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सम्पादकीय

फार्मिंग के प्रकार: जीविका और वाणिज्यिक खेती के फायदे और विधियाँ

फार्मिंग के प्रकार: जीविका और वाणिज्यिक खेती के फायदे और विधियाँ

फार्मिंग का मतलब खेती करना होता है। यह कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें फसलों को उगाना और जानवरों का पालना शामिल है।फार्मिंग का उद्देश्य भोजन और कच्चे माल का उत्पादन करना है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फार्मिंग कितने प्रकार की होती है? इस लेख में आप इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।फार्मिंग के प्रकारफार्मिंग के प्रकार को खेती करने की विधियों और उद्देश्य के हिसाब से बाटा गया हैं। फार्मिंग मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है:जीविका (Subsistence) फार्मिंगवाणिज्यिक (Commercial) फार्मिंग1. जीविका फार्मिंग (Subsistence Farming)जीविका का मतलब है जीवन यापन के लिए। यह फार्मिंग किसान...
C:N अनुपात क्या है? अपघटन पर C:N अनुपात के प्रभाव

C:N अनुपात क्या है? अपघटन पर C:N अनुपात के प्रभाव

मेरे खेतों में धान की पराली का भूसा बनकर खेत में ही बिखर रहा है। लेकिन यह बात यहीं खत्म नहीं हो जाती है। इसमें एक सीमित मात्रा में यूरिया और DAP भी मिलाया जा चुका है।कार्बन-टू-नाइट्रोजन (C:N) अनुपात मिट्टी में दबे फसल अवशेषों के अपघटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहाँ बताया गया है कि कैसे: C:N अनुपात क्या है?C:N अनुपात कार्बनिक पदार्थों, जैसे कि फसल अवशेषों में कार्बन (C) से नाइट्रोजन (N) का सापेक्ष अनुपात है।अपघटन में C:N अनुपात का महत्व:सूक्ष्मजीवों की वृद्धि: सूक्ष्मजीवों को कार्बनिक पदार्थों को विकसित करने और अपघटित करने के लिए संतुलित C:N अनुपात...
गाजर घास (कांग्रेस घास): फसलों, इंसानों और पशुओं पर प्रभाव और नियंत्रण के उपाय

गाजर घास (कांग्रेस घास): फसलों, इंसानों और पशुओं पर प्रभाव और नियंत्रण के उपाय

खेती में सबसे अधिक नुकसान का कारण खरपतवार होते हैं। फसलों को कई प्रकार के खरपतवार प्रभावित करते हैं जिससे उपज में कमी आती हैं।ऐसा ही एक खरपतवार है गाजर घास (कांग्रेस घास) जिसकों कई नामों से जाना जाता है। कांग्रेस घास फसलों को तो नुकसान पहुँचाता है साथ ही ये खरपतवार इंसानो के लिए भी खतरनाक है, गाजर घास के कारण फसल की पैदावार में 40 प्रतिशत तक की कमी आती है।इस घास के कारण कई प्रकार की बीमार भी होती है। अगर इंसान इसके संपर्क में आता है तो डरमेटाइटिस, एक्जिमा, एलर्जी, बुखार, दमा आदि जैसी बीमारियां...
शून्य बजट प्राकृतिक खेती क्या हैं? इसके महत्व, उद्देश्य, स्तम्भ और लाभ क्या हैं?

शून्य बजट प्राकृतिक खेती क्या हैं? इसके महत्व, उद्देश्य, स्तम्भ और लाभ क्या हैं?

