सरसों की फसल में रोग और कीटों का बढ़ता प्रकोप: कृषि विश्वविद्यालय की अहम सलाह, ऐसे करें बचाव

Published on: 13-Nov-2025
Updated on: 13-Nov-2025

देशभर में रबी सीजन के दौरान सरसों किसानों की प्रमुख नकदी फसल होती है। यह फसल तेल उत्पादन और अच्छे मुनाफे के लिए जानी जाती है। हालांकि इस साल कई राज्यों में अनियमित बारिश और मौसम की अस्थिरता के चलते बुवाई में देरी हुई है, जिससे फसल में कीट और रोगों का खतरा बढ़ गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने किसानों को समय रहते सावधान रहने और फसल प्रबंधन के लिए जरूरी निर्देश जारी किए हैं।

विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार अत्यधिक नमी और कम तापमान के कारण सरसों की फसल में फफूंद जनित रोग और कीटों के फैलने की संभावना अधिक है। इसलिए किसान शुरुआती अवस्था से ही फसल की नियमित निगरानी करें और लक्षण दिखाई देने पर तुरंत आवश्यक कदम उठाएं।

जड़ गलन रोग (Root Rot) से करें बचाव

फसल में पौधों का अचानक मुरझाना और सूखना जड़ गलन रोग का संकेत है। जड़ों के पास सफेद फफूंद दिखाई देना इसका प्रमुख लक्षण है। यह रोग Fusarium, Rhizoctonia और Sclerotium फफूंदों के कारण फैलता है।

नियंत्रण उपाय:

  • कार्बेंडाजिम 0.1% घोल (1 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें।
  • छिड़काव के दौरान पौधों और मिट्टी दोनों को अच्छी तरह तर करें।
  • रोग अधिक होने पर 15 दिन बाद दोबारा छिड़काव करें।

फूलिया रोग (Downy Mildew) की पहचान और नियंत्रण

अगर सरसों की पत्तियों के नीचे सफेद फफूंद दिखाई देने लगे और पत्तियां पीली होकर सूखने लगें, तो यह फूलिया रोग है।

नियंत्रण उपाय:

  • मैंकोजेब (डाइथेन एम-45) या मेटलैक्सिल 4% + मैंकोजेब 64% (2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें।
  • यदि फसल में जड़ गलन और पत्तियों के धब्बे दोनों दिख रहे हों, तो कार्बेंडाजिम 0.1% + मैंकोजेब 0.25% का टैंक मिक्स घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • आवश्यकता होने पर 15 दिन बाद दूसरा छिड़काव करें।

चितकबरा कीट (Painted Bug) से अनावश्यक छिड़काव से बचें

सरसों की शुरुआती अवस्था में चितकबरा कीट पत्तियों को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन इस बार ठंड अधिक होने के कारण इसकी सक्रियता कम है।

विश्वविद्यालय की सलाह:

  • बिना आवश्यकता कीटनाशक का छिड़काव न करें।
  • अनावश्यक छिड़काव से लागत बढ़ती है और लाभकारी कीट भी नष्ट होते हैं।

सिंचाई और मुरझाने की समस्या का समाधान

फसल में पत्तियों का मुरझाना और पौधों की कमजोरी अधिक नमी या जलभराव के कारण होती है।

उपाय:

  • बहुत हल्की सिंचाई करें और यदि मिट्टी में नमी अधिक हो तो पहली सिंचाई 10 दिन बाद करें।
  • मुरझाने या पीलापन दिखने पर कार्बेंडाजिम (1 ग्राम/लीटर पानी) + स्टेप्टोसाइक्लीन (0.3 ग्राम/लीटर पानी) का छिड़काव करें।
  • इससे पौधों की रिकवरी तेज होगी और रोग का प्रसार रुकेगा।

अत्यधिक नुकसान की स्थिति में करें पुनः बुवाई

अगर किसी खेत में पौधे अधिक मर गए हों, तो किसान 10 नवंबर तक पुनः बुवाई कर सकते हैं।

सुझाव:

  • प्रमाणित बीजों का प्रयोग करें।
  • बीजों को बुवाई से पहले कार्बेंडाजिम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।

विशेषज्ञों की सलाह

विश्वविद्यालय ने किसानों से कहा है कि इस बार की फसल मौसम की अनिश्चितता के कारण विशेष देखभाल की मांग कर रही है। किसान खेतों का नियमित निरीक्षण करें, कीट और रोगों की पहचान करें, और आवश्यकता अनुसार ही रासायनिक छिड़काव करें।

अगर किसान इन वैज्ञानिक सुझावों को समय पर अपनाते हैं, तो वे सरसों की फसल को बड़े नुकसान से बचा सकते हैं। संतुलित सिंचाई, बीज उपचार, और रोग प्रबंधन अपनाकर किसान अपनी उपज को सुरक्षित और अधिक लाभदायक बना सकते हैं।

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