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भंडारण करते वक्त अनाज में लगने वाले कीट और उनकी रोकथाम

Published on: 24-Feb-2024

फसल की कटाई के बाद सबसे महत्वपूर्ण कार्य फसल भंडारण का है। किसान वैज्ञानिक विधि का उपयोग कर फसल को संरक्षित कर सकते है। ज्यादातर फसल में लगने वाले मुख्य कीटों का कारण नमी का होना है। अनाज के भंडारण में लगने वाले मुख्य कीट लेपिडोप्टेरा और कोलिओप्टेरा आर्डर के होते है। 

1 सुरसुरी 

यह कीट भूरे काले रंग का होता है। इसके सूंड़ के आकर का सिर आगे की ओर झुका हुआ होता है। सुरसुरी कीट की लम्बाई 2 -4 मिमी होती है। सुरसुरी के पंखो के ऊपर हल्के धब्बेनुमा की रचना होती है। 

अनाज के भण्डारण को प्रोढ़ और सूंडी दोनों ही क्षति पहुँचाती है। यह सूंडी सामान्यता अनाज को अंदर से खाकर खोखला बना देती है। 

2 खपड़ा बीटल

यह प्रोढ़ कीट स्लेटी भूरे रंग का होता है। इस कीट का शरीर अंडाकार का होता है, सिर छोटा और सिकुड़ने वाला होता है। यह सूंडी बारीक रोएं से भरपूर होती है। 

खपड़ा बीटल कीट की लंबाई 2 -2.5 मिमी होता है। इस कीट को आसानी से फसल में पहचाना जा सकता है। सूंडी का प्रकोप ज्यादातर अनाज के भ्रूड़ पर देखा जाता है। 

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3 अनाज का छोटा बेधक 

यह कीट अनाज को खाकर अंदर से खोखला बना देता है। इस कीट की लंबाई 3 मिमी होती है, और यह कीट दिखने में गहरे भूरे रंग के होते है। प्रोढ़ और कीट दोनों ही फसल को क्षति पहुँचाते है, यह कीट उड़ने में भी सक्षम होती है। 

यह कीट अनाज को अंदर से खोखला करके आटे में परिवर्तित कर देते है। यह भंडारगृह का नाशीकीट है। 

4 अनाज का पतंगा 

यह कीट 5 -7 मिमी लम्बे होते है। यह कीट सुनहरे भूरे रंग के उड़ने वाले पतंगे रहते है। इस पतंगे का आख़िरी सिरा नुकीला और बालयुक्त होता है। 

इस कीट के आगे वाले पंख हल्के पीले और पिछले वाले पंख भूरे रंग के होते है। यह कीट दाने के भीतर छिद्र करके अनाज को खाती है, और विकसित होकर प्रोढ़ के रूप में बहार निकलती है। 

5 आटे का लाल भृंग 

यह कीट ज्यादातर अनाज, आटा और संसाधित अनाज का कीट है। यह कीट लाल भूरे रंग का होता है और यह लगभग 3 मिमी लंबा होता है। यह कीट चलने और उड़ने में काफी तेज होते है। 

इस कीट के वक्ष, सिर और उदर स्पष्ट होते है। इसके ऐंटीनी झुके हुए होते है और ऐंटीनी के ऊपर तीन खंड मिलकर एक मोटा भाग विकसित करते है। 

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6 दालों का भृंग 

प्रोढ़ कीट का शरीर भूरे रंग का होता है। यह प्रोढ़ कीट लगभग 3.2 मिमी लंबा होता है। प्रोढ़ कीट का शरीर आगे की ओर नुकीला और पीछे से चौड़ा होता है। यह सूंडी अनाज के दानों में छिद्र करके उन्हें  खा जाती है। 

7 कटारी दाँतो वाला अनाज का भृंग 

यह कीट लगभग 1/8 इंच लम्बे होते है। इस कीट के धड़के दोनों किनारों पर आरीनुमा 6 दांत होते हैं। यह कीट आसानी से पहचाना जा सकता है। यह गाढ़े भूरे रंग के चपटे कीट होते हैं। 

कीट प्रकोप के पूर्व प्रबंधन 

  1. गोदामों में अनाज का भण्डारण करने से पहले, गोदामों की अच्छे से सफाई कर ले। 
  2. भंडारित किये जाने वाले अनाज को अच्छे से धूप में सूखा ले, याद रहे अनाज में नमी न हो। अनाज का भण्डारण करने से पहले, अनाज की नमी की जांच कर ले। 
  3. अनाज ढोने वाले वाहनों की साफ़ सफाई पर विशेष रूप से ध्यान दे। 
  4. अनाज का भण्डारण करते वक्त पुरानी बोरियों का उपयोग न करें, उसकी जगह पर नई बोरियों का उपयोग करें। या फिर पुरानी बोरियों को 0.01त्न साइपरमेथ्रिन 25 ईसी को पानी में मिलाकर बोरियों को आधा घंटे तक उसमे भिगों दें। बोरियों को छाया में सुखाने के बाद तब उसमे फसल का भण्डारण करें। 
  5. अनाज से भरी बोरियों को सीधे निचे भूमि पर न रखे। बोरियों को हमेशा दीवार से सटा कर रखें। 
  6. अनाज को गोदामों में कीट रहित करने के लिए 0.5त्न मैलाथियान 50 ईसी को पानी में मिलाकर छिड़काव करें। 
  7. भंडारित अनाज को सुरक्षित रखने के लिए कपूर, सरसो के तेल और नीम की पत्तियों के पाउडर का उपयोग भी किया जा सकता हैं। 

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कीट प्रकोप के पश्चात उपाय 

ज्यादा नमी वाले दिनों में 15 -20 दिन के अंतराल पर फसल में कीट प्रकोप की जाँच करते रहे। या फिर समय समय अनाज को धुप दिखाकर उसमे से नमी को भी दूर कर सकते हैं। 

एल्यूमिनियम फॉस्फाइड की एक गोली को एक टन अनाज में डालें और कुछ दिनों के लिए हवाबंद कर दें। ध्यान रहें, हवा अवरोधी भंडारों में इस गोली का उपयोग करें।