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अगरबत्ती

वेस्ट फूलों से घर में ही कर सकते हैं अगरबत्ती का बिजनेस 

वेस्ट फूलों से घर में ही कर सकते हैं अगरबत्ती का बिजनेस 

देश भर में प्रति दिन लगभग १ हजार टन फूल नदियों में बहाए या फेंके जाते हैं. इन फूलों के सड़ने से हानिकारक और विषाक्त अव्यव नदियों के पानी को गंदा करते हैं और वातावरण पर भी इसका बुरा असर होता है. रोजाना बड़ी मात्र में फूल कूड़ें में भी फेकें जाते है, जो सड़कर बदबू पैदा करते हैं. ऐसे में देश के कुछ युवाओं ने वेस्ट से बेस्ट बनाने की तरकीब निकालकर इस बदबू को खुशबु में बदल दिया है. गाँव देहात की मंदिरों से लेकर बड़े बड़े मंदिरों में बड़ी मात्र में फूल चढ़ाए जाते हैं, जो एक बार उपयोग में लाने के बाद वेस्ट  बन जाते हैं, मगर इन्हीं वेस्ट फूलों से अगरबत्ती का कारोबार शुरू किया जा सकता हैं. अगर आपके आस पास भी ऐसे वेस्ट फूल उपलब्ध हों तो शुरू कर सकते हैं, अगरबत्ती निर्माण का व्यवसाय.


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जानते हैं वेस्ट फूलों से अगरबत्ती बनाने कि पूरी प्रक्रिया :

आवश्यक सामग्री :

वेस्ट फूलों से अगरबत्ती बनाने के लिए कुछ सामग्रियों कि जरूरत होगी जिसमे प्रमुख है वेस्ट या ताजा फूल, लकड़ी का पतला स्टिक और एक पाउडर बनाने वाली मशीन. आप पूरी तरह से स्वचालित अगरबत्ती बनाने की मशीन का प्रयोग भी कर सकते हैं.

कैसे बनाएंगे वेस्ट फूलों से अगरबत्ती ?

सबसे पहले उपयोग में ना आने वाले अर्थात वेस्ट फूलों को एकत्रित कर लें. मंदिरो में चढ़ाए गए फूलों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. बड़े बड़े समारोह या उतसव में भी बड़ी मात्र में फूलों का उपयोग होता है, वहां से भी फूल एकत्रित कर सकते हैं.
  • फूलों में जैविक घोल का छिड़काव कर लें. इससे हानिकारक कीटों को हटाने में मदद मिलती है.
  • अब एकत्रित फूलों को छांटकर उसमें से खराब फूल, धागे या अन्य पत्तियों को हटा दें.
  • अब साफ़ किये हुए फूलों में से पत्तियों को निकालकर धूप में सुखा लें.
  • सूखे फूल को मशीन में डालकर उसका पावडर बना लें.
  • अब पावडर को अच्छी तरह से गूँथ ले.
  • अब लकड़ी की पतली स्टिक को गुंथे माल में रोल कर उसे अगरबत्ती का रूप दे दें, इस तरह अगरबत्ती बनकर तैयार हो जाएगी.
  • लेकिन अगरबत्ती की बिक्री के लिए पैकेजिंग सबसे महत्वपूर्ण है, क्योकि पैकेजिंग के आधार पर ही तैयार उत्पाद की बिक्री निर्भार करती है.पैकेजिंग के लिये आकर्षक और डिजाइनदार पैकेट बनवायें. इसके निश्चित मात्र में  अगरबत्ती के पैकेटों का बंडल बनाकर बाज़ार में बिक्री के लिये भेज दें.


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वेस्ट फूलों से बनाई गई यह अगरबत्ती आग्रेनिक तथा इको फ्रेंडली होती है. इससे पर्यावरण को किसी प्रकार की हानी नहीं होती है. यह वेस्ट फूलों के निवारण का सबसे अच्छा उपाय है. आप इसे घर में कुटीर उद्योग केरूप में कर सकते हैं या फिर बड़े व्यवसाय का भी रूप दे सकते हैं. जिससे आप खुद के मुनाफे के साथ ही साथ अन्य लोगों के लिय रोजगार सृजन भी कर सकते हैं. वहीं वेस्ट फूलों से अगरबत्ती बनाकर जहाँ आप वेस्ट फूलों का सबसे अच्छा निवारण प्रबंधन कर सकते हैं, वही पर्यावरण को भी स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
फूलों की खेती से कमा सकते हैं लाखों में

फूलों की खेती से कमा सकते हैं लाखों में

भारत में फूलों की खेती एक लंबे समय से होती आ रही है, लेकिन आर्थिक रूप से लाभदायक एक व्यवसाय के रूप में फूलों का उत्पादन पिछले कुछ सालों से ही शुरू हुआ है. 