आज के आधुनिक युग में जहां हर चीज आधुनिक हो गयी हैं। खेती भी आधुनिक हो गयी हैं जिससे की खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों को अधिक इस्तेमाल हो रहा हैं।जिससे उत्पादन तो अधिक हो गया हैं परंतु भूमि की उपजाऊ शक्ति कम होती जा रहीं हैं। किसानों को ऐसे में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना चाहिए।आज यहां हम आपको शून्य बजट प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी देंगे।शून्य बजट प्राकृतिक खेती क्या हैं?शून्य बजट प्राकृतिक खेती को इंग्लिश में Zero Budget Natural Farming के नाम से जाना जाता हैं। जीरो बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) एक प्रकार की...
NDRF कैंप गाजियाबाद में जैविक एवं प्राकृतिक खेती पर क्षेत्रीय सम्मेलन का भव्य आयोजन

NDRF कैंप गाजियाबाद में जैविक एवं प्राकृतिक खेती पर क्षेत्रीय सम्मेलन का भव्य आयोजन

राष्ट्रीय जैविक और प्राकृतिक खेती केंद्र, गाजियाबाद ने 20 सितंबर को रसायन मुक्त (जैविक एवं प्राकृतिक) खेती पर क्षेत्रीय परामर्श/सम्मेलन का भव्य आयोजन NDRF कैंप गाजियाबाद में किया गया। आयोजन का मुख्य विषय रसायनिक खेती की जगह जैविक खेती को प्रोत्साहन देना रहा। मृदा के निरंतर होते क्षरण और मानव स्वास्थ में गिरावट के चलते इस कार्यक्रम में जैविक खेती के लाभकारी गुणों की चर्चा की गई।इस भव्य कार्यक्रम के मुख्य अतिथि - श्री नामदेव उप कमांडेंट, 8वीं बटालियन एनडीआरएफ गाजियाबाद, विशेष अतिथि - डॉ. गंगेश शर्मा, निदेशक, राष्ट्रीय जैविक और प्राकृतिक खेती केंद्र, गाजियाबाद, आयोजक - श्री रवींद्र...
मेरीखेती ने सितंबर महीने की किसान पंचायत का भव्य आयोजन किया

मेरीखेती ने सितंबर महीने की किसान पंचायत का भव्य आयोजन किया

मेरीखेती ने सितंबर माह की किसान पंचायत का भव्य आयोजन रासायनिक खेती की वजह जैविक खेती अपनाने के विषय पर 20 सितंबर को गाजियाबाद के एनडीआरएफ के कैंप में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस भव्य कार्यक्रम के मुख्य अथिति और आयोजक निम्नलिखित थे।मुख्य अतिथि - श्री नामदेव उप कमांडेंट, 8वीं बटालियन एनडीआरएफ गाजियाबाद, विशेष अतिथि - डॉ. गंगेश शर्मा, निदेशक, राष्ट्रीय जैविक और प्राकृतिक खेती केंद्र, गाजियाबाद, आयोजक - श्री रवींद्र कुमार, क्षेत्रीय निदेशक, राष्ट्रीय जैविक और प्राकृतिक खेती केंद्र , गाजियाबाद, सह आयोजक- डॉ. विपिन कुमार, प्रभारी अधिकारी, केवीके जीबीनगर, डॉ. प्रवीण कुमार सीईओ नरसेना ऑर्गेनिक फार्मर्स...
फसलों का अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए अक्टूबर माह के कृषि संबंधी आवश्यक कार्य

फसलों का अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए अक्टूबर माह के कृषि संबंधी आवश्यक कार्य

किसानों रबी का मौसम शुरू होने वाला है। इस समय किसान अपनी खरीफ की फसलों की कटाई करके रबी की फसलों की बुवाई करेंगे। रबी की फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए फसलों में समय पर कृषि संबंधी कार्य करना बहुत मत्वपूर्ण हैं।कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार फसलों की समय पर देखभाल करना बहुत आवश्यक है अगर किसान इसमें थोड़ी भी लापरवाही करते है तो फसलों के उत्पादन में बहुत कमी आ सकती हैं।इसलिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा दी गयी विशेष जानकारी के बारे में हम इस लेख में आपको जानकारी दे रहे हैं जिससे...
मृदा पोषण से पालतू पशु पोषण, मानव स्वास्थ्य और मेडिकल सेवाएं कैसे संबंधित है? जानिए यहां

