एमएसपी पर धान की खरीद 15 नवंबर से होगी शुरू - किसानों को मिलगा अच्छा भाव

Published on: 02-Nov-2025
Updated on: 03-Nov-2025

छत्तीसगढ़ सरकार ने धान खरीदी के लिए जारी की नई नीति, किसानों को मिलेगा अधिक समर्थन मूल्य और बोनस

नमस्कार किसान भाइयों! प्रदेश में कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने और किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य दिलाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार ने इस वर्ष की धान खरीदी योजना का ऐलान कर दिया है। जैसा कि आप जानते हैं, सरकार हर साल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानों की उपज खरीदती है, ताकि उन्हें बाजार के उतार-चढ़ाव से कोई आर्थिक नुकसान न हो। आपको यह जानकर खुशी होगी कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साई के नेतृत्व में राज्य सरकार ने वर्ष 2025-26 के खरीफ विपणन सत्र के लिए नई धान खरीदी नीति लागू की है। इसके अंतर्गत किसानों को न केवल एमएसपी पर धान बेचने का मौका मिलेगा, बल्कि उन्हें बोनस राशि भी प्रदान की जाएगी। धान की खरीदी प्रक्रिया 15 नवंबर 2025 से प्रारंभ होकर 31 जनवरी 2026 तक चलेगी।

धान का समर्थन मूल्य (MSP) तय — ₹3,100 प्रति क्विंटल

धान की कीमत को लेकर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की सचिव रीना कंगाले ने बताया कि इस खरीफ सीजन में सरकार किसानों से ₹3,100 प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदेगी। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रति एकड़ अधिकतम 21 क्विंटल तक धान की खरीदी होगी। इस कदम से छोटे और सीमांत किसानों को विशेष लाभ मिलेगा, क्योंकि इससे उन्हें अपनी उपज का वाजिब मूल्य सुनिश्चित होगा।

2739 से अधिक केंद्रों पर होगी धान की खरीदी

धान की खरीदी का पूरा कार्य इस वर्ष भी छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ (MARKFED) के माध्यम से संचालित किया जाएगा। सरकार ने प्रदेशभर में पिछले साल सक्रिय रहे 2739 खरीदी केंद्रों को फिर से सक्रिय करने के साथ-साथ कुछ नए केंद्रों को भी स्वीकृति दी है। इसके अलावा 55 प्रमुख मंडियों और 78 उपमंडियों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा, ताकि किसी किसान को लंबी दूरी तय करके अपनी उपज बेचने में कठिनाई न हो।

पंजीकरण की प्रक्रिया — किसानों को कहां और कैसे करना होगा रजिस्ट्रेशन

धान बिक्री के लिए किसानों को पहले पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। इस बार यह पूरा कार्य कंप्यूटराइज्ड प्रणाली के माध्यम से होगा, ताकि पारदर्शिता और भुगतान की समयबद्धता सुनिश्चित हो सके। किसान अपने निकटतम सहकारी समिति (समिति कार्यालय) के माध्यम से पंजीकरण करा सकते हैं या एग्रीस्टेक पोर्टल और एकीकृत किसान पंजीकरण पोर्टल पर जाकर अपनी फार्मर आईडी से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसान की अनुपस्थिति की स्थिति में उसकी ओर से केवल माता-पिता, पति/पत्नी या बच्चे ही धान बेच सकते हैं। यदि किसी विशेष परिस्थिति में यह संभव न हो, तो एसडीएम द्वारा प्रमाणित कोई “भरोसेमंद व्यक्ति” यह कार्य कर सकता है।

टोकन व्यवस्था के तहत होगी सुव्यवस्थित खरीदी

धान खरीदी की प्रक्रिया को व्यवस्थित और सहज बनाने के लिए टोकन सिस्टम लागू किया गया है। सीमांत और छोटे किसानों को दो टोकन और बड़े किसानों को तीन टोकन दिए जाएंगे। अंतिम दिन कोई नया टोकन जारी नहीं किया जाएगा। जो किसान शाम 5 बजे तक धान लेकर केंद्र पहुंच जाएगा, उसकी उपज उसी दिन खरीदी जाएगी। इस वर्ष धान की पैकिंग 50:50 अनुपात में नए और पुराने जूट बैग में की जाएगी।

नमी की सीमा व गुणवत्ता पर विशेष ध्यान

धान की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। प्रत्येक केंद्र पर वजन और वितरण का लीगल वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा और इसका प्रमाणपत्र केंद्र पर प्रदर्शित किया जाएगा। केवल वही धान खरीदी जाएगी जिसकी नमी 17 प्रतिशत से अधिक न हो। सभी खरीदी केंद्रों में पॉलिथीन कवर, सीमेंट ब्लॉक और ड्रेनेज सिस्टम होना आवश्यक है ताकि बारिश जैसे मौसम में भी फसल सुरक्षित रह सके।

किसानों के खातों में सीधे पहुंचेगा भुगतान

धान बिक्री का भुगतान अब सीधे किसानों के बैंक खातों में किया जाएगा, जिससे किसी भी प्रकार की दलाली या देरी की संभावना समाप्त हो जाएगी। सरकार PFMS सिस्टम के माध्यम से राशि हस्तांतरित करेगी, जो पूरी तरह सुरक्षित और पारदर्शी प्रक्रिया है। भुगतान धनराशि किसान के अपने खाते में ही जाएगी, किसी अन्य खाते में ट्रांसफर नहीं होगी। सभी खरीद केंद्रों पर कंप्यूटर, प्रिंटर, यूपीएस और नेटवर्क सुविधाओं का प्रावधान अनिवार्य किया गया है। 31 अक्टूबर तक इन सभी केंद्रों का निरीक्षण पूरा कर लिया जाएगा।

शिकायत निवारण के लिए कॉल सेंटर और कंट्रोल रूम स्थापित

धान खरीदी प्रक्रिया की निगरानी के लिए हर जिले में एक सचिव को इंचार्ज अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है। किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए राज्य सरकार ने एक विशेष कॉल सेंटर नंबर 1800-233-3663 जारी किया है। इस नंबर पर की गई किसी भी शिकायत का समाधान तीन दिनों के भीतर सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा, राज्य और जिला स्तर पर कंट्रोल रूम भी स्थापित किया जाएगा, ताकि पूरे तंत्र में पारदर्शिता और दक्षता बनी रहे

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