ट्रैक्टर के टायरों में पानी भरने के फायदे: जानिए पूरी जानकारी

Published on: 20-May-2025
Updated on: 20-May-2025
Close-up view of red tractor wheels lined up
कृषि यंत्र ट्रैक्टर ब्लॉग

खेती में ट्रैक्टर एक अहम भूमिका निभाता है, क्योंकि यह किसानों के समय और मेहनत को बचाते हुए खेती के कठिन कार्यों को सरल बना देता है। 

जैसे-जैसे कृषि तकनीकों में उन्नति हो रही है, वैसे-वैसे ट्रैक्टर और अन्य कृषि उपकरणों की क्षमता को भी बढ़ाया जा रहा है। आपने अक्सर देखा होगा कि खेत में काम शुरू करने से पहले ट्रैक्टर के टायरों में पानी डाला जाता है। 

इस प्रक्रिया को टायर बैलैस्टिंग कहा जाता है, जिसमें टायरों में 60 से 80 प्रतिशत तक पानी भरा जाता है।

ट्रैक्टर के टायरों में क्यों भरा जाता है पानी?

ट्रैक्टर के टायरों में पानी भरने का प्रमुख उद्देश्य उसका वजन बढ़ाना होता है। इससे ट्रैक्टर के टायर जमीन पर ज्यादा मजबूती से पकड़ बना पाते हैं। 

जब ट्रैक्टर से भारी काम करवाना होता है—जैसे खेत जोतना या बड़े औजार खींचना—तो टायरों में पानी भरकर उसे अधिक स्थिर और सक्षम बनाया जाता है।

ये भी पढ़ें: Massey Ferguson 1134 ट्रैक्टर के इंजन पावर, ट्रांसमिशन टाइप, लिफ्टिंग कैपेसिटी और कीमत से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

एयर और वॉटर टाइप वॉल्व क्या होते हैं?

चाहे ट्यूब वाले टायर हों या ट्यूबलेस, दोनों में पानी भरा जा सकता है। इसके लिए खास तरह की एयर एंड वॉटर वॉल्व का उपयोग होता है। जब टायर में पानी भरा जाता है, तो एक अतिरिक्त वॉल्व के जरिए हवा को बाहर निकाला जाता है ताकि पानी ठीक से भर सके।

जलभराव वाले खेतों में भी मिलता है लाभ

पानी भरे या कीचड़युक्त खेतों में काम करते समय टायरों का फिसलना एक आम समस्या होती है। ऐसे में यदि टायरों में केवल हवा भरी हो तो वे सतह पर पकड़ नहीं बना पाते और फिसलने लगते हैं। 

लेकिन पानी भर देने से टायर भारी हो जाते हैं और सतह पर अच्छी पकड़ बनाते हैं, जिससे ट्रैक्टर बिना फंसे आसानी से खेत में काम कर सकता है।

अधिक कर्षण का लाभ

पानी भरने से टायरों का कर्षण यानी ट्रैक्शन बेहतर होता है। ट्रैक्शन सीधे तौर पर घर्षण और वजन पर निर्भर करता है। भारी टायर अधिक घर्षण उत्पन्न करते हैं, जिससे ट्रैक्टर कठिन सतहों पर भी प्रभावी ढंग से काम करता है।

ट्रैक्टर के टायरों में पानी भरना एक व्यावहारिक उपाय है जिससे उसकी कार्यक्षमता, स्थिरता और फिसलन भरे क्षेत्रों में पकड़ बेहतर होती है। यह सरल तकनीक किसानों के लिए खेती के कई कार्यों को आसान बना देती है।