मृदा पोषण से पालतू पशु पोषण, मानव स्वास्थ्य और मेडिकल सेवाएं कैसे संबंधित है? जानिए यहां

किसी देश के नागरिकों का स्वास्थ्य उस देश के कृषकों के हाथ में है। समुचित मृदा पोषण, पालतू पशुओं का पोषण और मानव पोषण तीनों एक जटिल और समृद्ध प्रणाली का हिस्सा हैं, जो अंततः एक देश के नागरिकों के स्वास्थ्य और उनकी मेडिकल सेवाओं पर गहरा प्रभाव डालते हैं।मृदा (मिट्टी) का पोषण सिर्फ फसल उत्पादन के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए भी आवश्यक है। पालतू पशुओं का पोषण भी मिट्टी और फसलों से जुड़े चक्र का हिस्सा है, क्योंकि पशुओं से प्राप्त दूध, मांस, और अन्य उत्पाद मानव आहार का प्रमुख हिस्सा...
आजकल की विनाशकारी वर्षा भारतीय किसानों के लिए आपदा का कारण बनी

आजकल की विनाशकारी वर्षा भारतीय किसानों के लिए आपदा का कारण बनी

इस वर्ष खरीफ सीजन में विनाशकारी वर्षा चल रही है, जिसने भारत की धान की फसलों पर कहर बरपाया है।लगातार तीन सप्ताह से, किसान निराशा में देखते रहे कि उनकी फसलें गिर गईं, जमीन पर गीली हो गईं और पानी में डूब गईं।इससे भी बदतर यह है कि इन क्षतिग्रस्त फसलों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत कवर नहीं किया गया है, जिससे किसान असुरक्षित हैं।परिणाम बहुत गंभीर हैंभूमि स्वामित्व तेजी से हाथों में बदल रहा है।शौकिया किसानों की संख्या बढ़ रही है।पारिवारिक किसान अपनी पुश्तैनी जमीन बेचने को मजबूर हैं।भारत के कृषि क्षेत्र पर प्रभाव चिंताजनक...
जलवायु परिवर्तन का गेंहू की खेती और उत्पादन पर क्या प्रभाव होता है?

जलवायु परिवर्तन का गेंहू की खेती और उत्पादन पर क्या प्रभाव होता है?

आजकल जलवायु में हो रहे परिवर्तन खेती को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं, खासकर रबी फसलों पर। जलवायु, किसी क्षेत्र में मौसम की औसत स्थिति है जो पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करती है।औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के चलते जंगलों की कटाई हो रही है और जलवायु बदल रही है। इस बदलाव से पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ता है, जिससे पौधों की उत्पादकता और स्थिरता पर असर पड़ता है, क्योंकि पौधे ऊर्जा प्रदान करने वाले उत्पादक हैं।गेहूं की खेती पर प्रभावगेहूं एक प्रमुख भोजन है जो तापमान और CO2 की वृद्धि से प्रभावित होता है। इससे न केवल...
मेरीखेती ने जुलाई माह की किसान पंचायत का आयोजन ब्रजधाम फार्म में किया

मेरीखेती ने जुलाई माह की किसान पंचायत का आयोजन ब्रजधाम फार्म में किया

मेरीखेती ने मासिक किसान पंचायत का आयोजन इस बार अलग और रचनात्मक ढ़ंग से किया है। इस बार जुलाई माह की मेरीखेती किसान पंचायत का आयोजन ब्रजधाम फार्म्स नौहझील (मथुरा) में मास्टर रोशन सिंह प्रधान जी की अध्यक्षता में संपन्न की गई।इस भव्य किसान पंचायत की चर्चा का मुख्य विषय पौधरोपण का महत्त्व और इसके प्रति जागरुकता को बढ़ाना रहा। किसान पंचायत में इस वर्ष भीषण गर्मी और तापमान में रिकॉर्ड बढ़ोतरी को लेकर सजगता बरतने व इससे बचाव के संभव प्रयासों पर विचार विमर्श किया गया।मेरीखेती किसान पंचायत का प्रमुख उद्देश्य किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए...