सहित कई जरूरी कृषि उपकरण हैं, जिनको वह बिना किसी पर निर्भर हुए कृषि कार्यों को निपटाने के लिए उपयोग करते हैं।
देवेंद्र पाठक अपने 150 बीघा खेत में एक सीजन में एक ही फसल नहीं उगाते बल्कि वह एक सीजन में विभिन्न फसलों का उत्पादन करते हैं। देवेंद्र का कहना है कि किसानों को अगर अधिक मुनाफा कृषि से उत्पन्न करना है तो उनको सिर्फ एक प्रकार की खेती नहीं करनी चाहिए।
अगर किसान एक ही तरह की खेती करते हैं तो उनके लाभ अर्जन की सीमाएं काफी सीमित हो जाती हैं। क्योंकि, बाजार में किसी भी फसल का भाव उसकी उत्पादकता और मंडियों में आवक के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
सफल किसान देवेंद्र ने उदाहरण देते हुए बताया कि मान लो अगर किसान ने केवल गेंहू की ही खेती की और मंडी में उसकी आवक सीमा से ज्यादा होने लगी तो निश्चित रूप से गेंहू की कीमतों में गिरावट आएगी।
वहीँ, अगर किसान ने गेंहू के साथ साथ और कोई फसल की होती तो उसकी लागत को निकालने में दूसरी फसल काफी सहायक भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि मैं यह अपने कृषि में हुए अनुभवों के आधार पर कह रहा हूँ।
ये भी पढ़ें: देवघर की बीणा ने कहा ड्रोन दीदी बनकर पूरा हुआ उनका लखपति बनने का सपना
जानकारी के लिए बतादें कि सफल किसान देवेंद्र पाठक बहुत सालों पहले से इफ्को और कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ भी जुड़े हुए हैं।
यहां से उनको उत्तम गुणवत्ता वाले खाद और बीज काफी कम कीमत पर मिल जाते हैं। इससे उनकी फसलीय पैदावार में चार चाँद लग जाते हैं।
देवेंद्र अपने 150 बीघा जमीन पर मुख्य रूप से धान, जौ, सरसों, आलू, मटर, चना और मसूर की खेती किया करते हैं। लेकिन, देवेंद्र पाठक का वर्षो का कृषि क्षेत्र का अनुभव उनको काफी हटकर बनाता है।
कृषि में बेहद लगन और परिश्रम के बदौलत उन्होंने अपने क्षेत्र में एक बेहद सफल किसान की छवि बना रखी है। बतादें, कि सफल किसान देवेंद्र पाठक अपनी खेती-किसानी से प्रति वर्ष 12-14 लाख रुपये का मुनाफा अर्जित करते हैं।