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फसल

ICAR-DRMR - सरसों अनुसंधान निदेशालय द्वारा विकसित सरसों की उन्नत किस्में

ICAR-DRMR - सरसों अनुसंधान निदेशालय द्वारा विकसित सरसों की उन्नत किस्में

सरसों (Brassica juncea) एक महत्वपूर्ण तेल की फसल है, जिसका उपयोग खाद्य तेल, अचार, और विभिन्न खाद्य उत्पादों में किया जाता है।उन्नत किस्मों का विकास किसान की उत्पादन क्षमता बढ़ाने, रोगों से सुरक्षा प्रदान करने, और कृषि की विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए किया गया है।इस लेख में हम भाकृअनुप-डीआरएमआर द्वारा विकसित सरसों की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी देंगे।भाकृअनुप-डीआरएमआर (ICAR-Directorate of Rapeseed-Mustard Research) द्वारा विकसित सरसों की उन्नत किस्में1. डीआरएमआर -राधिका (भारतीय सरसों) सरसों की यह किस्म अच्छा उत्पादन देती है। राधिका किस्म को दिल्ली, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के कुछ हिस्से में लगने...
सफ़ेद मूसली की खेती: औषधीय गुण, उन्नत खेती तकनीक और लाभकारी खेती के तरीके

सफ़ेद मूसली की खेती: औषधीय गुण, उन्नत खेती तकनीक और लाभकारी खेती के तरीके

सफ़ेद मूसली, जिसे अंग्रेजी में "White Musli" या "Safed Musli" कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है जो मुख्य रूप से भारत में उगाया जाता है।इसकी खेती विशेष रूप से आयुर्वेदिक दवाओं के लिए की जाती है क्योंकि इसमें कई औषधीय गुण होते हैं। भारत में इसकी खेती मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश में ज्यादा की जाती है। किसान इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते है।सफ़ेद मूसली के औषधीय गुणसफ़ेद मूसली (Safed Musli), जिसका वैज्ञानिक नाम Chlorophytum borivilianum है, एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है जिसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में कई समस्याओं के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके...
रेशम किट पालन (सेरीकल्चर) क्या है: कैसे करें रेशम किट पालन?

रेशम किट पालन (सेरीकल्चर) क्या है: कैसे करें रेशम किट पालन?

रेशम उत्पादन को सेरीकल्चर कहते हैं, जिसमें रेशम के कीड़ों को पालकर उनसे रेशम का उत्पादन किया जाता है। भारत में रेशम की साड़ियां विशेष स्थान रखती हैं और यह बुनकरों की शिल्प कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। रेशम किट पालन करके किसान अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकते हैं। यह एक प्राकृतिक रेशा है और इसे बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से किसानों को भरपूर सहयोग दिया जा रहा है।रेशम किट पालन एक लाभकारी व्यवसाय है जिसमें महिलाएं भी शामिल हो सकती हैं। सही मार्गदर्शन और ट्रेनिंग लेकर किसान इस व्यवसाय से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।रेशम उद्योग का...
भारत में विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में उगाई जाने वाली फसलों के प्रकार

भारत में विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में उगाई जाने वाली फसलों के प्रकार

भारत में विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में उगाई जाने वाली फसलों को उनकी आवश्यकताओं और जलवायु परिस्थितियों के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है। यहाँ हम आपको विभिन्न क्षेत्रों और उनकी प्रमुख फसलों का विवरण देंगे।1. उष्णकटिबंधीय क्षेत्र (Tropical Region)चावल, गन्ना, केला, आम, पपीता, नारियल, और काली मिर्च और इलायची जैसे मसाले भारत के गर्म और आर्द्र उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाए जाते हैं, जिसमें पश्चिमी घाट के तटीय क्षेत्र भी शामिल हैं (घाट केरल, तमिलनाडु राज्यों से होकर गुजरते हैं), कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात), उत्तर पूर्वी राज्यों के कुछ हिस्से, और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह आदि। उच्च तापमान और अधिक...
कपास की फसल में इंटरकल्चरल ऑपरेशंस करने से होने वाले फायदे

कपास की फसल में इंटरकल्चरल ऑपरेशंस करने से होने वाले फायदे

कपास की फसल में अंतर-खेती कार्य (Intercultural Operations) का उचित प्रबंधन, फसल की पैदावार और गुणवत्ता को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कपास की फसल में इंटरकल्चरल ऑपरेशंस, जिसमें रोपण और कटाई के बीच किए गए प्रबंधन अभ्यास शामिल हैं, इन कार्यों में खरपतवार नियंत्रण, मिट्टी की तैयारी, सिंचाई, उर्वरक प्रबंधन, कीट नियंत्रण, रोग नियंत्रण और कटाई शामिल हैं।उपज में वृद्धिनिराई, छंटाई और विरलन जैसे इंटरकल्चरल ऑपरेशन, कपास के पौधों के बीच पानी, पोषक तत्वों और धूप जैसे संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा को कम करने में मदद कर सकते हैं।इससे बेहतर वृद्धि हो सकती है, कपास के बोल...
जून माह में मूंगफली की उन्नत खेती से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

जून माह में मूंगफली की उन्नत खेती से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

मूंगफली भारत की प्रमुख महत्त्वपूर्ण तिलहनी फसल है। यह गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडू तथा कर्नाटक राज्यों में सर्वाधिक उगाई जाती है। भारत देश के बाकी राज्य जैसे कि मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान तथा पंजाब में भी यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण फसल मानी जाने लगी है। राजस्थान में इसकी खेती तकरीबन 3.47 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है, जिससे तकरीबन 6.81 लाख टन उपज प्राप्त होती है। मूंगफली की औसत उपज 1963 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर (2010-11) है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्‌ के अधीनस्थ अनुसंधानों संस्थानों एवं कृषि विश्वविद्यालयों ने मूंगफली की उन्नत तकनीकियाँ जैसे उन्नत किस्में, रोग नियंत्रण, निराई-गुड़ाई एवं खरपतवार...