जानें पैकेट वाले दूध के बारे में आखिर क्यों यह कच्चे दूध की तुलना में अधिक दिन तक चलता है

दूध की माँग में वृद्धि हो रही है। पशुओं द्वारा प्राप्त शुद्ध कच्चे दूध की अपेक्षा पैकेट बंद दूध एवं 6 लेयर टेट्रा पैक वाले दूध की ज्यादा मांग है। आज हम जानेंगे आखिर किस वजह से पैकेट वाला दूध शीघ्रता से खराब नहीं होता है। पशुओं द्वारा प्राप्त होने वाला कच्चा दूध अधिक समय तक नहीं चलता है। इस वजह से अति शीघ्र इस प्राकृतिक दूध को ग्राहकों व उपभोक्ताओं तक उपलब्ध कराना एक बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है। इसी मध्य बहुत बार दूध से भरे टैंक भी खराब हो जाते हैं, इसका नुकसान पशुपालक एवं डेयरी कृषकों को भुगतना होता है। इसी समस्या के चलते वर्तमान समय में दूध का पाश्चराइजेशन होता है, जिससे दूध में विघमान समस्त बैक्टीरिया समाप्त हो जाते हैं। नतीजतन, दूध की जीवनावधि कुछ समय के लिए अधिक हो जाती है। वर्तमान में दूध के बाजार पर ध्यान दें तो तीन प्रकार का दूध उपलब्ध है, इसका स्रोत डेयरी फार्म ही हैं।


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इसके अंतर्गत कच्चा दूध, पैकेट वाला दूध एवं टेट्रा पैक शम्मिलित है, परंतु पैकेट वाले दूध की सर्वाधिक मांग रहती है। क्योंकि इस दूध की उपलब्धता हर गली-नुक्कड़ पर सुगमता से हो जाती है। साथ ही, घर-घर पहुंचाए जाने वाला कच्चा दूध सर्वोत्तम होता है, परंतु टेट्रा पैक की जीवनावधि सर्वाधिक होती है। दूध निर्माता तो टेट्रा पैक एवं पैकेट वाले दूध को बेहद सुरक्षित एवं सेहतमंद बताते हैं, परंतु क्या यह पैकेट बंद दूध लोगों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है ? इस बात की जानकारी हेतु पैकेट बंद दूध की पूर्ण प्रोसेस के बारे में जानना होगा।

पशु कच्चे दूध का एकमात्र स्त्रोत होते हैं

दूध का एकमात्र स्त्रोत पशु ही होते हैं, सर्वप्रथम दूधिया द्वारा गांव-गांव से दूध कलेक्शन केंद्र पर एकत्रित करना होता है। बहुत सारे पशुपालक दूध को प्रत्यक्ष तौर पर उपभोक्ता के घर पर ही उपलब्ध करवाते हैं। बतादें, कि कच्चा दूध भी दो प्रकार का होता है, पहला ऑर्गेनिक एवं दूसरा इन-ऑर्गेनिक। ऑर्गेनिक दूध को सर्वोत्तम शुद्ध दूध कहते हैं, इसकी मुख्य वजह इस दूध को प्राप्त करने हेतु पशुओं को किसी भी अन्य दवा जैसे इंजेक्शन आदि नहीं लगाया जाता है। यह पूर्णतया प्राकृतिक एवं ऑर्गेनिक प्रोसेस है, इसमें किसी प्रकार का नाममात्र के लिए कैमिकल की कोई उपस्थिति नहीं रहती है।


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इन-ऑर्गेनिक दूध स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसका कारण यह है, कि इस प्रोसेस के दौरान पशुओं को दिए जाने वाला चारा मिलावटयुक्त होता है। पशुओं से अत्यधिक दूध लेने हेतु पशुओं को अप्राकृतिक तौर पर इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इस वजह से दूध में रसायनों का कुछ अंश विघमान होता है, जो लोगों के शरीर में जाकर उनके स्वास्थ्य को खराब कर देता है।

पैकेट वाले दूध को किस तरह बनाया जाता है

वर्तमान में बहुत सारी कंपनियां बाजार में पैकेट वाला दूध ही बेचती हैं। बतादें, कि इस दूध का स्त्रोत भी पशु ही होते हैं, परंतु इस दूध को दीर्घकालीन चलाने हेतु एक प्रोसेस का विधिवत रूप से करना होता है। इस दूध को पाश्चराइजेशन अथवा होमोजिनाइज दूध के नाम से भी जानते हैं, इसको सर्वप्रथम गर्म करके शीघ्र ठंडा कर दिया जाता है, जिससे दूध से समस्त विषाणु एवं अशुद्धियां बाहर निकल जाएं। इसको पहले टोंड मिल्क फिर डबल टोंड मिल्क उसके बाद फुल क्रीम मिल्क इन तीन प्रकार से तैयार किया जाता है। बतादें, कि फुल क्रीम दूध में फैट और पोषक तत्व काफी मात्रा में पाए जाते हैं, जब कि टोंड एवं डबल टोंड मिल्क से फैट बाहर कर दिया जाता है। इस दूध को बाद में पॉली में बंद किया जाता है, उसके बाद इसे ठंडा करके विभिन्न प्रकार की थैलियों में बंद किया करते हैं। यह ऐसी थैली होती हैं, जिसमें ठंडा दूध भरने व रखने पर कोई हानि ना हो पाए।

टेट्रा दूध किस प्रकार तैयार होता है

शायद ही आप जानते होंगे कि टेट्रा पैक दूध सर्वाधिक पोषणयुक्त एवं सुरक्षा से परिपूर्ण माना गया है, इसको निर्मित करने की विधि भी भिन्न है। दरअसल, दूध को 6 लेयर युक्त टेट्रा पैक डब्बे में बंद करने से पूर्व बहुत अधिक तापमान (Ultra-High Temperature) पर गर्म करना होता है। काफी ज्यादा तापमान पर इसको कुछ समयावधि के लिए रखा जाता है। दूध को काफी गर्म करके शीघ्र ठंडा कर दिया जाता है, इस प्रकार दूध में विघमान नुकसानदायक विषाणु बर्बाद हो जाते हैं, इसके उपरांत दूध को टेट्रा पैक में बंद कर दिया जाता है।