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बायो डी-कंपोजर: जैविक खेती के लिए उपयोग, लाभ और बनाने की विधि

Published on: 11-Feb-2025
Updated on: 11-Feb-2025

आज के समय में किसान अपनी खेती में अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता के लिए बायो डी-कंपोजर का इस्तेमाल करने लगे हैं।

यह प्राकृतिक और जैविक तरीका खेती में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों की तुलना में अधिक प्रभावी और सस्ता साबित हो सकता है।

बायो डी-कंपोजर के माध्यम से किसान न सिर्फ अपनी फसल को बैक्टीरियल और फंगल बीमारियों से बचा सकते हैं, बल्कि उनकी खेती की लागत भी कम हो जाती है।

इस लेख में हम जानेंगे कि बायो डी-कंपोजर का इस्तेमाल कैसे करें और इसके फायदे क्या हैं?

बायो डी-कंपोजर का विकास और उसकी कार्यप्रणाली

बायो डी-कंपोजर को जैविक कृषि अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित किया गया है, जो पूरी तरह से प्राकृतिक है और इसमें रासायनिक उर्वरक या कीटनाशकों की आवश्यकता नहीं होती।

यह एक ऐसा कारगर उपाय है, जिससे किसान अपनी फसलों की सुरक्षा कर सकते हैं, बिना रासायनिक उत्पादों का उपयोग किए।

यह विधि किसानों के लिए बेहद किफायती है, क्योंकि इसके उपयोग से उन्हें रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों पर खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती।

इसके अलावा, यह भूमि के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है, क्योंकि यह मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीवों की संख्या को बढ़ाता है और मिट्टी की उर्वरक क्षमता में सुधार करता है।

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डी-कंपोजर तैयार करने की विधि

बायो डी-कंपोजर तैयार करना एक सरल प्रक्रिया है। सबसे पहले, 200 लीटर पानी की एक बड़ी टंकी या ड्रम लें और उसमें 2 किलोग्राम पुराना गुड़ डालें।

इसके बाद, बायो डी-कंपोजर को एक बोतल में निकालकर लकड़ी से अच्छे से घोलें (ध्यान रहे, हाथ से पानी को न छुएं)। यह मिश्रण 7 दिनों तक अच्छे से मिलाना होता है। 7 दिन बाद यह मिश्रण मिट्टी के रंग जैसा हो जाता है।

अब कंपोस्ट तैयार करने के लिए छायादार जगह पर प्लास्टिक शीट बिछाकर उस पर 1 टन गोबर की खाद फैलाएं और फिर 20 लीटर तैयार घोल का छिड़काव करें।

यह प्रक्रिया तब तक दोहराएं, जब तक 200 लीटर घोल खत्म न हो जाए। खाद में 60% नमी बनी रहनी चाहिए। इस प्रक्रिया को पूरा करने के बाद, 40 से 50 दिनों के भीतर कंपोस्ट तैयार हो जाएगा।

बायो डी-कंपोजर के फायदे

बायो डी-कंपोजर के अनेक फायदे है, जिससे की किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता हैं। बायो डी-कंपोजर के फायदे निम्नलिखित दिए गए हैं:

1. बीमारियों से सुरक्षा

बायो डी-कंपोजर का उपयोग करने से फसल में बैक्टीरिया और फंगल बीमारियों का असर कम होता है। इससे फसल की सेहत बनी रहती है और उत्पादन में कोई कमी नहीं आती।

2. कीट नियंत्रण

बायो डी-कंपोजर का नियमित उपयोग कीटों के प्रकोप को नियंत्रित करता है। 30 लीटर बायो डी-कंपोजर को 70 लीटर पानी में मिलाकर 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करने से कीटों का असर कम हो जाता है।

3. उर्वरक की आवश्यकता में कमी

चूंकि बायो डी-कंपोजर में सभी जरूरी पोषक तत्व होते हैं, इसका उपयोग करने से उर्वरक की आवश्यकता भी कम हो जाती है। यह खेती की लागत को कम करता है।

4. जलवायु में सुधार

बायो डी-कंपोजर को ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर सिंचाई दोनों में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे पानी की बचत होती है और फसल को समुचित मात्रा में जल मिलता है।

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कैसे करें बायो डी-कंपोजर का छिड़काव?

बायो डी-कंपोजर को खेतों में अच्छे से छिड़काव करने के लिए, 3 भाग पानी में इसे मिलाकर स्प्रे करना चाहिए।

यह घोल फसल को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है और उसे बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है।

किसानों का कहना है कि इस उपाय का प्रयोग करने के बाद उन्हें अपनी फसल में किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं दिखी, और उर्वरक की आवश्यकता भी कम हो गई।

बायो डी-कंपोजर किसानों के लिए एक अत्यधिक लाभकारी साधन बन गया है। यह न सिर्फ प्राकृतिक तरीके से खेती करने में मदद करता है, बल्कि लागत को भी कम करता है।

किसानों को इसके उपयोग से कई फायदे मिलते हैं, जैसे कीटनाशक और उर्वरकों पर खर्च में कमी, फसल की सुरक्षा, और बेहतर उत्पादन। जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए बायो डी-कंपोजर एक उपयुक्त और टिकाऊ विकल्प है।