समकालिक फूल जैसे गुलाब, कमल ग्लैडियोलस, रजनीगंधा, कार्नेशन आदि के बढ़ते उत्पादन के कारण गुलदस्ते और उपहारों के स्वरूप देने में इनका उपयोग काफ़ी बढ़ गया है. 

फूलों को सजावट और औषधि के लिए उपयोग में लाया जाता है. घरों और कार्यालयों को सजाने में भी इनका उपयोग होता है. 

मध्यम वर्ग के जीवनस्तर में सुधार और आर्थिक संपन्नता के कारण बाज़ार के विकास में फूलों का महत्त्वपूर्ण योगदान है. लाभ के लिए फूल व्यवसाय उत्तम है. 

किसान यदि एक हेक्टेयर गेंदे का फूल लगाते हैं तो वे वार्षिक आमदनी 1 से 2 लाख तक प्राप्त कर सकते हैं. इतने ही क्षेत्र में गुलाब की खेती करते हैं तो दोगुनी तथा गुलदाउदी की फसल से 7 लाख रुपए आसानी से कमा सकते हैं. भारत में गेंदा, गुलाब, गुलदाउदी आदि फूलों के उत्पादन के लिए जलवायु अनुकूल है.

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जहाँ इत्र, अगरबत्ती, गुलाल, तेल बनाने के लिए सुगंध के लिए फूलों का इस्तेमाल किया जाता है, वहीं कई फूल ऐसे हैं जिन का औषधि उपयोग भी किया जाता है. कुल मिलाकर देखें तो अगर किसान फूलों की खेती करते हैं तो वे कभी घाटे में नहीं रहते.

भारत में फूलों की खेती

भारत में फूलों की खेती की ओर किसान अग्रसर हो रहे हैं, लेकिन फूलों की खेती करने के पहले कुछ बातें ऐसे हैं जिन पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है. 

यह ध्यान देना आवश्यक है की सुगंधित फूल किस तरह की जलवायु में ज्यादा पैदावार दे सकता है. फिलवक्त भारत में गुलाब, गेंदा, जरबेरा, रजनीगंधा, चमेली, ग्लेडियोलस, गुलदाउदी और एस्टर बेली जैसे फूलों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. ध्यान रखने वाली बात यह है कि फूलों की खेती के दौरान सिंचाई की व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए.

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बुआई के समय दें किन बातों पर दें ध्यान

फूलों की बुवाई के दौरान कुछ बातों पर ध्यान देना आवश्यक होता है. सबसे पहले की खेतों में खरपतवार ना हो पाए. ऐसा होने से फूलों के खेती पर बुरा असर पड़ता है. 

खेत तैयार करते समय पूरी तरह खर-पतवार को हटा दें. समय-समय पर फूल की खेती की सिंचाई की व्यवस्था जरूरी होती है. वहीं खेतों में जल निकासी की व्यवस्था भी सही होनी चाहिए. 

ताकि अगर फूलों में पानी ज्यादा हो जाये तो खेत से पानी को निकला जा सके. ज्यादा पानी से भी पौधों के ख़राब होने का दर होता है.

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फूलो की बिक्री के लिये बाज़ार

फूलों को लेकर किसान को बाजार खोजने की मेहनत नहीं करनी पड़ती है, क्योंकि फूलों की आवश्यकता सबसे ज्यादा मंदिरों में होती है. इसके कारण फूल खेतों से ही हाथों हाथ बिक जाते हैं. 

इसके अलावा इत्र, अगरबत्ती, गुलाल और दवा बनाने वाली कंपनियां भी फूलों के खरीदार होती है. फूल व्यवसाई भी खेतों से ही फूल खरीद लेते हैं, और बड़े बड़े शहरों में भेजते हैं.

फूल की खेती में खर्च

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार फूलों की खेती में ज्यादा खर्च भी नहीं आता है. एक हेक्टेयर में अगर फूल की खेती की जाए तो आमतौर पर 20000 रूपया से 25000 रूपया का खर्च आता है, 

जिसमें बीज की खरीदारी, बुवाई का खर्च, उर्वरक का मूल्य, खेत की जुताई और सिंचाई वगैरह का खर्च भी शामिल है, फूलों की कटाई के बाद इसे बड़ी आसानी से बाजार में बेचकर शुद्ध लाभ के रूप में लाखों का मुनाफा लिया जा सकता है